Rosamma T.J. filed a consumer case on 25 Jun 2015 against Senior Central Manager, Bhartiya Jeevan Beema Nigam in the Kota Consumer Court. The case no is CC/221/2010 and the judgment uploaded on 16 Jul 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
पीठासीन:
अध्यक्ष : नंद लाल शर्मा
सदस्या ः हेमलता भार्गव
प्रकरण संख्या-221/10
श्रीमती रोसम्मा टी जे पत्नी के ओ इब्राहिम आयु 48 साल जाति ईसाई निवासीनी 99-बी, कृष्णा नगर अटवाल काम्पलेक्स, बजरंग नगर, कोटा राजस्थान। -परिवादिया।
बनाम
01. भारतीय जीवन बीमा निगम, जरिये वरिष्ठ मंडल प्रबंधक, रानार्ड मार्ग, अजमेर।
02. एल आई सी हाउसिंग फाइनेनस लि0, एल आई सी बिल्डिंग, अलवेर गेट, अजमेर। -अप्रार्थीगण
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1. श्री विजय सिंघल, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2 श्री एम पी मित्तल, अधिवक्ता, अप्रार्थी सं..1 की ओर से।
3. अप्रार्थी सं.2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
निर्णय दिनांक 25.06.2015
परिवादी ने परिवाद इस जिला मंच में पेश किया उसमें अंकित किया कि उसने अप्रार्थी सं. 1 से पालिसी सं. 184429979 मनीबेक स्कीम के तहत ली थी। अप्रार्थीगण ने परिवादिया को दिनांक 17.12.04 को 30,000/- रूपये जारी किया। दिनांक 27.01.09 को 30,000/- रूपये जारी किया, जिसे अप्रार्थी सं. 1 ने दिनांक 28.01.09 को परिवादिया के हाउसिंग फाईनेन्स लोन के खाता सं. 21006382 में जमा करने के लिये अप्रार्थी सं. 2 को भेज दिया, जिसकी जानकारी दिनांक 16.12.09 को कोटा ब्रांच से प्राप्त स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है। परिवादिया ने उक्त संबंध में जानकारी चाही तो अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादिया के लोन खाते में जमा करना बताया परन्तु परिवादिया ने अपने लोन खाते को देखा तो उस खाते में उक्त राशि नहीं दर्शा रखी। परिवादिया ने अप्रार्थी सं. 1 के अधिकारियों से उक्त राशि उसके लोन खाते में दर्शाने तथा 30,000/- रूपये का निस्तारण करने के लिये कहा परन्तु किसी भी अधिकारी ने कोई ध्यान नहीं दिया। अप्रार्थी द्वारा दिनांक 02.03.09 को पत्र जारी कर परिवादिया के लोन खाते में 12 किस्तों के 12 पोस्ट डेटेड चैक जमा करने हेतु लिखा गया, जो 05.03.09 से .5.02.10 तक की अवधि के लिये प्रस्तुत किये जाने थे, परिवादिया द्वारा उक्त पोस्ट डेटड चैक एल आई सी में जमा करा दिये , इसके बावजूद जनवरी 2010 व फरवीर 2010 की लोन किस्ते जमा नहीं होने के संबंध में अप्रार्थी सं. 