जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम कोरबा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांकः- CC/14/52
प्रस्तुति दिनांकः-15/07/2014
समक्षः- छबिलाल पटेल, अध्यक्ष
श्रीमती अंजू गबेल, सदस्य
श्री राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, सदस्य
मुरलीधर सिंघानिया, उम्र-76 वर्ष,
पिता श्री बंशीधर सिंघानिया, निवासी-हरिओम निवास,
वार्ड क्रमांक-1, मकान नंबर-1/808, पटेलपारा, सर्वमंगला रोड, कोरबा
तह0 व जिला-कोरबा (छ0ग0).......................................................................आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
01. शाखा प्रबंधक,
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,
पूर्व में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर, जी.एस. हाऊस,
प्रथम तल, पुराना बस स्टैण्ड, कोरबा
थाना, तहसील व जिला-कोरबा (छ0ग0)
02. क्षेत्रीय प्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक, क्षेत्रीय व्यापार कार्यालय,
घंटाघर चैक के पास, निहारिका रोड, कोरबा,
तहसील व जिला-कोरबा (छ0ग0).........................अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण
आवेदक द्वारा श्री अजय राजवाड़े अधिवक्ता।
अनावेदकगण द्वारा श्रीमती सुनिति सिंग अधिवक्ता।
आदेश
(आज दिनांक 24/02/2015 को पारित)
01. परिवादी/आवेदक मुरलीधर सिंघानिया ने अनावेदक बैंक के द्वारा मियादी जमा रसीद (एफ.डी.आर.) की राशि के संबंध में ब्याज की राशि 40,000/-रू0 कम दिये के द्वारा अनावेदको की ओर से सेवा में कमी किये जाने के आधार पर उक्त राशि 40,000/-रू0 मानसिक क्षतिपूर्ति की राशि 20,000/-रू0, हर्जाने के तौर पर 20,000/-रू0 तथा वाद व्यय एवं ब्याज की राशि दिलाये जाने हेतु, यह परिवाद-पत्र धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रस्तुत किया है।
02. यह स्वीकृत तथ्य है कि आवेदक के द्वारा 5 वर्ष के लिए धनअक्षय योजना के तहत् 2,00,000/-रू0 की मियादी जमा रसीद खाता क्रमांक 63043006458 दिनांक 25/05/2009 को अपने तथा अपने पुत्र संजय कुमार सिंघानिया के संयुक्त नाम पर पूर्व के स्टेट बैंक आफ इंदौर की शाखा कोरबा में जमा किया था, उक्त बैंक का स्टेट बैंक इंडिया में विलय होने से अनावेदक क्रमांक-01 बैंक में उक्त खाता संधारित रहा है। आवेदक के पुत्र संजय कुमार सिंघानिया की मृत्यु दिनांक 25/09/2009 को हो गई। आवेदक को उपरोक्त मियादी जमा रसीद की राशि परिवक्वता अवधि के पूर्व आहरित किये जाने पर 7.5 प्रतिशत ब्याज की दर से 2,75,267/-रू0 का भुगतान किया जा चुका है। शेष सभी बातें विवादित है।
03. परिवादी/आवेदक का परिवाद-पत्र संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक के द्वारा 5 वर्ष के लिए धनअक्षय योजना के तहत् 2,00,000/-रू0 की मियादी जमा रसीद खाता क्रमांक 63043006458 दिनांक 25/05/2009 को अपने तथा अपने पुत्र संजय कुमार सिंघानिया के संयुक्त नाम पर पूर्व के स्टेट बैंक आफ इंदौर की शाखा कोरबा में जमा किया गया था, उक्त बैंक का विलय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में होने से उक्त जमा खाता बाद में अनावेदक क्रमांक-01 बैंक की शाखा पुराना बस स्टैण्ड कोरबा में संधारित रहा है। उक्त बैंक अनावेदक क्रमांक-01 वर्तमान में अनावेदक क्रमांक-02 के अधीन है। आवेदक के पुत्र संजय कुमार सिंघानिया की अविवाहित स्थिति में मृत्यु दिनांक 25/09/2010 को हो गई। आवेदक 76 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक है, जिसके कारण उसके द्वारा जमा की गई विवादित मियादी जमा रसीद के लिए 9.