राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-७५८/२००७
(जिला फोरम/आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-४९२/२००३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २७-०६-२००६ के विरूद्ध)
क्रिएटिव कम्प्यूटर्स, ५-पुष्पांजलि कॉम्प्लेक्स, शाही मार्केट, सिनेमा रोड, गोरखपुर द्वारा प्रौपराइटर मनिन्दर किशोर।
...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
शैलेश कुमार मिश्रा पुत्र श्री अनिरूद्ध मिश्रा, निवासी २८९-एम0आई0जी0, आवास विकास कालोनी, महादेव, झारखण्डी कूड़ाघाट, गोरखपुर।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एच0के0 श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- १३-०४-२०२२.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत जिला फोरम/आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-४९२/२००३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २७-०६-२००६ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध, मनमाना एवं तथ्यों से परे है और बिना लिखित कथन के तथ्यों को संज्ञान में लिए पारित किया गया है और विपक्षी के साक्ष्य/तथ्यों को नहीं देखा गया है। विद्वान जिला फोरम ने प्रत्यर्थी के समस्त कथनों पर विश्वास कर लिया। प्रत्यर्थी ने दिनांक ३०-११-२००२ को इलैक्ट्रानिक सामान खरीदा था जो रसीद से स्पष्ट होता है कि उसने कम्प्यूटर सैट न खरीद के उसके पार्ट्स खरीदे थे। विद्वान जिला फोरम ने यह निष्कर्ष दिया कि
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अपीलार्थी कम्प्यूटर को वापस ले ले और ३५,०००/- रू० परिवादी को दे। प्रत्यर्थी ने कभी भी कम्प्यूटर नहीं खरीदा था, अत: प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश गलत है। अत: माननीय राज्य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला फोरम का प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए अपील स्वीकार की जाए।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एच0के0 श्रीवास्तव की बहस सुनी तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
हमने विद्वान जिला फोरम के प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया। इस मामले में मुख्य प्रश्न यह देखना है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने क्या कम्प्यूटर क्रय किया था अथवा उसके अलग-अलग पार्ट्स को क्रय किया था। पत्रावली में एक रसीद/बिल संलग्न है जिसमें प्रोसेसर, मदर बोर्ड, एस डी आर ए एम, मानीटर, माउस, मोडम, की-बोर्ड, स्पीकर तथा एच0डी0डी0 का विवरण दिया है, जिससे स्पष्ट होता है कि परिवादी ने इन पार्ट्स को खरीद कर कम्प्यूटर असेम्बल कराया। उसके द्वारा किसी भी ब्राण्डेड कम्पनी का कम्प्यूटर नहीं खरीदा गया और उसने इन पार्ट्स को खरीद कर एक बॉक्स में निर्धारित स्थान पर लगवाया। अलग-अलग पार्ट्स की अलग-अलग वारण्टी होती है जो कहीं भी नहीं लिखा है। विद्वान जिला फोरम का यह कहना कि उसने कम्प्यूटर खरीदा था, गलत है। अत: स्पष्ट होता है कि इस मामले में विद्वान जिला फोरम ने उद्घोषित किया है वह विधि सम्मत नहीं है क्योंकि परिवादी ने कम्प्यूटर न खरीद कर उसके पार्ट्स को अलग-अलग खरीद कर उनको असेम्बल कराया। तद्नुसार वर्तमान अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम/आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-४९२/२००३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २७-०६-२००६ अपास्त
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किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.