2 द्वारा कोई सूचना पत्र परिवादिया को प्रेषित नहीं किया गया। परिवादिया को यह भी जानकारी मिली उसकी तीन किश्त ड्यू हो गई है। परिवादिया ने उक्त तीन किस्तो की राशि 11,650/- रूपये दिनांक 17.03.10 को जनवरी10 से फरवरी 10 जमा कराये। परिवादिया को अप्रार्थी सं. 2 द्वारा पोस्ट डेटेड चैक समाप्त होने की सूचना नही दी और बिना कोई सूचना के डिफाल्टर बना कर एकाउन्ट का ट्रेक रिकार्ड जानबूझकर खराब किया। अप्रार्थी सं. 1 ने पालिसी में परिवादियाका पता अप्रार्थी सं0 2 एल आई सी होम फाईनेन्स का दिया गया जबकि उक्त पोलिसी मे प्रार्थिया का निवास का पता अंकित किया जाना चाहिये था और इसी कारण अप्रार्थी सं. 1 द्वारा मनमाने तरीके से उक्त पालिसी का मनीबेक का चैक, अप्रार्थी सं. 2 को भेज दिया। जिनके द्वारा उक्त राशियां परिवादिया के लोन खाते में जमा नहीं की गई। अप्रार्थी सं. 2 ने परिवादिया को डिफाल्टर बनाने के लिये पोस्ट डेटेड चैक समाप्त होने की सूचना नहीं देकर व किस्तो का अतिरिक्त चार्ज लेकर परिवादिया की सेवा में कमी की है। परिवादिया उक्त 30,000/- रूपये का उपभोग नहीं कर पाई और यदि उक्त राशि परिवादिया के लोन एकाउन्ट में जमा होती तो वह डिफाल्टर नहीं होती। अप्रार्थीगण परिवादिया के लोन खाते में 30,000/- रूपये की राशि जमा करे, तथा इस राशि पर दिनांक 28.01.09 से ताअदागयी 12 प्रतिशत ब्याज अदा करे, पालिसी पर निवास का पता अंकित कर परिवादिया को सूचित करे तथा जनवरी 10 से मार्च 10 तक की किस्त में लिये गये अतिरिक्त चार्ज की राशि 135/- रूपये वापस लौटाये। परिवादी को अप्रार्थीगण मानसिक क्षति की राशि, परिवाद खर्चा दिलवाया जावे।
अप्रार्थी सं. 1 ने परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुये जवाब पेश किया उसमें परिवाद के मूल तथ्यों को अस्वीकार करते हुये स्पष्ट किया कि परिवादिया ने अप्रार्थी सं. 1 के यहाॅ कोई पोस्ट डेटेड चैक जमा नहीं करवाये। परिवादिया की शिकायत अप्रार्थी सं. 2 से है जिससे उसने लोन लिया है। अप्रार्थी सं. 1 व 2 अलग-अलग यूनिटें है। परिवादिया ने अप्रार्थीसं. 1 से न तो कभी लोन लिया और ना कोई पोस्ट डेटेड चेक्स दिये। अप्रार्थी सं. 1 आवश्यक पक्षकार नहीं होने के बावजूद भी उसे पक्षकार बनाया गया है। परिवादिया अप्रार्थी सं.1 से किसी भी प्रकार की राहत पाने की अधिकारणी नहीं है।
दिनांक 29.03.11 को अप्रार्थी सं. 2 का जवाब बंद किया गया।
उपरोक्त अभिकथनों के आधार पर बिन्दुवार हमारा निर्णय निम्न प्रकार हैः-
01. आया परिवादिया अप्रार्थीगण की उपभोक्ता है ?
परिवादी के परिवाद, शपथ-पत्र, बीमा पालिसी से परिवदिया, अप्रार्थीगण की उपभोक्ता है।
02. आया अप्रार्थीगण ने सेवा दोष किया है ?