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से परिपक्वता अवधि में 3,19,822/-रू0 की राशि प्राप्त होना था, किन्तु आवेदक को अपने आवश्यक पारिवारिक कार्यवश उक्त मियादी जमा रसीद की राशि दिनांक 25/09/2014 के करीब 2 माह पूर्व दिनांक 19/03/2014 को आहरण कर भुगतान प्राप्त करना पड़ा। अनावेदक क्रमांक 01 द्वारा उक्त विवादित जमा रसीद के संबंध में नियमानुसार 1 प्रतिशत ब्याज दर से राशि काटकर भुगतान किया जाना था किन्तु उसके द्वारा अवैध रूप से 2 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से अनावेदक क्रमांक-01 द्वारा विवादित मियादी जमा रसीद की देय राशि में कटौती कर मात्र 2,75,267/-रू0 का भुगतान किया गया। इस प्रकार आवेदक को 40,000/-रू0 ब्याज की राशि कम भुगतान किया गया है, जिसके संबंध में आवेदक की ओर से अनावेदक क्रमांक 01 को शिकायत की गई थी किन्तु उसके बाद भी उक्त राशि का भुगतान न करने पर अधिवक्ता के माध्यम से विधिक सूचना-पत्र दिनांक 29/05/2014 को प्रेषित करना पड़ा। अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा आवेदक को उपरोक्त ब्याज राशि का भुगतान न करने से आर्थिक तथा मानसिक क्षति हुई। इस प्रकार अनावेदकगण की ओर से आवेदक की सेवा में कमी की गई है। इसलिए आवेदक को उपरोक्त ब्याज की राशि 40,000/-रू0, मानसिक क्षतिपूर्ति 20,000/-रू0 एवं हर्जाने की राशि 20,000/-रू0 को उन पर ब्याज सहित एवं वाद व्यय भी दिलाई जाये।
04. अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा स्वीकृत तथ्यों के अलावा संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक के द्वारा पूर्व की स्टेट बैंक आफ इंदौर की शाखा कोरबा जिसका स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में विलय हो जाने पर अनावेदक क्रमांक 01 के रूप में कोरबा में कार्यरत है, उक्त बैंक की शाखा में आवेदक की मियादी जमा रसीद की राशि को परिपक्वता अवधि के करीब 2 माह पूर्व आहरित करने के कारण नियमानुसार स्टेट बैंक आफ इंदौर के द्वारा जारी किये गये सर्कुलर पी एण्ड एस बी/नं0/06/2009-10 दिनांक 18 अप्रैल 2009 के अनुसार दिनांक 19/03/2014 को दिये गये आवेदक के आवेदन-पत्र के आधार पर स्टेट बैंक आफ इंदौर के द्वारा जारी किये गये सर्कुलर पी एण्ड एस बी/नं0 39/2008-09 दिनांक 21 जनवरी 2009 के अनुसार विवादित मियादी जमा रसीद की पूर्ण राशि का भुगतान नियमानुसार किया गया है। आवेदक के द्वारा समय पूर्व भुगतान लिए जाने के कारण नियम के अनुसार मियादी जमा राशि में 1 प्रतिशत नीचे की दर से ब्याज की राशि प्राप्त करने का अधिकारी होगा। आवेदक ने 5 वर्ष से कम अवधि में मियादी जमा की राशि प्राप्त कर ली। इसलिए 5 वर्ष से कम अवधि के लिए मियादी जमा की क्रय के समय प्रचलित ब्याज दर से, ब्याज की राशि देने के समय उक्त दर से भी 1 प्रतिशत कम वार्षिक ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है और वही राशि अर्थात् 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से ब्याज गणना करते हुए आवेदक को उसके विवादित मियादी जमा राशि के संबंध में राशि का भुगतान कर दिया गया है। इसके संबंध में स्टेट बैंक आफ इंदौर मुख्यालय इंदौर के द्वारा जारी किये गये सर्कुलर नंबर पी एण्ड एस बी/नं0 39/2008-09 दिनांक 21 जनवरी 2009 तथा पी एण्ड एस बी/नं0 13/2009-10 दिनांक 20 मई 2009 का पालन किया गया है। आवेदक परिवाद पत्र में दर्शित 40,000/-रू0 की राशि ब्याज के मद में पाने का अधिकारी नहीं है, इसलिए इस अनावेदक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है उसे देखते हुए परिवाद-पत्र को सव्यय निरस्त किया जाये।
