जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/2015/14
प्रस्तुति दिनांक:- 20/02/2015
पवन कुमार, उम्र 42 वर्श,
पिता स्व. लतेल राम सूर्यवंषी,
जाति सूर्यवंषी, साकिन भैसदा,
थाना व तहसील नवागढ़,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. ..................आवेदक/परिवादी
( विरूद्ध )
1. संस्था प्रबंधक,
सेवा सहकारी समिति मर्यादित अमोदा
थाना व तहसील नवागढ़
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.
2. शाखा प्रबंधक,
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित
शाखा कार्यालय जांजगीर,
थाना व तहसील जांजगीर,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.
3. शाखा प्रबंधक,
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, बिलासपुर
प्रधान कार्यालय नेहरू चैक ’’सहकार भवन’’ बिलासपुर
जिला बिलासपुर छ.ग.
4.शाखा प्रबंधक
लिबर्टी विडियोकान जनरल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड
षाखा कार्यालय 10-मंजिल, टाॅवर ए, पेनिसुला,
विजनेस पार्क, गनपत राय कदम मार्ग
लोवर पेरल मुम्बई - 400013 .........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
///आदेश///
( आज दिनांक 29/10/2015 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध परिवादी को उसके पिता स्व. लतेल राम की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. मय 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज, मानसिक क्षति व वादव्यय हेतु 25,000/-रू. दिलाए जाने हेतु दिनांक 20.02.2015 को प्रस्तुत किया है ।
2. स्वीकृत तथ्य है कि अ.परिवादी के पिता स्व. लतेल राम सूर्यवंषी अनावेदक क्रमांक 1 सेवा सहकारी समिति मर्यादित अमोदा के कृषक क्रेडिट कार्ड क्रमांक 702, सदस्यता क्रमांक 84/13 है।
ब. लतेल राम सूर्यवंषी का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा अनावेदक क्रमांक 4 बीमा कंपनी से किया गया था।
स. अनावेदक क्रमांक 4 पाॅलिसी क्रमांक 4112-400301-13- 5000030-00-000 दिनांक 08.01.2014 से दिनांक 07.01.2015 तक की अवधि के लिए जारी किया था ।
द. लतेल राम सूर्यवंषी की दिनांक 07.05.2014 को वाहन दुर्घटना में घायल हो गया, जिसका ईलाज के दौरान उसी दिन मृत्यु हो गई ।
इ. अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा लतेल राम सूर्यवंषी की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा दावा को दिनांक 20.11.2014 को बड़ी आंत के भीतर एल्कोहल पाॅइजन पाया गया के आधार पर इंकार किया गया।
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी के पिता स्व. लतेल राम ग्राम अमोदा में संचालित सेवा सहकारी समिति के उपभोक्ता क्रेडिट कार्ड धारक है, जिसका क्रेडिट क्रमांक 702, सदस्यता क्रमांक 84/13 है । परिवादी के पिता स्व. लतेल राम सेवा सहकारी समिति अमोदा में किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण का लेन देन किया करता था, जिसकी लेन देन व खातों का संचालन जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित षाखा जांजगीर द्वारा किया जाता था, उक्त बैंक द्वारा क्रेडिट कार्ड धारक किसानों के हित के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा 5,00,000/-रू. का किया गया था, जिसके लिए दिनांक 27.12.2013 को 100/-रू. बैंक के द्वारा बीमा हेतु जमा लिया गया था, जिसकी बीमा अनावेदक क्रमांक 4 लिबर्टी विडियोकान जनरल इंष्योरेंस कंपनी मुम्बई के पास किया गया था । परिवादी के पिता स्व. लतेल राम सूर्यवंषी का दिनांक 07.05.2014 की षाम चार पहिया वाहन से ठोकर लगने के कारण ईलाज के दौरान उसी दिनांक 07.05.2014 को मृत्यु हो गई, जिसके संबंध में थाना चाम्पा में अपराध क्रमांक 153/2014 दर्ज करवाया गया था। परिवादी ने उसके पिता की दुर्घटनात्मक मृत्यु उपरांत व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. दिलाए जाने का आवेदन पत्र संस्था प्रबंधक, सेवा सहकारी समिति अमोदा के पास दिनांक 06.08.2014 को प्रस्तुत किया, जिस पर सेवा समिति कार्यालय अमोदा द्वार अनावेदक क्रमांक 2 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित षाखा जाॅजगीर को दिनांक 