मौखिक
अपील संख्या-1909/2011
सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया तथा एक अन्य बनाम शबनम
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
आदेश
12.05.2022
परिवाद संख्या-78/2005, मिस शबनम बनाम सेण्ट्रल बैंक आफ इण्डिया तथा तीन अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, सुलतानपुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 04.12.2010 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री जफर अजीज उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीली पर्याप्त है। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादिनी ने अपने हस्ताक्षर युक्त निकासी फार्म से अपने खाते से धनराशि निकाली है। उसके द्वारा बैंक में दिया गया निकासी फार्म बैंक के पास मौजूद है, जिसकी प्रति पत्रावली में सलंग्न की गई है, इसलिए बैंक किसी भी धनराशि को अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
परिवाद के अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादिनी का यह कथन है कि उसके खाते से बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से अंकन 43,000/- रूपये की निकासी की गई है, जबकि बैंक का कथन है कि स्वंय परिवादिनी द्वारा यह राशि निकाली गई है और निकासी फार्म पर अपने हस्ताक्षर किए गए हैं। अत: पक्षकारों के मध्य जो विवाद स्थापित होता है, वह यथार्थ में उपभोक्ता विवाद नहीं है, अपितु आपराधिक प्रकृति का विवाद है। यदि यथार्थ में निकासी फार्म पर परिवादिनी के हस्ताक्षर नहीं हैं तब
P.T.O….
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निश्चित रूप से फर्जी हस्ताक्षर तैयार कर परिवादिनी के खाते से धनराशि आहरित की गई है और यदि निकासी फार्म पर परिवादिनी के हस्ताक्षर साबित होते हैं तब माना जाएगा कि परिवादिनी की स्वेच्छा से यह धनराशि निकाली गई है। अत: बैंक उत्तरदायी नहीं है, परन्तु इन तथ्यों पर संक्षिप्त साक्ष्य की नहीं, अपितु विस्तृत साक्ष्य की आवश्यकता है। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद संधारणीय नहीं है। अपील तदनुसार स्वीकार होने योग्य है।
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.12.2010 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद संधारणीय न होने के कारण खारिज किया जाता है। यद्यपि परिवादिनी को यह अधिकार है कि वह सक्षम न्यायालय के समक्ष अपनी धनराशि की निकासी के संबंध में शिकायत कर सकती है।
पक्षकार अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
पत्रावली दाखिल दफ्तर की जाए।
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 के अन्तर्गत जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को एक माह के अन्दर वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2