Rajasthan

Nagaur

46/2013

Babulal Bishnoi - Complainant(s)

Versus

SBI - Opp.Party(s)

Sh. S V Pareek

04 Mar 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 46/2013
 
1. Babulal Bishnoi
Rotu,Nagaur
...........Complainant(s)
Versus
1. SBI
MD,Ladnu,Nagaur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 
For the Complainant:Sh. S V Pareek, Advocate
For the Opp. Party: Sh Shafiq Khilji, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 46/2013

 

बाबूलाल पुत्र श्री रामधन, जाति-विष्नोई, निवासी ग्राम- रोटू, तहसील-जायल, जिला-नागौर (राज.)।                                                                                                                        -परिवादी     

बनाम

 

1.            भारतीय स्टेट बैंक जरिए षाखा प्रबन्धक, षाखा कार्यालय राहू गेट के पास, लाडनूं, जिला-नागौर (राज.)।

               

                                       -अप्रार्थी   

 

समक्षः

1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री षिवचन्द पारीक, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री षफीक खिलजी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                              आ  दे  ष                      दिनांक 04.03.2016

 

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित संयुक्त उच्चतर माध्यमिक स्तर (10़2) परीक्षा, 2012 के लिए आॅनलाईन आवेदन करना चाहा। जिसके लिए भाग प्रथम का पंजीयन करवाकर चालान प्राप्त करने की अन्तिम तिथि 08.08.2012 थी। इसके बाद भाग द्वितीय के लिए आवेदन का पंजीयन किया जाना था। परिवादी ने आॅनलाईन आवेदन के लिए प्रथम भाग का पंजीकरण करवाकर दिनांक 07.08.2012 को कर्मचारी चयन आयोग का एक चालान अप्रार्थी संस्थान के केष काउंटर पर जमा करवाया। जो चालान अप्रार्थी संस्थान ने विहित षुल्क प्राप्त कर जमा कर लिया। अगले दिन दिनांक 08.08.2012 को आवेदन की अंतिम तिथि को परिवादी ने आॅनलाईन आवेदन करना चाहा तो उसे पता चला कि अप्रार्थी संस्थान ने चालान की रसीद पर बैंक जर्नल नम्बर ही अंकित नहीं किए। जिस वजह से आवेदन प्रक्रिया पूर्ण किया जाना संभव नहीं है। इस पर वो अप्रार्थी संस्थान के यहां पहुंचा तथा वहां स्थित केष काउंटर पर कैषियर से चालान पर बैंक जर्नल नम्बर दर्ज करने का निवेदन किया। इस पर कैषियर ने अषोभनीय व्यवहार करते हुए षाम पांच बजे आने का कहकर निकाल दिया। परिवादी 4.30 पीएम पर ही वापस बैंक गया तो कैषियर नहीं मिला। अन्य कार्मिकों  को पूछा तो बताया कि कैषियर बाहर गया हुआ और उन्हें चालान के कोई जर्नल नम्बर बताकर नहीं गए हैं। इसके चलते परिवादी अपना आवेदन नहीं कर सका। कारण कि कर्मचारी चयन आयोग ने आॅनलाईन प्रक्रिया के तहत दिनांक 08.08.2012 को षाम 5 बजे आवेदन (भाग प्रथम का पंजीकरण) लेना बंद कर दिया था। इस तरह से परिवादी अप्रार्थी संस्थान के कर्मचारी की लापरवाही के चलते आॅनलाईन आवेदन की अंतिम तिथि को आवेदन करने में विफल हो गया। परिवादी ने आयोग की लिपिक वर्ग परीक्षा के लिए कडी मेहनत की मगर इस तरह बैंक कर्मचारी की लापरवाही से उसकी मेहनत पर पानी फिर गया। अतः परिवादी को, अप्रार्थी के सेवा दोश के चलते हुई क्षति के रूप में 50,000/- रूपये, षारीरिक, मानसिक व मानसिक संताप के 10,000/- रूपये एवं परिवाद व्यय के 5,000/- रूपये दिलाये जावें।

 

2.            प्रतिपक्षी बैंक द्वारा प्रस्तुत जवाब परिवाद के सार संकलन के अनुसार परिवादी के अभिकथनों को अस्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा बैंक के कैष काउंटर पर चालान जमा करवाना तथा लिपिक द्वारा भूलवष परिवादी के चालान पर जर्नल नम्बर अंकित नहीं किया जाना स्वीकार किया तथा कथन किया कि बाद में परिवादी द्वारा चालान साथ नहीं लाने के बावजूद सादे पेपर पर जर्नल नम्बर लिखकर बता दिया गया था। प्रतिपक्षी ने लिपिक की इस भूल को सद्भाविक भूल होना बताया तथा कहा कि इसे दूसरे ही दिन दुरस्त कर दिया गया। प्रतिपक्षी ने अपने जवाब में बैंक षाखा प्रबन्धक द्वारा सम्बन्धित लिपिक को नोटिस जारी किया जाना भी स्वीकार किया। साथ ही यह भी स्वीकार किया कि परिवादी द्वारा उक्त घटना की षिकायत बैंकिग लोकपाल को किए जाने पर लोकपाल के निर्णय अनुसार परिवादी को 1,000/- रूपये अदा करने का आदेष दिया गया। जिसे परिवादी को जरिये चैक भिजवा दिया गया। परिवादी द्वारा परीक्षा के आवेदन की अंतिम तिथि 08.08.2012 गलत बताई गई है जबकि आवेदन की अंतिम तिथि 10.08.2012 थी। परिवादी ने उक्त अंतिम तिथि तक कोई आवेदन ही नहीं किया। परिवादी को उक्त अंतिम तिथि तक कोई आक्षेप होता तो वह दिनांक 10.08.2012 तक प्रतिपक्षी बैंक में सम्पर्क कर सकता था। अतः परिवाद परिवादी खारिज किया जावे।

