(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1556/2012
मैसर्स सरदार मोटर्स बनाम श्रीमती शकुन्तला त्रिपाठी पत्नी श्री मेवा लाल त्रिपाठी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 17.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-172/2005, श्रीमती शकुन्तला त्रिपाठी बनाम मैसर्स सरदार मोटर्स में विद्वान जिला आयोग, बस्ती द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.4.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री काशी नाथ शुक्ला को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से पूर्व में विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हो चुके हैं, उनका वकालतनामा भी पत्रावली पर उपलब्ध है और उनकी आपत्ति भी पत्रावली पर उपलब्ध है, परन्तु वह उपस्िथत नहीं हैं और न ही उनकी ओर से कोई स्थगन आवेदन दिया गया है।
2. विद्वान जिला आयोग ने वाहन का मूल्य अंकन 3,52,277/-रू0 6 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने अपने पुत्र यतीन्द्र के जीवन यापन के लिए ऋण की व्यवस्था कर एक जीप विपक्षी से दिनांक 13.2.2003 को क्रय की थी। विपक्षी ने वर्ष 2003 का नया मॉडल कहकर जीप को विक्रय किया था। परिवादी ने जीप का पंजीयन यू.पी. 51 टी/0027 नम्बर पर कराया। परमिट आदि बनवाने के दौरान यह ज्ञात हुआ कि जीप का मॉडल वर्ष 2003 का नहीं है, अपितु वर्ष 2002 का है, इसलिए आल यू.पी. का परमिट नहीं बन सका और जीप को घर पर ही खड़ी रखना पड़ा।
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4. विपक्षी का कथन है कि विपक्षी केवल नई गाड़ी का विक्रय करता है, इसलिए पंजीयन की कार्यवाही निष्पादित हुई है। पुराना वाहन विक्रय करने का कथन असत्य है, इसलिए विपक्षी के किसी कार्य से कोई हानि परिवादी को नहीं हुई है।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने निष्कर्ष दिया कि परिवादी द्वारा दस्तावेज सं0-6 पर जो बिल उपलब्ध कराया है, उसका मॉडल निर्माण वर्ष 2003 का नहीं है, अपितु वर्ष 2003 के पूर्व का है। इस प्रकार निर्माण वर्ष 2003 बताकर सेवाओं में त्रुटि कारित की गई है। इसी आधार पर वाहन की कीमत लौटाने का आदेश पारित किया गया है।
6. अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि परिवादी को वर्ष 2003 में निर्मित वाहन विक्रय किया गया है। अपने इस तर्क की पुष्टि में दस्तावेज सं0-33 पर मौजूद इनवाइस से संबंधित दस्तावेज की ओर इस पीठ का ध्यान आकृष्ट किया है, जिसमें विक्रय तिथि दिनांक 5.2.2003 अंकित है, परन्तु वाहन के उत्पादन वर्ष से संबंधित कोई दस्तावेज अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया, जबकि विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में उल्लेख किया है कि उनके समक्ष जो दस्तावेज सं0-6 प्रस्तुत किया गया था, उसके अवलोकन से साफ जाहिर हो रहा था कि निर्माण वर्ष 2003 का न होकर वर्ष 2003 के पूर्व का है। चूंकि वाहन के निर्माण वर्ष से संबंधित कोई दस्तावेज अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए निर्माण वर्ष के संबंध में दिए गए निष्कर्ष को परिवर्तित करने का कोई आधार नहीं है, परन्तु केवल इसी आधार पर वाहन की सम्पूर्ण कीमत वापस लौटाने के आदेश को भी उचित नहीं माना जा सकता, क्योंकि पुराना वाहन विक्रय करने की स्थिति में तत्समय जो वाहन की कीमत बाजार के अनुसार सुनिश्चित थी, उसी कीमत को वापस लौटाने का आदेश देने का कोई औचित्य नहीं था। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय/आदेश में यह भी अंकित नहीं किया है
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कि वाहन वर्ष 2003 से कितने वर्ष पुराना है, परन्तु परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में मॉडल वर्ष 2002 अंकित किया है। अत: माना जा सकता है कि वर्ष 2002 के मॉडल के संबंध में ही विद्वान जिला आयोग का निष्कर्ष देने का आशय था। अत: इस स्थिति में वाहन की कीमत अंकन 3,52,277/-रू0 में से 5 प्रतिशत राशि की कटौती करते हुए वसूली गई राशि वापस लौटाने का आदेश देना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.04.2012 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि वाहन की कीमत अंकन 3,52,277/-रू0 में से 5 प्रतिशत राशि अथार्त अंकन 17,613/-रू0 घटाते हुए अवशेष राशि अंकन 3,34,664/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ अदा की जाए। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2