जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, जांजगीर-चाॅपा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/33/2015
प्रस्तुति दिनांक:- 17/04/2015
गोरेलाल चंद्रा पिता चितरेखा चंद्रा
निवासी षिकारीनार,
थाना व तह. जैजैपुर,
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग. ..................आवेदक/परिवादी
( विरूद्ध )
1. प्र.संस्था प्रबंधक
सेवा सहकारी समिति मर्यादित खजुरानी
तह. व थाना जैजैपुर
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.
2. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, बिलासपुर छ.ग.
षाखा जैजैपुर, तह. व थाना जैजैपुर
जिला जांजगीर-चाम्पा छ.ग.
3. जिला सहाकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित,
बिलासपुर छ.ग. प्रधान कार्यालय, बिलासपुर
तह. व थाना बिलासपुर,
जिला बिलासपुर छ.ग. .........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
///आदेश///
( आज दिनांक 06/10/2015 को पारित)
1. परिवादी/आवेदक ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध दुर्घटना बीमा हित से संबंधित राषि 5,00,000/-रू. मय 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज तथा मानसिक व आर्थिक क्षति दिलाए जाने हेतु दिनांक 17.04.2015 को प्रस्तुत किया है ।
2. पक्षकारों के मध्य स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी के पिता चितरेखा चंद्रा पिता मुरित राम चंद्रा अनावेदक क्रमांक 1 सेवा सहकारी समिति खजुरानी का सदस्य था, सदस्यता क्रमांक 17/32 है, जिसका सन् 2013-2014 में अनावेदक क्रमांक 1 सेवा सहकारी समिति खजुरानी द्वारा 100/-रू. प्राप्त कर दुर्घटना बीमा किया गया था । आवेदक के पिता चितरेखा चंद्रा की आकस्मिक रूप से दिनांक 06.06.2014 को ग्राम नंदेली के बंधा तालाब के पार से गिर कर हो गई, जिसका मर्ग पंचनामा एवं पोस्ट मार्टम थाना जैजैपुर द्वारा कराया गया है।
3. परिवाद के निराकरण के लिए आवष्यक तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक के पिता चितरेखा चंद्रा पिता मुरित राम चंद्रा प्रति क्र. 1 सेवा सहकारी समिति मर्यादित खजुरानी तह. व थाना जैजैपुर, जिला जांजगीर चाॅंपा छ.ग. के नियति किसान थे, जिसका सदस्यता क्रमांक 17/32 है । जिनका सन् 2013-2014 के लिए सेवा सहकारी समिति मर्यादित खजुरानी द्वारा 100/-रू. काटकर दुर्घटना बीमा कराया गया था। आवेदक के पिता चितरेखा चंद्रा की आकस्मिक रूप से दिनांक 06.06.2014 को ग्राम नंदेली के बंधा तालाब के पार से गिर कर हो गई, जिसका मर्ग पंचनामा एवं पोस्ट मार्टम थाना जैजैपुर द्वारा कराया गया है। आवेदक के पिता की मृत्यु पष्चात दुर्घटना बीमा की राषि 5,00,000/-रू. प्राप्त करने बाबत दुर्घटना बीमा से संबंधित सभी आवष्यक दस्तावेज एवं औपचारिकतायें पूर्ण की, किंतु उसके बाद भी अनावेदकगण द्वारा दुर्घटना बीमा से संबंधित मुआवजा राषि का भुगतान आवेदक को नहीं की गई है। दावे के भुगतान हेतु बार बार पत्राचार भी किया गया है तथा अधिवक्ता नोटिस भी प्रेशित किया गया, किंतु अनावेदकगण द्वारा दावे का निपटारा नहीं किया गया है । इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा परिवादी के दावे का निपटारा न कर सेवा में कमी किए जाने से परिवादी को आर्थिक, मानसिक क्षति हुई । अतः परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद द्वारा अनावेदकगण से दुर्घटना बीमा हित से संबंधित राषि 5,00,000/-रू. मय 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज तथा मानसिक व आर्थिक क्षति दिलाए जाने का अनुरोध किया है।
