Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/1364

Iffco Tokio General Insurance - Complainant(s)

Versus

Shailendra - Opp.Party(s)

Ashok Mehrotra

19 Jan 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/1364
( Date of Filing : 25 Jul 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Iffco Tokio General Insurance
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Shailendra
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 19 Jan 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१३६४/२०११

(जिला मंच, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-२४१/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १८-०६-२०११ के विरूद्ध)

इफको टोकियो जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0, कारपोरेट आफिस चतुर्थ एवं पंचम तल, इफको टावर, प्‍लाट नं0-०३, सैक्‍टर-२९, गुड़गॉंव-१२२००१, हरियाणा द्वारा चीफ मैनेजर (क्‍लेम्‍स)।

                                            ............. अपीलार्थी/विपक्षी सं0-१.

बनाम

१. शैलेन्‍द्र पुत्र स्‍व0 राम मूर्ति निवासी ग्राम अजयपुरा मरवत, पोस्‍ट-खड़ेसर, जिला देवरिया (यू.पी.)।                                  ............     प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

२. सघन सहकारी समिति, मिश्रौली उर्फ तरौली, विकास खण्‍ड भलुयानी, पोस्‍ट कौरिया, थाना भलुयानी, जिला-देवरिया द्वारा सचिव।            ............           प्रत्‍यर्थी।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री अशोक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री बी0के0 उपाध्‍याय विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-२ की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

दिनांक :- २०-०२-२०१९.

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-२४१/२००६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १८-०६-२०११ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी की मॉं  ने अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी की संकट हरण बीमा योजना के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी सं0-२ से दिनांक ०५-०८-२००३ को ०७ बोरी इफको यूरिया मूल्‍य १७९९/- रू० में तथा दिनांक ०५-१२-२००३ को १० बोरी इफको यूरिया २५७०/- रू० में खरीदी। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की मॉं द्वारा किया गया उपरोक्‍त क्रय अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा संचालित संकट हरण बीमा योजना से आच्‍छादित था। उक्‍त योजना के अन्‍तर्गत क्र की तिथि से १२ माह के अन्‍दर क्रेता की दुर्घटना में मृत्‍यु हो जाने की स्थिति में ५० क्रि0ग्रा0 की एक बोरी पर ४,०००/- रू० नामित व्‍यक्ति क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्‍त करने का अधिकारी था। परिवादी की मॉं

 

 

-२-

की दिनांक १२-०७-२००४ को सायं ७ बजे अचानक पैर फिसलने पर छत से गिर जाने के कारण मस्तिष्‍क एवं सीने पर चोट लगने के कारण मृत्‍यु हो गई। परिवादी की माँ द्वारा किए गये उपरोक्‍त क्रय में परिवादी नामित व्‍यक्ति था। कथित घटना की सूचना थानाध्‍यक्ष पुलिस, थाना-मदनपुर, जिला देवरिया में दिनांक १२-०७-२००४ को दी गई। थाना मदनपुर द्वारा भी दुर्घटना को सत्‍यापित किया गया तथा परिवादी की मॉं को छत से फिसलकर गिरने से मृत्‍यु होने की बात मानी गई तथा किसी अपराध का होना न पाकर बिना शव परीक्षण के ही दाह संस्‍कार की अनुमति दी गई। उक्‍त घटना के सम्‍बन्‍ध में पंचनामा भी तैयार हुआ। तदोपरान्‍त सभी वांछित अभिलेखों सहित परिवादी ने सभी औपचारिकताऐं पूर्ण करते हुए बीमा दावा अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को प्रेषित किया किन्‍तु बीमा कम्‍पनी द्वारा परिवादी का बीमा दावा अपने पत्र दिनांक ०४-१०-२००४ द्वारा पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट न होने के आधार पर स्‍वीकार नहीं किया गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रस्‍तुत प्रकरण में पालिसी की शर्तों के अनुसार क्रेता की मृत्‍यु के सम्‍बन्‍ध में पोस्‍ट मार्टम होना आवश्‍यक है। पोस्‍ट मार्टम न होने से क्‍लेम देय नहीं है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि क्रेता/मृतक की मृत्‍यु स्‍वाभाविक रूप से हुई थी। फर्जी तरीके से क्‍लेम पाने के लिए सीढ़ी से गिर कर मृत्‍यु होना कहा गया।

