सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 33/2018
(जिला उपभोक्ता फोरम, जालौन, उरई द्वारा परिवाद संख्या- 71/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 09-10-2017 के विरूद्ध)
1- मैनेजर, चोलामण्डलम इन्वेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कम्पनी लि0 (श्री अजय सिंह विष्ट एसोसिएटेड आपरेशन, उरई) कार्यालय माल रोड, कानपुर 208001
2- श्री सत्य प्रकाश यादव, आफिस इंचार्ज, , चोलामण्डलम इन्वेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कम्पनी लि0 स्टेशन रोड उरई, जिला जालौन।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
1- शमशाद, पुत्र श्री कल्लू, निवासी उदनपुरा कस्बा काल्पी, जिला जालौन उ0प्र0।
2- सेक्रेटरी मैनेजर, जे0सी0ए0 फाइनेंसियल सर्विसेज एण्ड पार्किंग सेक्योरिटी, बेटा लाल गेस्ट हाउस, काल्पी रोड, भोगनीपुर, कानपुर देहात।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल
प्रत्यर्थी सं०1 की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री नवीन तिवारी
प्रत्यर्थी सं० 2 की ओर से उपस्थित: कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक: 21-12-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या- 71 सन् 2015 शमशाद बनाम प्रबन्धक, चोलामण्डलम इन्वेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कम्पनी लि0 व दो अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, जालौन, उरई द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक
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09-10-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद अंशत: स्वीकार करते हुये निम्न आदेश पारित किया है:-
" परिवाद पत्र अंशत: स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को संयुक्त रूप से यह आदिष्ट किया जाता है कि वे वादी को वाहन की कीमत मु0 10,80,100/-रू० प्रदान करें। इस धनराशि पर वाहन की जब्ती दिनांक 14-04-2015 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देय होगा। वाद व्यय के रूप में वादी मु0 5000/-रू० अतिरिक्त की धनराशि प्राप्त करने का हकदार होगा। इस धनराशि पर आदेश की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज देय होगा।"
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण, मैनेजर, चोलामण्डलम इन्वेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कम्पनी लि0 और श्री सत्य प्रकाश यादव, आफिस इन्चार्ज, चोलामण्डलम इन्वेस्टमेंट एण्ड फाइनेंस कम्पनी लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल और प्रत्यर्थी संख्या-1 जो परिवादी हैं, की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी उपस्थित आए हैं। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से नोटिस का तामीला पर्याप्त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
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हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने अपने ट्रक नं० यू०पी० 92 टी 2969 हेतु विपक्षी फाइनेंस कम्पनी लि0 से 9,00,000/- रू० स्वरोजगार हेतु आर्थिक सहायता प्राप्त की जिसका लोन एकाउंट नं० एक्स वी जी एफ पी के पी आर 0000719252 है। इस ऋण की धनराशि हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी ने 1,80,100/-रू० नगद जमा कर उपरोक्त वाहन क्रय किया था।
परिवाद पत्र के अनुसार ऋण की उपरोक्त धनराशि पर 7.39 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज देय था और सम्पूर्ण धनराशि 26,913/- रू० प्रति माह की दर से 46 किस्तों में जमा करना था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसका उपरोक्त वाहन का बीमा कवर नोट काटते समय वाहन की कीमत 10,35,500/- रू० दशार्यी गयी थी। उसने दिनांक 13-04-2015 तक की सम्पूर्ण किस्तें जमा कर दी थीं फिर भी उपरोक्त फाइनांसर द्वारा नियुक्त विपक्षी संख्या-4 के खुर्शीद नाम के व्यक्ति के इशारे पर वाहन को दिनांक 14-04-2015 को कब्जे में लेकर सीज कर दिया गया। परिवादी ने जमा रशीदें दिखाया फिर भी उसका वाहन जबरदस्ती अवैधानिक ढ़ग से छीन लिया गया जिससे उसकी रोजी-रोटी छीन ली गयी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने घटना के बारे में फाइनांसर विपक्षीगण के स्थानीय कार्यालय में जाकर अवगत कराया तो कार्यालय में
