Uttar Pradesh

Faizabad

CC/140/2010

Ram Suresh Yadav - Complainant(s)

Versus

SBI - Opp.Party(s)

07 Oct 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/140/2010
 
1. Ram Suresh Yadav
gosaiganj faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. SBI
FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद । 

 

 

़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़                    ़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़़उपस्थितिः-(1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
                            (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या                            (3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य


                परिवाद सं0-140/10    


    राम सुरेश यादव पुत्र श्री राम सुमिरन यादव निवासी जमुनीपुर (डेरवा) पो0 वलरामपुर थाना गोशाईगंज जनपद फैजाबाद                       ....................परिवादी        

                    बनाम

श्रीमान मुख्य प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक मुख्य कार्यालय फैजाबाद थाना को0 नगर शहर व जिला फैजाबाद                         ................... विपक्षी

 

निर्णय दिनाॅंक 07.10.2015
                
                           निर्णय 

उद्घोषित द्वारा: श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष

परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी से मु0 40,000=00 दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
संक्षेप में परिवादी का केस इस प्रकार है कि परिवादी दि0 02.02.10 को समय कर करीब 12 बजे दिन में विपक्षी के अधीनस्थ भारतीय स्टेट बैंक में ए0टी0एम0 से पैसा निकालने गया, किन्तु ए0टी0एम0 मशीन द्वारा उक्त पैसे का भुगतान नहीं हुआ। दूसरी मशीन से बैलेन्स देखने पर पता चला कि परिवादी के खाते से दि0 02.02.10 को  ही  मु0 20,000=00-मु0 20,000=00  निकल चुका है,  जबकि परिवादी को उस 

                    (  2  )
समय ए0टी0एम0 से मात्र मु0 15,000=00 ही निकालना था। परिवादी ने तुरन्त दि0 02.02.10 को ही एक शिकायती पत्र विपक्षी को दिया, जिस पर विपक्षी ने गहनता से जाॅंच पड़ताल नहीं किया और बाद में दि0 31.05.10 को एक पत्र भेजकर लिख दिया गया कि तुम्हारा मामला समाप्त कर दिया गया है। 
विपक्षी ने अपने जवाब में कहा कि परिवादी राम सुरेश यादव निवासी ग्राम जम्मीपुर पोस्ट बलरामपुर जनपद फैजाबाद के नाम से परिवादी का उत्तरदाता विपक्षी बैंक में बचत खाता सं0-10961553913 कायम है। परिवादी राम सुरेश यादव द्वारा आवेदन करने पर बैंक द्वारा ए.टी.एम. कार्ड संख्या-6220180007500056887 जारी किया गया। खाता धारक परिवादी द्वारा ए.टी.एम. प्राप्त करने के लिए जो आवेदन पत्र दिया गया उसमें इस बात की पुष्टि की गयी कि खाता धारक द्वारा ए.टी.एम. द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं की सेवा शर्तो तथा नियमों को पढ़कर समझ लिया है और सेवा शर्तो को खाता धारक को प्रदान कर दिया गया है। परिवादी द्वारा दि0 13.02.10 को शिकायत पत्र इस आशय का दिया कि दि0 02.02.10 को राम सुरेश यादव द्वारा अपने खाते का बैलेन्स ए.टी.एम. कार्ड के जरिये देखा जा रहा था, जिस पर ए.टी.एम. कार्ड से मु0 20,000=00 राम सुरेश यादव के बचत खाता संख्या-10961553913 में डेबिट कर दिया गया। कोई पैसा ए.टी.एम. मशीन से बाहर नहीं आया और न कोई ट्रान्जेक्शन सिल्प ही प्राप्त हुई। परिवादी के शिकायती पत्र पर तथ्यों की जाॅंच की गयी।
मैं परिवादी के लिखित बहस का अवलोकन किया। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। इस परिवाद में परिवादी का ए.टी.एम. नं0-6220180007500056887 विपक्षी बैंक के यहाॅं है और परिवादी दि0 02.02.10 को 12 बजे दिन में विपक्षी बैंक से ए.टी.एम. से पैसा निकालने गया। ए.टी.एम. मशीन में बैलेन्स देखने से पता चला कि परिवादी के खाते से दि0 02.02.10 को ही मु0 20,000=00 व मु0 20,000=00 निकाले जा चुके हैं। परिवादी को उस समय ए.टी.एम. से मात्र मु0 15,000=00 निकालना था। दि0 02.02.10 को ए.टी.एम. कार्ड के जरिये बैलेन्स देखा जा रहा था जिसमें मु0 20,000=00 डेविट कर दिया गया था जबकि कोई पैसा ए.टी.एम. से बाहर नहीं आया और न कोई ट्रान्जेक्शन स्लिप ही प्राप्त हुई। परिवादी की शिकायत पत्र बैंक ने तथ्यों की जाॅंच की तो पता चला कि परिवादी द्वारा दि0 02.02.10 को ए.टी.एम. द्वारा 12.06 मिनट पर अपने बचत खाते से मु0 20,000=00 निकाला गया। जिस पर मु0 20,000=00 निकालने के उपरान्त् बचत खाते का अवशेष 