4. अनावेदकगण ने जवाबदावा प्रस्तुत कर अविवादित तथ्य को छोड़ शेष सभी तथ्यों को इंकार करते हुए कथन किया है कि अनावेदक संस्था के द्वारा अपने सभी कृषक सदस्य जो कि समिति से खाद, बीज एवं नगद लेते हैं, का बीमा प्रधान कार्यालय के निर्देषानुसार अनिवार्य रूप से की जाती है तथा आवेदक के पिता की भी दुर्घटना बीमा किया गया था । राषि संबंधित समिति, शाखा, प्रधान कार्यालय के माध्यम से संबंधित बीमा कंपनी को प्रीमियम की राषि भिजवा दी जाती है । परिवादी द्वारा अपने पिता की मृत्य की सूचना कभी भी अनावेदकगण या बीमा कंपनी को नहीं दिया है । लम्बे समय पष्चात एक सामान्य सूचना देकर यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है । परिवादी द्वारा किसी भी प्रकार का बीमा लाभ प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र अनावेदकगण को प्राप्त नहीं हुआ है, जिसको बीमा कंपनी के पास भेज कर गुणदोष का निराकरण कराया जाता, जिसके कारण परिवादी का परिवाद अपरिपक्व है। बीमा कंपनी आवेदन प्राप्त होने पर मृत्यु के संबंध में विधिवत जाॅंच करती है, क्योंकि यह पाॅलिसी केवल दुर्घटनात्मक मृत्यु को आच्छादित करती है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज पुलिस अंतिम जाॅंच प्रतिवेदन में मृतक की मृतयु दुर्घटनात्मक न होकर स्वाभाविक होना पाया गया है । परिवादी द्वारा अत्यंत विलंब से परिवाद प्रस्तुत किया गया है । अतः अनावेदकगण ने परिवादी का परिवाद निरस्त किये जाने योग्य होने से निरस्त किए जाने का निवेदन किया गया है ।
5. परिवाद पर उभय पक्ष के अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया। अभिलेखगत सामग्री का परिषीलन किया गया है ।
6. विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
क्या अनावेदकगण ने आवेदक को दुर्घटना बीमा से संबंधित मुआवजा राषि प्रदान न कर सेवा में कमी की है ?
निष्कर्ष के आधार
विचारणीय प्रष्न का सकारण निष्कर्ष:-
7. परिवादी/आवेदक ने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना षपथ पत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेज अनावेदकगण को भेजी गई रजिस्टर्ड नोटिस, डाक रसीद की मूल प्रति एवं जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित बिलासपुर प्रधान कार्यालय का पत्र दिनांक 06.02.2014, पुलिस थाना जैजैपुर में मर्ग क्रमांक 16/2014 दिनांक 06.06.2014, नक्षा पंचायतनामा दिनांक 07.06.2014, चितरेखा चंद्रा के षव परीक्षण के लिए आवेदन दिनांक 07.06.2014, षव परीक्षण प्रतिवेदन दिनांक 07.06.2014, चितरेखा चंद्रा का मृत्यु प्रमाण पत्र दिनांक 15.06.2014, थाना जैजैपुर का अंतिम जाॅंच प्रतिवेदन दिनांक 08.12.2014, सेवा सहकारी समिति मर्यादित खजुरानी का प्रमाण पत्र दिनांक 04.02.2015, चितरेखा पिता गोरेलाल का जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित में सेविंग बैंक खाता सभी की फोटोप्रति प्रस्तुत किया है।
8. अनावेदक क्रमांक 1 ने जवाबदावा के समर्थन में हेमलाल चंद्रा आ. माहनलाल चंद्रा प्रभारी संस्था, प्रबंधक सेवा सहकारी समिति खजुरानी तह. जैजैपुर, जिला जांजगीर चाॅपा का शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
9. परिवादी ने उसके पिता की दिनांक 06.06.2014 को ग्राम नंदेली के बंधा तालाब के पार से गिर कर आकस्मिक मृत्यु होना बताया है, जिसकी पुश्टि उसके द्वारा प्रस्तुत थाना जैजैपुर का मर्ग 16/14 दिनांक 06.06.2014, पंचायतनामा दिनांक 07.06.2014 तथा मृत्यु प्रमाण पत्र दिनांक 15.06.2014 एवं अंतिम जांच रिपोर्ट दिनांक 08.12.2014 (दस्तावेज सूची में 06.06.2014 उल्लेखित) से होती है ।
10. परिवादी ने उसके पिता चितरेखा चंद्रा का अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा 5,00,000/-रू. का दुर्घटना बीमा के लिए 100/-रू. काट कर किया गया था बताया है, जिसके लिए अनावेदक क्रमांक 1 द्वारा किया दिया गया प्रमाण पत्र दिनांक 04.02.2015 प्रस्तुत किया है, जिसका समर्थन अनावेदगण द्वारा किया गया है ।
11. इस प्रकार चितरेखा चंद्रा की दुर्घटना में मृत्यु होने पर दुर्घटना बीमा अनुसार बीमा राषि चितरेखा चंद्रा के विधिक उत्तराधिकारी दुर्घटना दावा प्रस्तुत करने पर प्राप्त करने पर प्राप्त करते।