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कानपुर कार्यालय से खबर आयी कि वाहन को किसी और व्यक्ति को बेंच दिया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी को यह भी बताया गया कि किश्तें अदा न होने के कारण वाहन बेंच दिया गया है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने कुछ किश्तें कानपुर कार्यालय में जमा किया है और कुछ किश्तें उरई कार्यालय में जमा किया है। इस प्रकार उसने 9,01,987/-रू० जमा किया है फिर भी उससे वाहन छीन लिया गया है जो विपक्षीगण की सेवा में कमी है।
विपक्षीगण संख्या- 1 और 2 की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि दिनांक 13-03-2012 को प्रत्यर्थी/परिवादी को 9,59,122/-रू० का ऋण प्रदान किया गया था जिसकी अदायगी प्रत्यर्थी/परिवादी को 46 किश्तों में दिनांक 10-04-2012 से दिनांक 10-01-2016 तक मु0 26,913/- रू० की मासिक किश्त में करना था। लिखित कथन में विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि वाहन का मूल्य 10,80,100/- रू० था। स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन का कोटेशन प्राप्त कर विपक्षी के कार्यालय में जमा किया था। लिखित कथन के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने ऋण प्राप्त करने के बाद निर्धारित तिथियों पर भुगतान नहीं किया जिससे ऋण का भार बढ़ता गया और ऋण अनुबन्ध की शर्तों के अनुसार वित्त पोषक के अधिकार से समस्त विधिक प्रक्रिया अपनाते हुए अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा वाहन कब्जे में लिया तथा सूचना संबंधित थाना भोगनीपुर कानपुर देहात एवं परिवादी को दी गयी।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 7,30,161/- रू० मूल धनराधि के रूप में और 2,65,620/-रू० ब्याज अदा किया है जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी को ऋण अनुबन्ध के अनुसार
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26,915/-रू० की मासिक किश्तों में कुल 12,37,998/- रू० की अदायगी करना था।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से यह भी कहा गया है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ऋण प्रदाता है और प्रत्यर्थी/परिवादी ऋण प्राप्तकर्ता हैं। दोनों के बीच सेवा प्रदाता व सेवा प्राप्तकर्ता के सम्बन्ध नहीं हैं बल्कि व्यावसायिक संबंध हैं। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षीगण ने माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा देशलारा बानाम मैग्मा लीजिंग फाइनेंस कं०लि० 3, 2006 सी०पी०जे० (एन०सी०) के वाद में पारित निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण सेवा प्रदाता की श्रेणी में नहीं आते हैं। अत: परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि सुनवाई के समय अपीलार्थी/ विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुनकर पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर आक्षेपित आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित किया जा चुका है।
अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण को ऋण की धनराशि का भुगतान ऋण करार-पत्र के अनुसार नहीं किया है। अत: ऋण करार-पत्र के अनुसार अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा वाहन कब्जे में लिया गया है और वाहन की बिक्री की गयी है। अपीलार्थी/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर दिये बिना
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उसके विरूद्ध परिवाद का निस्तारण एकपक्षीय रूप से मात्र अनुमान के आधार पर किया है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत करने के बाद अनुपस्थित हो गए हैं और पुन: उपस्थित नहीं हुए हैं। अत: जिला फोरम ने उनके विरूद्ध एकपक्षीय रूप से कार्यवाही कर जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह उचित और विधि सम्मत है। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा समस्त किस्तों का भुगतान अद्यत किये जाने पर भी बिना किसी नोटिस या सूचना के अपीलार्थी/विपक्षीगण ने उसका वाहन बलपूवर्क छीन लिया है और अवैधानिक ढ़ग से उसे किसी अन्य व्यक्ति को बेंच दिया है। अत: अपीलार्थी/विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कमी की है और अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
