Madhya Pradesh

Seoni

CC/07/2013

DHANRAJ PREMCHANDANI - Complainant(s)

Versus

SEVRLATE GENRAL MOTORS - Opp.Party(s)

25 Apr 2013

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

प्रकरण क्रमांक- 07-2013                                   प्रस्तुति दिनांक-02.01.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

धनराज प्रेमचंदानी, आत्मज लक्ष्मणदास
प्रेमचंदानी, उम्र लगभग 46 वर्श, निवासी-
महारानी लक्ष्मीबार्इ वार्ड, सिंधी कालोनी
सिवनी, तहसील व जिला सिवनी 
(म0प्र0)।.............................................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-:                  
(1)    सेवरलेट जनरल मोटर्स इंडिया,
    प्रायवेट लिमिटेड, प्रधान कार्यालय
    चंद्रपुरा, इण्डसिट्रयल स्टेट हालोल
    389351, जिला पंचमहल, गुजरात।
(2)    सेवरलेट आथरार्इज डीलर, सनसार्इन
    मोटर्स कालेज रोड़ लालबाग छिंदवाड़ा,
    जिला छिंदवाड़ा (म0प्र0)।
(3)    सेवरलेट आथरार्इज डीलर कार्यालय,
    विनयकुमार, सनसार्इन मोटर्स, ज्यादत
    नाका, जबलपुर रोड, सिवनी, जिला
    सिवनी (म0प्र0)।..............................अनावेदकगणविपक्षीगण।

​                     
                   :-आदेश-:
     
       (आज दिनांक- 25/04/2013            को पारित)