09.08.2014 की सूचना दिया, जिसकी पावती दिनांक 25.08.2014 है तथा अनावेदक क्रमांक 2 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित जांजगीर द्वारा अनावेदक क्रमांक 3 प्रधान कार्यालय जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित बिलासपुर के पास मृतक लतेल राम की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. भुगतान किए जाने का आवेदन सहित प्रस्ताव भेजा। अनावेदक क्रमांक 3 प्रधान कार्यालय जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित बिलासपुर द्वारा अनावेदक क्रमांक 4 लिबर्टी विडियोकान जनरल इंष्योरेंस कंपनी के पास पाॅलिसी क्रमांक 4112-400301-13-5000030-00-000 बीमा धारक मृतक लतेल राम की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. प्रदान किए जाने के लिए विभागीय सूचना पत्र भेजा, जिस पर बीमा कंपनी अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा दिनांक 20.11.2014 को मृत्यु के पी.एम. रिपोर्ट में मृतक पेट के भीतर अधपचा खाना तथा बड़ी आंत की भीतरी अल्कोहल की गंध पाया गया है बताकर परिवादी के पिता की मृत्यु पर व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. प्रदान किए जाने से इंकार कर दिया । इस प्रकार परिवादी को उसके पिता की दुर्घटनात्मक मृत्यु उपरांत व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा की राषि 5,00,000/-रू. अनावेदकगण द्वारा प्रदान न कर सेवा में कमी की गई है। अतः परिवादी ने उसके पिता स्व. लतेल राम की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. मय 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज, मानसिक क्षति व वादव्यय हेतु 25,000/-रू. दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
4. अनावेदक क्रमांक 1 अनुपस्थित रहने से एकपक्षीय हुआ है।
5. अनावेदक क्रमांक 2 एवं 3 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर स्वीकृत तथ्य को छोड़ शेष तथ्यों से इंकार करते हुए कथन किया है कि अनावेदक क्रमांक 2 एवं 3 बैंक, प्रधान कार्यालय के निर्देषानुसार अपने समस्त खाता धारकों का बीमा उनके प्रचलित खाते से 100/-रू. की प्रीमियम कटौती कर दुर्घटना बीमा की है, उक्त बीमा अपने खाता धारकों के हित को देखते हुए किया गया है। बैंक के द्वारा उक्त प्रीमियम में कोई कमीषन नहीं ली गई है । इस कारण इस विषेष प्रकरण में परिवादी एवं बैंक के मध्य उपभोक्ता विवाद नहीं है। आगे यह कथन भी किया गया है कि काटी गई समस्त राषि को बैंक यथा संभव अविलंब बीमा कंपनी को भिजवा देता है। शेष कार्यवाही बीमा कंपनी के द्वारा ही की जाती है । दुर्घटना लाभ भुगतान किये जाने के संबंध में बीमा कंपनी पाॅलिसी के शर्तों के अनुसार आगे की कार्यवाही करती है, उसमें बैंक का कोई संबंध नहीं होता । इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 2 एवं 3 के द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, अतः परिवाद अनावेदक क्रमांक 2 एवं 3 के विरूद्ध निरस्त किए जाने का निवेदन किया गया है।
6. अनावेदक क्रमांक 4 ने जवाबदावा प्रस्तुत कर प्रारंभिक आपत्ति करते हुए कथन किया है कि बीमा दावे को बीमा पाॅलिसी में लिखित नियम एवं शर्तों के तहत नकारा जाना सेवा में कमी नहीं कहलाता। परिवादी के संपूर्ण परिवाद में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा परिवादी का दावा गलत तथ्यों पर नकारा गया हो अथवा दी गई सेवा में कमी की गई हो, जबकि सेवा में कोई कमी का कहीं भी कथन नहीं है । यह वाद इस माननीय फोरम में अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। अनावेदक क्रमांक 4 के द्वारा समूह व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पाॅलिसी क्रमांक 4112-400301-13-5000030-00-000 जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर अनावेदक क्रमांक 3 के नाम पर पाॅलिसी षर्त एवं दायित्वों के अंतर्गत दिनांक 08.01.2014 से दिनांक 07.01.2015 तक की अवधि के लिए जारी किया था । मृतक लतेलराम के पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से यह स्पश्ट होता है कि वह दुर्घटना के समय षराब पिए हुए था (परिवादी ने भी