Uttar Pradesh

StateCommission

A/875/2015

Philips India Ltd - Complainant(s)

Versus

Shakuntala Gattani - Opp.Party(s)

G.C. Sinha

14 Aug 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/875/2015
(Arisen out of Order Dated 02/03/2015 in Case No. C/514/2012 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Philips India Ltd
Gautambjudh Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Shakuntala Gattani
Gurgaon Haryana
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 14 Aug 2015
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-875/2015

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 514/2012 में पारित आदेश दिनांक 02.03.2015 के विरूद्ध)

Philips India Ltd.

(Formerly known as Philips Electronics India Ltd.)

Corporate Office at:-

9th Floor, DLF-9B,

DLF Cyber City,

DLF Phase-III, Gurgaon,

Haryana-122002

Also at:-

H-111, 1st Floor,

Sector-63, NOIDA, U.P.           .................अपीलार्थी/विपक्षी 

बनाम

Shakuntala Gattani

C/o Ved Gattani

C-110, Sector-23,

NOIDA, U.P.                    .................प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री मयंक सिन्‍हा,                                     

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वेद गट्टानी, प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी                    

                          के पति‍।

दिनांक: 27.11.2017

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-514/2012 शकुन्‍तला गट्टानी बनाम फिलिप्‍स इलैक्‍ट्र‍ानिक इण्डिया लि0 में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गौतम बुद्ध नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश             

 

 

 

-2-

दिनांक 02.03.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''उपरोक्‍त कथन तथ्‍य, तथा साक्ष्‍य को ध्‍यान में रखते हुये, वादिनी का यह वाद विपक्षी के खिलाफ –आंशिक रूप से मंजूर किया जाता है। वादिनी का उपरोक्‍त, खराब LCD TV विपक्षी के पास पड़ा हुआ- है, इसलिए विपक्षी को हिदायत दी जाती है कि वादिनी की जमा धनराशि-रकम मुवलिग 23,999/- (तेईस-हजार-नौ-सौ निन्‍नावे) रूपये मय 12 प्रतिशत ब्‍याज, यह वाद दायर करने की तारीख से लेकर, असल में, रकम वसूली होने तक अदा करेगें। विपक्षी की कार्य-प्रणाली से, वादिनी को जो मानसिक पीड़ा हुई है। उसका खर्चा हम 7,000/- (सात-हजार) रूपये तय करते है, तथा मुकदमें का खर्चा 4,000/-(चार-हजार) रूपये तय करते- है। यह तमाम रकम, विपक्षी, वादिनी को, इस आदेश की कापी मिलने के 30 दिन के अन्‍दर अदा करेगें। इस आदेश की कापी, पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्‍ध- करवाई- जाए। फाईल रिकार्ड रूम में भेज दी -जाए।''

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी फिलिप्‍स इण्डिया लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

 

 

-3-

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्‍ता श्री मयंक सिन्‍हा और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से उनके पति श्री वेद गट्टानी उपस्थित आए हैं।

मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने दिनांक 30.09.2009 को एक LCD T.V. 23,999/-रू0 में अपीलार्थी/विपक्षी से खरीदा, परन्‍तु इस टी0वी0 में फरवरी 2010 से ही समस्‍या आने लगी। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी इस टी0वी0 को अपीलार्थी/विपक्षी के वर्कशाप में, फरवरी, मई, जुलाई तथा सितम्‍बर 2010 में तथा मार्च एवं अप्रैल 2011 में लेकर गयी। उसका टी0वी0 अपीलार्थी/विपक्षी के वर्कशाप में दो-तीन महीने से पड़ा है, जबकि यह अवधि वारण्‍टी अवधि थी।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि उसने रिपेयर सेंटर के आश्‍वासन पर टी0वी0 उठाया, लेकिन टी0वी0 ठीक नहीं हुआ और अब भी अपीलार्थी/विपक्षी के वर्कशाप में पड़ा है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने टी0वी0 को ठीक करने का 16,982/-रू0 का एक बिल/स्‍टीमेट उसे दिया है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थी/विपक्षी को विधिक नोटिस भेजा फिर भी उसने कुछ नहीं

 