द्वारा-अध्यक्ष:-

(1)        परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादी को तयषुदा वाहन सेवरलेट कम्पनी का नया माडल सेल (सेलयुवा) प्रदान न करने को सेवा में कमी बताते हुये, उक्त नये माडल की कार रजिस्ट्रेषन व इष्योरेंस सहित दिलाने व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2)         यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी ने अनावेदक क्रमांक-2 से जनवरी-2012 में सेवरलेट कम्पनी की बीट डीजल एल.टी. कार 5,86,934-रूपये में क्रय किया था, जिसका रजिस्ट्रेषन नंबर-एम0पी0 22 सी.ए.1234 है, जिसकी खरीदी हेतु परिवादी ने दिनांक-18.12.2012 को बुकिंग अनावेदक क्रमांक-2 के कार्यालय में किया था। यह भी विवादित नहीं कि-परिवादी ने उक्त राषि में-से 4,00,000-रूपये भारतीय स्टेट बैंक, षाखा सिवनी से ऋण फायनेन्स कराकर प्रदान किये थे ओर अपनी पुरानी गाड़ी टाटा नैनो अनावेदक क्रमांक-2 को 75,000-रूपये में विक्रय कर कटवाया था, षेश राषि 1,11,934- रूपये जरिये चेक प्रदान किया था। यह भी विवादित नहीं कि-उक्त खरीदी गर्इ कार का दिनांक-18.03.2012 को एक सर्विसिंग अनावेदक क्रमांक-2 के वर्कषाप में कराया था और कार में खराबी आने पर, दिनांक-28.06.2012 को पुन: कार सुधरने के लिए अनावेदक क्रमांक-2 के वर्कषाप में डाला गया था। यह भी विवादित नहीं कि-परिवादी ने फिर उक्त खरीदे गये वाहन एम0पी0 22 सी.ए.1234 को अनावेदक क्रमांक-2 को 4,40,000-रूपये मूल्य में लौटा देने और अतिरिक्त राषि 1,90,000-रूपये देकर 6,30,000-रूपये में नया वाहन का बुकिंग नवम्बर-2012 में अनावेदक क्रमांक-2 के षाखा में कराया था और उक्त बाबद, अनावेदक क्रमांक-2 को एक चेक 90,000-रूपये का दिनांक-18.11.2012 का तथा एक अन्य चेक 1,00,000-रूपये का दिनांक-10.12.2012 का प्रदान किया गया था, जिसमें से 90,000- रूपये के चेक का भुगतान हो गया था। और यह भी विवादित नहीं कि- अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादी को सेवरलेट कम्पनी का ही नया बीट वाहन काले रंग का प्रदान किया गया था, जिसे परिवादी ने कुछ दिन बाद दिनांक-08.12.2012 को अनावेदक क्रमांक-3 की षाखा में खड़ा कर दिया। यह भी विवादित नहीं है कि-परिवादी द्वारा, अनावेदक क्रमांक-2 को जारी चेक दिनांक-10.12.2012 को 1,00,000-रूपये मूल्य का ओवर रार्इटिंग होने के कारण भुगतान नहीं हुआ और इसलिए परिवादी ने दिनांक-17.12.2012 का उसके स्थान पर दूसरा चेक 1,00,000-रूपये का अनावेदक क्रमांक-2 को दिया था, लेकिन परिवादी द्वारा दिनांक-17.12.2012 को भारतीय स्टेट बैंक, षाखा सिवनी के अपने खाते से उक्त चेक के भुगतान में रोक लगा दिया गया, जिससे उक्त चेक का भुगातन नहीं हो सका। 
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- वाहन क्रमांक-एम0पी0 22 सी.ए.1234 खरीदने के दो माह बाद ही इंजिन में निर्माण त्रुटि होने के कारण, इंजिन सीज हो गया, जिसकी षिकायत करने पर, अनावेदक क्रमांक-2 की एजेन्सी में वाहन रिपेयर के लिए बुलवाया गया और वाहन सुधरवाने बाबद 59,000-रूपये परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-2 को प्रदान किया, लेकिन इसके बाद भी इंजिन से काला धुंआ निकलता रहा और मार्इलोमीटर में स्पीड 60 किलोमीटर से आगे नहीं बढ़ती थी, तो अनावेदक क्रमांक-3 यह आष्वासन देता रहा कि-कुछ दिन