इस बात से अपने संपूर्ण परिवाद में इस बात से इंकार नहीं किया है) और इसी वजह से पाॅलिसी के नियम व षर्त के उल्लंघन के कारण अनावेदक क्रमांक 4 को परिवादी के प्रति कोई दायित्व नहीं बनता है । मृतक का बीमा दावा पाॅलिसी में स्पष्ट रूप से लिखित बहिप्करण तहत आता है और इसलिए अनावेदक क्रमांक 4 का आवेदक को बीमा राषि देने का कोई दायित्व नहीं बनता । यही कारण बताते हुए अनावेदक क्रमांक 4 ने परिवादी का बीमा दावा निष्कासित किया, जिसकी सूचना परिवादी को अनावेदक क्रमांक 3 के जरिए दिनांक 20.11.2014 को लिखित रूप में दी गई । इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 4 ने सेवा में कोई कमी नहीं की है, अतः परिवादी का परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया है ।
7. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
8. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
क्या लतेल राम सूर्यवंषी की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा को अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा दिनांक 20.11.2014 के पत्र द्वारा इंकार कर सेवा में कमी की गई है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न का सकारण निष्कर्ष:-
9. पक्षकारों के अभिवचन अनुसार अविवादित स्थित है कि परिवादी के पिता का अनावेदक क्रमांक 1 में बचत खाता होकर कृशक के्रडिट कार्ड का सदस्य था । दिनांक 27.12.2013 को 100/-रू. अनावेदक क्रमांक 3 बैंक द्वारा लिया जाकर उसका समूह व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा अनावेदक क्रमांक 4 लिबर्टी विडियोकान जनरल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड में कराया था। लतेल राम सूर्यवंषी की दिनांक 07.05.2014 को मोटर दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जिसके पष्चात परिवादी ने दुर्घटना बीमा की राषि हेतु आवेदन किया, जिसे अनावेदक क्रमांक 3 बैंक ने अनावेदक क्रमांक 4 को भेजा। अनावेदक क्रमांक 4 ने दिनांक 20.11.2014 को पत्र द्वारा दुर्घटना दावा देने से इंकार किया।
10. अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा दावा इंकार का पत्र दिनांक 20.11.2014 में दावा इंकार करने का आधार लतेल राम सूर्यवंषी के षव परीक्षण रिपोर्ट में आंत में अधपचा भोजन तथा बड़ी आंत में एल्कोहल की गंध पाया गया, जो बीमा की षर्त का उल्लंघन है, से प्रस्तुत दुर्घटना दावा को इंकार किया है ।
11. परिवादी की ओर से तर्क किया गया है कि दिनांक 20.11.2014 के पत्र द्वारा इंकार का आधार विधि अनुसार नहीं है, इंकार कर सेवा में कमी की गई है। बीमा अवधि में उसके पिता लतेल राम सूर्यवंषी की मृत्यु हुई है, फलस्वरूप मृतक घटना के समय अनावेदकगण का उपभोक्ता था । आवेदक मृतक का विधिक उत्तराधिकारी है, फलस्वरूप व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राषि 5,00,000/-रू. ब्याज सहित पाने का अधिकारी है ।
12. अनावेदक क्रमांक 2 एवं 3 ने जवाब के आधार पर तर्क किया है कि लतेल राम सूर्यवंषी का समूह व्यक्तिग दुर्घटना बीमा अनावेदक क्रमांक 3 के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 4 से कराया गया था । बीमा अवधि में लतेल राम सूर्यवंषी की मृत्यु हुई थी, जिसकी जानकारी दिए जाने पर बीमा राषि के लिए अनावेदक क्रमांक 4 को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था, अनावेदक क्रमांक 2 एवं 3 की क्षतिपूर्ति देने की कोई दायित्वाधीन नहीं बनती है ।
13. अनावेदक क्रमांक 4 ने तर्क किया है कि अनावेदक क्रमांक 3 के नाम पर व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा दिनांक 08.01.2014 से दिनांक 07.01.2015 तक की अवधि के लिए जारी किया गया था। मृतक के षव परीक्षण रिपोर्ट में उसके पेट में षराब पाया गया । अतः पाॅलिसी षर्त के उल्लंघन होने से दावा निरस्त किया गया । यह तर्क भी किया गया है कि परिवादी ने परिवाद पत्र में इस बात से इंकार नहीं किया है कि दुर्घटना के समय मृतक षराब पिये हुए थे। इस प्रकार मृतक दुर्घटना के समय षराब पिये हुए थे विवादित नहीं है । अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा किए बीमा पाॅलिसी की षर्तों के उल्लंघन होने से अनावेदक क्रमांक 4 का बीमा दायित्व नहीं बनता है । अनावेदक क्रमांक 4 ने बीमा पाॅलिसी की प्रति प्रस्तुत किया है।
