Ramgopal filed a consumer case on 03 Jul 2024 against SBI in the Bareilly-I Consumer Court. The case no is CC/450/2019 and the judgment uploaded on 03 Jul 2024.
Uttar Pradesh
Bareilly-I
CC/450/2019
Ramgopal - Complainant(s)
Versus
SBI - Opp.Party(s)
03 Jul 2024
ORDER
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- प्रथम बरेली
उपस्थित- 1- राधेश्याम यादव अध्यक्ष
2- श्रीमती मुक्ता गुप्ता सदस्या
3- प्रशान्त मिश्रा सदस्य
परिवाद संख्या- 450 सन् 2019
रामगोपाल आयु 36 वर्ष, पुत्र श्री निर्मल, निवासी- ग्राम गंगापुर, मजरा क्योना शादीपुर, पोस्ट-देवचरा, जिला-बरेली।
प्रति
एस0बी0आई0 लाईफ इन्श्योरेन्स कं0 लि0, दित्तीय तल बिल्डिंग नं0 112, सिविल लाईन्स, निकट सिद्धीविनायक हास्पिटल, बरेली-243001, द्वारा शाखा प्रबन्धक/ सीनियर मैनेजर।
परिवाद के संक्षिप्त कथानक के अनुसार परिवादी रामगोपाल की पत्नी श्रीमती अनीता सिलाई कढाई का कार्य एंव स्वरोजगार से लगभग रुपये 1,50,000/- वार्षिक आय़ अर्जित करके परिवार का भरण पोषण करती थी। परिवादी की पत्नी ने एस0बी0आई0 लाईफ इन्श्योरेन्स कम्पनी की शुभ निवेष इन्डोमेन्ट आप्सन की स्वास्थ्य बीमा पालिसी रुपये 4,90,000/- तक धनराशि की कराकर दिनांक 26/09/2018 को प्रथम प्रीमियम रुपये 26027.50/- विपक्षी संख्या-1 को भुगतान किया था। विपक्षी द्वारा निर्गत प्रीमियम रसीद में अंकन के अनुसार प्रीमियम की धनराशि प्रतिवर्ष 29 सितम्बर को देय थी। दिनांक 27/10/2018 को श्रीमती अनीता की दुर्भाग्यवश मृत्यु हो गयी। मृतका का पति एंव विधिक प्रतिनिधि होने के कारण परिवादी हित ग्राही तथा बीमा पालिसी की धनराशि को प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी द्वारा समस्त औपचारिकता परिपूर्ण करके मृतका पत्नी की बीमित धनराशि की प्राप्ति हेतु अनुरोध किये जाने के बावजूद विपक्षीगण ने दिनांक 04-06-2019 को भुगतान दावा अस्वीकृत कर दिया। विपक्षीगण ने परिवादी के दावा भुगतान अस्वीकार करने का कोई कारण नही बताया। विपक्षीगण द्वारा “विहित सेवा मे त्रुटि” किये जाने से परिवादी को शारीरिक कष्ट, मानसिक संताप एंव आर्थिक क्षति हुई। बीमा धनराशि रुपये 4,90,000/- एंव वाद व्यय तथा क्षतिपूर्ति हेतु रुपये 1,25,000/- को सम्मिलित करते हुए परिवादी ने रुपये 6,15,000/- की ब्याज सहित धनराशि विपक्षीगण से दिलाये जाने की याचना किया है।
सूची कागज संख्या-4 से एस0बी0आई0 लाईफ इन्श्योरेन्स की रसीद, प्रथम पालिसी रसीद, की-फीचर डाक्यूमेन्ट, की- पर्सनल इन्फार्मेशन, मृत्यु प्रमाण पत्र एंव आधार कार्ड की छायाप्रति क्रमशः 5/1 ता 5/6 परिवादी ने प्रलेखीय साक्ष्य के रुप मे प्रस्तु किया है। परिवादी ने शपथपत्र पर मौखिक साक्ष्य भी प्रस्तुत किया है।
विपक्षी द्वारा लिखित कथन के माध्यम से परिवाद के कथानक से इन्कार करते हुए परिवाद को पोषणीय न होने का अभिकथन किया गया है। लिखित कथन में अंकन के अनुसार परिवादी की पत्नी श्रीमती अनीता निर्धन घरेलू गृहणी थी। श्रीमती अनीता को आय का कोई श्रोत नही था। परिवादी मनरेगा श्रमिक के रुप मे अल्प आय अर्जित करके परिवार का भरण पोषण करता रहा है। परिवादी की पत्नी ने वास्तविकता को छिपाते हुए छल कपट करके अत्यधिक धनराशि की पालिसी अनुबन्ध कर लिया था। विपक्षीगण द्वारा अन्नवेषण कराने के उपरान्त वास्तविक तथ्य तथा परिवादिनी का छल कपट प्रकट होने पर पालिसी निरस्त करके एक मात्र प्रीमियम की धनराशि वापस कर दी गई। राशन कार्ड मे परिवादी की वार्षिक आय रुपये 2400/- अंकित है। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत प्रलेखीय साक्ष्य के खण्डन मे अथवा परिवाद के समर्थन मे या परिवादिनी की आय की सम्पुष्टि कारक कोई साक्ष्य नही है। परिवादी ने दुर्भावना असत्य एंव कपोलकल्पित परिवाद संस्थित किया है।