जिला मंच ने परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को निर्देशित किया कि वह बीमित धनराशि ६८,०००/- रू० परिवादी को परिवाद दाखिल करने की तिथि ०२-०७-२००५ से भुगतान की अन्तिम तिथि तक ०८ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित अदा करे। 

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गई।

हमने अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा     तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री बी0के0 उपाध्‍याय के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी सं0-२ की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत

 

-३-

निर्णय जिला मंच के दो सदस्‍यों द्वारा पारित किया गया है। अध्‍यक्ष की उपस्थिति आदेश में दर्शित नहीं की गई है। अत: उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-१४ का अनुपालन न किए जाने के कारण आदेश दोषपूर्ण है। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत दुर्घटना में मृत्‍यु होना साबित करने हेतु शव विच्‍छेदन आख्‍या प्रस्‍तुत की जानी आवश्‍यक है क्‍योंकि शव विच्‍छेदन आख्‍या के माध्‍यम से ही यह निर्धारित किया जा सकता है कि मृतक की मृत्‍यु दुर्घटना में हुई अथवा नहीं। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किए गये पंचनामा प्रमाण पत्र/मृत्‍यु प्रमाण पत्र पर विश्‍वास करते हुए खाद क्रेता की मृत्‍यु दुर्घटना में होना माना है जबकि यह पंचनामा विधिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है क्‍योंकि यह पंचनामा पुलिस या किसी मैजिस्‍ट्रेट/सरकारी अथॉरिटी की उपस्थिति में तैयार नहीं किया गया। पंचों की बल्दियत तथा पता भी पंचनामा में दर्शित नहीं है। यह पंचानामा बाद में तैयार किया गया तथा ग्राम प्रधान द्वारा सत्‍यापित कराया गया। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रस्‍तुत प्रकरण में दो पंचनामे दिनांकित १२-०७-२००४ एवं दिनांकित २६-०७-२००४ प्रस्‍तुत किए गये जो इन पंचनामों की विश्‍वसनीयता पर सन्‍देह उत्‍पन्‍न करते हैं।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि शव विच्‍छेदन आख्‍या प्रस्‍तुत न किए जाने की स्थिति में बीमा दावा अस्‍वीकार नहीं किया जा सकता। उनके द्वारा इस तथ्‍य की ओर हमारा ध्‍यान आकृष्‍ट किया गया कि स्‍वयं बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रश्‍नगत बीमा पालिसी से सम्‍बन्धित संक्षिप्‍त जानकारी का विवरण उल्लिखित करते हुए अभिलेख प्रसारित किया गया जिनमें पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट की आवश्‍यकता होना इस प्रकार स्‍पष्‍ट किया गया – ‘’ यह उन मामलों में आवश्‍यक है जहॉं मामला प्राय: सड़क दुर्घटना या मृत्‍यु से सम्‍बन्धित हो और पुलिस के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता हो। यदि पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट उपलब्‍ध नहीं है या कानूनन इससे छूट प्रदान की गई है, तो एक पंचनामे की आवश्‍यकता होगी ‘’। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि यह अभिलेख जिला मंच के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किया

 

-४-

गया तथा अपील की सुनवाई के मध्‍य इस अभिलेख की फोटोप्रति दाखिल की गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि मृत्‍यु की घटना में कोई अपराधिक कृत्‍य की सम्‍भावना असंदिग्‍ध होने की स्थिति में मृतक के शव की विच्‍छेदन आख्‍या प्राप्‍त करना आवश्‍यक नहीं है और नही ऐसी परिस्थिति में पुलिस द्वारा शव विच्‍छेदन कराया जाता है और न ही ऐसी परिस्थिति में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाती है।

