EX.EN filed a consumer case on 21 Oct 2021 against SBI in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/47/2010 and the judgment uploaded on 12 Nov 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 47 सन् 2010
प्रस्तुति दिनांक 19.02.2010
निर्णय दिनांक 21.10.2021
अधिशासी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड- प्रथम आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह विद्युत वितरण खण्ड प्रथम सिधारी आजमगढ़ में अधिशासी अभियन्ता के पद पर कार्यरत है और एक लोक सेवक है और उसका विपक्षी के बैंक में खाता है, जिसका नं. 10954886442 है। उक्त खाते का संचालन बहैसियत अधिशासी अभियन्ता परिवादी द्वारा किया जाता रहा है। परिवादी के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम आजमगढ़ द्वारा मुoनं. 233/2002 माधुरी राय बनाम अधिशासी अभियन्ता में दिनांक 06.08.2007 को माधुरी राय के पक्ष में मुo 3,00,000/- (तीन लाख रुपया) अदा करने का आदेश हुआ, जिसके विरुद्ध परिवादी की तरफ से माo राज्य आयोग में अपील 2789/07 दाखिल कराई गयी, जिसमें माo राज्य आयोग ने यह आदेश पारित किया कि अपीलार्थी तीन लाख रुपया यदि जिला उपभोक्ता मंच के यहाँ जमा कर देता है तो दिनांक 06.08.2007 के आदेश का क्रियान्वयन अपील के निस्तारण तक स्थगित रहेगा। माo राज्य आयोग के आदेश दिनांक 28.12.2007 के बाद परिवादी के पूर्वाधिकारी ने तीन लाख रुपया अदा करने हेतु अपने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा। पैसा अवमुक्त न हो पाने के पहले ही उनका इस जनपद से स्थानान्तरण हो गया। तत्पश्चात् उक्त पद पर परिवादी के अन्तरित होकर आया और परिवादी को जब उक्त मुकदमें के सम्बन्ध में जानकारी हुई तो परिवादी ने धन अवमुक्त कराने हेतु उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा एवं उनसे सम्पर्क किया। माधुरी राय ने उक्त तीन लाख रुपया की वसूली के लिए उपभोक्ता फोरम आजमगढ़ इजरा वाद संख्या 11/07 दाखिल किया जिसमें माo न्यायालय ने परिवादी के विरुद्ध आर.सी. जारी कर दिया गया। परिवादी ने दिनांक 15.12.2008 को उक्त इजरा वाद में देरी माफी के प्रार्थना पत्र के साथ माo राज्य आयोग के आदेश के अनुपालन में मुo 3,00,000/- रुपया जमा करने एवं अपील के निस्तारण तक इजरा कार्यवाही स्थगित करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया जो स्वीकार हुआ और न्यायालय द्वारा सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारीगण से आर.सी. वापस करने का निर्देश दिया गया। उक्त बात की जानकारी होने के पश्चात् कि सम्बन्धित आर.सी. का पैसा न्यायालय में जमा हो गया है। मुख्य प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक आजमगढ़ ने प्रशासनिक अधिकारियों की साजिश में होकर बिना परिवादी के पूर्वानुमति के एवं न्यायालय से आदेश प्राप्त किए बिना परिवादी के खाता संख्या 10954886442 से 30,000/- रुपया का चेक तहसीलदार सदर के नाम से दिनांक 09.01.2009 को जारी कर दिया गया। इस प्रकार मुख्य प्रबन्धक स्टेट बैंक आजमगढ़ द्वारा एवं परिवादी के मध्य उक्त खाते के संचालन के सम्बन्ध में जो सेवा शर्ते तय थी उसका घोर उल्लंघन किया गया। विपक्षी के उक्त कार्य से परिवादी को काफी मानसिक सदमा पहुँचा जिससे परिवादी का दवा इलाज में करीब 20,000/- रुपया का नुकसान हुआ। अतः विपक्षीगण के विरुद्ध इस आशय का आदेश पारित किया जाए कि वह माo फोरम द्वारा निहित समय के अन्दर मुo 3,00,000/- रुपया मय 18% ब्याज परिवादी के खाता संख्या 10954889442 में जमा करते हुए परिवादी एवं न्यायालय को अवगत कराए तथा विपक्षीगण से उनके अनाधिकृत कृत्य से परिवादी को हुई मानसिक व आर्थिक हानि हेतु 20,000/- रुपये की क्षतिपूर्ति दिलायी जाए।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
कोई भी प्रलेखीय साक्ष्य परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है।
विपक्षी स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया मुख्य शाखा आजमगढ़ की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के अभिकथनों से इन्कार किया गया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवाद चलने योग्य नहीं है। याची ने मात्र विपक्षी बैंक को तंग व परेशान करने के लिए गलत बयानी के साथ तथ्यों के छिपाते हुए याचिका प्रस्तुत किया है। परिवादी द्वारा माo राज्य आयोग द्वारा पारित आदेश तथा उक्त आदेश द्वारा माo जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम आजमगढ़ के आदेश के क्रियान्वन को स्थगित किए जाने सम्बन्धी किसी भी अपील या आदेश की कोई सूचना विपक्षी बैंक को नहीं दी गयी और न ही माo जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम द्वारा पारित किसी स्थगन आदेश की कोई सूचना ही विपक्षी बैंक को दिया। विपक्षी द्वारा माo जनपद उपभोक्ता संरक्षण फोरम आजमगढ़ के द्वारा जारी आदेश के प्रकाश में कार्यालय उपजिला मजिस्ट्रेट सदर आजमगढ़ के पत्र दिनांक 24.12.2008 के अनुपालन में तहसीलदार सदर आजमगढ़ के पक्ष में 30,000/- रुपया अवमुक्त कर दिया गया। किसी भी प्रकार की साजिश में यह पैसा अवमुक्त नहीं किया गया है। कथन याची विरुद्ध इसके बिल्कुल गलत व बेबुनियाद है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।
विपक्षी स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया मुख्य शाखा आजमगढ़ द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी द्वारा प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 17/1 उपजिला मजिस्ट्रेट सदर आजमगढ़ द्वारा मुख्य प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक को लिखे गए पत्र की प्रति, कागज संख्या 17/2 डेविट स्लिप की छायाप्रति तथा कागज संख्या 17/3 चेक आवेदन पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
दौरान बहस उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। इस पत्रावली के साथ इजरा संख्या 11/2007 माधुरी राय आदि बनाम उoप्रo पॉवर कॉरपोरेशन आदि की पत्रावली संलग्न है जो कि दिनांक 10.02.2009 को पूर्ण संतुष्टि में खारिज कर दी गयी है। चूंकि परिवादी ने कोई भी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। ऐसी स्थिति में किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचना असम्भव है। अतः हमारे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 21.10.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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