चलने के बाद स्पीड ठीक हो जायेगी, परिवादी ने वाहन को दिनांक-29.10.2012 को भिलार्इ सिथत एजेन्सी में जांच कराया, तो मेकेनिक ने बताया कि-इंजिन में कुछ सामान नहीं लगे हैं, इसलिए स्पीड नहीं बढ़ेगी, जिसकी षिकायत अनावेदक क्रमांक-3 से करने पर, उसने दिनांक-09.11.2012 को यह प्रस्ताव किया कि-वाहन उसे वापस कर दे, उसका 4,40,000-रूपये काट लेते हैं और इस वाहन के बदले में परिवादी को सेवरलेट कम्पनी का नया वाहन सेल (सेलयुवा माडल) दे-देंगे, जिसके लिए परिवादी को यह वाहन तथा 1,90,000-रूपये अलग से देना होगा, जिसके लिए परिवादी तैयार हो गया और दिनांक- 11.11.2012 को अनावेदक क्रमांक-3 ने परिवादी को सेवरलेट कम्पनी का ही नया वाहन बीट काले रंग का यह कहकर प्रदान किया कि- जब-तक कम्पनी का नया वाहन सेलयुवा नहीं दिया जाता है, तब-तक इस बीट वाहन को चलायें और इसका कोर्इ बीमा नहीं कराया गया था, इसलिए परिवादी द्वारा वाहन का उपयोग नहीं किया गया, जो कि-बीमा कराने के लिए कहने पर, अनावेदक क्रमांक-2 और 3 ने कहा की उक्त वाहन आपको विक्रय नहीं किया गया है, इसलिए बीमा नहीं करा सकते, इस कारण से परिवादी ने दिनांक-08.12.2012 को उक्त काले रंग का बीट वाहन, अनावेदक क्रमांक-3 के सिवनी सिथत कार्यालय में वापस कर दिया और क्योंकि अनावेदक क्रमांक-2 और 3 ने दिनांक-16.12.2012 को नया वाहन-सेलयुवा माडल कम्प्लीट कर देने का आष्वासन दिया था, लेकिन उक्त नया माडल का वाहन परिवादी को प्रदान नहीं किया, इसलिए परिवादी ने दिनांक-17.12.2012 को 1,00,000-रूपये का चेक क्रमांक-016254 का भुगतान रोक दिया था, फिर दिनांक-25.12.2012 को अपने साथी बलराम के साथ जाकर, अनावेदक क्रमांक-2 से मिला, तो अनावेदक क्रमांक-2 ने कहा कि-वह परिवादी को नये माडल का वाहन सेल नहीं दे सकता और नया वाहन लेना है, तो उक्त काले रंग का बीट वाहन ले-लो, उसका बीमा दिनांक-05.12.2012 को करा दिया है और अगर उक्त काले रंग का बीट वाहन नहीं चाहिये, तो नगद 1,10,157-रूपये का अतिरिक्त भुगतान कर और पुराने सफेद रंग का बीट वाहन रजिस्ट्रेषन क्रमांक-एम0पी0 22 सी.ए.1234 वापस ले जाये, जिस पर अनावेदक क्रमांक-2 और 3 लगातार सफेद रंग के बीट वाहन की जगह काले रंग का बीट वाहन जबरन परिवादी को खरीदने की धमकी दे रहे हैं कि-ऐसा नहीं किया तो दिनांक-17.12.2012 का 1,00,000-रूपये का चेक बाउंस कराकर, परिवादी के विरूद्ध पराक्रम्य लिखित अधिनियम का प्रकरण दर्ज कर देंगे। इस तरह परिवादी के साथ अनावेदक क्रमांक-2 व 3 ने व्यवसायिक कदाचरण व सेवा में कमी किया है।
(4)        अनावेदक क्रमांक-1 के जवाब का सार यह है कि-वाहन की निर्माता कम्पनी जनरल मोटर्स इणिडया प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी है, जो कि-सेवरलेट से प्रायवेट इणिडया कम्पनी उसकी सहायक कम्पनी है, जो वाहन के विक्रय की माकेर्ंटिंग और आफटर सेल सर्विस देती है, परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-1 के नाम का त्रुटिपूर्ण उल्लेख किया है और इसलिए यह जवाब सेवरलेट सेल इंणिडया प्रायवेट लिमिटेड द्वारा पेष किया जा रहा है, क्योंकि उसके द्वारा ही वाहन की बिक्री हेतु डीलर नियुक्त किये जाते हैं, परिवादी द्वारा खरीदे गये सफेद रंग के बीट माडल में कोर्इ निर्माण त्रुटि होने संबंधी विषिशिटयां उल्लेख नहीं, जो कि-पहली सर्विसिंग में भी