Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/1245

Uttar Railway - Complainant(s)

Versus

Shaim Azad - Opp.Party(s)

Prem Prakash Srivastava

12 Dec 2014

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/1245
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Uttar Railway
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Shaim Azad
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

                   अपील संख्‍या  1245 सन  2013        सुरक्षित

 (जिला उपभोक्‍ता फोरम, शाहजहॉपुर, के  परिवाद  संख्‍या-205/2007 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक-07-12-2012 के विरूद्ध)

1-भारत संघ द्वारा जनरल मैनेजर, उ0रे0 बडौदा हाऊस नई दिल्‍ली।

2-मुख्‍य वाणिज्‍य प्रबन्‍ध्‍क, पूर्वोत्‍तर रेलवे, गोरखपुर उ0प्र0।

3-स्‍टेशन अधीक्षक, उत्‍तर रेलवे, लखनऊ, उ0प्र0।

4-स्‍टेशन अधीक्षक, उत्‍तर रेलवे, शाहजहॉपुर उ0प्र0।

                                         ...अपीलार्थीगण/विपक्षीगण                                                                                                                                                 

                             बनाम

1-शमीम आजाद पुत्र सनी

2-सोहेल बब्‍लू पुत्र अब्‍दुल हमीद, निवासीगण-230 आवास विकास कालोनी शाहजहॉपुर।                             .....प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण                                 

समक्ष:-

   1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

   2-मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य।                            

अधिवक्‍ता  अपीलार्थी       : श्री प्रेम प्रकाश श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी          : श्री राजीव पाण्‍डेय, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 30-12-2014

मा0 श्री  अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य, द्वारा उदघोषित।

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, शाहजहॉपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-205/2007 शमीम आजाद व अन्‍य बनाम भारत संघ द्वारा जनरल मैनेजर, उ0 रे0व अन्‍य में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक-07-12-2012 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है, जिसमें विद्वान जिला मंच ने परिवादी का परिवाद आज्ञप्‍त किया है और विपक्षीगण जनरल मैनेजर, उत्‍तर रेलवे तथा उसके अधीनस्‍थ अधिकारियों 2 ता 4 को आदेशित किया जाता है कि वे अंकन 6,000-00

(2)

रूपये( छ: हजार रूपये मात्र) की क्षतिपूर्ति तथा परिवादीगण के आरक्षित टिकटों की कीमत अंदर एक माह अदा करें। इस अवधि के बाद समस्‍त धनराशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज भी देय होगा।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादीगण ने अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध आरक्षित कराई गई टिकट का मूल्‍य वापस करने तथा मुकदमा खर्चा प्राप्‍त करने हेतु परिवाद प्रस्‍तुत किया है। परिवादीगण का कथन है कि उन्‍होंने 16 लोगों का आरक्षण दिनांक-25-12-2005 के लिए शाहजहॉपुर से आजमगढ के लिए कराया था। वापसी का आरक्षण दिनांक-27-12-2005 का था। वापसी का आरक्षण उत्‍सर्ग एक्‍सप्रेस में एस-1 कोच में बर्थ सं0-49 से 64 तक का था। दिनांक-27-12-2005 को जब ट्रेन आजमगढ़ रेलवे स्‍टेशन पर आई तो किसी डिब्‍बे पर कोच नम्‍बर नहीं लिखा था। इस प्रकार से आरक्षित होने के बाद भी रेलवे ने परिवादीगण को बर्थ उपलब्‍ध न कराकर सेवाओं में कमी किया है। इस प्रकार से परिवादीगण को विपक्षीगण से 1,60,000-00 रूपये दिलाया जाय।

अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा प्रस्‍तुत किये गये प्रतिवाद पत्र में दर्शाया गया है कि परिवादीगण/प्रत्‍यर्थीगण ने टिकटों का विवरण नहीं दिया है। पी.एन.आर. नम्‍बर से पता चला कि उनका आरक्षण मात्र 49 से 54 तक बर्थ पर था। टी.टी. ने आरक्षित सीटें आरक्षण वाले यात्रियों को ही उपलब्‍ध कराई थी, जिस गाड़ी में परिवादीगण ने आरक्षण बताया है, उसी से यात्रा की है। परिवादीगण ने गार्ड व टी.टी. की शिकायत पुस्तिका में कोई कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई। इसलिए विपक्षीगण ने सेवाओं में कोई कमी नहीं की है।

