राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1739/2003
(जिला उपभोक्ता फोरम, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्या-04/2001 में पारित निर्णय दिनांक 07.10.2002 के विरूद्ध)
सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया, लीची बाग ब्रांच साहूकारा बरेली द्वारा ब्रांच
मैनेजर। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
श्री शंकर लाल पुत्र श्री ठाकुर दास निवासी 12 मोहल्ला कुंवरपुर नाला
पी.एस. किला महानगर बरेली। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सी0के0 सेठ, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 24.08.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 04/2001 शंकर लाल बनाम सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 07.10.2002 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। परिवाद स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता मंच प्रथम बरेली द्वारा एजेन्ट के माध्यम से जमा की गई राशि अंकन रू. 9200/- ब्याज सहित वापस लौटाने का आदेश पारित किया है।
2. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा समयावधि से बाधित परिवाद पर अपन निर्णय पारित किया गया है।
3. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवाद पत्र के पैरा संख्या 7 में वाद कारण उत्पन्न होने की तिथि 26.11.97 एवं
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14.08.2000 दर्शाई है। दिनांक 14.08.2000 को नोटिस दिया गया है। नोटिस देने से वाद कारण उत्पन्न नहीं होता, जबकि प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि दिनांक 26.11.97 को पैसा वापस प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। प्रार्थना पत्र देने से अंतिम मांग की तिथि तक इस राशि को प्राप्त करने का वाद कारण उत्पन्न रहा। यद्यपि वाद पत्र में वाद कारण उत्पन्न होने की तिथि 26.11.97 थी, परन्तु इस तिथि को जमा धन वापस मांगा गया है। वाद का वास्तविक कारण नोटिस देने के बावजूद इस धन के बाद उत्पन्न हुआ है, अत: परिवाद समयावधि के अंतर्गत है।
5. स्वयं बैंक द्वारा अपने एजेन्ट के विरूद्ध धारा 406 आई.पी.सी. के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया गया है, अत: बैंक को यह स्थ्िाति स्वीकार है कि उनके एजेन्ट द्वारा ट्रस्ट का जो धन प्राप्त किया गया, उसका दुरूपयोग कर लिया गया, इसलिए प्रमुख उत्तरदायित्व के सिद्धांत के तहत बैंक इस राशि को अदा करने के लिए बाध्य है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधिसम्मत है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3