जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुधा यादव........................................सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-534/2012
रामनाथ सोनकर पुत्र स्व0 सरजू प्रसाद सोनकर उम्र 60 वर्श निवासी मकान नं0-342/1 काजी खेड़ा लाल बंगला पोस्ट हरजेन्दर नगर, थाना-चकेरी, पर0तह0 व जिला, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. षाखा प्रबन्धक, भारतीय स्टेट बैंक, षाखा कृश्णा नगर, ब्रांच कोड नं0-1961, स्थित जी0टी0 रोड, जुगुल सिनेमा बिल्डिंग कृश्णा नगर कानपुर-208007
2. जोनल मैनेजर भारतीय स्टेट बैंक सार्ब कानपुर जोनल कार्यालय, दि माल ब्रांच कोड-05177 कानपुर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 06.09.2012
निर्णय की तिथिः 03.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःएकपक्षीय-निर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति हेतु रू0 3,30,000.00 तथा संपूर्ण अदायगी का प्रमाणित विवरण दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने हाउसिंग लोन, एकाउन्ट सं0-10451492889 के अंतर्गत विपक्षी सं0-1 के यहां रू0 2,15,000.00 का, हाउसिंग लोन योजना के अंतर्गत दिनांक 18.03.05 को लिया था। जिसके तहत परिवादी से रू0 15596.00 प्रीमियम धनराषि लेकर विपक्षी सं0-1 ने परिवादी के पक्ष में एक बीमा पॉलिसी एस.बी.आई. लाइफ/सुपर सुरक्षा योजना के अंतर्गत कराई थी। जिसका एकाउन्ट नं0-01593055382 है। परिवादी द्वारा उपरोक्त हाउसिंग लोन धनराषि का भुगतान समय से किया गया है। परिवादी ने विपक्षी सं0-1 से लिये गये हाउसिंग लोन धनराषि की समस्त अदायगी समय से कर दिया है, इसके बावजूद विपक्षी सं0-1 व उनके द्वारा नियुक्त वसूली
...........2
...2...
एजेंटों के द्वारा परिवादी से अतिरिक्त धनराषि वसूली का लगातार दबाव बनाया जा रहा है। जिसकी षिकायत परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से किया, परन्तु विपक्षी सं0-2 द्वारा परिवादी की षिकायत पर कोई सुनवाई नहीं की गयी। परिवादी विगत लम्बे समय से गंभीर रूप से अस्वस्थ होने के बावजूद भी विपक्षी सं0-1 के यहां बराबर आता-जाता रहा और विपक्षी सं0-1 के यहां जाकर यह कहा कि यदि उसके ऊपर किसी प्रकार का हाउसिंग लोन सम्बन्धी देय बकाया निकलता है, तो वह अदायगी हेतु तैयार है, परन्तु परिवादी द्वारा सम्बन्धित धनराषि की पूर्व में की गयी समस्त अदायगी का संपूर्ण विवरण परिवादी के पक्ष में दिया जाये। परिवादी को अपने द्वारा की गयी हाउसिंग लोन धनराषि से सम्बन्धित अदायगी का संपूर्ण प्रमाणित विवरण लेने का पूर्ण अधिकार प्राप्त था। किन्तु विपक्षी सं0-1 व 2 ने कभी भी लोन अदायगी सम्बन्धी विवरण परिवादी को प्राप्त नहीं कराया और जानबूझकर परिवादी से अतिरिक्त धनराषि की वसूली का दबाव बनाते चले आ रहे हैं। परिवादी एक साफ- सुथरी छवि वाला ईमानदार व्यक्ति है और उसके ऊपर आज तक किसी भी सरकारी, अर्द्धसरकारी एवं निजी वित्तीय संस्थान का कोई भी देय बकाया नहीं है। विपक्षीगण के द्वारा की गयी लापरवाही एवं सेवा में त्रुटि के कारण परिवादी को अपूर्णनीय षरीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्षति कारित हुई है। परिवादी ने उपरोक्त लोन धनराषि का जो अदायगी किया है, उस संपूर्ण धनराषि को विपक्षी सं0-1 ने अपने लेखे- जोखे में सही ढंग से नहीं दर्षाया है और जब विपक्षी सं0-1 व 2 के द्वारा किया गया व्यवहार संदिग्ध समझ में आया तब परिवादी ने अपने द्वारा की गयी समस्त लोन धनराषि की अदायगी का विवरण ब्याज दरों का विवरण व लोन नियमावली की मांग विपक्षीगण से की गयी। लेकिन विपक्षीगण ने जानबूझकर उपेक्षित व्यवहार किया गया और अभद्रता करके उसे बैंक से भगा दिया, जिससे परिवादी बहुत ही क्षुब्ध हुआ। विपक्षीगण के उपेक्षित व्यवहार के कारण परेषान होकर परिवादी ने विपक्षी सं0-1 को दिनांक 11.04.12 को जरिये अधिवक्ता कानूनी नोटिस प्रेशित किया। लेकिन विपक्षी सं0-1 द्वारा कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं करायी गयी। तब परिवादी ने
............3
...3...
पुनः दिनांक 14.05.12 को जरिये अधिवक्ता कानूनी नेटिस विपक्षीगण को प्रेशित किया। लेकिन विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अतः परिवादी को विपक्षीगण के द्वारा की गयी त्रुटिपूर्ण सेवा के लिये परिवादी को लगभग रू0 3,00,000.00 तथा भागदौड़, हर्जा- खर्चा, नोटिस व्यय तथा अधिवक्ता फीस कुल रू0 10000.00 तथा वाद व्यय का खर्चा रू0 20,000.00 कुल रू0 3,30,000.00 विपक्षीगण से दिलाया जाये।
3. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षीगण फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षीगण पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 29.11.13 को विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 04.09.12 व 14.02.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगायत् 1/64 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
5. फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को एकपक्षीय रूप से सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुख विचारणीय बिन्दु यह है कि क्या परिवादी द्वारा विपक्षी से लिये गये ऋण की अदायगी का विवरण व ब्याज दरों का विवरण व लोन नियमावली की मांग विपक्षीगण से की गयी है और विपक्षीगण के द्वारा उपभोक्ता को उक्त वांछित अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गये।
इस सम्बन्ध में पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी की ओर से षपथपत्र के अतिरिक्त विपक्षी सं0-1 को पंजीकृत
............4
...4...
डाक से नोटिस दिनांक 11.04.12 को भेजी गयी है। जिससे यह प्रमाणित होता है कि परिवादी द्वारा, विपक्षी सं0-1 से उपरोक्त विवरण मांगा गया है। चूॅकि परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण से ऋण लिया गया है, इसलिए परिवादी, उपरोक्त जानकारियॉं विपक्षी ऋणदाता से प्राप्त करने का अधिकारी है। प्रस्तुत मामले में विपक्षीगण बावजूद तामीला उपस्थित नहीं आया और न ही तो परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त कथन व तत्सम्बन्धी प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों का खण्डन किया गया है। अतः परिवादी की ओर से किये गये उपरोक्त कथन व साक्ष्य अखण्डनीय हैं।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलेक में फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद एकपक्षीय व आंषिक रूप से परिवादी को विपक्षीगण से उपरोक्त याचित अभिलेख दिलाये जाने हेतु तथा परिवाद व्यय दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक एवं एकपक्षीय रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी को, परिवादी द्वारा लोन अदायगी से सम्बन्धित लोन धनराषि की अदायगी का संपूर्ण प्रमाणित विवरण उपलब्ध करायें तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
...........5