संक्षेप में अपीलकर्ता ने अपील को प्रस्‍तुत किये जाने हेतु हुए बिलम्‍ब को क्षमा किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया है तथा साथ में श्री पंकज सक्‍सेना, मण्‍डल वाणिज्‍य प्रबन्‍धक, उ0रेलवे का शपथ पत्र भी दाखिल किया है, जिसमें बिलम्‍ब का समुचित कारण दिया गया है। अत: बिलम्‍ब को क्षमा किये जाने का प्रार्थना पत्र स्‍वीकार किया जाता है और बिलम्‍ब को क्षमा किया जाता है।

 

(3)

अपीलार्थी के तरफ से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव तथा प्रत्‍यर्थी के तरफ से विद्वान अधिवक्‍ता श्री देवेश अग्निहोत्री एवं राजीव पाण्‍डेय उपस्थित है।

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क किया कि वाद का कारण परिवादीगण को आजमगढ़ में उत्‍पन्‍न हुआ, किन्‍तु परिवादीगण द्वारा परिवाद को शाहजहॉपुर में दाखिल किया गया है, जिसे सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि परिवादीगण/ प्रत्‍यर्थीगण ने मूल्‍य वापसी हेतु क्षतिपूर्ति का परिवाद प्रस्‍तुत किया है जो कि रेलवे क्‍लेम ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 की धारा-13 व 15 से बाधित है।

प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण की ओर से उनके अधिवक्‍ता ने यह तर्क दिया कि चूंकि परिवादी का आरक्षण दिनांक-25-12-2005 को आजमगढ़ से शाहजहॉपुर के लिए कराया था, इसलिए शाहजहॉपुर जिला उपभोक्‍ता फोरम को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार है।

प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने यह भी तर्क दिया कि परिवादीगण/प्रत्‍यर्थीगण एस0-1 का टिकट लेने के बाद भी आरक्षित डिब्‍बे में पहुंचा तो देखा कि कोच के सभी बर्थ भरे थे और प्रार्थी के सीट पर यात्री सो रहें थे तथा प्रार्थीगण ने टी.टी. ई. भी नहीं मिला। अत: समस्‍त परिस्थितियों को देखते हुए विद्वान जिला मंच ने निर्णय विधि अनुसार पारित किया है।

प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में प्रस्‍तुत किये गये अभिलेखों का परिशीलन  किया गया। परिवादीगण/प्रत्‍यर्थीगण ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण से आरक्षित कराई गई टिकट की कीमत वापस लेने तथा कुल खर्चा अंकन 5500-00 रूपये प्राप्‍त करने के आशय से परिवाद प्रस्‍तुत किया है। रेलवे क्‍लेमस ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट की धारा-13 (1) (बी) के अर्न्‍तगत टिकट के मूल्‍य के रिफन्‍ड के सम्‍बन्‍ध में परिवाद रेलवे क्‍लेमस के समक्ष प्रस्‍तुत किया जाता है। उपरोक्‍त अधिनियम की धारा-15 में किसी अन्‍य न्‍यायालय में सुनवाई का क्षेत्राधिकार नही है, चूंकि यह प्रकरण आरक्षित टिकटों के मूल्‍य के रिफन्‍ड से सम्‍बन्धित  है। अत: ऐसी परिस्थिति में रेलवे क्‍लेम्‍स ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट 1987 के अर्न्‍तगत

(4)

किसी अन्‍य न्‍यायालय को श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है। अत: विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किया गया निर्णय क्षेत्राधिकार न होने के कारण निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच शाहजहॉपुर, के  परिवाद  संख्‍या-205/2007 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक-07-12-2012 निरस्‍त किया जाता है। परिवादीगण यदि चाहे तो अपना परिवाद/प्रत्‍यावेदन  सक्षम न्‍यायालय/‍अि‍धकरण के समक्ष प्रस्‍तुत कर सकता है, जो कालबाधित नहीं माना जायेगा।

उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करायी जाय।

 

     ( अशोक कुमार चौधरी                    (संजय कुमार )                       

       पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2

कोर्ट नं0-3

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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