मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(जिला उपभोक्ता फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-600/2013 में पारित निर्णय दिनांक 08.07.2022 के विरूद्ध)
अपील संख्या-1090 /2023
कोमल रेडू ..अपीलार्थी
बनाम्
सीमा गोयल एवं अन्य। ...प्रत्यर्थी
समक्ष:-
मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार अध्यक्ष ।
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य ।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अविरल राज सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं
दिनांक 28.05.2024
मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या- 600/2013 में पारित निर्णय दिनांक 08.07.2022 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
संक्षेप में, परिवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि विपक्षी बालों की देखभाल की सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में हैं। शिकायतकर्ता ने स्थायी बाल हटाने के उपचार के लिए प्रतिवादी से संपर्क किया क्योंकि दो महीने के बाद उसका विवाह तय हो गया था। विपक्षी ने अनुभवी लेजर तकनीशियनों की देखरेख में अपने नोएडा क्लिनिक में सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने का आश्वासन दिया और शिकायतकर्ता से 99,000/- रुपये उपचार हेतु लिये।
उपचार प्रक्रिया के दौरान शिकायतकर्ता को अपनी पूरी पीठ और पैरों पर गंभीर खुजली महसूस हुई, जहां उसका लेजर उपचार से ऑपरेशन किया गया। उपचार के बाद शिकायतकर्ता के पैर, जले के निशान और फफोले से भर गए। शिकायतकर्ता का कथन है कि विपक्षीगण के तकनीकी कर्मचारी की ओर से लापरवाही बरती गयी है अत: क्षतिपूर्ति हेतु जिला मंच के समक्ष वाद योजित किया गया।
विद्वान जिला आयोग द्धारा दिनांक 08.07.2022 को निम्न आदेश पारित किया गया :-
‘’ पत्रावली पेश हुई। पुकार कराई गयी। परिवादी अनुपस्थित है। परिवादी पिछली कई तिथ्यिों से उपस्थित नहीं आ रहा है। अत: परिवादी का परिवाद परिवादी की अनुपस्थिति में खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।‘’
उक्त आदेश को रिकाल करने हेतु पुन: परिवादी ने जिला आयोग के समक्ष 16.01.2023 को प्रकीर्ण वाद प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जिस पर दिनांक 01.03.2023 को विद्धान जिला आयोग द्धारा निम्न आदेश पारित किया गया :-
‘’ परिवादी द्धारा प्रस्तुत पुनर्विलोकन प्रार्थना पत्र दिनांकित 01.08.2022 अंतर्गत धारा-40 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 को सुना गया तथा मूल परिवाद सम्बन्धी पत्रावली का विधिवत अवलोकन कियागया। मूल पत्रावली से स्पष्ट है कि पत्रावली दिनांक 18.08.2021 से लगातार साक्ष्य वादी में गतिमान रही है परन्तु वादी द्धारा न तो साक्ष्य दाखिल किया गया और न ही विभिन्न तिथियों पर उपस्थित होकर उसका समुचित कारण दर्शित किया गया। तदोपरांत परिवाद साक्ष्य न दाखिल करने व अनुपस्थिति में दिनांक 08.07.2022 को निरस्त किया गया। धारा-40 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत इस आयोग को अपने ही आदेश को पुनर्विलोकित करने की प्राधिकारिता प्राप्त नहीं है जब तक कि कोई अभिलेखीय त्रुटि स्पष्ट रूप से परिलक्षित न हो। अत: उपरोक्त आधार पर परिवादी का प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाता है। वाद आवश्यक कार्यवाही पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।‘’
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भलीभांति परिशीलन किया गया।
उक्त के संबंध में जिला आयोग द्धारा दिनांक 25.11.2021, 07.01.2022, 14.02.2022, 25.03.2022, 05.05.2022 तथा 07.06.2022 के आदेशिका का परिशीलन किया गया।
जिला आयोग द्धारा आदेशिका में दिनांक 25.11.2021 को अधिवक्तागण के न्यायिक कार्य से विरत होने का उल्लेख किया गया है। दिनांक 07.01.2022 को कोरम अपूर्ण होने का उल्लेख किया गया है तथा दिनांक 14.01.2022 को वादी के अनुपस्थित होने का उल्लेख किया गया है। पुन: दिनांक 25.03.2022 व 05.05.2022 को अधिवक्तागण के न्यायिक कार्य से विरत होने का उल्लेख किया गया है। ऐसे में आदेश दिनांक 08.07.2022 में जिला मंच द्धारा यह निष्कर्ष देना कि पिछली कई तिथियों से परिवादी अनुपस्थित है, न्यायिक रूप से एवं पत्रावली पर उपलब्ध आदेश फलक के परिशीलनोपरान्त उचित नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि जिला मंच ने उसे सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया जिससे उसे अपूर्णनीय क्षति हुयी है। यह निर्विवाद है कि जिला मंच ने अपीलार्थी की अनुपस्थिति में परिवाद को खारिज किया है।
हमारी राय में परिवाद के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए अपीलार्थी को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का एक अवसर प्रदान किया जाना उचित होगा।
तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश निरस्त करते हुये विद्धान जिला आयोग को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवाद संख्या 600/2013 को मूल नम्बर पर पुर्नस्थापित करते हुये उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुये प्रकरण का निस्तारण विधि अनुसार यथाशीघ्र सुनिश्चित करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
रंजीत, पी.ए.
कोर्ट नं.-01