Final Order / Judgement | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि विपक्षी से उसे शेयरों की धनराशि अंकन 9,10,016/- रूपया ब्याज सहित दिलाई जाय। क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/-रूपया, अधिवक्ता फीस की मद में 10,000/- रूपया तथा परिवाद व्यय और अन्य खर्चों की मद में 75,000/- रूपया परिवादी ने अतिरिक्त मांगे है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार है कि परिवादी के पिता स्वर्गीय श्री शिव नन्दन लाल भटनागर ने वर्ष 1960 में विपक्षीगण से 100/- रूपया फेस वैल्यू के 3 क्यूमुलेटिव रिडीमेबिल प्रीफिरेन्स शेयर खरीदे थे। वर्ष 1970 में परिवादी के पिता का स्वर्गवास हो गया। ये शेयर दिनांक 31/12/1977 और दिनांक 15/6/1993 को रिडीम हो चुके हैं। उनकी राशि अंकन 9,10,016/- रूपया हो गई है। इन शेयरों के ओरिजनल सर्टिफिकेट खो गऐ। परिवादी ने शेयरों की रकम लेने के लिए बार-बार विपक्षी सं0-1 से सम्पर्क किया तो विपक्षी सं0-1 ने परिवादी को सूचित किया कि वह अपने नाम से कोर्ट का सक्सेशन सर्टिफिकेट कानूनी प्रक्रिया के अनुसार विपक्षी सं0-1 को भेजे। वर्ष 2001 में परिवादी ने कोर्ट से अपने नाम सक्सेशन सर्टिफिकेट बनवाया और इन्डेमनिटी वॉड के साथ दिनांक 10/7/2001 को उसे विपक्षी को भेज दिया जो विपक्षी को प्राप्त हो गया। दिनांक 01/11/2001 के पत्र द्वारा परिवादी को सूचित किया गया कि उसका चैक तैयार हो रहा है जिसे कुछ दिनों में भेज दिया जायेगा। परिवादी लगातार विपक्षी को पत्र भेजता रहा, किन्तु उसको शेयरों का पैसा नहीं दिया गया। परिवादी ने दिनांक 18/1/2011 को अपने अधिवक्ता द्वारा विपक्षी को कानूनी नोटिस भी भिजवाया, किन्तु उसका भी कोई जबाव नहीं दिया गया। परिवादी ने उक्त कथनों के आधार परिवाद योजित करते हुऐ परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/5 दाखिल किया।
- परिवाद के साथ परिवादी ने विपक्षी सं0-1 को भिजवाऐ गऐ कानूनी नोटिस, नोटिस भेजे जाने की डाकखाने की रसीद और परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित शेयरों की धनराशि प्राप्त करने हेतु परिवादी एवं विपक्षी के मध्य हुऐ पत्राचार की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया। यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/8 लगायत 3/20 हैं।
- विपक्षी सं0-1 के सचिव श्री एस0 प्रकाश के शपथ पत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/4 दाखिल हुआ जिसमें यह तो स्वीकार किया गया कि स्वर्गीय शिव नन्दन लाल भटनागर ने वर्ष 1960 में उत्तरदाता विपक्षी सं0-1 से 100/- रूपया फेस वैल्यू के 3 क्यूमुलेटिव रिडीमेबिल प्रीफिरेन्स शेयर लिये थे और यह शेयर दिनांक 31/12/1977 एवं दिनांक 15/6/1993 को रिडीम हो गये हैं, किन्तु शेष परिवाद कथनों से इन्कार किया गया। विशेष कथनों में कहा गया कि परिवादी के यह कथन असत्य हैं कि परिवाद में उल्लिखित शेयरों की रिडिमपशन राशि 9,10,016/- रूपया हो गई है। अग्रेत्तर कथन किया गया है कि परिवादी उत्तरदाता विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है क्योंकि उसने उत्तरदाता से शेयर नहीं खरीदे, फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है बल्कि विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सेबी को है। उक्त कथनों के आधार पर परिवाद को सवयय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
- परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/3 दाखिल किया। विपक्षी सं0-1 की ओर से उनके सचिव श्री एस0 प्रकाश ने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-14/1 लगायत 14/3 दाखिल किया।
- प्रत्युत्तर में परिवादी द्वारा प्रत्युत्तर शपथ पत्र कागज सं0-16/1 दाखिल किया।