विपक्षीगण की तरफ से लिखित कथन में निम्नलिखित निर्णयज विधियो का उल्लेख किया गया है-
लाइफ इन्श्योरेन्स कार्पोरेशन आफ इण्डिया प्रति सुरेन्दर कौर एंव अन्य (सिविल अपील संख्या 5334 सन् 2006 एंव एस.एल.पी (सी) 7865 तथा 7866 सन् 2005): माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा इस प्रकरण मे अवधारित किया गया कि बीमाकर्ता द्वारा मात्र “सेवा मे त्रुटि” होने की स्थिति मे ही उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद निस्तारित किया जा सकता है। “विहित सेवा मे त्रुटि” से अन्यथा की स्थिति मे परिवादी को सक्षम न्यायालय मे वाद संस्थित करने का विकल्प है।
सिविल अपील संख्या 297 सन् 2011 बजाज एलियान्ज लाइफ इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 प्रति भूपेन्द्र सिंह एंव अन्य (निर्णय दिनांक 09-01-2012) के प्रकरण मे माननीय राज्य उपभोक्ता प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ द्वारा यह अवधारित किया गया कि छल, कपट एंव धोखाधडी सम्बन्धी अभिवचन के निस्तारण का क्षेत्राधिकार सक्षम सिविल न्यायालय को अभिप्राप्त है।
सिविल अपील संख्या 2776 सन् 2002 सत्वंत कौर संधु प्रति न्यू इण्डिया एस्योरेन्स क0लि0 के प्रकरण मे माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अवधारित किया गया कि सारवान तथ्य अथवा वास्तविक तथ्य को छिपाकर की गई बीमा पालिसी करार भारतीय संविदा अधिनियम की धारा-17 के अनुसार शून्य है।
सूची कागज संख्या 15 से संलग्नक ए, बी, सी, डी, ई, एंव एफ तथा कागज संख्या क्रमशः 16/1 लगायत 16/26 तक प्रश्नगत बीमा पालिसी से सम्बन्धित सुसंगत प्रपत्र एंव परिवादी के मनरेगा जाब कार्ड तथा राशन कार्ड की छायाप्रति को विपक्षीगण ने प्रलेखीय साक्ष्य के रुप में प्रस्तुत किया है। विपक्षीगण की तरफ से सुश्री धान्या के.पी. ने शपथपत्र पर मौखिक साक्ष्य भी प्रस्तुत किया है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के कथनानुसार लिखित कथन तथा शपथपत्र पर मौखिक साक्ष्य प्रस्तुत करने के उपरान्त विपक्षीगण एंव उनके अधिवक्ता निरन्तर अनुपस्थित रहे है। पर्याप्त अवसर प्रदान किये जाने के बावजूद भी विपक्षीगण की तरफ से तर्क हेतु उपस्थित न आने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क सुना गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क के अनुसार श्रीमती अनीता सिलाई कढाई के कार्य एंव स्वरोजगार से रुपये 1,50,000/- वार्षिक आय अर्जित करती थी। रुपये 26027.50/- की प्रथम प्रीमियम धनराशि का भुगतान करने के उपरान्त लगभग एक माह के अंतराल मे ही दिनांक 27-10-2018 को परिवादी की पत्नी श्रीमती अनीता की मृत्यु हो गयी। विपक्षीगण द्वारा असंगत तथा अनुचित ढंग से श्रीमती अनीता की बीमा पालिसी निरस्त करके वापस की गई प्रथम किस्त की धनराशि को परिवादी ने स्वीकार नही किया। बीमित धनराशि का भुगतान परिवादी के पक्ष मे न करके विपक्षीगण ने “विहित सेवा मे त्रुटि” किया है।
परिवाद के निस्तारण हेतु निम्नलिखित अवधारण बिन्दु सृजित किये गये-
क्या परिवादी की पत्नी श्रीमती अनीता की आय के श्रोत अथवा वार्षिक आय की सम्पुष्टि कारक साक्ष्य विद्धमान है?