-4-

किया। तब विवश होकर उसने परिवाद प्रस्‍तुत किया।

अपीलार्थी/विपक्षी ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि               दिनांक 30.09.2009 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने एक 32 इंच का LCD T.V. उससे खरीदा था, जिसकी वारण्‍टी अवधि               दिनांक 29.09.2010 को समाप्‍त हो गयी थी। उसके बाद             दिनांक 06.05.2011 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपनी शिकायत की, जिसका COMPLAINT NO. PGZB0605110022 है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि जांच के बाद उनके टैक्‍नीशियन ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को बताया कि उसके टी0वी0 में SSB-PCB का फाल्‍ट है। अत: SSB बदलना पड़ेगा। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को               दिनांक 15.07.2011 को एक पत्र भेजा, जिसमें रिपेयर की कास्‍ट का स्‍टीमेट लिखा था और 20 प्रतिशत डिस्‍काउण्‍ट का आफर था, लेकिन प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने उस पत्र दिनांकित 15.07.2011 का कोई जवाब नहीं दिया और उसने सर्विस सेंटर से सम्‍पर्क छोड़ दिया।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी टी0वी0 की रिपेयर का बिल अदा नहीं करना चाहती है। इस कारण उसने झूठे कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है। अपीलार्थी/विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। अत: परिवाद पोषणीय नहीं है।

 

-5-

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर  विचार  करने  के  उपरान्‍त  यह  निष्‍कर्ष  निकाला  है  कि

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की टी0वी0 में कमी वारण्‍टी अवधि के अन्‍दर ही आनी शुरू हो गयी थी और उसने इस सन्‍दर्भ में लिखित शिकायत वारण्‍टी पीरियड में अपीलार्थी/विपक्षी से की है। अत: जिला फोरम ने यह माना है कि टी0वी0 में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट रहा है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। टी0वी0 में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट का कोई साक्ष्‍य या विशेषज्ञ आख्‍या प्रस्‍तुत नहीं की गयी है। अत: जिला फोरम ने जो टी0वी0 में मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट माना है वह निराधार और विधि विरूद्ध है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त किया जाना आवश्‍यक है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने टी0वी0 दिनांक 30.09.2009 को खरीदा है और उसके बाद से ही टी0वी0 में खराबी आने लगी है तथा उसे लेकर वह फरवरी, मई, जुलाई तथा सितम्‍बर 2010 एवं मार्च व अप्रैल 2011 में अपीलार्थी/विपक्षी के सर्विस सेंटर गयी है।

जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपनी शिकायत दिनांक 12.07.2010, दिनांक 24.03.2011, दिनांक 27.04.2011

 

-6-

और दिनांक 01.02.2012 की प्रतियॉं प्रस्‍तुत की हैं। उसने अपीलार्थी/विपक्षी से टी0वी0 के सम्‍बन्‍ध में की गयी शिकायत दिनांक 05.09.2010 और दिनांक 23.09.2010 भी प्रस्‍तुत किया है। अत: पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर यह मानने हेतु उचित और‍ युक्‍तसंगत आधार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का टी0वी0 वारण्‍टी अवधि में ही ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा था, जिसकी शिकायत बराबर उसने अपीलार्थी/विपक्षी से की है। अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की टी0वी0 के रिपेयर का स्‍टीमेट 16,982/-रू0 है और निर्विवाद रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने टी0वी0 दिनांक 30.09.2009 को 23,999/-रू0 में खरीदा है। अत: उभय पक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से प्रस्‍तुत साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम ने जो टी0वी0 में तकनीकी त्रुटि के सम्‍बन्‍ध में निष्‍कर्ष निकाला है वह आधार युक्‍त और विधिसम्‍मत है। जिला फोरम के निष्‍कर्ष को मात्र इस आधार पर नकारा नहीं जा सकता है कि टी0वी0 का तकनीकी परीक्षण नहीं कराया गया है। वर्तमान प्रकरण में रेसइप्‍सालुकेटर का सिद्धान्‍त लागू होता है।

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम ने जो टी0वी0 में तकनीकी त्रुटि का निष्‍कर्ष निकाला है उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। अत: जिला फोरम ने जो टी0वी0 के मूल्‍य की रकम 23,999/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को वापस करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है, वह उचित

 

-7-

है, परन्‍तु जिला फोरम ने इस‍ धनराशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक जो 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिलाया है, वह अधिक है। ब्‍याज की दर 06 प्रतिशत किया जाना उचित है। इसके साथ ही जिला फोरम ने 7000/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को मानसिक पीड़ा के लिए जो क्षतिपूर्ति दिलायी है, उसे समाप्‍त किया जाना उचित है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को 4000/-रू0 वाद व्‍यय           दिलाया है, उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं                          है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को टी0वी0 का मूल्‍य 23,999/-रू0 परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित अदा करे। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी वाद व्‍यय की धनराशि 4000/-रू0 भी अदा करेगा।

जिला फोरम ने जो 7000/-रू0 मानसिक पीड़ा हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को क्षतिपूर्ति दिलाया है उसे अपास्‍त किया जाता है।

 

 

-8-

इस अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 

 

    (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                          अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0                        

कोर्ट नं0-1            

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.