- विपक्षी सं0-1 ने सूची कागज सं0-24/1 के माध्यम से परिवादी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 16/3/2015, पत्र दिनांकित 02/2/2012, दिनांक 02/2/2012 के पत्र के साथ परिवादी को भेजे गऐ 433/-रूपये के डिमांड ड्राफ्ट, इस पत्र को भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, परिवादी द्वारा दिनांक 10/1/2012, वर्ष 1977, एवं वर्ष 1993 में रिडीम हुऐ शेयरों के नोटिस की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-24/2 लगायत 24/8 हैं।
- हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने परिवाद में उल्लिखित कथनों पर बल देते हुऐ हमारा ध्यान परिवाद के साथ दाखिल प्रपत्रों कागज सं0-3/10 लगायत 3/20 की ओर आकर्षित किया और तर्क दिया कि बार-बार अनुरोध करने और विपक्षी की अपेक्षानुसार न्यायालय के सक्सेशन सर्टिफिकेट और इन्डेमनिटी वाण्ड वर्ष 2001 में विपक्षी सं0-1 को उपलब्ध करा दिऐ जाने के बावजूद विपक्षीगण ने परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित शेयरों की धनराशि परिवादी को अदा नहीं की, तब मजबूर होकर परिवादी को वर्ष 2011 में यह परिवाद योजित करना पड़ा, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- प्रत्युत्तर में विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने हमारा ध्यान परिवादी को भेजे गऐ पत्र दिनांकित 2/2/2002 जो पत्रावली का कागज सं0-24/3 है, की ओर विशेष रूप से आकर्षित किया और कहा कि परिवादी के पिता ने जो 3 शेयर वर्ष 1960 लिये थे उनकी प्रत्येक की फेस वैल्यू 100/- रूपया थी और ये रिडीमेबिल शेयर थे इनमें से एक शेयर 31 दिसम्बर, 1977 को और दो शेयर 15 जून,1993 को रिडीम हो गऐ थे। इन तीनों शेयरों पर 132/-रूपया 91 पैसे डिविडेन्ड बना। तीनों शेयरों की फेस वैल्यू 300/-रूपया और इन पर बने डिविडेन्ड 132/- रूपया 91 पैसे को जोड़कर राउन्ड आफ करते हुऐ 433/-रूपया का डिमांड ड्राफ्ट (फोटो कापी पत्रावली का कागज सं0-24/4) परिवादी को दिनांक 03/2/2012 को डाक द्वारा भेजा जा चुका है और इस तरह विपक्षी की ओर परिवादी की कोई धनराशि बकाया नहीं है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि विपक्षी ने सेवा प्रदान करने में कोई त्रुटि अथवा कमी नहीं की। उनका यह भी कथन है कि शेयर परिवादी के पिता के नाम थे जिनका वर्ष 1970 में स्वर्गवास हो गया, यह शेयर परिवादी के पिता की मृत्यु के उपरान्त रिडीम हुऐ थे। रिडम्पशन राशि प्राप्त करने में देरी परिवादी के स्तर से हुई है क्योंकि उसके स्वयं के अनुसार घर बदलने में ओरिजनल शेयर खो गऐ थे।
- यह सही है कि परिवादी के पिता द्वारा वर्ष 1960 में खरीदे गऐ थे। इनमें से एक शेयर वर्ष 1977 में और दो शेयर वर्ष 1993 में रिडीम हो गऐ था जैसा कि परिवादी द्वारा दाखिल रिडम्पशन नोटिस की नकल कागज सं0-3/15 और 3/16 के अवलोकन से प्रकट है। परिवादी का स्वयं का कथन है कि ओरिजनल शेयर सर्टिफिकेट खो गऐ थे। परिवादी ने अपने नाम सक्सेशन सर्टिफिकेट और इन्डेमिनटी वांड विपक्षी को वर्ष 2001 में भेजे। इस प्रकार वर्ष 2011 तक की देरी का उत्तरदायित्व परिवादी का है।
- कागज सं0-3/19 के अवलोकन से प्रकट है कि विपक्षी सं0-1 ने दिनांक 01/11/2001 के पत्र द्वारा परिवादी को सूचित किया था कि रिडम्पशन राशि का चैक कुछ ही दिनों में परिवादी को भेज दिया जाऐगा तब से परिवादी परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि तक प्रतीक्षा करता रहा, किन्तु विपक्षीगण ने परिवादी को चैक नहीं भेजा तब मजबूर होकर परिवादी ने वर्ष, 2011 में यह परिवाद योजित किया। विपक्षीगण की ओर से दाखिल पत्र कागज सं0-24/3 के अवलोकन से प्रकट है कि रिडम्पशन राशि का चैक परिवादी को इस परिवाद की सुनवाई के दौरान भेजा गया। वर्ष, 2001 से परिवाद योजित करने की तिथि तक चैक परिवादी को न भेजे जाने का कोई कारण विपक्षी ने नहीं बताया। प्रकट है कि यह देरी विपक्षीगण के स्तर से हुई जिसके लिए परिवादी को उत्तरदाई नहीं ठहराया जा सकता। इस देरी के लिए परिवादी को हम क्षतिपूर्ति के रूप में विपक्षी सं0-1 से एकमुश्त 3000/-रूपया दिलाया जाना न्यायोचित समझते हैं।
- अब प्रश्न यह रह जाता है कि शेयरों की रिडम्पशन धनराशि कितनी थी ?
