Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/646

Unit Trust of India - Complainant(s)

Versus

Shanaz Fatima - Opp.Party(s)

Abdul Moin

13 Feb 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/646
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Unit Trust of India
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Shanaz Fatima
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Alok Kumar Bose PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
  Mr. Mohd. Rais Siddaqui REGISTRAR
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-646/2000

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या-264/99 में पारित निर्णय दिनांक 16.12.99 के विरूद्ध)

यूनिट ट्रस्‍ट आफ इंडिया गुलाब भवन रियर ब्‍लाक द्वितीय फ्लोर,

6 बीएसजेड मार्ग न्‍यू दिल्‍ली 110002 द्वारा यूनिट ट्रस्‍ट आफ इंडिया

रीजेन्‍सी प्‍लाजा बिल्डिंग 5 पार्क रोड, लखनऊ 226001

                                             ...........अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम्

श्रीमती शनाज फातिमा धर्मपत्‍नी श्री जाहिद मियां मार्फत मेसर्स अनीश

जनरल स्‍टोर जगतपुर(हाफिज साहब का मजार) थाना बारादरी पुराना

शहर बरेली।                                      ........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : श्री अब्‍दुल मुईन के सहयोगी श्री उमेश कुमार

                            श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     :श्री आर0के0 गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 09.09.15

मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या-264/99 में पारित निर्णय@आदेश दिनांक दि. 16.12.99 के विरूद्ध योजित की गयी है। जिला मंच द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

      '' परिवादिनी का परिवाद अज्ञप्ति किया जाता है विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को 30000/- रूपया दिनांक 06.01.97 से भुगतान की तिथि तक मय 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ अदा करें आदेश का अनुपालन निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर किया जाए।''

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के ससुर स्‍व0 फजल अहमद द्वारा एक यूलिप पालिसी दि. 02.05.95 को ली थी। प्रथम प्रीमियम जमा करने के पश्‍चात स्‍व0 फजल अहमद ने अपनी द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ प्रीमियम विलम्‍ब से भेजी। चतुर्थ प्रीमियम दि. 13.12.96 को ड्राफ्ट द्वारा भेजा गया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी के ससुर की

 

 

-2-

मृत्‍यु दि. 06.01.97 को हो गई। परिवादिनी प्रत्‍यर्थी स्‍व0 फजल अहमद की नामिनी थी। फजल अहमद की मृत्‍यु के उपरांत प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने मृत्‍यु उपरांत इस योजना के लाभों की मांग करते हुए अपना क्‍लेम प्रस्‍तुत किया। यूनिट ट्रस्‍ट आफ इंडिया ने रू. 6610.34 पैसे का भुगतान किया। परिवादिनी के अनुसार अपीलार्थी ने जीवन सुरक्षा राशि रू. 30000/- का भुगतान नहीं किया और भुगतान करने से इंकार किया।

      पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों एवं साक्ष्‍यों का भलीभांति परिशीलन किया।

      अपीलार्थी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी के ससुर जो कि यूलिप के सदस्‍य थे। उनके द्वारा समय से नवीनीकरण की किश्‍तों का भुगतान नहीं किया। इस पालिसी के तहत नवीनीकरण की किश्‍तें नियत तिथि पर जमा करना होता है, इसके लिए देय तिथि से 15 दिन का ग्रेस पीरियड भी दिया गया है, परन्‍तु परिवादिनी के ससुर ने सभी किश्‍तें देर से जमा की, अत: बीमा कवर समाप्‍त हो जाता है, अत: परिवादिनी जीवन सुरक्षा पालिसी के तहत कोई धनराशि पाने की अधिकारिणी नहीं है, अत: जिला मंच का आदेश विधिसम्‍मत न होने के कारण निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

      प्रत्‍यर्थी का कथन है कि चूंकि श्री फजल अहमद को यूनिट ट्रस्‍ट का प्रमाणपत्र दि. 05.07.96 को प्राप्‍त किया, अत: उनके द्वारा दि. 10.10.95 और 10.04.96 की किश्‍तें विलम्‍ब से भेजी और चतुर्थ प्रीमियम ड्राफ्ट द्वारा दि. 13.12.96 को भेजा। इस प्रकार यह निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी के ससुर जो कि इस योजना के सदस्‍य थे, उनके द्वारा समस्‍त नवीनीकरण की किश्‍तें विलम्‍ब से भेजी। दि. 10.10.95 और 10.04.96 की किश्‍तें दि. 09.09.96 को एवं दि. 10.10.96 की किश्‍त दि. 20.12;96 को अपीलार्थी को प्राप्‍त हुई, जो कि नियमानुसार दी जाने वाली ग्रेस पीरियड के बाद की थी। बीमा पालिसी बीमित व्‍यक्ति तथा बीमा कंपनी के मध्‍य एक संविदा होती है और दोनों पक्ष इस संविदा से बंधे होते हैं तथा दोनों का कर्तव्‍य है कि वह अपने कर्तव्‍यों का भलीभांति पालन करें। बीमित व्‍यक्ति का यह दायित्‍व था कि वह समय से अपने प्रीमियम का भुगतान करें। यूलिप-71 के रूल के नियम में यह स्‍पष्‍ट प्रावधान है कि यदि सदस्‍य ने अपना अंश समय से भुगतान नहीं किया तो बीमा कवर समाप्‍त हो जाता है। इस आयोग ने भी

 

 

-3-

यूनिट ट्रस्‍ट आफ इंडिया बनाम श्रीमती शैल कुमारी, अपील संख्‍या 55/99 दि. 24.01.2013 के समतुल्‍य तथ्‍यों में निम्‍न प्रकार अवधारित किया है:-   

        " Here in this case since it is an admitted fact on record that the instalment due on 10.01.1995 was not paid on due date and the same was paid on 31.05.1995.  Therefore, it is a clear case which does not fall for continuation of the policy as per rule 28 above.  Rule 28 says a grace period for 15 days only and thereafter the participation in the plan of a member shall cease forthwith.  Thus the insurance cover on the life of Shob Nath Tewari has automatically ceased in terms of rule 28 and we are of this opinion that the District Consumer Forum has committed error thereby decreeing the claim of insurance in favour of the complainant, Hence we find that this appeal deserved to be allowed."

 

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर प्रस्‍तुत अपील तदनुसार स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 16.12.99 अपास्‍त किया जाता है।

     पक्षकरान अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

     

 

        (राम चरन चौधरी)                                 (राज कमल गुप्‍ता)

         पीठासीन सदस्‍य                                      सदस्‍य

राकेश, आशुलिपिक

      कोर्ट-5

 
 
[HON'BLE MR. Alok Kumar Bose]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER
 
[ Mr. Mohd. Rais Siddaqui]
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