क्या परिवाद के कथानक को सफलतापूर्वक सम्पुष्ट किया जा सका है?
क्या परिवादी के पक्ष मे कोई अनुतोष अनुमन्य है?
निस्तारण अवधारण बिन्दु संख्या Iएंव II – अवधारण बिन्दु संख्या 1 व 2 परस्पर सम्बन्धित होने के कारण एक साथ निस्तारित किये जा रहे है।
विपक्षीगण की तरफ से प्रलेखीय साक्ष्य के रुप मे परिवादी के मनरेगा जाब कार्ड एंव राशन कार्ड की छायाप्रति प्रस्तुत की गई है। राशन कार्ड मे परिवादी की वार्षिक रुपये 2400/-होने का अंकन है। परिवादी की पत्नी श्रीमती अनीता के व्यक्तिगत आय के श्रोत अथवा वार्षिक आय की सम्पुष्टि कारक कोई साक्ष्य परिवादी द्वारा प्रस्तुत नही की जा सकी है। विपक्षीगण की तरफ से प्रस्तुत प्रलेखीय साक्ष्य का कोई विशिष्ट खण्डन कर पाने मे परिवादी असफल रहा है। परिवाद में अंकन के अनुसार श्रीमती अनीता की वार्षिक आय रुपये 1,50,000/- रही है। परिवादी द्वारा श्रीमती अनीता की वार्षिक आय की सम्पुष्टि हेतु कोई ठोस, विशिष्ट एंव संतोषप्रद साक्ष्य प्रस्तुत नही की गई है। प्रश्नगत बीमा पालिसी करार के लगभग एक माह की अवधि के अंतर्गत ही श्रीमती अनीता की मृत्यु होना स्वीकृत तथ्य है। विपक्षीगण की तरफ से श्रीमती अनीता द्वारा वास्तविकता को छिपाकर छल कपट से बीमा पालिसी करार किये जाने का अभिकथन है। परिवाद के कथानक को सम्पुष्ट करा पाने मे परिवादी सर्वथा असफल रहा है।
अवधारण बिन्दु संख्या-I व II तद्नुसार निस्तारित किया जाता है।
निस्तारण अवधारण बिन्दु संख्या III- श्रीमती अनीता की वार्षिक आय एंव परिवाद के कथानक को सम्पुष्ट कर पाने मे परिवादी की विफलता के कारण अवधारण बिन्दु संख्या- I व II तद्नुसार निस्तारित किया गया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के कथनानुसार एक मात्र भुगतान की गई प्रथम प्रीमियम की धनराशि रुपये 26027.50/- को विपक्षीगण द्वारा वापस करने के उपरान्त भी परिवादी ने उक्त धनराशि को स्वीकार अथवा प्राप्त नही किया है। विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत लिखित कथन मे अंकन के अनुसार अन्वेषण के उपरान्त श्रीमती अनीता के असत्य, छलकपट के प्रकटीकरण पर प्रश्नगत बीमा पालिसी निरस्त करके एकमात्र प्रीमियम की धनराशि को वापस कर दिया गया। विपक्षीगण द्वारा वापस की गई एक मात्र प्रीमियम की धनराशि को परिवादी की तरफ से आहरित अथवा भुगतान प्राप्त न करने की स्थिति मे उक्त धनराशि को ब्याज सहित परिवादी को दिलाया जाना सर्वथा न्यायसंगत है। प्रथम प्रीमियम की धनराशि रुपये 26027.50/- (पूर्णांक मे 26000/-) तथा रुपये 5000/- की धनराशि वाद व्यय के मद मे परिवादी को दिलाया जाना न्यायोचित है। इस प्रकार वाद व्यय तथा प्रथम प्रीमियम की पूर्णांक धनराशि को समेकित करते हुए रुपये 31000/- की ब्याज सहित धनराशि विपक्षीगण से परिवादी के पक्ष मे निर्णीत करते हुए अवधारण संख्या 3 तद्नुसार निस्तारित करके परिवाद अंशतः स्वीकार किये जाने योग्य है। आदेश
परिवाद अंशतः स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि यदि परिवादी ने प्रथम प्रीमियम की वापसी धनराशि प्राप्त न किया हो तब, परिवाद संस्थित होने के दिनांक से निर्णीत धनराशि रुपये 31,000/- को सात प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज सहित दो माह की अवधि के अंतर्गत नियमानुसार परिवादी को भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें।