manish ranjan pandey filed a consumer case on 11 Jul 2016 against SBI Life in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is cc/209/2009 and the judgment uploaded on 29 Jun 2017.
मनीश रंजन पाण्डेय पुत्र श्री रवीन्द्र चन्द्र निवासी 38-बी, ब्लाक एम.आई.जी. पनकी, कानपुर।
................परिवादी
बनाम
1.एस.बी.आई. लाइफ इंष्योरेन्स कंपनी लि0 रतन स्क्वायर चतुर्थ तल चन्नीगंज कानपुर।
2.षाखा प्रबन्धक, स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया आर.ए.सी.पी.सी. षाखा प्रथम तल ब्लाक नं0-5, जोनल आफिस दि माल कानपुर-208001
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 02.03.2009
निर्णय तिथिः 06.06.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से रू0 8,50,000.00 मय 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दिलाया जाये, रू0 1,00,000.00 मानसिक व षारीरिक क्षतिपूर्ति के लिए तथा परिवाद व्यय के लिए दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि विपक्षी सं0-2 के कहने पर परिवादी द्वारा ’’एस.बी.आई. लाइफ सुपर सुरक्षा स्कीम’’ की पॉलिसी विपक्षी सं0-1 से विपक्षी से गृह ऋण प्राप्त करने के लिए अपनी मॉं अल्का पाण्डेय के साथ संयुक्त रूप से ली गयी। विपक्षी सं0-2 ब्रांच मैनेजर के द्वारा ऐसा व्यवहार किया गया, जिससे परिवादी की यह अवधारणा बनती रही कि विपक्षी सं0-2, विपक्षी सं0-1 का एजेंट है। उसके द्वारा परिवादी और उसकी मॉं से अन्यान्य प्रपत्रों पर परिवादी को उन प्रपत्रों में अंकित अंतरवस्तु को समझाये बिना अथवा परिवादी को उक्त प्रपत्रों को पढ़ने का अवसर दिये बिना हस्ताक्षर करवाये गये और तदोपरान्त रू0 9,71,000.00 मकान सं0-38 बी ब्लाक एम.आई.जी. बिनवापुर पनकी कानपुर को क्रय करने के लिए संस्तुति की गयी। उक्त
..........2
...2...
स्वीकृति ऋण राषि में रू0 8,50,000.00 गृह ऋण के रूप में रू0 1,21,000.00 विपक्षी के द्वारा जारी की गयी एस.बी.आई. लाइफ सुरक्षा स्कीम जिसमें वरिश्ठ परिवादी/परिवादी की मॉं अल्का पाण्डेय का रिस्क कवर किया गया था-के एकमुष्त किष्त के रूप में थे। विपक्षी सं0-1 द्वारा बीमा पॉलिसी सं0-एच.एल./220601 दिनांकित 12.07.06 वैध दिनांक 17.06.06 और तदोपरान्त ग्रुप मास्टर होम पॉलिसी, मास्टर प्लान पॉलिसी नं0-300/000301 परिवादी की मॉं अल्का पाण्डे का नाम अंकित करते हुए दिनांक 17.06.06 से जारी किया गया। दुर्भाग्य से उपरोक्त बीमा अवधि में परिवादी की मॉं अल्का पाण्डे का देहांत दिनांक 05.08.06 को ब्ंतकपब त्मेचंतपजवतल थ्ंपसनतम के कारण हो गया। तदोपरान्त परिवादी द्वारा समस्त औपचारिकतायें पूर्ण करके, क्लेम फार्म विपक्षी सं0-1 के यहां विपक्षी सं0-2 से अग्रसारित करवाकर भेजा गया। किन्तु विपक्षी सं0-1 के द्वारा मनमाने तरीके से परिवादी का क्लेम अपने पत्र दिनांकित 23.08.07 के माध्यम से अदेय कर दिया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी का क्लेम अदेय करने का कारण यह बताया गया कि अल्का पाण्डेय को गंभीर रक्त की कमी की बीमारी थी। रिस्क कवर से पूर्व वह लगातार औशधियां ले रही थीं। परिवादी की मॉ अल्का पाण्डे को बीमा पॉलिसी प्राप्त करने से पूर्व कुपोशण की बीमारी थी। इस प्रकार परिवादी की मॉं अल्का पाण्डेय के द्वारा प्रस्ताव फार्म में झूठे तथ्य अंकित किये गये थे, जिसके कारण क्लेम अदेय किया गया। विपक्षी सं0-1 का उपरोक्त कथन पूर्णतया असत्य है। विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी के क्लेम अदेय पत्र के साथ श्रीमती अल्का पाण्डेय के अच्छे स्वास्थ्य से सम्बन्धित घोशणा की कोई प्रति परिवादी को नहीं दी गयी। जबकि विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा यह कहा गया कि श्रीमती अल्का पाण्डेय के द्वारा अपने अच्छे स्वास्थ का घोशणापत्र विपक्षी बीमा कंपनी को दिया गया था। फलस्वरूप परिवादी द्वारा जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना मांगी गयी। जिसके उत्तर में विपक्षी सं0-1 द्वारा दिनांक 27.06.08 को परिवादी को स्वास्थ्य प्रष्नोत्तरी जो कि श्रीमती अल्का पाण्डेय के द्वारा हस्ताक्षरित थी, परिवादी को दिया गया।
.............3
...3...
