SAVITRI DEVI filed a consumer case on 31 Aug 2021 against SBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/48/2011 and the judgment uploaded on 24 Sep 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 48 सन् 2011
प्रस्तुति दिनांक 01.06.2011
निर्णय दिनांक 31.08.2021
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह सेवा निवृत्त सैनिक (रक्षामंत्रालय) स्वo तीर्थराज की विधवा पत्नी है। परिवादिनी के पति की मृत्यु के पश्चात् पारिवारिक पेन्शन नियमावली के तहत रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रार्थिनी को भारतीय स्टेट बैंक शाखा नेवादा आजमगढ़ के बचत खाता संख्या11759686798 के द्वारा प्राप्त होती रही। रक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार केन्द्रीय पेन्शन वितरण प्राधिकरण द्वारा निर्धारित पेन्शन पूर्व में मुo 3500/- रुपया प्रतिमाह भुगतान विपक्षी संख्या 01 के बैंक शाखा से होती रही। भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश पत्र संख्या 17(4) 2008/डी. (पेन्शन/पॉलिसी) दिनांकित 11.11.2008 के पैरा 05 के तहत फैमली पेन्शन (रक्षा मंत्रालय से सम्बन्धित प्रत्येक पेन्शनर को मूल वेतन+ग्रेड पे, एम.एस.पी. का 30 प्रतिशत पूर्व निर्धारित पेन्शन में बढ़ोत्तरी कर बढ़ोत्तरी धनराशि के साथ प्रत्येक पेन्शन डिस्पार्सिंग एजेन्सी (पी.डी.ए.) को जारी किया गया कि भुगतान अपने स्तर से सुनिश्चित करें। उक्त निर्देश पत्र प्रत्येक पी.डी.ए. को रक्षा मंत्रालय से कार्यवाही एवं भुगतान करने हेतु उपलब्ध करा दिया गया। परिवादिनी को पेन्शन बढ़ोत्तरी के सम्बन्ध में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश की जानकारी होने के पश्चात् परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 01 से उक्त रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी निर्देश का हवाला देकर 3500/- रुपये पेन्शन धनराशि के स्थान पर बढ़ोत्तरी के साथ 4650/- रुपए प्रतिमाह की दर से अग्रिम भुगतान देने व 2006 से बढ़ोत्तरी धनराशि के बकाए का भुगतान करने हेतु निवेदन की तथा जारी निर्देशानुसार विपक्षी संख्या 01 के स्तर से अग्रिम कार्रवाई करने का निवेदन की तथा उनके दायित्व के बाबत सूचित किया। परिवादिनी के आवेदन पर उक्त बढ़ोत्तरी पेन्शन भुगतान 2006 से बकाया बढ़ोत्तरी धनराशि के भुगतान हेतु निर्देशानुसार विहित प्रोफार्मा एनेक्जर 4 भरकर सी.डी.ए. (पेन्शन) इलाहाबाद उचित कार्यवाही हेतु भेजने तथा एनेक्जर वापस होने पर भुगतान सुनिश्चित किए जाने का दायित्व पी.डी.ए. विपक्षी संख्या 01 को बताया, परन्तु विपक्षी संख्या 01 ने कोई कार्यवाही नहीं किया। बल्कि अपने संवैधानिक दायित्वों व सेवा दायित्वों का घोर उल्लंघन करते हुए परिवादिनी के मिथ्या सूचना दी गयी कि ‘हमें पेन्शन बढ़ोत्तरी के सम्बन्ध में न तो कोई कार्यवाही करने व न ही सी.डी.ए. को पत्र भेजने का दायित्व है आप अपने स्तर से इस सम्बन्ध में स्वयं पैरवी करिए जब सी.डी.ए. निर्देशित करेगा तो कार्यवाही भुगतान के सम्बन्ध में की जाएगी।” विपक्षी संख्या 01 के इस कृत्य व व्यवहार से परिवादिनी काफी परेशान हुयी। परिवादिनी द्वारा वित्त सचिव, रक्षा सचिव भारत सरकार द्वारा जारी निर्देश का उल्लेख करते हुए तथा विपक्षी संख्या 01 को उक्त पत्रों को उपलब्ध कराकर स्वयं अपने स्तर से कार्यवाही हेतु विपक्षी संख्या 01 से कही परन्तु कोई कार्यवाही विपक्षी संख्या 01 द्वारा नहीं की गयी, बल्कि अकारण परेशान करने लगे। विपक्षी संख्या 01 के द्वारा सेवा शर्तों का उल्लंघन करने तथा उदासीनता के कारण प्रार्थिनी ने स्वयं अपने स्तर से अनेक्जर 4 भरवाकर विपक्षी संख्या 01 को सी.डी.ए. (पेन्शन) इलाहाबाद प्रेषित करने हेतु दी परन्तु बैंक द्वारा अनेक्जर प्रेषित किए जाने के सम्बन्ध में बाद में पता करने पर गलत तिथियों की सूचना देते हुए अनेक्जर 4 भेजने की बात विपक्षी संख्या 01 द्वारा बतायी गयी काफी दिनों पश्चात् कोई सूचना न मिलने पर पता किया तो विपक्षी संख्या 01 द्वारा बताया गया कि जब सी.