 

3.            दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात पेष किये गये।

 

4.            बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई। अभिलेख का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।

 

5.            परिवादी द्वारा प्रस्तुत षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात से यह स्पश्ट है कि परिवादी ने कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा आवेदन प्रक्रिया के तहत अप्रार्थी ने बैंक में चालान जमा करवाया था एवं प्रतिपक्षी ने इस तथ्य को स्वीकार भी किया है। अतः परिवादी अप्रार्थी का उपभोक्ता होना पाया जाता है।

 

6.            प्रतिपक्षी के जवाब से भी यह निर्विवाद है कि परिवादी ने परीक्षा आवेदन प्रक्रिया के तहत ही बैंक में चालान जमा करवाया तथा बैंक लिपिक द्वारा चालान पर जर्नल नम्बर अंकित होना रह गया। यह भी स्पश्ट है कि बैंक की ओर से सम्बन्धित लिपिक को इस बाबत् नोटिस दिया गया तथा परिवादी द्वारा बैंकिंग लोकपाल को षिकायत किये जाने पर लोकपाल द्वारा परिवादी को 1,000/- रूपये अदा करने का आदेष दिया गया जिसका चैक परिवादी को भिजवाया गया।

 

7.            परिवादी की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजात प्रदर्ष 1 से 6 अभिलेख पर मौजूद है, जिसके अनुसार परिवादी ने आवेदन की आॅनलाईन प्रक्रिया अपनाई। आवेदन पंजीकरण के तहत ही उसने बैंक में चालान जमा करवाया मगर बैंक लिपिक ने उस पर जर्नल नम्बर अंकित नहीं किये। यह प्रदर्ष 4 जमा चालान से साबित है। बैंक ने इसका कारण उस दिन बैंक में अभ्यर्थियों व गा्रहकों की भीड के चलते लिपिक द्वारा भूलवष जर्नल नम्बर अंकित नहीं किया जाना बताया जबकि उसी दिन अन्य अभ्यर्थियों के चालान पर जर्नल नम्बर अंकित किए गए जो प्रदर्ष 5 व 6 से साबित है। बैंक ने अपने जवाब में आवेदन की अंतिम तिथि 10.08.2012 होना बताया है जबकि परिवादी की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज प्रदर्ष 1 से स्पश्ट है कि आवेदन प्रक्रिया के तहत परीक्षा के भाग प्रथम का पूूर्ण रजिस्ट्रेषन 08.08.2012 को षाम 5 बजे तक ही होना था, उसके बाद 10.08.2012 को षाम 5 बजे तक भाग द्वितीय के तहत रजिस्ट्रेषन होना था लेकिन प्रतिपक्षी की गलती के कारण प्रार्थी परीक्षा के भाग प्रथम का पूर्ण रजिस्ट्रेषन ही नहीं करवा सका, इसी कारण आगामी प्रक्रिया से वंचित रहा है।

 

8.            परिवादी की ओर से आवेदन प्रक्रिया अपनाने से स्पश्ट है कि उसने इसके लिए आवेदन करना चाहा तथा आवेदन प्रक्रिया के तहत ही बैंक में चालान जमा करवाया। लेकिन चालान पर जर्नल नम्बर अंकित नहीं होने से वह आवेदन की आगामी प्रक्रिया अपना नहीं सका लिहाजा वो आवेदन से वंचित रह गया। प्रतिपक्षी ने बैंक लिपिक द्वारा भूलवष चालान पर जर्नल नम्बर अंकित नहीं किया जाना, इस बाबत् उसे नोटिस दिया जाना तथा बैंकिंग लोकपाल द्वारा परिवादी को 1,000/- रूपये अदा किये जाने का आदेष दिया जाना स्वीकार किया है। लेकिन परिवादी ने उक्त राषि के चालान को विड्राॅल नहीं किया है।

 

9.            जहां तक परिवादी को हुई क्षति एवं अनुतोश का प्रष्न है तो परिवादी ने इस बाबत् कोई स्पश्ट अभिकथन न कर अपने आवेदन में मात्र यह उल्लेख किया है कि अप्रार्थी के सेवा दोश पूर्ण कृत्य के कारण परिवादी को गहन मानसिक, आर्थिक व षारीरिक संताप से व्यथित होना पडा है। लेकिन पत्रावली पर उपलब्ध समस्त तथ्यों से स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा ली गई कोचिंग में खर्चा होने के साथ-साथ उसका अमूल्य समय भी बर्बाद हुआ है एवं उसके द्वारा परीक्षा आवेदन प्रक्रिया के तहत अप्रार्थी बैंक में चालान के 1,00/- रूपये जमा करवाये वो भी व्यर्थ गये। ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत आवेदन स्वीकार करते हुए उसे निम्नलिखित प्रकार से अनुतोश दिलाया जाना न्यायोचित होगा।

 

आदेश

 

10.          परिणामतः परिवादी द्वारा प्रस्तुत अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विरूद्ध अप्रार्थी स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थी अपने सेवादोश पूर्ण कृत्य के कारण परिवादी को हुई क्षति के रूप में 5,000/- रूपये, मानसिक संताप के रूप में 5,000/- एवं 2,500/- रूपये परिवाद व्यय के भी अदा करें। अप्रार्थी सम्पूर्ण राषि एक माह के अंदर अदा करें।

 

11.          आदेष आज दिनांक 04.03.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

 

नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।                              ।ईष्वर जयपाल।                

सदस्य                                      अध्यक्ष                  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER

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