जिसके रिमार्क कालम में ल्मे अथवा छव में कोई रिमार्क नहीं दिया गया है। परिवादी द्वारा लोकपाल के यहां षिकायत की गयी। लोकपाल द्वारा भी परिवादी की नहीं सुनी गयी। परिवादी निम्नलिखित कारणों से अपना क्लेम बावत रू0 8,50,000.00 प्राप्त करने का अधिकारी हैः-
1.अल्का पाण्डेय द्वारा अपने स्वास्थ्य के प्रति की गयी घोशणा सहमति पत्र में ल्मे अथवा छव कालम रिक्त छोड़े गये थे। इस प्रकार विपक्षी सं0-1 का यह कथन असत्य है कि श्रीमती अल्का पाण्डेय के द्वारा अपने अच्छे स्वास्थ्य के प्रति गलत सूचना दी गयी।
2.चूंकि स्वास्थ्य के प्रति दिये गये घोशणा पत्र को हस्ताक्षरित नहीं किया गया था।
3.उपरोक्त परिस्थितियों में जहां पर अच्छे स्वास्थ्य की घोशणा में ल्मे अथवा छव में कोई उत्तर न दिया गया हो और इसके बावजूद विपक्षी सं0-1 ऐसे घोशणापत्र का क्रियान्वयन किया हो और रिस्क कवर किया गया हो तो यह अवधारणा की जायेगी कि बीमा कंपनी के द्वारा ळववक भ्मंसजी की आवष्यकता को स्वयमेंव आवष्यक नहीं माना गया है।
4.क्योंकि विपक्षी सं0-1 द्वारा रू0 24,023.00 चिकित्सा परीक्षण के लिए रोक लिया गया और उक्त धनराषि दिनांक 12.08.06 को श्रीमती अल्का पाण्डेय की मृत्यु के पष्चात वापस कर दी गयी। जिससे यह अवधारणा बनती है कि विपक्षी बीमा कंपनी के द्वारा अच्छे स्वास्थ्य की घोशणा को आवष्यक नहीं माना गया।
5.इस प्रकार श्रीमती अल्का पाण्डेय के द्वारा अच्छे स्वास्थ्य के प्रति अच्छे स्वास्थ्य की घोशणा के आधार पर क्लेम अदेय नहीं कर सकता। बीमा प्रस्ताव फार्म भरने के दौरान श्रीमती अल्का पाण्डेय को अच्छे स्वास्थ्य के घोशणा के अंतर्गत परिभाशित बीमारियों में कोई बीमारी नहीं थी।
6.डा0 षिव मंगल की रिपोर्ट दिनांकित 06.05.06 उक्त बीमा पॉलिसी प्राप्त करने से पूर्व श्रीमती अल्का पाण्डेय का हीमोग्लोबिन 12.4 ग्राम था, जिससे सिद्ध होता है कि श्रीमती अल्का पाण्डेय को कुपोशण जैसी कोई बीमारी नहीं थी।
..........4
...4...
7.रक्त की कमी की स्थिति में क्लेम अदेय करने का आधार नहीं बनाया जा सकता।
8.अभिकथित स्वास्थ्य प्रष्नोत्तरी घोशणा में युक्ति-युक्त स्वास्थ्य की आवष्यकता नहीं थी।
9.विपक्षी सं0-1 द्वारा अच्छे स्वास्थ्य की प्रष्नावली विस्तृत नहीं तैयार की गयी।
10.दिल्ली राज्य आयोग के द्वारा पारित निर्णय जिसकी रिपोर्ट दैनिक जागरण कानपुर एडीषन दिनांक 16.06.08 में की गयी है, के अनुसार यदि बीमित द्वारा अपनी बीमारी का स्वास्थ्य से सम्बन्धित कोई तथ्य बीमा से पूर्व छिपाया गया, हो तो भी बीमा कंपनी को बीमित का क्लेम देना होगा-संलग्नक-9।
11.रक्त की कमी कोई बीमारी नहीं होती है, मात्र लक्षण होता है।
12.चूॅकि श्रीमती अल्का पाण्डेय की मृत्यु के कारण का कोई प्रस्ताव, साक्ष्य नहीं है अथवा कोई चिकित्सीय राय नहीं है, इसलिए विपक्षी सं0-1 द्वारा परिवादी का क्लेम अदेय करना अवैधानिक कार्य है।
13.विपक्षी सं0-1 परिवादी का क्लेम देने के लिए इसलिए भी बाध्य है, क्योंकि विपक्षी सं0-1 एस.बी.आई. लाइफ इंष्योरेन्स कंपनी लि0 को विपक्षी सं0-2 स्टेटबैंक ऑफ इण्डिया के द्वारा अल्का पाण्डेय के चिकित्सीय परीक्षण के लिए रूपया अदा किया गया था, ताकि वह अल्का पाण्डेय का चिकित्सीय परीक्षण करा ले, किन्तु स्वयं विपक्षी सं0-1 द्वारा अपनी मर्जी से श्रीमती अल्का पाण्डेय का चिकित्सीय परीक्षण नहीं कराया गया। जबकि रू0 7,50,000.00 से ऊपर की पॉलिसी के लिए पॉलिसी प्राप्तकर्ता का चिकित्सीय परीक्षण कराया जाना अनिवार्य है।
इस प्रकार परिवादी बीमित धनराषि रू0 8,50,000.00 मय 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से दिनांक 05.08.06 से परिवाद निस्तारित करने की तिथि तक और रू0 1,00,000.00 मानसिक व षारीरिक क्षतिपूर्ति के प्राप्त करने का अधिकारी है।
.............5
...5...
3.विपक्षी सं0-2 की ओर से आपत्ति के रूप में जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित कतिपय तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि वास्तविकता यह है कि विपक्षी बैंक अपने सभी ग्राहको को जो गृह ऋण प्राप्त कर रहे हैं, उनको स्पश्ट रूप से बताया है कि एस.बी.आई. लाइफ इंष्योरेन्स के अंतर्गत अचानक मृत्यु हो जाती है, तो उसके वारिसानों को बैंक कोई ऋण नहीं चुकाता है, बल्कि उक्त ऋण की देनदारी एस.बी.आई. लाइफ की हो जायेगी। इसके विपरीत यदि कोई ऋण लेने वाले व्यक्ति का बीमा नहीं होगा तो ऐसी आपदा आने पर वारिसानों को संपूर्ण किष्त चुकानी पड़ेगी। इन समस्त तथ्यों को समझाने के बाद परिवादी जो अपनी माता जी के साथ सह ऋण प्राप्तकर्ता है, ने उसे सहर्श स्वीकार करके बगैर किसी दबाव के अपने हस्ताक्षर ऋण प्रपत्रों में करके, विपक्षी सं0-2 को दे दिये थे। बैंक विपक्षी सं0-1 का कोई एजेंट नहीं है। बल्कि अपने ग्राहको की जिंदगी की सुरक्षा व उनके वारिसानों के भविश्य को उज्जवल बनाने व ऋण की देयता से सुरक्षित उन्हें बचाने के लिए एस.बी.आई. लाइफ पॉलिसी सुपर सुरक्षा स्कीम को उन्हें अपनाने के लिए सलाह लेना या न लेना ऋण प्राप्तकर्ता के ऊपर है। उल्लेखनीय है कि यदि ऋण प्राप्तकर्ता एस.बी.आई. लाइफ का पूरा प्रीमियम देने में असमर्थ होता है, तो बैंक उक्त प्रीमियम की धनराषि पर भी ऋण प्रदान करती है, ताकि ऋण प्राप्तकर्ता को कोई असुविधा न हो। विपक्षी सं0-2 ने परिवादी व उसकी मां को रू0 9,70,114.00 का गृह ऋण जिसमें एस.बी.आई. लाइफ का प्रीमियम भी षामिल था, प्रदान किया। परिवादी का यह कथन स्वीकार है कि परिवादी की मां की मृत्यु हो जाने के पष्चात उनका क्लेम फार्म विपक्षी सं0-2 ने भरकर विपक्षी सं0-1 के यहां भेज दिया था। परिवादी व विपक्षी सं0-2 ग्राहक व स्वामी है, किन्तु उनके मध्य सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है और न ही सेवा का कोई अभाव है। परिवादी ने ऋण लेने के बाद कितनी धनराषि बैंक के ऋण खाता में जमा की। यह कहीं भी संपूर्ण
..............6
...6...
परिवाद में उल्लिखित नहीं है। जबकि विपक्षी सं0-2 परिवादी के उसके सह ऋण प्राप्तकर्ता होने के नाते संपूर्ण धनराषि उससे प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादी, विपक्षी सं0-2 से किसी भी प्रकार से क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध गलत दाखिल किया गया हे। परिवाद विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध सव्यय खारिज किया जाये।
4.परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी सं0-1 को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षी सं0-1 फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः विपक्षी सं0-1 पर पर्याप्त तामीला मानते हुए विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 27.02.09, 29.10.09, 14.06.11 एवं 09.11.11 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज 1/1 लगायत् 1/32 एवं कागज सं0-2/1 लगायत 2/17 व कागज सं0-3/1 लगायत 3/20 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.विपक्षी सं0-2 ने अपने कथन के समर्थन कुमोद चन्द्र अग्रवाल सहायक महा प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 11.11.11 दाखिल किया है।
निष्कर्श
7.फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5 व 6 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
..........7
...7...
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी है। विपक्षी सं0-1 के द्वारा ही परिवादी का क्लेम अदेय किया गया है। विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध परिवादी द्वारा कहा गया है कि चूॅकि ऋण देते समय विपक्षी सं0-2 के द्वारा विपक्षी सं0-1 के एजेंट के रूप में कार्य किया गया है। इसलिए परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 को भी पक्षकार बनाया गया है। इस सम्बन्ध में विपक्षी सं0-2 की ओर से यह कथन किया गया है कि विपक्षी सं0-2, विपक्षी सं0-1 का एजेंट नहीं है। विपक्षी सं0-2 ऋण प्राप्त करने वाले लोगों को उनकी सहूलियत के लिए तथा उनका ऋण सुरक्षित रहे, इसके लिए राय देता है। ऋण प्राप्त करने वाले लोग चाहे तो विपक्षी सं0-2 की राय स्वीकार करें या न करें। विपक्षी सं0-2 की ओर से यह भी कथन किया गया है कि विपक्षी सं0-2 को अनावष्यक पक्षकार बनाया गयाहै। पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 को विपक्षी सं0-1 का एजेंट होने के सम्बन्ध में कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। अतः विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध कोई क्षतिपूर्ति नहीं बनती है। विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी के विरूद्ध परिवादी की ओर से, विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध प्रस्तुत किये गये षपथपत्रीय साक्ष्य एवं अन्य प्रलेखीय साक्ष्यों पर अविष्वास किये जाने का कोई आधार नहीं है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से याचित धनराषि रू0 8,50,000.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि तायूम वसूली तक तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
...........8
...8...
ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध आंषिक एवं एकपक्षीय रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी सं0-1, परिवादी को, रू0 8,50,000.00 (आठ लाख पचास हजार रूपये) मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
परिवाद संख्या-209/2009
Consumer Court Lawyer
Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.