उभय पक्ष के अभिकथन से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण से ऋण लेकर प्रश्नगत वाहन खरीदा था और यह ऋण ब्याज सहित 26,913/- रू० की 46 मासिक किस्तों में अदा किया जाना था। प्रत्यर्थी/परिवादी के अनुसार दिनांक 13-04-2015 की सम्पूर्ण किस्तों का भुगतान किया था फिर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण के आदमी वाहन जबरदस्ती बिना कोई पूर्व सूचना दिये ले गये हैं और प्रत्यर्थी/परिवादी को कोई नोटिस या
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सूचना दिये बिना बेंच दिया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने किस्तों के भुगतान में चूक की है। अत: ऋण करार के अनुसार विधिवत वाहन कब्जा में लिया गया है और नोटिस के बाद भी प्रत्यर्थी/परिवादी ने भुगतान नहीं किया है। अत: अपीलार्थी/विपक्षीगण ने वाहन बेंच कर प्राप्त धन का ऋण में समायोजन किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र में यह नहीं कहा है कि सम्पूर्ण ऋण धनराशि का भुगतान वह कर चुका है। उसने कहा है कि दिनांक 13-04-2015 तक की सम्पूर्ण किस्तों का भुगतान किया है। अत: उभय पक्ष के अभिकथन से स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने सम्पूर्ण ऋण धनराशि की अदायगी नहीं की है। परन्तु जिला फोरम ने अपने निर्णय में इस बिन्दु पर विचार नहीं किया है कि प्रश्नगत वाहन अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा कब्जा में लिये जाने के समय प्रत्यर्थी/परिवादी के जिम्मा ऋण की कुल कितनी धनराशि अवशेष थी। जिला फोरम ने ऋण की अवशेष धनराशि के भुगतान के सम्बन्ध में कोई आदेश भी पारित नहीं किया है।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि जिला फोरम ने महत्वपूर्ण बिन्दु पर विचार किये बिना निर्णय एक पक्षीय रूप से पारित किया है।
उपरोक्त अभिकथित तथ्यों को देखते हुए परिवाद में उचित निर्णय हेतु आवश्यक विचारणीय बिन्दु निम्न हैं:-
1- क्या अपीलार्थी/विपक्षीगण ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा किस्तों का भुगतान करने पर वाहन ऋण करार-पत्र के विरूद्ध प्रत्यर्थी/परिवादी को कोई नोटिस दिये बिना कब्जा में लिया है जो सेवा में कमी और अनुचित व्यापार पद्धति है ?
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2- क्या अपीलार्थी/विपक्षीगण ने प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन की बिक्री प्रत्यर्थी/परिवादी को नोटिस दिये बिना किया है और वाहन की बिक्री सार्वजनिक नीलामी से न कर मनमानी ढंग से तय दाम पर करके अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है ?
3- प्रश्नगत वाहन अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा कब्जा में लिये जाने के समय प्रत्यर्थी/परिवादी के जिम्मा ऋण की कुल धनराशि कितनी अवशेष थी और क्या यह धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को दिये जाने वाले अनुतोष की धनराशि में समायोजित किये जाने योग्य है ?
लिखित कथन प्रस्तुत करने के बाद अपीलार्थी/विपक्षीगण अनुपस्थित हो गये हैं। अत: उनकी तरफ से साक्ष्य एवं प्रत्यर्थी/परिवादी के ऋण एवं भुगतान का विवरण प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। अत: उपरोक्त बिन्दुओं के उचित निर्णय हेतु अपीलार्थी/विपक्षीगण को अपना साक्ष्य जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना आवश्यक है। परन्तु इसके साथ ही उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने उपस्थित होकर लिखित कथन प्रस्तुत किया है और उसके बाद अनुपस्थित हो गये हैं। अत: अपीलार्थी/विपक्षीगण से प्रत्यर्थी/परिवादी को 20,000/-रू० हर्जा दिलाया जाना भी आवश्यक है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय व आदेश 20,000/- रू० हर्जा अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने पर अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम उभय
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पक्ष को साक्ष्य व सुनवाई का अवसर देकर उपरोक्त बिन्दुओं पर विचार कर पुन: निर्णय व आदेश विधि के अनुसार पारित करें।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 04-02-2019 को उपस्थित हों।
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/- रू० व उस पर अर्जित ब्याज से हर्जा की उपरोक्त धनराशि 20,000/- रू० प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा की जाएगी और अवशेष धनराशि अपीलार्थीगण को वापस की जाएगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01