परिवादिया व अप्रार्थी सं.1 की बहस सुनने और पत्रावली में उपलब्ध दस्तावेजी रेकार्ड का अवलोकन किया गया तो स्पष्ट हुआ कि जहाॅ तक परिवादिया ने पालिसी में परिवादिया के निवास का पता अंकित नहीं किये जाने का तर्क है, परिवादिया को स्वयं को पालिसी प्राप्त हो गई थी तो उसको स्वयं को ही सक्रिय रहना चाहिये था और समय पर पालिसी में अपने निवास का पता अंकित करवाना चाहिये था, इस बिन्दु पर लापरवाही स्वयं परिवादिया की है, न कि अप्रार्थी सं. 1 की, इसके अलावा भी पालिसी का संबंध लोन एकाउन्ट से था और लोन एकाउन्ट का ही पैसा जमा करने के लिये यदि पता में कोई परिवर्तन कर दिया तो यह सेवा दोष की श्रेणी में नहीं आता।
जहाॅ तक सवाल 30,000/- रूपये जमा करने का है उभय पक्षो को सुनने व रेकार्ड से यह तथ्य प्रमाणित होता है कि अप्रार्थी सं.1 ने 30,000/- रूपये अप्रार्थी सं. 2 के लिये परिवादिया के खाते में जमा कराने के लिये डेविड कर दिये थे, लेकिन अप्रार्थी सं.2 ने यह पैसा उसके खाते में डेविट नहीं किया तो इसमें अप्रार्थी सं.1 का क्या दोष है। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी सं. 2 ने इस बिन्दु पर कोई दस्तावेजी या मौखिक साक्ष्य भी पेश नहीं की है, इसलिये इस बिन्दुं पर अप्रार्थी सं.2 का सेवा दोष प्रमाणित पाया जाता है।
जहाॅ तक अप्रार्थी सं. 2 ने यह पैसा जमा नहीं किया है, इसलिये परिवादिया से 145/- रूपये का अतिरक्त चार्ज लिया, यह भी अप्रार्थी सं. 2 का ही सेवा दोष प्रमाणित पाया जाता है। पोस्ट डेटेड चैक के बारे में परिवादिया ने किसी प्रकार की कोई प्राप्ति रसीद पेश नहीं की है, इसलिये इस बारे में अप्रार्थी सं. 1 का यह कथन कि उसे पोस्ट डेटड चैक नहीं दिये और ना ही वह चैक उसने प्राप्त किये है, इस संबंध में अप्रार्थी सं. 1 का कोई सेवा दोष प्रमाणित नहीं है।
03. अनुतोष ?
अप्रार्थी सं. 1 का कोई सेवा दोष नहीं है तथा अप्रार्थी सं.2 का सेवादोष पाये जाने पर परिवादिया, पेनल्टी राशि 145/- रूपये अप्रार्थी सं. 2 से प्राप्त करने की अधिकारणी है तथा जिस दिनांक से 30,000/- रूपये अप्रार्थी सं. 2 को प्राप्त हुये उससे जिस दिनांक को अप्रार्थी सं. 2 ने वह पैसा अप्रार्थी सं. 2 ने लोन एकाउन्ट में जमा किया है, इस अवधि का 30,000/- रूपये पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी परिवादिया अप्रार्थी सं. 2 से प्राप्त करने की अधिकारणी है। मानसिक संताप व परिवाद खर्च की राशि भी परिवादिया अप्रार्थी सं. 2 से प्राप्त करने की अधिकारणी है।
परिवादिया का परिवाद अप्रार्थीसं. 2 के खिलाफ आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादिया श्रीमती रोसम्मा टी.जे. का परिवाद अप्रार्थी सं. 2 के खिलाफ आंशिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि:-
01. अप्रार्थी सं.2, परिवादिया को पेनल्टी राशि 145/- रूपये तथा जिस दिनांक से 30,000/- रूपये अप्रार्थी सं. 2 को प्राप्त हुये, उससे जिस दिनांक को अप्रार्थी सं. 2 ने वह पैसा, परिवादिया के लोन एकाउन्ट में जमा किया है, इस अवधि का 30,000/- रूपये पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी अदा करे।
02. अप्रार्थी सं. 2 परिवादिया को 2,000/- रूपये अक्षरे दो हजार रूपये मानसिक क्षति, 2,000/- रूपये, अक्षरे दो हजार रूपये परिवाद खर्च के अदा करे।
03. अप्रार्थी सं.2 आदेश की पालना निर्णय की दिनांक से दो माह के अंदर करे।
04. अप्रार्थीसं. 1 के विरूद्ध परिवादिया का परिवाद खारिज किया जाता है।
(हेमलता भार्गव) ( नंद लाल शर्मा)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
निर्णय आज दिनंाक 25.06.15 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोष मंच, कोटा। प्रतितोष मंच, कोटा।
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