प्रस्‍तुत प्रकरण में दुर्घटना में मृत्‍यु की कथित घटना की तिथि दिनांक १२-०७-२००४ को ही पुलिस थाना मदनपुर को सूचना प्रेषित की गई तथा पुलिस द्वारा यह आख्‍या प्रस्‍तुत की गई कि क्रेता श्रीमती मुन्‍नी की मृत्‍यु दिनांक १२-०७-२००४ को छत से फिसलने के कारण हुई। इसमें किसी अपराध का होना न पाकर बिना शव परीक्षण के ही दाह संस्‍कार की अनुमति दी गई। तदोपरान्‍त दिनांक १२-०७-२००४ को ही पंचनामा गॉव के सम्‍मानित व्‍यक्तियों की उपस्थिति में तैयार किया गया तथा यह पंचनामा ग्राम प्रधान द्वारा सत्‍यापित किया गया जिसमें श्रीमती मुन्‍नी की मृत्‍यु दिनांक १२-०७-२००४ को सायं ७ बजे छत से गिरने से छाती व सिर पर चोट गम्‍भीर रूप से लगने के कारण घटना स्‍थल पर ही मृत्‍यु होने की पुष्टि की गई।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि संक्षिप्‍त सूचना बीमा पालिसी से सम्‍बन्धित संविदा का भाग नहीं है। प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत दुर्घटना में मृत्‍यु साबित करने हेतु शव विच्‍छेदन आख्‍या प्रस्‍तुत किया जाना आवश्‍यक है। संक्षिप्‍त जानकारी मात्र मार्गदर्शन हेतु उपलब्‍ध कराई गई थी। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं माना जा सकता क्‍योंकि स्‍वयं अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के सम्‍बन्‍ध में ही संक्षित जानकारी का विवरण उपलब्‍ध कराया गया है और इसमें प्रश्‍नगत बीमा के अन्‍तर्गत शव विच्‍छेदन आख्‍या की आवश्‍यकता किन स्थितियों में होगी, को स्‍पष्‍ट किया गया है। ऐसी परिस्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि प्रत्‍येक परिस्थिति में दुर्घटना के तथ्‍य    को प्रमाणित करने हेतु शव विच्‍छेदन आख्‍या का प्रस्‍तुत किया जाना आवश्‍यक है। यदि

 

 

-५-

अन्‍यथा साक्ष्‍य द्वारा भी यह स्‍पष्‍ट रूप से प्रमाणित हो कि क्रेता की मृत्‍यु किसी दुर्घटना में हुई तब बीमा दावा अस्‍वीकार नहीं किया जा सकता किन्‍तु इस तथ्‍य को प्रमाणित करने का भार दावाकर्ता/परिवादी का होगा कि खाद क्रेता की मृत्‍यु वस्‍तुत: किसी दुर्घटना में हुई।

अब महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न यह है कि क्‍या दावाकर्ता/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई साक्ष्‍य से यह प्रमाणित है कि खाद क्रेता मृतक श्रीमती मुन्‍नी की मृत्‍यु किसी दुर्घटना में हुई ?

उल्‍लेखनीय है कि प्रस्‍तुत प्रकरण के सन्‍दर्भ में परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष दो पंचनामे खाद क्रेता श्रीमती मुन्‍नी की मृत्‍यु छत से गिरने में आयी चोटों के कारण होने के सन्‍दर्भ में प्रस्‍तुत किए गये। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता अपने लिखित तर्क के साथ दोनों पचनामों दिनांकित १२-०७-२००४ एवं दिनांकित २६-०७-२००४ की फोटोप्रतियॉं दाखिल की हैं। उल्‍लेखनीय है कि प्रस्‍तुत प्रकरण में जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय दिनांकित १८-०६-२०११ पारित किए जाने से पूर्व प्रस्‍तुत परिवाद जिला मंच द्वारा पारित निर्णय दिनांकित ०८-०६-२००७ द्वारा निर्णीत किया गया किन्‍तु इस निर्णय दिनांकित ०८-०६-२००७ के विरूद्ध योजित अपील सं0-१३७५/२००७ में इस आयोग ने निर्णय को तकनीकी रूप से त्रुटिपूर्ण होना मानते हुए अपने निर्णय दिनांकित १६-१२-२००९ द्वारा अपास्‍त कर दिया तथा परिवाद गुणदोष के आधार पर निर्णीत किए जाने हेतु जिला मंच को प्रेतिप्रेषित किया। जिला मंच द्वारा पूर्व पारित निर्णय दिनांकित ०८-०६-२००७ में पंचनामे दिनांकित १२-०७-२००४ एवं पंचानामे दिनांकित २६-०७-२००४ की विस्‍तृत चर्चा की गई है जबकि प्रश्‍नगत निर्णय दिनांकित १८-०६-२०११ में पंचनामा दिनांकित २६-०७-२००४ की चर्चा नहीं की गई है।

