(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-380/2007
यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 ब्रांच आफिस-1, 149 सिविल लाइन्स, बरेली द्वारा डिप्टी मैनेजर डा0 आर.एम. शुक्ला पोस्टेड एट रिजनल आफिस, अलीगंज, लखनऊ
बनाम
श्रीमती शालिनी अग्रवाल पत्नी डा0 पवन अग्रवाल, निवासिनी सी-38 राजेन्द्र नगर, बरेली
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.पी. सिंह।
दिनांक : 12.04.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-73/2004, श्रीमती शालिनी अग्रवाल बनाम सीनियर ब्रांच मैनेजर, यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.01.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.पी. सिंह को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार वाहन संख्या यू.पी. 25 डी. 4920 परिवादिनी ने अपने पति से अंकन 58 हजार रूपये में क्रय
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किया है, इस वाहन का बीमा दिनांक 8.12.2000 से दिनांक 7.12.2001 के लिए था, इसके बाद दिनांक 8.12.2001 से दिनांक 7.12.2002 तक के लिए बीमा कराया गया। दिनांक 28.5.2002 को यह वाहन राम गंगा विहार कालोनी मुरादाबाद से चोरी हो गया, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। पुलिस द्वारा विवेचना के पश्चात अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी। बीमा क्लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि परिवादिनी संबंधित वाहन की पंजीकृत स्वामिनी नहीं है, इसलिए बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए वह अधिकृत नहीं है।
3. विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि बीमा कंपनी ने परिवादिनी के नाम बीमा पालिसी होना स्वीकार किया है, इसलिए बीमा कंपनी को बीमा क्लेम अदा करना चाहिए। तदनुसार अंकन 80 हजार रूपये बीमित राशि अदा करने का आदेश दिया गया है।
4. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गयी है कि वाहन जिस समय चोरी हुआ, उस समय वाहन के मालिक डा0 पवन अग्रवाल थे, परन्तु बीमा पालिसी परिवादिनी द्वारा अपने नाम से ले ली गयी। डा0 पवन अग्रवाल द्वारा एक नयी कार खरीदी गयी, जिस पर 65 प्रतिशत नो क्लेम बोनस प्राप्त किया गया और पुरानी कार अपनी पत्नी के नाम ट्रांसफर कर दी गयी, जिसको बाद में चोरी होना कहा गया। ऐसा अवैध लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया और अपनी पत्नी के नाम अवैध रूप से बीमा पालिसी वास्तविक तथ्यों को छिपाकर प्राप्त करायी गयी। यह कार
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कभी भी परिवादिनी के नाम ट्रांसफर नहीं हुई। कार अंकन 58 हजार रूपये में विक्रय करना कहा गया, परन्तु बीमा अंकन 80 हजार रूपये में कराया गया।
5. अपील के ज्ञापन में वर्णित तथ्य, परिवाद पत्र एवं निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि प्रश्नगत वाहन हमेशा परिवादिनी के पति डा0 पवन अग्रवाल के नाम बना रहा। यह वाहन कभी भी परिवादिनी शालिनी अग्रवाल के नाम पंजीकृत नहीं हुआ और न ही क्रय करने के पश्चात पंजीयन अधिकारी को इस संबंध में मोटर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सूचना दी गयी। चूंकि परिवादिनी प्रश्नगत वाहन की मालिक नहीं थी तब इस वाहन के संबंध में ली गयी पालिसी शून्य हो जाती है। अत: शून्य पालिसी के आधार पर कोई बीमा क्लेम प्रस्तुत नहीं किया जा सकता था। विद्वान जिला आयोग द्वारा अवैध रूप से बीमा क्लेम अदा करने का आदेश पारित किया गया है, जो अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.01.2007 अपास्त किया जाता है तथा संधारणीय न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2