                    (  3  )
मु0 1,29,899.64 पै0 रह गया और संचालन सफलता पूर्वक किया गया था। उसी दिन समय 12.08 बजे पर उपरोक्त वर्णित ए.टी.एम. कार्ड से ए.टी.एम. संख्या-एस-1सी.एन.-00007504 से मु0 20,000=00 निकाला गया और अवशेष धनराशि मु0 1,09,899.64 शेष रह गया। इस प्रकार विपक्षी के ए.टी.एम. कार्ड में कमी थी। परिवादी ने पैसा नहीं निकाला। बिना पैसा निकाले पैसा निकल गया तथा ट्रान्जेक्शन स्लिप भी जारी नहीं की। 
ए.टी.एम. का प्रयोग करते समय ग्राहक को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। कभी-कभी ए.टी.एम. में पैसा रहता है और पैसा जितना ग्राहक निकालना चाहता है उतनी धनराशि अंकित करने के उपरान्त पैसा फंस जाता है। पैसा नहीं निकलता है तो उस धनराशि को (कैंसिल) निरस्त कर देना चाहिए। यदि ग्राहक निकाली गयी धनराशि को कैंसिल नहीं करता और दूसरा व्यक्ति जब आकर ए.टी.एम. का प्रयोग करता है तो पहले वाले ग्राहक की जो धनराशि ए.टी.एम. में फंस जाती है वह दूसरे बाद वाले ग्राहक को मिल जाता है और दूसरे ग्राहक ने जो धनराशि निकाली है वह भी धनराशि मिल जाती है। ए.टी.एम. को रखने के साथ-साथ अपना पिन नम्बर भी बहुत सावधानी से रखना चहिए जिससे कोई दूसरा व्यक्ति न देख ले। यदि कोई दूसरा व्यक्ति पिन नम्बर देख लेता है तो ए.टी.एम. का क्लोन तैयार करके फर्जी तरीके से पैसा उसी ए.टी.एम. से निकाला जा सकता है। ऐसे बहुत से केस सामने आये हैं। विपक्षी की ओर से जाॅंच करायी गयी और जाॅंच में यह पाया गया कि परिवादी का जो ए.टी.एम. 6220180007500056887 है, उसी नम्बर से दो बार मु0 20,000=00, मु0 20,000=00 निकाला जा चुका है। यदि इस ए.टी.एम. नम्बर से पैसा नहीं निकाला जाता तो ए.टी.एम. नम्बर को न बताता। इस प्रकार परिवादी के खाते से मु0 20,000=00, मु0 20,000=00 ट्रान्जेक्शन हुआ है। परिवादी को अपने ए.टी.एम. के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए, जो नहीं बरती। परिवादी ने जब पैसा निकालने का प्रयास किया और पैसा नहीं निकला तो परिवादी को तुरन्त सम्बन्धित बैंक में शिकायत करना चाहिए था कि धनराशि नहीं निकली है और ट्रान्जेक्शन स्लिप नहीं प्राप्त हुई है। विपक्षी बैंक से जब धनराशि नहीं निकलती, तो उतनी धनराशि एम.टी.एम. में मौजूद पायी जाती। विपक्षी बैंक के जाॅंच करने पर मु0 20,000=00, मु0 20,000=00 की धनराशि ए.टी.एम. में मौजूद नहीं पायी गयी। इस प्रकार विपक्षी के सेवा में कोई कमी नहीं है बल्कि परिवादी के लापरवाही से किसी दूसरे व्यक्ति ने परिवादी का पिन नम्बर जानने के उपरान्त्  यह  पैसा  निकाल लिया है या पैसा फंसने पर दो बार ए.टी.एम. को आपरेट 


                    (  4  )
किया हो और पैसा न निकलने के बाद उसे निरस्त न किया गया हो। विपक्षी यदि परिवादी के प्रार्थना-पत्र पर जाॅंच नहीं करवाता तो विपक्षी को दोषी माना जाता। विपक्षी ने जाॅंच करवायी है इसलिए विपक्षी को दोषी नहीं माना जा सकता है। जैसाकि मा0 स्टेट कमीशन द्वारा राजेश्वर सिंह बनाम स्टेट बैंक 2008 (3) सी0पी0जे0 202 में अपीलार्थी ने विपक्षी बैंक से मु0 25,000=00 निकालने से मना किया था। बैंक ने जाॅंच करायी और बैंक के रिकार्ड के अनुसार पैसा निकाला गया। ए.टी.एम. का पैसा निकल गया। अन्त में मा0 स्टेट कमीशन ने अपीलार्थी की अपील खारिज कर दी। इस प्रकार परिवादी के परिवाद में मैं बल नहीं पाता हूॅं। परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। 

आदेश
    
        परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। 
    
( विष्णु उपाध्याय )        ( माया देवी शाक्य )         (  चन्द्र पाल  )
             सदस्य                 सदस्या                 अध्यक्ष

                
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 07.10.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया। 


           (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              ( चन्द्र पाल )
                सदस्य                 सदस्या                      अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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