05. अनावेदक क्रमांक 02 के द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा स्वीकृत तथ्यों के अलावा संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक द्वारा इस अनावेदक क्रमांक-2 को अनावष्यक रूप से पक्षकार बनाया गया है। अनावेदक क्रमांक-01 का कार्यालय इस अनावेदक क्रमांक 02 के अधिनस्थ कोरबा में कार्यरत है, जिसके कारण आवेदक को पूर्व के स्टेट बैंक आफ इंदौर शाखा, कोरबा से क्रय किये गये विवादित मियादी जमा रसीद का भुगतान परिपक्वता के पूर्व आवेदक के द्वारा आहरित किये जाने हेतु दिये गये आवेदन के अनुसार देय ब्याज सहित अनावेदक क्रमांक-01 द्वारा भुगतान किया जा चुका है। इस अनावेदक के विरूद्ध कोई वादकारण आवेदक के पक्ष में उत्पन्न नहीं है, ऐसी स्थिति में आदेश 7 नियम 11(क) सी0पी0सी0 के प्रावधान के तहत् भी परिवाद-पत्र निरस्त कियेे जाने योग्य है। इसलिए अनावेदकगण के विरूद्ध परिवाद-पत्र को सब्यय निरस्त किया जाये।
06. परिवादी/आवेदक की ओर से अपने परिवाद-पत्र के समर्थन में सूची अनुसार दस्तोवज तथा अपना शपथ-पत्र दिनांक 15/07/2014 का पेश किया गया है। अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा जवाबदावा के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेजो के साथ मोहित गोड़ शाखा प्रबंधक स्टेट बैंक आफ इंडिया पुराना बस स्टैंण्ड कोरबा के शपथ-पत्र दिनांक 30/09/2014 एवं अनावेदक क्रमांक 2 की ओर से भी मोहित गोड़ प्रभारी अधिकारी के रूप में शपथ पत्र दिनांक 15/12/2014 का पेश किये गये है। उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया गया।
07. मुख्य विचारणीय प्रश्न है कि:-
क्या परिवादी/आवेदक द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद-पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है ?
08. आवेदक की ओर से विवादित मियादी जमा रसीद दिनांक 25/09/2009 की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक ए-1 का प्रस्तुत किया है, जिसमें परिपक्वता तिथि दिनांक 25/05/2014 दर्शित है। आवेदक मुरलीधर सिंघानिया एवं उसके पुत्र को 9.5 प्रतिशत की दर से उक्त जमा रसीद पर ब्याज देय होना तथा 5 वर्ष की अवधि पूर्ण होने पर परिपक्वता राशि 3,19,822/-रू0 देय होना दर्शित है। आवेदक के द्वारा उपरोक्त जमा रसीद की परिपक्वता अवधि के पूर्व ही राशि आहरित कर उसका भुगतान किये जाने का निवेदन किया था, जिसके संबंध में 2,75,267/-रू0 की राशि अनावेदक क्रमांक 01 बैंक द्वारा भुगतान किया जाना बताते हुए उसके संबंध में दस्तावेज क्रमांक ए-2 एवं ए-2ए खाता विवरणी की फोटोप्रति दो पन्नों में पेश किया गया है। इस प्रकार आवेदक के द्वारा जमा राशि 2,00,000/-रू0 5 वर्ष की अवधि पूर्ण होने के करीब 02 माह पूर्व ही आवेदक के द्वारा उसका भुगतान प्राप्त करने के लिए आवेदन देने पर ब्याज की दर में 2 प्रतिशत की कटौती करते हुए 7.5 प्रतिशत की दर से राशि 2,75,267/-रू0 का भुगतान किया गया है।