- परिवाद के पैरा सं0-1 में परिवादी ने राशि 9,10,016/- रूपया होना बताई है। सिविल जज, मुरादाबाद के न्यायालय में सक्सेशन सर्टिफिकेट बनवाने हेतु दिऐ गऐ शपथ पत्र में परिवादी द्वारा यह धनराशि 91,016/- रूपया लिखी है। सक्सेशन सर्टिफिकेट भी 91,016/-रूपया का बना जैसा कि सक्सेशन सर्टिफिकेट कागज सं0-3/18 से प्रकट है। परिवादी ने किसी भी स्टेज पर यह स्पष्ट नहीं किया कि रिडम्पशन की राशि उसने किस आधार पर आगणित की है। रिडम्पशन नोटिस की नकल कागज सं0-3/15 के अवलोकन से स्पष्ट है कि विपक्षी सं0-1 द्वारा जारी किऐ गऐ रिडीमेबिल शेयरों की संख्या-91,016/- रूपया थी। कदाचित शेयरों की संख्या से भ्रमित होकर परिवादी ने सक्सेशन सर्टिफिकेट में और अपने शपथ पत्र कागज सं0-3/14 में शेयरों की रिडम्पशन राशि 91,016/- रूपया अंकित कर दी। ऐसा लगता है कि टंकणीय त्रुटि के कारण परिवाद के पैरा सं0-1 में ‘’ 91,016 ’’ के स्थान पर 910016 टाइप हो गया। स्पष्ट है कि परिवाद के पैरा सं0-1 में उल्लिखित तीनों शेयरों की रिडम्पशन राशि न तो 91,016/- रूपया थी और न यह राशि 9,10,016/- रूपया है अपितु रिडम्पशन राशि 432/- रूपया 91 पैसा थी जैसा कि विपक्षी के पत्र कागज सं0-24/3 में उल्लेख है और यह राशि परिवादी को डिमांड ड्राफ्ट द्वारा भेज दी गयी है।
- विपक्षीगण की ओर से एक तर्क यह दिया गया कि परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता नहीं है। हम इस तर्क से सहमत नहीं हैं। परिवादी ने अपने पिता के विधिक प्रतिनिधि की हैसियत से यह परिवाद योजित किया है। शेयर परिवादी के पिता ने खरीदे थे वे विपक्षीगण के उपभोक्ता थे। विधिक प्रतिनिधि के रूप में परिवादी विपक्षीगण का विधानत: उपभोक्ता है।
- विपक्षीगण का यह भी तर्क है कि उपभोक्ता फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है उनका यह तर्क भी स्वीकार किऐ जाने योग्य नहीं है क्योंकि विधानत: परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है अत: फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है।
- जैसा कि हमने ऊपर कहा है कि वर्ष, 2001 के बाद रिडम्पशन राशि भेजने में हुई देरी का उत्तरदाई विपक्षी सं0-1 है और इस देरी के लिए हमने परिवादी को दिलाई जाने वाली क्षतिपूर्ति 3000/-रूपया निर्धारित की है अत: परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में 3000/- (तीन हजार रूपया) दिलाया जाना हम न्यायोचित समझते हैं। इसके अतिरिक्त परिवाद व्यय की मद में परिवादी को विपक्षी सं0-1 से 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्त दिलाया जाना भी हमारे मत में न्यायोचित होगा। परिवादी द्वारा मांगे गऐ शेष अनुतोष स्वीकार किऐ जाने का कोई औचित्य दिखाई नहीं देता। परिवाद तदानुसार स्वीकार होने योग्य है।
- क्षतिपूर्ति की मद में परिवादी विपक्षी सं0-1 से 3000/- (तीन हजार रूपया) और परिवाद व्यय की मद में एकमुश्त 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) पाने का अधिकारी है। इस धनराशि का भुगतान परिवादी को आज की तिथि से दो माह के भीतर किया जाय।
(श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
29.07.2016 29.07.2016 29.07.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 29.07.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सामान्य सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
29.07.2016 29.07.2016 29.07.2016 | |