जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या ः श्रीमति संतोष व्यास
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 13.08.2015
मूल परिवाद संख्या:- 42/2015
श्री राजीव कुमार सिंह पुत्र श्री नारायण प्रसाद सिंह, जाति- राजपूत, निवासी लक्ष्मीचन्द्र सांवल काॅलोनी, जैसलमेर, राजस्थान।
............परिवादी।
बनाम
एस.जी सोलर एस.टी.सी., बी.एस.एफ के सामने बालसमद रोड जोधपुर .............अप्रार्थी।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री आसुसिंह सोलकी, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. अप्रार्थी के विरूद्व एकपक्षीय कार्यवाही।
ः- निर्णय -ः दिनांक 14.10.2015
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी लक्ष्मीचन्द्र सांवल काॅलोनी मे निवास करता है उसने अप्रार्थी का विज्ञापन देखकर अप्रार्थी से फोन पर सम्पर्क किया तथा देनिक घरेलू उपभोग के विद्युत उपकरणों को चलाने हैतु सोलर पेनल मय बैटरी व इन्वर्टर आदि दिनांक 15.10.2013 को अप्रार्थी के क्रय किया प्रार्थी द्वारा सोलर पेनल खरीदते समय 1.5 केवी का इन्वर्टर तथा बैटरी व पेलेटों के कुल 47,350 रू चैक से जमा कराये जिस पर अप्रार्थी ने सम्पूर्ण सामान मिस्त्री सहित जैसलमेर भेजा लेकिन मिस्त्री सोलर पेनल इस्टाल नही कर सका तब परिवादी स्वंय ने अन्य मिस्त्री को 25,00 रू देकर इस्टोलेसन करवाया इस्टोलेषन के बाद इन्वर्टर के काम नही करने की षिकायत अप्रार्थी को फोन पर की लेकिन उसके द्वारा कई बार फोन करने के बावजूद ठीक करने के लिए अपना आदमी नही भेजा। अप्रार्थी ने पूर्व मे भेजे गये मे इन्वर्टर 1.50 किलोवाट की जगह 850 ईबी का भेजा तथा इन्वर्टर की राषि कम्पनी के प्रिट रेट 6999 रू के बजाय 9650 रू वसूले इस प्रकार अधिक राषि व संतोषप्रद जवाब नही देकर अप्रार्थी ने सेवा दोष कारित किया है। तथा साथ ही 850 इबी इन्वर्टर के स्थान पर 1.5 किलोवाट का इन्वर्टर व प्रिट रेट से अधिक वसूली गयी राषि दिलाये जाने के साथ ही मानसिक व आर्थिक परेषानी पेटे 5,000 रू व परिवाद व्यय 2,000 रू दिलाये जाने की प्रार्थना की।
2. अप्रार्थी को बावजूद तामिल नोटिस उसकी ओर से कोई उपस्थित नही होने के कारण उसके विरूद्व एकपक्षीय कार्यवाही दिनांक 15.09.2015 को अमल मे लायी गई।
3. हमने विद्वान अभिभाषक परिवादी की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषक परिवादी द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5.बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषाणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी ने अप्रार्थी से दिनांक 15.10.2013 को जरिये चैक कुल 47,350 रू मे सोलर पेनल मय बैटरी व इन्वर्टर खरीद किया। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है।
6.बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ?
विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि उसके दिनांक 15.10.2013 को परिवादी ने अप्रार्थी से अपने घर मे विद्युत उपकरणों को चलाने हैतु सोलर पेनल मय बैटरी व इन्वर्टर जरिये चैक कुल 47,350 रू मे खरीद किया जिस पर अप्रार्थी ने सम्पूर्ण सामान के साथ मिस्त्री को जैसलमेर भेजा लेकिन मिस्त्री जानकार नही होने के कारण सोलर पेनल इस्टाॅल नही कर सका तब परिवादी स्वयं ने 2500 रू देकर मिस्त्री लाकर उसे इस्टाॅलेसन करवाया। परिवादी ने इन्वर्टर के काम नही करने की षिकायत उसे कई बार फोन पर की फिर भी अप्रार्थी ने कोई संतोषप्रद जवाब नही दिया न ही ठीक करने के लिए किसी मिस्त्री को भेजा अप्रार्थी द्वारा 1.5 किलोवाट की जगह 850 ईबी का इन्वर्टर परिवादी को दिया व इन्वर्टर के कम्पनी के प्रिंट रेट 6999 रू के बजाय 9650 रू वसूल किये इस प्रकार अप्रार्थी द्वारा परिवादी के कई बार फोन पर षिकायत करने के बावजूद कोई संतोषजनक जवाब नही दिया गया तथा इन्वर्टर की राषि प्रिट रेट से अधिक वसूल कर सेवा दोष कारित किया है।