09. आवेदक के अनुसार दस्तावेज क्रमांक ए-3 में बीएसएमजी/एलसीओ/सर्कुलर नंबर 1/2009-10 दिनांक 09/04/2009 का होना दर्शित है, इसमें घरेलु मियादी जमा रसीदों के संबंध में 03 वर्ष सेे अधिक किंतु 5 वर्ष से कम अवधि के लिए ब्याज का पुनरीक्षित दर दिनांक 13/04/2009 से 8 प्रतिशत होना दर्षाया गया है। जबकि 5 वर्ष या उससे अधिक से लेकर 8 वर्ष से कम अवधि के संबंध में 8.25 प्रतिशत ब्याज देय होना बताया गया है। यह उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ नागरिक के संबंध में उपरोक्त दरें क्रमषः 8.50 एवं 8.75 प्रतिशत होना सर्कुलर की कंडिका 4 में दर्शित है। इसी सर्कुलर की कंडिका 6 में परिपक्वता अवधि के पूर्व में जमा राशि का आहरण किये जाने पर बैंक में जमा की गयी राशि जिस अवधि के लिए जमा थी उसके लिए प्रचलित ब्याज दर से 1 प्रतिशत कम ब्याज देय होना बताया गया है।
10. आवेदक एक वरिष्ठ नागरिक है, उसके द्वारा विवादित एफ. डी. आर. जो उसके पुत्र के साथ संयुक्त नाम से क्रय किया गया था, अपने पुत्र संजय कुमार सिंघानिया की मृत्यु दिनांक 25/09/2010 को हो जाने के बाद आवेदक ही उक्त जमा राशि प्राप्त करने का अधिकारी है। आवेदक ने अपने पुत्र की मृत्यु प्रमाण-पत्र की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक ए-7 का प्रस्तुत किया है। आवेदक वरिष्ठ नागरिक है इसलिए उसे दस्तावेज क्रमांक ए-1 के अनुसार 9.5 प्रतिशत की दर से ब्याज परिपक्वता अवधि के बाद दिया जाता किंतु 5 वर्ष की अवधि पूर्ण होने के पूर्व ही उक्त एफ. डी. आर. की राशि को आहरण कर लिये जाने के कारण अनावेदक बैंक के द्वारा 9.5 प्रतिशत की ब्याज दर में 1 प्रतिशत कमी किया जाकर 8.50 प्रतिशत की दर से आवेदक को ब्याज दिया जाना चाहिए था। इसलिए आवेदक के अनुसार अनावेदक बैंक ने 7.5 प्रतिशत की दर से ब्याज की राशि प्रदान किया है, वह गलत है। इसलिए आवेदक का तर्क है कि विवादित मियादी जमा राशि पर उसे 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज की राशि न देकर अनावेदक बैंक ने सेवा में कमी की है।
11. आवेदक के द्वारा इसके संबंध में शिकायत करते हुए एक पत्र दस्तावेज क्रमांक ए-4 का दिनांक 07/04/2014 को अनावेदक क्रमांक 01 के पास प्रेषित कर उसे 8.50 प्रतिशत की वार्षिक दर से ब्याज दिये जाने का निवेदन किया गया और उक्त राशि न देने पर दस्तावेज क्रमांक ए-5 विधिक सूचना पत्र दिनांक 29/05/2014 को अनावेदक क्रमांक 01 को प्रेषित किया था, जिसके संबंध में डाक रसीद का फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक ए-6 प्रस्तुत किया गया है। अनावेदकगण के द्वारा उक्त सूचना-पत्र का पालन न करने पर परिवाद-पत्र दिनांक 15/07/2014 को पेश किया गया है।
12. अनावेदकगण की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों में दस्तावेज क्रमांक डी-2 स्टेट बैंक ऑफ इंदौर के मुख्य कार्यालय इंदौर से जारी सर्कुलर पी एण्ड एस बी/नं0/06/2009-10 दिनांक 18 अप्रैल 2009 का है जिसके अनुसार अक्षय तृतीया के अवसर में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर की ओर से धनअक्षय जमा योजना प्रारंभ की गयी थी जिमसें राशि जमा करने की अवधि 5 वर्ष एवं उससे अधिक 10 वर्ष के लिए थी जिसमें दिनांक 27/04/2009 से दिनांक 31/05/2009 की अवधि में राशि जमा की जा सकती थी। उक्त धनअक्ष्य योजना के संबंध में सामान्य जनता के लिए ब्याज की दर 9 प्रतिशत तथा वरिष्ठ नागरिक के लिए ब्याज दर 9.50 प्रतिशत दिया जाना दर्शित है और यही ब्याज दर आवेदक के द्वारा जमा की गयी राशि 2,00,000/-रू0 के संबंध में दस्तावेज क्रमांक ए-1 में भी दर्शित है।
