Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/285/13

RAUNAK - Complainant(s)

Versus

SBI. - Opp.Party(s)

ABHILASH SHUKLA

23 Aug 2014

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/285/13
 
1. RAUNAK
KAUSHALPURI KANPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. SBI.
THE MALL ROAD KANPUR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 23 Aug 2014
Final Order / Judgement


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह.......................................वरि0सदस्य
    सुधा यादव.....................................................सदस्या
    

उपभोक्ता वाद संख्या-285/2013
मे0 रौनक गृह उद्योग द्वारा प्रोपराइटर सुरजीत सिंह पुत्र मनीराम अरोड़ा, निवासी मकान नं0-118/29, कौषलपुरी, कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
स्टेट बैंक आफ इण्डिया (एस0ए0आर0बी0) सर्वसम्मन की तामीली क्षेत्रीय कार्यालय सम्मन जरिये असिस्टेंट जनरल मैनेजर दिमाल, कानपुर नगर।
                             ...........विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 28.05.2013
निर्णय की तिथिः 10.08.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःएकपक्षीय-निर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी बैंक को आदेषित किया जाये कि वह परिवादी के ऊपर जो रू0 5,29,027.00 निकाला गया है, को अवैध घोशित किया जाये तथा एकमुष्त समाधान योजना के अंतर्गत जमा रूपया पहले लोन खाते से काटे फिर हिसाब बताये और जो परिवादी से ब्याज रू0 200000.00 मषीनरी में लिया गया है, वह वापस करे।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने ग्रामोउद्योग रोजगार योजना के अंतर्गत एक प्रार्थनापत्र दिनांक 17.05.06 को दिया था। उक्त योजना के अंतर्गत जिसमें रू0 950000.00 का प्रारूप दाखिल किया। जिसमें रू0 2,11,000.00 कैपिटी एक्सपेंडीचर वर्किंग कैपिटल रू0 7,39,000.00 दिखाया था और इन सबके बाद रू0 9,00,000.00 और उसमें परिवादी का जो सब्सीडी होती है। क्योंकि परिवादी अल्पसंख्यक की श्रेणी में आता है, जिसके अंतर्गत दाखिल किया गया था। परिवादी को एक प्रार्थनापत्र दिनांक 11.05.12 प्राप्त हुआ जिसमें ओ0टी0एस0 स्कीम के अंतर्गत खाता नं0-30265687203 मन्धना कानपुर नगर षाखा के बावत लिखा और  कहा कि रू0 6,13,583.00  बकाया का 
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ओ.टी.एस. के अंतर्गत पांच प्रतिषत रूपया जमा करने के लिए आदेषित किया गया था। परिवादी ने रू0 30,700.00 बैंक में दिनांक 30.05.12 को पत्र द्वारा जमा किया और कहा कि उसके ओ0टी0एस0 स्कीम के अंतर्गत उक्त वाद का निस्तारण कर दिया जाये। विपक्षी ने एस0बी0आई0 मन्धना षाखा कानपुर नगर में लोन एप्लाई किया और मन्धना षाखा द्वारा परिवादी का लोन रू0 9,00,000.00 पारित किया तथा एक लाख रूपया प्राप्त हुआ उसमें रू0 2,06,000.00 मषीनरी का है व रू0 100000.00 कार्यपूजा के लिए लेना स्वीकृत हुआ। परिवादी को जब मषीनरी का लोन प्राप्त हुआ तब रू0 285000.00 का एक टर्म डिपोजिट एफ0डी0 जमा किया था, जो कि विपक्षी ने मषीनरी का रू0 2000000.00 दिया था। दो वर्श बाद एस.बी.आई. मंधना ने वह कार्य पूजी रू0 200000.00 दिया था। वह रू0 285000.00 का एफ0डी0 बना था। वह अपना यह लोन एडजेस्ट कर लिया और बैंक ने रू0 285000.00 पर ब्याज लिया। जब तक की डी0आर0 में ब्याज मिलना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ब्याज नहीं देकर अपना लोन खाता एडजेस्ट कर लिया और रू0 200000.00 पर ब्याज भी ले लिया। परिवादी को जो रूपया दिया था, वह एक मूल समाधान योजना के अंतर्गत परिवादी ने रू0 30700.00 दिनांक 30.05.12 को जमा कर दिया जिससे एस.बी.आई. ने खाते में नहीं जोड़ा। जब बाद में मूल धन रू0 30700.00 घटा देना चाहिए था और इस तरह विपक्षी ने अवैध तरीके से दिनांक 28.04.12 को रू0 2,70,330.00 जो कि बाकी था, पर रू0 95,935.92 का ब्याज लगाकर रू0 3,66,273.00 निकाल लिया। इस तरह से स्टेटमेंट एकाउन्ट बनाया था, जो कि गलत बनाया था, जो कि परिवादी स्टेटमेंट एकाउन्ट संलग्न कर रहा है। विपक्षी ने यह भी बताया कि परिवादी को उसकी सूचना दे दी जायेगी और जो उसका ओ0टी0एस0 स्कीम के अंतर्गत रूपया पास हुआ है या नहीं। परिवादी ने रूपया जमा कर दिया। उसके बाद परिवादी कई बार बैंक गया और उसको कुछ भी नहीं बताया गया न ही कोई सूचना दी गयी कि परिवादी को ओ0टी0एस0 स्कीम के अंतर्गत रूपया जमा करना था। उक्त में विपक्षी ने रू0 3,66,274.00 विधिक 
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....3...

व्यय व सूचना खर्च जोडने के बाद परिवादी का रूपया जोडा। परिवादी ने यह बात विपक्षी को बतायी कि उसके विरूद्ध कोई विधिक कार्यवाही नहीं हुई, इसलिए विधिक व्यय नहीं लग सकता है। परिवादी को बैंक द्वारा दिनांक 18.05.13 को एक नोटिस प्राप्त हुई, जो कि दिनांक 18.05.13 की 23.05.13 को प्राप्त हुई, उसमें रू0 5,29,027.00 की मांग की और उन्होंने कहा कि अगर नहीं दोगे तो धारा-13 (2) सरफासी एक्ट 2002 के अंतर्गत कार्यवाही दिनांक 03.03.10 को कर दी है। परिवादी को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिससे परिवादी आवाक रह गया। विपक्षी को आदेषित किया जाये कि ओ0टी0एस0 स्कीम दिनांक 11.05.12 के पत्र के अनुसार परिवादी से ओ0टी0एस0 स्कीम के अंतर्गत रू0 3,66,274.00 की मांग किया था, वह जो परिवादी देने के लिए तैयार है और परिवादी का रू0 2,85,000.00 व बैंक ने जो अपने पास जमा कर लिया है और उसका ब्याज भी विपक्षी ने परिवादी को नहीं दिया, जो कि बैंक के द्वारा काट लिया गया है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी को जरिये रजिस्टर्ड डाक नोटिस भेजी गयी, किन्तु विपक्षी बावजूद विधिक नोटिस फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा दिनांक 28.04.14 को विपक्षी के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय चलाये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में सुरजीत सिंह का षपथपत्र दिनांकित 28.05.13, 16.08.14, 10.03.15, 26.10.15 व 29.07.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1 लगातय् 6 एवं सूची कागज सं0-2 के साथ संलग्न कागज सं0-2/1 लगायत् 2/15 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
5.    फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
...4...

    परिवाद पत्र को गंभीरतापूर्वक पढ़ने के पष्चात यह स्पश्ट नहीं होता है कि परिवादी किस तथ्य का उल्लेख करना चाहता है और परिवाद पत्र के गंभीरातपूर्वक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अस्पश्ट तथ्य परिवाद पत्र में अंकित किये गये है। प्रथम दृश्टया यह प्रतीत होता है कि परिवादी स्वयं में मेसर्स रौनक ग्रह उद्योग चलाता है। अतः परिवाद पत्र अस्पश्ट होने के कारण तथा परिवादी द्वारा वाणिज्यिक कार्य करने के कारण, परिवाद पत्र स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
6.     उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से खारिज किया जाता है।


  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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