वाहन ठीक पाया गया, अनावेदक क्रमांक-2 और 3 के संबंध में भी परिवाद में झूठे लांछन लेख किये गये हैं, सफेद रंग के बीट वाहन के बदले, काले रंग का बीट वाहन परिवादी ने बुक किया था और उसका भी पूरा मूल्य अदा नहीं किया, परिवादी द्वारा दिये गये 1,00,000-रूपये के चेक का उसने स्वयं भुगतान रोक दिया, तो नये वाहन की डिलेवरी न होने बाबद, यह स्वयं में पर्याप्त आधार है, उक्त भुगतान से बचने और चेक बाउंस के मामले से बचने के लिए परिवाद झूठे आधारों पर पेष किया गया है, जो कि-परिवाद के अभिवचन ही भ्रामक और विरोधाभाशी हैं। और अनावेदक क्रमांक-2 व 3 से परिवादी के विवाद बाबद, अनावेदक क्रमांक-1 का कोर्इ लेनादेना नहीं, जो कि-अनावेदक क्रमांक-1 और उसके डीलर अनावेदक क्रमांक- 2 के बीच स्वामी और अभिकत्र्ता के संबंध नहीं हैं, बलिक प्रिनिसपल- टू-प्रिनिसपल का एग्रीमेन्ट है।
(5)        अनावेदक क्रमांक-2 और 3 का स्वीकृत तथ्यों के अलावा, जवाब का सार यह है कि-परिवादी ने बुकिंग फार्म दिनांक-18.12.2011 के अनुसार, वर्णित नियमों व षर्तों के आधार पर, दिनांक-03.01.2012 को कार बीट ओलंपिक व्हार्इट क्रय किया था और वह षर्तों से संतुश्ट रहा है, जिसकी टीप डिलेवरी कार्ड में अंकित किया था, जो कि- दिनांक-18.03.2012 तक उक्त क्रय की गर्इ कार की दो फ्री सर्विसिंग परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-2 के प्रतिश्ठान में कराया था, तब-तक कोर्इ भी इंजिन में डिफेक्ट या निर्माण त्रुटि होने की षिकायत नहीं किया था और फिर दिनांक-28.06.2012 को जब उक्त कार 15,241 किलोमीटर चल चुकी थी, तो उसे परिवादी अनावेदक क्रमांक-2 की एजेन्सी में लाया और बताया था कि-उसके पुत्र से कार किसी उबड़- खाबड़ जगह में इंजिन के नीचे के भाग में टकरा गर्इ है, जिससे इंजिन में ओवर हीटिंग होने डिस्क थ्रू पर व्हील बैलेसिंग करने आदि तथा इंजिन में ठोकर लगने के कारण, उसका लेथ वर्क आदि करने के लिए जाबकार्ड अनुसार सहमति दी थी, तो उक्त कार की मरम्मत करने के पष्चात, वाहन ठीक कर परिवादी को सौपा था और परिवादी ने संतुश्ट होकर, संतुशिट-पत्र जारी किया था और इसके बाद से कभी भी वाहन में काला धुंआ निकलने या स्पीड में कोर्इ परेषानी होने की षिकायत अनावेदकों से नहीं की थी, बलिक स्वयं ही नया केवियर ब्लैक रंग का बीट डीजल एलटी माडल एक्सचेंज आफर में बदलकर क्रय किये जाने की इच्छा व्यक्त की थी, तो परिवादी के इच्छा के अनुरूप उसने दिनांक-10.11.2012 का अनावेदक क्रमांक-2 के पास रिटेल सेल्स आर्डर बुकिंग फार्म भरा था और उसकी नियम षर्तों को स्वीकार कर, हस्ताक्षर किये थे और केवियर ब्लैक रंग की नर्इ डीजल बीट एलटी कार को 6,30,000-रूपये में क्रय करना प्रस्तावित किया था, जिसमें पुरानी कार क्रमांक-एम0पी0 22 सी.ए.1234 का एक्सचेंज किया गया, जिसकी कीमत 4,40,000-रूपये कुल कीमत से घटार्इ गर्इ और अंतर की राषि का भुगतान करने हेतु आवेदक ने दिनाक-18.11.2012 का 90,000- रूपये का चेक तथा दूसरा चेक दिनांक-10.12.2012 का 1,00,000- रूपये का एस.बी.