13. अनावेदकगण ने दस्तावेज क्रमांक डी-3 स्टेट बैंक ऑफ इंदौर के मुख्यालय द्वारा जारी पी एण्ड एस बी/नं0 13/2009-10 दिनांक 20 मई 2009 का प्रस्तुत किया है, जिसमें दिनांक 25/05/2009 से लागू ब्याज दर 3 वर्ष या उससे अधिक किंतु 5 वर्ष की अवधि से कम की एफडीआर के संबंध में वरिष्ठ नागरिक हेतु 8.50 प्रतिशत तथा 5 वर्ष या उससे अधिक किंतु 10 वर्ष तक की एफडीआर के संबंध में 9.50 प्रतिशत ब्याज देय होना दर्षाया गया है। वर्तमान मामले में आवेदक वरिष्ठ नागरिक रहा है इसलिए 5 वर्ष के लिए जमा राशि पर 9.50 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाना था। अनावेदकगण की ओर से तर्क किया गया है कि दिनांक 25/05/2009 को विवादित एफडीआर आवेदक ने क्रय किया था जिसकी परिपक्वता अवधि दिनांक 25/05/2014 को पूर्ण हो रहा था। आवेदक के द्वारा उक्त अवधि के 02 माह पूर्व ही एफडीआर की राशि का आहरण कर लिया गया, जिसके कारण उक्त धनअक्षय जमा योजना के 5 वर्ष की अवधि तक राशि जमा न होकर वह केवल 3 वर्ष से लेकर 5 वर्ष से कम अवधि के लिए जमा राशि होना पाया गया है। जिसके लिए तत्कालीन समय में दस्तावेज क्रमांक डी-3 के अनुसार प्रचलित ब्याज की दर वरिष्ठ नागरिको के लिए 8.50 प्रतिशत रह गयी। जबकि 5 वर्ष पूर्ण होने पर उक्त ब्याज की दर वरिष्ठ नागरिक के लिए 9.50 प्रतिशत निर्धारित था।
14. अनावेदकगण की ओर से यह भी तर्क किया गया है कि दस्तावेज क्रमांक डी-1 जो कि स्टेट बैंक ऑफ इंदौर मुख्यालय इंदौर के द्वारा जारी सर्कुलर पी एण्ड एस बी/नं0 39/2008-09 दिनांक 21 जनवरी 2009 की सत्यापित प्रति है उसकी कंडिका-2 के अनुसार उपरोक्त जमा राशि के संबंध में प्रचलित ब्याज दर से 1 प्रतिशत कम ब्याज का भुगतान समय पूर्व आहरण के लिए देय होना बताया गया है। इसलिए आवेदक के दस्तावेज क्रमांक ए-1 की एफडीआर के संबंध में ब्याज दर समय पूर्व आहरण के कारण जमा राशि बाबत् 8.50 प्रतिशत होने के कारण उसमें 1 प्रतिशत कम कर 7.50 प्रतिशत ब्याज दर के आधार पर आवेदक को जमा राशि के संबंध में राशि का भुगतान किया गया है। उपरोक्त कारणों से अनावेदकगण की ओर से यह भी तर्क किया गया है कि उनके द्वारा आवेदक की सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है इसलिए परिवाद-पत्र को सव्यय निरस्त किया जावे।
15. आवेदक के द्वारा उपरोक्त तर्क का खंडन करते हुए यह तर्क किया गया है कि अनावेदक बैंक उसके पास जमा किये गये विवादित मियादी जमा रसीदों एवं खातों के संबंध में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा जारी किये गये सर्कुलर एवं निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य है। इसके संबंध में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग नई दिल्ली के द्वारा ’’मपीपॉल सौभाग्य निधि लिमिटेड विरूद्ध ऑल गोवा मपीपॉल फायनेंस गु्रप ऑफ कंपनीज क्रेडिटर एसोशिएसन ’’ वाले मामले में दिनांक 09 मई 2006 को पारित निर्णय की ओर ध्यान आकर्षित किया गया हैं। इसी तरह एक अन्य न्याय दृष्टांत माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग नई दिल्ली के द्वारा ’’पंजाब एण्ड सिंध बैंक विरूद्ध सुखराज बाजवा एवं एक अन्य 2004 (3) सीपीजे 1 (एनसी)’’ में पारित निर्णय का प्रस्तुत करते हुए आवेदक को वरिष्ठ नागरिक होने के कारण अधिक ब्याज दर दिलाये जाने हेतु रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गाइड लाईन का पालन बैंक के द्वारा किया जाना आवश्यक होना बताया गया है।
