PREM PRAKASH ETC. filed a consumer case on 31 Mar 2021 against SBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/92/2017 and the judgment uploaded on 05 Apr 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 92 सन् 2017
प्रस्तुति दिनांक 07.06.2017
निर्णय दिनांक 31.03.2021
....................................................................................परिवादीगण।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादीगण ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि उनकी बहू सख्त बीमार थी और उसका इलाज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली में चल रहा था और माह अप्रैल में उसके ऑपरेशन का दिन सुनिश्चित हुआ। बहू के ऑपरेशन में परिवादीगण के क्षमता से अधिक पैसे की जरूरत थी लेहाजा अपनी रोजी-रोटी में रफता-रफता कर के बचाए गए रुपए का उपयोग प्राण रक्षा में करने के उद्देश्य से प्रार्थीगण ने चेक नं. 117984 के माध्यम से 2,00,000/- रुपए दिनांक 30.01.2017 को विपक्षी के शाखा में इस उम्मीद के साथ जमा किया कि ऑपरेशन के पूर्व भुगतान मिल जाएगा और उक्त रकम बहू के इलाज में काम आएगी। चूंकि अप्रैल माह में बहू के ऑपरेशन का डेट निश्चित था इसलिए चेक जमा करने के बाद कुछ-कुछ दिन के अन्तराल पर प्रार्थीगण पूरे फरवरी व मार्च भर भुगतान हेतु विपक्षी से आरजू मिन्नत करते रहे लेकिन विपक्षी ने सदैव उपेक्षात्मक रवैया अपनाया और प्रार्थीगण के भुगतान में कोई रुचि नहीं लिया। अतः उसे काफी मानसिक व आर्थिक क्षति हुई। जनवरी 2017 में जमा किए गए चेक का भुगतान प्रार्थीगण को नहीं मिला। चूंकि वह रकम परिवादीगण को प्राप्त नहीं हो पाया। अतः परिवादीगण उसका उपयोग नहीं कर पाया। ऑपरेशन से मुक्त होकर परिवादीगण मरीज को लेकर अपने घर आए। अतः परिवादीगण को 2,00,000/- रुपए का भुगतान चेक संख्या 117984 के माध्यम से ब्याज सहित कराया जाए तथा आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए 5,00,000/- रुपए विपक्षी से दिलवाया जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या शाखा प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक आजमगढ़ को दिए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 6/2 दो लाख रूपए जमा करने की रसीद की छायाप्रति, कागज संख्या 6/3ता6/5 ऑपरेशन से सम्बन्धित कागजात की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
विपक्षी द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादीगण को परिवाद पत्र प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं था। परिवादीगण स्वच्छ मानसिकता के साथ नहीं आए हैं। वास्तविकता यह है कि परिवादीगण ने एक चेक संख्या 117984 दिनांकित 23.01.2017 को निर्गत हुआ था वह पोस्ट ऑफिस का चेक था मार्च माह में जमा किया उक्त चेक को खाताधारक के खाता संख्या 10955040443 में जमा होने हेतु एस.सी.नं. 105974024 के माध्यम से दिनांक 02.03.2017 को फीड किया तथा उक्त चेक कलेक्शन हेतु सम्बन्धित को प्रेषित कर दिया गया जो काफी दिनों बाद सम्बन्धित द्वारा विपक्षी को बिना भुगतान किए वापस कर दिया। चूंकि चेक पोस्ट ऑफिस का था सुदूर ग्रामीण अंचल में अवस्थित पोस्ट ऑफिस से निर्गत था तथा जारीकर्ता का हस्ताक्षर व्यक्तिगत सम्पर्क कर ही स्पष्ट हो सकता था। परिवादीगण को विवादित धनराशि मय ब्याज प्राप्त हो चुकी है। बैंक ने अपने जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया है। विपक्षी बैंक से कोई भी चूक नहीं की गयी है।
विपक्षी द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी ने प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 12ग/1 चेक के कलेक्शन इन्क्वायरी की छायाप्रति तथा कागज संख्या 12ग/2व12ग/3 खाते का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
उभय पक्षों की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी ने कथित किया है कि जो चेक परिवादी ने जमा किया था वह पोस्ट ऑफिस के खाते से सम्बन्धित था जिसके सन्दर्भ में इन्क्वायरी रिपोर्ट दाखिल की गयी है। इन्क्वायरी रिपोर्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि बैंक ने परिवादी का चेक जिस पोस्ट ऑफिस को भेजा गया था वह पोस्ट ऑफिस उस क्षेत्र की नहीं थी। अतः उस पर कोई कार्यवाही नहीं हो पायी। अतः उस चेक को वहाँ से विपक्षी बैंक को वापस भेज दिया। पुनः स्टेट बैंक ने उस चेक को सम्बन्धित पोस्ट ऑफिस को भेजा जो दिनांक 24.07.2017 को परिवादी के खाते में रु. 367/- ब्याज तथा रु. 2,00,000/- अन्तरित हुआ है। यह विलम्ब
जो कारित हुई है। उसमें विपक्षी का कोई योगदान नहीं है और यह विलम्ब पोस्ट ऑफिस से धनराशि इकट्ठा करने के कारण हुई है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से बैंक ने कोई भी नेग्लीजेन्स नहीं किया है। अतः परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवाद- पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 31.03.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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