अतः परिवादी को 850 ईबी के इन्वर्टर के स्थान पर 1.5 किलोवाट का इन्वर्टर दिलाये जाने व प्रिट रेट से अधिक वसूली गई राषि दिलाये जाने व मानसिक क्षति पेटे 5,000 रू व परिवाद व्यय 2,000 दिलाये जाने का तर्क प्रस्तुत किया।
अप्रार्थी के विरूद्व एकपक्षीय कार्यवाही होने के कारण उनकी ओर से कोई उपस्थित नही होने के कारण परिवादी के परिवाद व साक्ष्य का खण्डन नही किया गया।
7. परिवादी विद्वान अभिभाषक के तर्को की रोषनी मे पत्रावली मे उपलब्ध साक्ष्य पर हमारी राय इस प्रकार है। कि परिवादी के अपने परिवाद व सषपथ साक्ष्य मे यह साबित किया है कि दिनांक 15.10.2013 को उसने अपने घर मे विद्युत उपकरणों को चलाने हैतु सोलर पेनल मय बैटरी व इन्वर्टर जरिये चैक 47,350 रू अप्रार्थी को जमा कराकर खरीद किया है। जिसका बिल संख्या 10 दिनांक 15.10.2013 पेष किया व साथ ही अपने खाते से जरिये चैक दिनांक 15.10.2013 को राषि टाॅसफर करने की अपने खाते की प्रति भी पेष की है। तथा अपने शपथ-पत्र से यह साबित किया है कि उसने इन्वर्टर के सही काम नही करने की षिकायत अप्रार्थी को कई बार की लेकिन अप्रार्थी ने कोई मिस्त्री सही करने के लिए नही भेजा परिवादी की साक्ष्य का अप्रार्थी को मौका दिये जाने के बावजूद खण्डन नही किया है। अतः उसके अभाव मे परिवादी की साक्ष्य को नही मानने का कारण हमारे समक्ष नही है। जहा तक परिवादी का यह कथन कि उसने अपने स्वयं के खर्चे से मिस्त्री को लाकर उसे 2500 रू अदा कर सोलर पेनल इस्टाॅल करवाया लेकिन मिस्त्री को 2500 रू अदा किये हो उसकी रसीद आदि पेष कर परिवादी साबित करने मे असफल रहा है। तथा मिस्त्री का साक्ष्य में शपथ-पत्र भी पेष नही किया है। उससे इन्वर्टर के कम्पनी के प्रिंट रेट 6999 रू के स्थान पर 9,650 रू वसूले गये हो परिवादी द्वारा ऐसा कोई कम्पनी का प्रिंट रेट पेष नही किया है। जबकि अप्रार्थी द्वारा जो इन्वर्टर का बिल दिया गया है उसमे राषि का हवाला 9650 रू दिया गया है। इसलिए अप्रार्थी द्वारा कम्पनी के प्रिंट रेट से ज्यादा वसूला गया हो ऐसा परिवादी साबित करने मे असफल रहा है साथ ही परिवादी को 1.5 किलो वाट के स्थान पर 850 ईबी का इन्वर्टर दिया हो ऐसा भी साबित नही है। लेकिन परिवादी द्वारा अप्रार्थी को कई बार इन्वर्टर के खराब होने के सम्बंध मे षिकायत फोन पर करने के बावजूद भी उसे ठीक करने के लिए किसी मिस्त्री को नही भेजा तथा न ही कोई संतोषप्रद जवाब दिया। अप्रार्थी का यह कृत्य सेवा दोष की श्रेणी मे आता है।
अतः अप्रार्थी ने सेवा दोष कारित किया हैं । अतः बिन्दू सं. 2 परिवादी के पक्ष मे निस्तारित किया जाता है।
8. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 परिवादी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो स्वीकार किया जाता है ।
अतः हमारी विनम्र राय में परिवादी को अप्रार्थी द्वारा भेजा गया इन्वर्टर जो खराब हैै उसे अप्रार्थी अविलम्ब सही करवाकर उसे इन्टाॅल करवाये तथा इन्वर्टर के सही नही होने पर अप्रार्थी परिवादी को नया इन्वर्टर देवें अथवा परिवादी द्वारा अप्रार्थी को दी गई इन्वर्टर की राषि 14,500 रू वापस परिवादी को लोटाए तथा मानसिक पेटें 2,000 रू व परिवाद व्यय 1500 रू दिलाया जाना उचित है।
ः-ः आदेश:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व एकपक्षीय आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी को आदेषित किया जाता है कि वह आदेष की दिनांक से एक माह के भीतर-भीतर परिवादी के खराब इन्वर्टर को सही करके परिवादी के यहा इस्टाॅल करवाये अथवा इन्वर्टर के सही नही होने की स्थिति मे अप्रार्थी परिवादी को नया इन्वर्टर देवें या परिवादी द्वारा अप्रार्थी को दी गई इन्वर्टर की राषि 14,500 रू वापस परिवादी को लौटाए। परिवादी खराब इन्वर्टर अप्रार्थी के माॅगने पर उसे प्रदान करें इसके अलावा मानसिक हर्जाना पेटे 2,000 रू अक्षरे दो हजार रूपये एवम् परिवाद व्यय 1500 रू अक्षरे एक हजार पाॅच सौ रूपये 2 माह के भीतर भीतर अदा करे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 14.10.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।