16. आवेदक के द्वारा माननीय पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग चडीगढ़ के द्वारा ’’स्टेट बैंक ऑफ पटियाला विरूद्ध श्रीमती दीदारकौर प्रथम अपील नंबर 482/2009 निर्णय दिनांक 21/07/2011’’ में प्रतिपादित सिद्धांत की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि उपरोक्त न्याय दृष्टांत में परिवादी के द्वारा चार एफडीआर के राशि को परिपक्वता अवधि के पूर्व आहरित किये जाने पर बचत खाते में दिये ब्याज दर से भुगतान किये जाने योग्य पाया गया न कि एफडीआर की निर्धारित दर से। परिवादी को उसके पुत्र के साथ संयुक्त रूप से जमा किये गये एक एफडीआर की राशि का भुगतान नियमानुसार रोककर, वितरण करने से मना करने पर बैंक के द्वारा सेवा में कमी नहीं किया जाना पाया गया है और अपील को अंशत: स्वीकार किया गया है।
17. वर्तमान मामले में आवेदक के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक ए-1 एफडीआर 5 वर्ष के लिए धनअक्षय योजना के तहत 2,00,000/-रू0 के संबंध में था। जिसकी परिपक्वता दिनांक 25/05/2014 को होने के 02 माह पूर्व ही दिनांक 19/03/2014 को आवेदक ने उक्त एफडीआर की राशि को आहरित करने हेतु आवेदन प्रस्तुत कर राशि प्राप्त कर लिया। इसलिए उसकी जमा राशि 5 वर्ष की पूरी अवधि के लिए न होकर 5 वर्ष से कम अवधि वाली हो गयी। जिसके लिए वरिष्ठ नागरिक के लिए प्रचलित ब्याज दर 8.50 प्रतिशत हो गयी। ऐसी स्थिति में उक्त देय ब्याज दर के संबंध में जमा राशि बाबत् समय पूर्व आहरण होने के कारण नियमानुसार 1 प्रतिशत ब्याज की राशि कम हो जाने से 7.50 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज की गणना करते हुए अनावेदक क्रमांक 01 बैंक के द्वारा आवेदक को 2,75,267/-रू0 की राशि का भुगतान किया जा चुका है। इस प्रकार आवेदक को विवादित एफडीआर के संबंध में अन्य कोई ब्याज राशि अनावेदक बैंक से प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होना पाया जाता है।
18. इस प्रकार आवेदक के द्वारा जमा की गयी धनअक्षय योजना के तहत जमा विवादित एफडीआर की राशि का समय पूर्व आहरण किये जाने से देय राशि का भुगतान अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा कर दिये जाने के कारण आवेदक की सेवा में कमी किये जाने का तथ्य प्रमाणित नहीं होता है। इसलिए आवेदक का परिवाद-पत्र स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। अतः मुख्यविचारणीय प्रश्न का उत्तर ’’नहीं ’’ में दिया जाता है।
19. तद्नुसार परिवादी/आवेदक मुरलीधर सिंघानिया की ओर से प्रस्तुत इस परिवाद-पत्र को धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत स्वीकार किये जाने योग्य नहीं होना पाते हुए निरस्त किया जाता है। इस मामले की परिस्थिति को देखते हुए यह आदेश दिया जाता है कि उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(छबिलाल पटेल) (श्रीमती अंजू गबेल) (राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य