आर्इ. षाखा सिवनी का अनावेदक को प्रदान किया था। इस तरह परिवादी ने केवियर ब्लैक रंग की बीट डीजल कार ही दिनांक-10.11.2012 को बुक किया था और उक्त बुकिंग फार्म, सेलयुवा माडल की लाच की गर्इ कार के संबंध में नहीं रहा है, जो कि-सेलयुवा माडल की कार छिंदवाड़ा जिले के आसपास की जगह में बिक्री के लिये माह दिसम्बर-2012 में उपलब्ध हुर्इ, जो बीट कार से अपर ग्रेड का माडल है, जिसके प्रत्येक माडल अनुसार, अनावेदक क्रमांक-2 को इंटरनेट के माध्यम से जो दिनांक-01.11.2012 के लिए प्रभावषील मूल्य था, जो दिनांक-01.02.2013 को प्रभावषील हुआ और उक्त माडल की आन रोड कीमत 7,30,668-रूपये से प्रारम्भ होकर, 8,30,065-रूपये तक व इसके पष्चात, 8,09,574-रूपये से प्रारम्भ होकर, 9,38,550- रूपये तक रही है, तो उक्त माडल की कार को बीट डीजल एलटी कार की कीमत पर नर्इ सेलयुवा कार माडल की बिक्री करने का मौखिक आष्वासन नहीं दिया जा सकता था। इस संबंध में परिवाद में झूठे तथ्य गढ़े गये हैं।
(6)        केवियर ब्लैक रंग के बीट डीजल एलटी कार खरीदने का ही समव्यवहार अनावेदक क्रमांक-2 से परिवादी का हुआ था, जो उक्त वाहन परिवादी को प्रदान किया गया। परिवादी द्वारा दिया गया दिनांक- 18.11.2012 का 90,000-रूपये के चेक का भुगतान हो चुका था और दूसरा चेक दिनांक-10.12.2012 का 1,00,000-रूपये का ओवर रार्इटिंग होने के कारण भुगतान नहीं हुआ, तो उक्त चेक के स्थान पर परिवादी ने नया चेक दिनांक-17.12.2012 का 1,00,000-रूपये का प्रदान किया था, केवियर ब्लैक रंग की कार की डिलेवरी प्राप्त करते समय परिवादीक्रेता की फोटो भी अनावेदक क्रमांक-2 और 3 के अधिनस्थ ने खींचा था, जिसकी छायाप्रति से ही स्पश्ट है कि-परिवादी ने उक्त कार ही खरीदा था, लेकिन बिना समुचित कारण के परिवादी, अनावेदक क्रमांक-3 के वर्कषाप में जाकर, वाहन को खड़ा कर छोड़ दिया और अब बाद में सेलयुवा कार की उसके द्वारा की जा रही मांग सर्वथा अनुचित है, जो कि-दिनांक-17.12.2012 के 1,00,000-रूपये के चेक का भुगतान, वाहन की डिलेवरी ले-लेने के बाद भी परिवादी ने रोक दिया और परिवादी ने जो बीट डीजल कार क्रमांक-एम0पी0 22 सी.ए.1234 सफेद रंग की क्रय किया था और जिसे एक्सचेंज आफर में बदलकर, काले रंग की बीट कार खरीदा, लेकिन उक्त सफेद रंग की कार क्रमांक-एम0पी0 22 सी.ए.1234 पर बैंक का एच.पी. दर्ज रहा है, परिवादी ने एक माह के अंदर बैंक की राषि अदा कर, एच.पी. कटवाने का आष्वासन दिया था, लेकिन उक्त एच.पी. नहीं कटवाया, जिससे उक्त कार अभी भी अनावेदक क्रमांक-2 की एजेन्सी में खड़ा है और अनावेदकगण को यह जानकारी हुर्इ है कि-आवेदक के पुत्र को सेवरलेट कम्पनी की नर्इ लाच कार सेलयुवा अत्यधिक पसंद आ गर्इ है, इसलिए उक्त नर्इ माडल की कार को खरीदने के लिए पूर्व में क्रय की गर्इ कार का प्रतिफल राषि के समायोजन हेतु अनावष्यक दवाब बनाने के लिए केवियर ब्लैक बीट कार परिवादी, अनावेदक क्रमांक-3 के पास खड़ी कर छोड़ गया है और पूर्व में एक्सचेंज करार्इ गर्इ कार का एच.पी. क्लीयरेंस फार्म भारतीय स्टेट बैंक, षाखा सिवनी से प्राप्त कर और टी.टी.ओ. फार्म में हस्ताक्षर कर प्रदान नहीं किये गये, दिनांक-17.12.2012 का 1,00,000-रूपये का परिवादी का चेक भी, खाते में जमा राषि की व्यवस्था से अधिक का होने के आधार पर अनादर कर दिया गया है, उक्त चेक के डिस्आनर होने बाबद, रजिस्टर्ड-डाक से परिवादी को नोटिस भी भेजा जा चुका है, परिवादी ने अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग करते हुये, परिवाद तुच्छ व मिथ्या श्रेणी का पेष किया है, जिसे निरस्त करते हुये, अनावेदक को क्षतिपूरक-व्यय दिलाया जाये।