पंचनामा दिनांकित २६-०७-२००४ श्री श्‍याम बिहारी ग्राम प्रधान द्वारा लिखा गया तथा इसमें ०४ गवाहों के हस्‍ताक्षर हैं। निर्णय दिनांकित ०८-०६-२००७ में यह तथ्‍य उल्लिखित है कि पंचनामा दिनांकित १२-०७-२००४ जो जिला मंच में प्रस्‍तुत किया     गया वह मूल अभिलेख है जिसे परिवादी ने दावे के साथ अपीलार्थी/विपक्षी को नहीं भेजा।

 

 

-६-

पंचनामा दिनांकित २६-०७-२००४ की छायाप्रति जिला मंच में प्रस्‍तुत की गई। जिला मंच द्वारा यह मत व्‍यक्‍त किया गया कि – ‘’ दिनांक २६-०७-२००४ को लिखे गये तथाकथित पंचनामे की छायाप्रति है जिससे प्रकट होता है कि २६-०७-२००४ को ही पहला पंचानामा लिखा गया था एवं इसी पंचनामे की मूल प्रति दावा के साथ भेजी गयी थी जबकि परिवादी की मॉंता जी की मृत्‍यु १२-०७-२००४ को होना कही जाती है अर्थात् मृत्‍यु के १४ दिन बाद तथाकथित पंचानामा दिनांकित २६-०७-२००४ बनाया गया तथा परिवाद के समर्थन के लिए बाद में पिछली तारीख, १२-०७-२००४ में कूट रचित किया गया। ‘’

परिवाद के अभिकथनों में परिवादी ने दिनांक २६-०७-२००४ के पंचनामे का कोई उल्‍लेख नहीं किया है जबकि परिवादी ने जिला मंच के समक्ष दिनांक २६-०७-२००४ को तैयार किए गये पंचनामे की फोटोप्रति भी दाखिल की। यदि दिनांक १२-०७-२००४ को पंचनामा तैयार किया जा चुका था तब दिनांक २६-०७-२००४ को पंचनामा तैयार किए जाने का कोई औचित्‍य नहीं था। अधिवक्‍ता परिवादी इस सम्‍ब‍न्‍ध में स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं कर सके। कथित पंचनामा दिनांकित १२-०७-२००४ में उल्लिखित व्‍यक्तियों श्री राम मनोहर यादव, श्री राजेश सिंह, श्री रामजरीखा यादव एवं श्री रामवचन यादव की बल्दियत अंकित नहीं की गई है और न ही इनका कोई पता इस पंचनामे में उल्लिखित किया गया है। इस पंचनामे के आधार पर ही परिवादी, परिवाद में श्रीमती मुन्‍नी की मृत्‍यु होना अभिकथित कर रहा है किन्‍तु अपने इस कथन के समर्थन में इन व्‍यक्तियों में से किसी व्‍यक्ति का शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। ऐसी परिस्थिति में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किए गये पंचनामे के आधार पर श्रीमती मुन्‍नी की दिनांक १२-०७-२००४ को किसी दुर्घटना में मृत्‍यु होना प्रमाणित नहीं माना जा सकता। जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया है। अत: प्रश्‍नगत निर्णय त्रुटिपूर्ण होने के कारण अपास्‍त किए जाने तथा अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।  

आदेश

      अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, देवरिया द्वारा परिवाद सं0-२४१/२००६ में

 

 

-७-

पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १८-०६-२०११ अपास्‍त करते हुए प्रश्‍नगत परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

      इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

                                    

                                                (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                  (गोवर्द्धन यादव)

                                                      सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-१.  

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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