डी.ए. (पेन्शन) इलाहाबाद पेन्शन संशोधन करके भेजेगी तभी भुगतान दियाए जाए। पेन्शन संशोधन हेतु विपक्षी संख्या 01 द्वारा उत्तरदायी होना नहीं बताया गया। परिवादिनी विपक्षी संख्या 01 के द्वारा मिथ्या सूचना तथा सही ढंग से कार्यवाही न करने के कारण मजबूर होकर सम्पूर्ण विवरण के साथ जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत सी.डी.ए. (पेन्शन) इलाहाबाद को पत्र प्रेषित कर सूचना देने हेतु निवेदन की जिसके तहत सी.डी.ए. (पेन्शन) इलाहाबाद द्वारा विपक्षी संख्या 01 व परिवादिनी को जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवश्यक कार्यवाही के बाबत सूचना दी गयी, जो पता सही न होने कारण परिवादिनी को विलम्ब से प्राप्त हुआ तो परिवादी उक्त पत्र के सम्बन्ध में पूछी तो विपक्षी संख्या 01 द्वारा बताया गया कि पत्र अभी जल्द ही मिला है कार्यवाही की जाएगी। उक्ति बावजूद विपक्षी द्वारा अपने दायित्वों का उल्लंघन व घोर सेवा में त्रुटि करते हुए कोई कार्य पेन्शन बढ़ोत्तरी के बाबत नहीं की गयी तो परिवादिनी सभी आवश्यक प्रेषित प्रपत्रों निर्देशों व प्रमाण पत्रों के साथ विपक्षी संख्या 01 द्वारा की गयी सेवा में त्रुटि के बाबत बैंकिंग लोकपाल वाया रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया कानपुर को दिनांक 19.10.2010 को फैक्स की। जिस पर बैंकिंग लोकपाल द्वारा विपक्षी संख्या 01 को कड़े निर्देश के साथ पत्र प्रेषित किया गया कि पेन्शनर का अविलम्ब बढ़ोत्तरी के साथ भुगतान करें ऐसा न कर के आप द्वारा घोर सेवा में त्रुटि की गयी है। जिसके कारण आवेदिका (पेन्शनर) की क्षति हुई है, तदोपरान्त विपक्षी संख्या 01 द्वारा दिनांकित 07.12.2020 को पत्र द्वारा बढ़ोत्तरी पेन्शन की बकाया धनराशि 79354/- रुपया को परिवादिनी के बचत खाता में जमाकर सूचना दिया। विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादिनी के पेन्शन एरियर जमा होने की सूचना पर परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 01 से मिलकर कही कि आप की लापरवाही एवं उपेक्षा के कारण उक्त एरियर की धनराशि काफी दिनों बाद प्राप्त हुयी। इसमें विपक्षी द्वारा जानबूझकर परिवादिनी को क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से घोर सेवा त्रुटि कर ऐसा किया है। ऐसी दशा में परिवादिनी को हुई क्षतिपूर्ति करना विपक्षी संख्या 01 का दायित्व है। इस विपक्षी संख्या 01 द्वारा उपेक्षित एवं अप्रव्याशित व्यवहार कर क्षतिपूर्ति से इन्कार कर दिया। जिससे परिवादिनी निराश होकर वापस चली आयी। तत्पश्चात् बैंकिंग लोकपाल कानपुर द्वारा विपक्षी संख्या 01 को उक्त एरियर धनराशि को गलत ढंग से अतिविलम्ब से अदा करने के सम्बन्ध में सेवा त्रुटि के बाबत परिवादिनी की शिकायत पर दोषी मानते हुए क्षतिपूर्ति हेतु अत्यन्त अल्प मात्र 02 प्रतिशत ब्याज के साथ उक्त एरियर की धनराशि पर अदा करने का आदेश अपने पत्र दिनांकित 11.02.2011 के द्वारा दिया। जबकि परिवादिनी को बैंक बचत खाता जमा धन के तहत उक्त धनराशि पर अधिकतम ब्याज व अन्य मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति एवं अन्य क्षति के बाबत क्षतिपूर्ति विपक्षी संख्या 01 द्वारा करना था। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वे 2006 से 2016 तक का ब्याज 12% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज के साथ तथा इस ब्याज पर 12% वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज के साथ अन्तिम भुगतान की तिथि तक परिवादिनी को करें। भुगतान देर से देने के कारण परिवादिनी को हुई मानसिक कष्ट हेतु 50,000/- रुपया, शारीरिक कष्ट हेतु 20,000/- रुपया अन्य दौड़-धूप लिखा-पढ़ी आदि के खर्च हेतु 10,000/- रुपया दिलाया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 5/1 बैंकिंग लोकपाल कार्यालय को मुख्य शाखा प्रबन्धक एस.बी.आई. कचहरी रोड इलाहाबाद द्वारा लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 5/2 परिवादिनी को माo बैंकिंग लोकपाल के आदेश के अनुपालन के पश्चात् दी गयी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 24/1 विपक्षी संख्या 01 द्वारा ब्रान्च मैनेजर बैंकिंग लोकपाल को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 24/2 भरे गए प्रोफार्मा की छायाप्रति, कागज संख्या 24/3 आर.टी.आई. ऑफिसर को दिए गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 24/4 पी.सी.डी.ए. इलाहाबाद द्वारा सावित्री देवी को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 24/5 कार्यालय रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक इलाहाबाद द्वारा शाखा प्रबन्धक को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 24/6 बैंकिंग लोकपाल को लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 24/7 एस.बी.आई. नेवादा द्वारा लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 24/8 बैंकिंग लोकपाल द्वारा लिखे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 24/9 पेमेन्ट ऑफ पेन्शन एरियर्स अण्डर 6th सी.पी.सी. के तहत जारी आदेश की छायाप्रति तथा कागज संख्या 24/10 ता 24/15 पेंशन के बाबत प्रस्तुत प्रलेख की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 14क विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादिनी को परिवाद दाखिल करने का कोई अधिकार हासिल नहीं था। विपक्षी को पेंशन की धनराशि सम्बन्धित विभाग से हमारी शाखा सी.पी.पी.सी. इलाहाबाद के माध्यम से प्राप्त होती है तथा वहां से विपक्षी की शाखा से धनराशि स्थानान्तरित की जाती है तब शाखा द्वारा पेंशन व उसमें बढ़ी धनराशि (एरियर) का भुगतान सम्बन्धित पेंशनर को दिया जाता है। याची का यह कथन कि विपक्षी द्वारा एरियर का भुगतान नहीं किया गया और न तो इस सम्बन्ध में कोई लिखा-पढ़ी की गयी सरासर गलत व निराधार है। याची द्वारा जब भी विपक्षी को कोई प्रार्थना पत्र दिया गया से विपक्षी द्वारा सम्बन्धित बैंक शाखा अथवा विभाग को नियमानुसार प्रेषित किया गया। विपक्षी को पेंशनर के मूल पेंशन में बढ़ोत्तरी करके भुगतान करने का अधिकार तभी होता है जब बढ़ोत्तरी की धनराशि के सम्बन्ध में लिखित सूचना प्राप्त होती है। किस पेंशनर को कितनी धनराशि भुगतान होना है तथा उसकी पेंशन पर कितनी बढ़ोत्तरी होनी है यह तथ्य विपक्षी द्वारा निर्धारित नहीं किया जा सकता है। विपक्षी को सी.पी.पी.सी. स्टेट बैंक इलाहाबाद शाखा का पत्र दिनांक 30.11.2010 को प्राप्त होने पर विपक्षी ने याची के खाते में मुo 79354/- दिनांक 02.12.2010 को याची के खाता में उसे स्थानान्तरित कर दिया गया। जिसकी सूचना उसे दी गयी। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
पुकार के समय उभय पक्ष उपस्थित पाए गए। चूंकि पत्रावली काफी पुरानी है। अतः ऐसी स्थिति में हम लोगों द्वारा पत्रावली का अवलोकन किया गया। परिवादिनी को दिनांक 03.10.2019 को सी.पी.पी.सी. एस.बी.आई. इलाहाबाद को पक्षकार बनाए जाने का आदेश पारित किया गया था, लेकिन परिवादिनी द्वारा उस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। दिनांक 04.03.2021 को परिवादिनी को विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह कहा गया कि वह आदेश दिनांक 03.10.2019 का अनुपालन नहीं करेगा। इस प्रकार जब तक इस पत्रावली में सी.पी.सी. एस.बी.आई. इलाहाबाद को पक्षकार मुकदमा नहीं बना दिया जाता है तब तक इस पत्रावली का निस्तारण परिवादिनी के पक्ष में करना सम्भव नहीं है। इस बाबत इस कमीशन द्वारा दिनांक 03.10.2019 को आदेश भी पारित किया गया था लेकिन दिनांक 04.03.2021 को परिवादिनी के अधिवक्ता ने कमीशन के आदेश का अनुपालन करने से इन्कार कर दिया और कहा कि कमीशन जो फैसला सुनाना चाहे सुना दे वह कमीशन के आदेश का अनुपालन नहीं करेगा। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 31.08.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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