(7)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-

        (अ)    क्या अनावेदकगण ने, परिवादी के प्रति-
            व्यवसायिक दुराचरण किया है व सेवा में
            कमी किया है?
        (ब)    सहायता एवं व्यय?

                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-

(8)       जहां-तक अनावेदक क्रमांक-1 का प्रष्न है, तो स्वयं परिवादी की ओर से प्रदर्ष सी-7 का जो जाबकार्ड की प्रति पेष की गर्इ है, वह सेकेण्ड फ्री सर्विस के संबंध में है, जिससे यह दर्षित है कि-वह रूटीन सर्विस रही है और तब-तक कोर्इ त्रुटि प्रथम बार खरीदे वाहन में नहीं रही है और वाहन में खराबी आने पर, दिनांक-28.06.2012 को जब उक्त वाहन सुधरने के लिए डाला गया, तो रिपेयर आर्डर की प्रति प्रदर्ष एस-4 से स्पश्ट है कि-इंजिन लेथ वर्क वाहन में हुआ था, जो कि-वाहन के इंजिन के ज्यादा गर्म होने के कारण की षिकायत की गर्इ थी, पर उक्त वाहन में कोर्इ निर्माण त्रुटि रही हो, ऐसा दर्षाने बाबद कोर्इ साक्ष्य परिवादी-पक्ष का नहीं और परिवादी ने उक्त वाहन एम0पी0 22 सी.ए.1234 एक्सचेंज आफर के तहत, अनावेदक क्रमांक-2 को लौटाकर नया वाहन बुक कर दिया था, तो उक्त सफेद रंग वाले बीट वाहन या उसका मूल्य पाने के लिए मामला नहीं और उक्त पुराने वाहन को निर्माण त्रुटि के आधार पर बदलकर, नया वाहन देने का भी अनुतोश नहीं चाहा गया है, बलिक परिवाद में विवाद, उक्त वाहन को एक्सचेंज आफर में बेचकर खरीदे गये नये वाहन के संबंध में है, तो अनावेदक क्रमांक-1 को मामले में अनावष्यक पक्षकार बनाया गया है और अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ व्यवसायिक दुराचरण या सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं पाया जाता है।
(9)        जहां-तक अनावेदक क्रमांक-2 और 3 का संबंध है, तो मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी ने एक्सचेंज आफर के तहत उक्त सफेद रंग के डीजल बीट वाहन क्रमांक-एम0पी0 22 सी.ए.1234 का एक्सचेंज के समय मूल्य 4,40,000-रूपये होना स्वीकार किया था, उसके स्थान पर नया वाहन 6,30,000-रूपये में खरीदना स्वीकार किया था और 1,90,000-रूपये अतिरिक्त मूल्य अलग से देना भी स्वीकार किया था और उक्त 1,00,000-रूपये में-से मात्र 90,000- रूपये का जरिये चेक भुगतान हुआ, जबकि-1,00,000-रूपये के चेक का भुगतान परिवादी ने अपने खाते में पर्याप्त राषि उपलब्ध न कराकर अथवा भुगतान रोककर नहीं होने दिया।
(10)        स्वयं परिवाद से ही यह सिथति भी स्पश्ट है कि-परिवादी ने अनावेदक क्रमांक-2 से जनवरी-2012 में जो सफेद रंग का बीट डीजल एलटी माडल का कार पंजीयन क्रमांक-एम0पी0 22 सी.ए.1234 खरीदा था, वह बैंक से ऋण फायनेन्स के द्वारा क्रय किया था और उक्त वाहन को एक्सचेंज आफर के तहत अनावेदक क्रमांक-2 को परिवादी ने भले ही दे-दिया है, लेकिन वाहन के रजिस्ट्रेषन में दर्ज एच.पी. तभी निरस्त होगी, जब परिवादी बैंक का फायनेन्स राषि अदा कर, एच.पी. क्लीयरेंस फार्म और टी.टी.ओ. फार्म हस्ताक्षर कर, अनावेदक क्रमांक-2 को देवे, जो परिवादी द्वारा नहीं दिया जाना अनावेदक क्रमांक-2 की ओर से पेष षपथ-पत्र में भी कहा गया है और जिसका कोर्इ खण्डन परिवादी ने नहीं किया है और रजिस्ट्रेषन से बिना उक्त एच.पी. निरस्त हुये, अनावेदक क्रमांक-2 उक्त वाहन को न तो पुनर्विक्रय कर सकता है, न ही परिवादी के नाम का रजिस्ट्रेषन अन्य किसी को अंतरित हो सकता है। तो स्पश्ट है कि-परिवादी ने एक्सचेंज आफर के तहत दिसम्बर- 2012 में जो वाहन खरीदा, उसका वाहन एक्सचेंज के अलावा अतिरिक्त मूल्य का पूरा भुगतान भी नहीं किया और एक्सचेंज के तहत जो वाहन क्रमांक-एम0पी0 22 सी.ए.1234, अनावेदक क्रमांक-2 को सौपा है, उसके बैंक ऋण का भुगतान कर, एच.पी. निरस्त करने की कार्यवाही कर, आवष्यक कागजात अनावेदक क्रमांक-2 को नहीं सौपे। इस तरह स्वयं परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-2 को उक्त समव्यवहार में जानबूझकर अनुचित-रूप से उलझाकर रख हुआ है। 
(11)        परिवाद का मुख्य आधार यह बनाया गया है कि-परिवादी ने एक्सचेंज आफर के तहत दिनांक-09.11.2012 को सेवरलेट कम्पनी का काले रंग का डीजल बीट वाहन क्रय करने का सौदा नहीं किया था, बलिक उक्त कम्पनी का नया माडल सेलयुवा क्रय करने का सौदा किया था और जो काले रंग का बीट वाहन उसे दिया गया था, वह मात्र इस बीच उपयोग करने के लिए दिया गया था, पर स्वयं जो परिवादी की ओर से प्रदर्ष सी-6 का दिनांक-10.11.2012 का बुकिंग आर्डर की प्रति पेष की गर्इ है, उसमें ही स्पश्ट रूप से बीट डीजल माडल व रंग केवियर ब्लैक होना उल्लेख है और उसी दिन दिनांक-16.11.2012 का 90,000-रूपये का तथा दिनांक-10.11.2012 का 1,00,000-रूपये का चेक भी परिवादी द्वारा दिया जाना उल्लेख है। तो स्वयं परिवादी द्वारा पेष उक्त बुकिंग फार्म की प्रति से स्पश्ट है कि-उसने केवियर ब्लैक रंग के डीजल बीट एलटी वाहन को भी एक्सचेंज आफर के तहत दिनांक-10.11.2012 को बुक किया था, परिवादी ने उक्त वाहन की ही डिलेवरी लिया था, यह प्रदर्ष एस-1 के पेष फोटो से ही स्पश्ट है और यह प्रकट है कि-परिवादी यह बात छिपा नहीं सकता था, इसलिए परिवादी ने उक्त वाहन प्राप्त करना आंैर उसे बाद में अनावेदक क्रमांक- 3 के कार्सालय में खड़ा कर देना, जो परिवाद में स्वीकार किया है, उसके संबंध में यह परिवाद में असत्य कहानी वर्णित कर दिया कि-उक्त काले रंग का बीट वाहन उसे कुछ दिन चलाने के लिए दिया गया था।
(12)        स्वयं परिवादी की ओर से उक्त काले रंग के बीट वाहन के बीमा की जो प्रति प्रदर्ष सी-3 पेष की गर्इ है, उससे भी यह सिथति स्पश्ट हो जाती है कि-उक्त काले रंग के बीट वाहन का बीमा भी दिनांक-05.12.2012 को करा दिया गया था, जिसकी प्रति भी परिवादी को दे-दी गर्इ थी, तो उसके पष्चात परिवादी द्वारा, उक्त वाहन अनावेदक क्रमांक-3 की षाखा में छोड़ आने का यह कारण बताया जाना कि-वाहन का बीमा नहीं हुआ था, एक गढ़ी गर्इ झूठी कहानी ही प्रतीत होती है। और अनावेदक क्रमांक-2 और 3 की ओर से पेष प्रदर्ष एस-11 के परिवादी के सेटिस्फेक्षन नोटस दिनांक-05.12.12 से भी जिसमें परिवादी के हस्ताक्षर कहे गये हैं, उसमें परिवादी द्वारा बीट डीजल एलटी वाहन की डिलेवरी पूर्ण संतुशिट में लिया जाना दर्षित होता है। तो यह स्पश्ट है कि-परिवादी ने, अनावेदक से नवमबर-2012 में जो वाहन बुक किया था, वह केवियर ब्लैक रंग का डीजल एलटी वाहन ही रहा है, ऐसे में परिवाद का यह आधार स्थापित होना नहीं पाया जाता है कि-अनावेदक क्रमांक-2 और 3 से परिवादी ने दिनांक- 10.11.2012 को सेवरलेट कम्पनी के नये सेलयुवा माडल के वाहन का सौदा कर बुक किया था और इसलिए अनावेदक क्रमांक-2 द्वारा, परिवादी को उक्त सौदे के तहत प्रदान किया गया वाहन केवियर ब्लैक रंग का डीजल बीट एलटी वाहन प्रदर्ष सी-6 के बुकिंग फार्म व सौदे अनुसार बुक किये गये माडल का ही वाहन होना स्थापित पाया जाता है। इस तरह अनावेदक क्रमांक-2 व 3 के द्वारा, परिवादी के प्रति इस संबंध में कोर्इ अनुचित व्यापार-प्रथा नहीं अपनार्इ गर्इ है।
(13)        लेकिन अनावेदक-पक्ष की ओर से प्रदर्ष एस-8 के इनवार्इस दिनांक-05.12.2012 और उसी माडल के परिवादी को पूर्व में विक्रय किये गये सफेद रंग के कार के बुकिंग फार्म प्रदर्ष सी-5 की तुलना करने पर यह स्पश्ट है कि-प्रदर्ष सी-5 में वाहन का एक्स षोरूम प्रार्इज 5,24,000-रूपये है, जबकि-प्रदर्ष एस-8 के इनवार्इस में उसका मूल्य 5,62,563-रूपये हो जाना दर्षित है। तो प्रदर्ष सी-6 के बुकिंग फार्म में दिया गया नेट अमाउंड 6,30,000-रूपये में इंष्योरेंस व रजिस्ट्रेषन षामिल रहा होना पाया जाता है और इसलिए अनावेदक क्रमांक-2 ने दिनांक-05.12.2012 को उक्त वाहन का इंष्योरेंस कराकर कवरनोट की प्रति प्रदर्ष सी-3 परिवादी को प्रदान की थी और क्योंकि परिवादी ने प्रदर्ष सी-6 के सौदा-अनुसार मूल्य का 1,00,000-रूपये का भुगतान नहीं किया, जिसके चेक का भुगतान नहीं हुआ, इसलिए उक्त केवियर ब्लैक रंग के वाहन का रजिस्ट्रेषन कराने का अनुतोश परिवादी नही मांग सकता था। और क्योंकि परिवादी ने एक्सचेंज के तहत लिये वाहन के सफेद रंग के डीजल एलटी के संबंध में एच.पी. क्लीयरेंस के कागज भी अनावेदक क्रमांक-2 को सौपे नहीं, इसलिए भी वह वाहन का रजिस्ट्रेषन करवाने का अनुतोश उक्त कार्यवाही पूर्ण किये बिना नहीं मांग सकता था, क्योंकि वास्तव में परिवादी की मंषा, उक्त केवियर ब्लैक रंग के वाहन खरीदने की नहीं रही है, जो कि-उन्हीं भुगतान की गर्इ राषियों से वह डीजल एलटी माडल के मूल्य पर ही, सेलयुवा माडल का वाहन प्राप्त करने के अनुतोश के लिए यह परिवाद झूठे आधारों पर पेष किया है, तो अनावेदक क्रमांक-2 और 3 के द्वारा भी, परिवादी के प्रति-कोर्इ व्यवसायिक दुराचरण किया जाना या सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ' को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-