12. आवेदक ने अनवेदक क्रमांक 1 एवं 2 को दुर्घटना बीमा से संबंधित सभी आवष्यक दस्तावेज एवं औपचारिकताओ को पूर्ण करना परिवाद की कंडिका 3 में बताया है, जिसे अनावेदकगण ने इंकार किया है तथा बताया है कि अनोदकगण के समक्ष परिवादी ने उसके पिता की दुर्घटना में मृत्यु होने की जानकारी देकर मृत्यु दावा प्रस्तुत नहीं किया है, सामान्य नोटिस दिए जाने पष्चात यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है तथा बीमा कंपनी को भी पक्षकार नहीं बनाया है ।
13. प्रकरण अंतर्गत परिवादी की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों से परिवादी ने उसके पिता चितरेखा चंद्रा की दुर्घटना में मृत्यु हुई है बताकर अनावेदक क्रमांक 1 एवं 2 को दुर्घटना बीमा से संबंधित सभी आवष्यक दस्तावेज एवं औपचारिकताओं को पूर्ण किया था दर्षाने के लिए कोई दस्तावेज एवं औपचारिकताओं का कोई प्रमाण इस फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे अनावेदकगण के पक्ष कथन को बल मिलता है कि अनावेदकगण के समक्ष परिवादी ने उसके पिता की दुर्घटना में मृत्यु होने की जानकारी अंतर्गत मृत्यु दावा प्रस्तुत नहीं किया है।
14. परिवाद पत्र एवं संलग्न दस्तावेजों से परिवादी ने चितरेखा चंद्रा का दुर्घटना बीमा की राषि प्राप्त करने के लिए अनावेदकगण को पंजीकृत नोटिस दिनांक 18.02.2015 प्रस्तुत किया है, जिसके साथ भी अनावेदकगण को दुर्घटना बीमा से संबंधित आवष्यक दस्तावेज संलग्न नहीं किया गया है ।
15. प्रस्तुत परिवाद द्वारा आवेदक/परिवादी ने उसके पिता चितरेखा च्रद्रा की दुर्घटना में मृत्यु होना बताते हुए दुर्घटना बीमा की राषि ब्याज सहित अनावेदकगण से दिलाने की प्रार्थना किया है । परिवाद के समर्थन में चितरेखा चंद्रा की मर्ग सूचना दिनांक 06.06.2014, नक्षा पंचायतनामा, षव परीक्षण के लिए आवेदन एवं षव परीक्षण की रिपोर्ट दिनांक 07.06.2014 से चितरेखा चंद्रा की मृत्यु दुर्घटनात्मक (एक्सिडेंटल) या चितरेखा चंद्रा की मृत्यु दुर्घटना के कारण होना प्रमाणित नहीं हुआ है । परिवादी ने उक्त संबंध में किसी चिकित्सक का अन्य किसी प्रत्यक्षदर्षी का परीक्षण भी नहीं कराया है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि चितरेखा चंद्रा की मृत्यु दुर्घटना के कारण हुई है, बल्कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत एवं अवलंब दस्तावेज (सरल क्रमांक 11 साक्ष्य सूची में) थाना जैजैपुर का मर्ग क्रमांक 16/14 में अंतिम जांच प्रतिवेदन में पैरा के अंतिम भाग में ’’मृतक की मौत स्वभाविक होना पाया गया है, किसी प्रकार की कोई षंका, षुभा जाहिर नहीं पाया गया’’ उल्लेखित है । षव परीक्षण रिपोर्ट में मृत्यु के कारण का निष्चित राय चिकित्सक द्वारा नहीं दिया गया है न ही मृत्यु की प्रकृति का उल्लेख किया गया है । उपरोक्त स्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों से ही परिवादी के पिता चितरेखा चंद्रा की मृत्यु स्वभाविक होना (छंजनतंस क्मंजी) उल्लेखित है । इस प्रकार परिवादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी प्रमाण से उसके पिता चितरेखा चंद्रा की मृत्यु दुर्घटना में हुई है या मृत्यु की प्रकृति दुर्घटनात्मक है प्रमाणित नहीं हुआ है, जिससे दुर्घटना बीमा अंतर्गत मृतक के उत्तराधिकारियों को पाने हेतु वादकारण उत्पन्न नहीं हुआ है । उक्त आधार पर अनावेदकगण का पक्ष कथन स्वीकार करने योग्य है कि उनके विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है ।
16. उपरोक्तानुसार हम पाते हैं कि अनावेदगण ने आवेदक के विरूद्ध सेवा में कोई कमी नहीं की है ।
17. उपरोक्तानुसार हम अनावेदगण की विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर प्रस्तुत यह परिवाद स्वीकार करने योग्य नहीं है, फलस्वरूप निरस्त किए जाने योग्य पाते हुए निरस्त करते हैं ।
18. उभय पक्ष अपना-अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( श्रीमती शशि राठौर) (मणिशंकर गौरहा) (बी.पी. पाण्डेय)
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