14. प्रस्तुत बीमा पाॅलिसी की प्रति में बीमा की नियम एवं षर्त संलग्न अनुसूची में होना उल्लेखित है । संलग्न अनुसूची के भाग 3 में निम्न अनुसार उल्लेखित है:-
Part III : General Exclusions
PROVIDED ALWAYS THAT the company shall not be liable under this policy for –
1. ***************
2. ****************
3. Any claim of the Insured Person
(i) ****************
(ii) Whilst under the influence of liquor or drugs or other intoxicant ;
इस प्रकार बीमा पाॅलिसी की अनुसूची अनुसार उक्त स्थित में बीमा कंपनी द्वारा अपने दायित्व से इंकार करना उल्लेखित है ।
15. अनावेदक क्रमांक 4 की ओर से यह तर्क भी किया गया है कि परिवादी ने परिवाद में अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा किसी सेवा में कमी किए जाने का उल्लेख नहीं किया है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत आवष्यक तथ्य है । अनावेदक क्रमांक 4 के विरूद्ध सेवा में कमी स्थापित नहीं किया गया है, जिससे परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है । तर्क के समर्थन में रवनीत सिंह भग्गा विरूद्ध एम/एस.के.एल.एम. रायल डच एयरलाईंस एवं अन्य (2000) 1 ैब्ब् 66 के न्याय दृश्टांत का अवलंब लिया है।
16. जहाॅं बीमा पाॅलिसी के नियम एवं षर्त का उल्लंघन है, वहाॅं बीमा दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता सकील अहमद विरूद्ध नेषनल इंष्योरंेस कंपनी लिमिटेड एवं अन्य 2015 (2) ब्च्त् 568 (छब्), मांगे सिंह चैहान विरूद्ध न्यू इंडिया इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2014 (2) ब्च्त् 611 (छब्) में माननीय राश्ट्रीय आयोग द्वारा अभिनिर्णित किया गया है ।
17. परिवाद पत्र में अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा दिनांक 20.11.2014 को परिवादी के पिता की मृत्यु पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत व्यक्तिगत बीमा दावा को इंकार किए जाने से यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है। दिनांक 20.11.2014 को दावा इंकार किए जाने का उल्लेखित कारण गलत होने का कोई तथ्य परिवाद में उल्लेखित नहीं किया गया है । अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा जवाब दावा में परिवादी के पिता मृतक लतेल राम सूर्यवंषी की षव परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर दुर्घटना दावा को इंकार करने का अभिवचन किया है तथा उसी अनुसार तर्क किया गया है।
18. इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 4 ने बीमित व्यक्ति लतेल राम दुर्घटना के समय षराब के प्रभाव में था, परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर भी स्थापित प्रमाणित होना पाया गया है, जिसके खण्डन में कि मृतक षराब के प्रभाव में नहीं था प्रमाणित करने का भार परिवादी पर था । उक्त के संबंध में परिवादी ने षव परीक्षण करने वाले चिकित्स के परीक्षण द्वारा द्वारा षव परीक्षण रिपोर्ट में मृतक के अमाषय में पाये जाने वाले तथ्यों के संबंध में खण्डन में कोई साक्ष्य नहीं दिया है ।
19. उपरोक्त तथ्य बीमित मृतक षराब के प्रभाव में था के आधार पर अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा दिनांक 20.11.2014 को व्यक्तिगत दुर्घटना दावा को इंकार किया जाना बीमा पाॅलिसी क्रमांक 4112-400301-13- 5000030-00-000 के नियम व षर्तों के अधीन होना हम पाते हैं । उक्त अनुसार अभिलेखगत सामग्री से अनावेदक क्रमांक 4 द्वारा दिनांक 20.11.2014 के पत्र द्वारा व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा को इंकार करना सेवा में कमी की गई होना हम नहीं पाते हैं ।
20. उपरोक्त अनुसार अनावेदकगण के विरूद्ध प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य होना हम नहीं पाते हैं, तद्नुसार परिवाद निरस्त करते हैं ।
21. उभय पक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
(मणिशंकर गौरहा) (बी.पी. पाण्डेय)
सदस्य अध्यक्ष