(14)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ कें निश्कर्श के आधार पर, परिवादी ने यह परिवाद स्वयं त्रुटिकत्र्ता-पक्ष होते हुये, झूठे लांछन निर्मित कर पेष किया है, इसलिए वह अनावेदक-पक्ष को हर्जाना प्रदान करने के लिए भी दायित्वाधीन है। तदानुसार मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
        (अ)    परिवादी का परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त
            किया जाता है।
        (ब)    परिवादी प्रत्येक अनावेदक को 2,000-2,000-रूपये
            कुल-6,000-रूपये (दो-दो हजार रूपये कुल-छै:             हजार रूपये) विषेश हर्जाना अदा करे।
        (स)    परिवादी स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और
            कार्यवाही-व्यय के रूप में अनावेदक क्रमांक-1 को
            1,000-रूपये (एक हजार रूपये) व अनावेदक                 क्रमांक-2 व 3 को समिमलित रूप से 1,000-रूपये             (एक हजार रूपये) इस तरह कुल-2,000-रूपये 
            कार्यवाही-व्यय के रूप में अनावेदकगण को अदा                 करे।
        (द)    परिवादी, अनावेदक-पक्ष को उक्त अदायगी आदेष
            दिनांक से तीन माह की अवधि के अंदर करेगा।


            
          मैं सहमत हूँ।                                 मेरे द्वारा लिखवाया गया।         

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
             सदस्य                                               अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी                           

           (म0प्र0)                                                (म0प्र0)

 

 

 

 


        
            

 

 

 

 

 

 

 

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