जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
श्रीमति मनभर पत्नी श्रीसुवालाल, जाति- माली, निवासी- गढ़वालों की ढाणी,मालियों की बाड़ी, किषनगढ, जिला-अजमेर ।
- प्रार्थिया
बनाम
1. एसबीआई लाइफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए प्रबनक, सिटी पावर हाउस के सामने, जयपुर रोड़, अजमेर ।
2. एसबीआई लाइफ इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए अधिकृत प्राधिकारी काॅपरेट आफिस ’’ नटराज’’ ए.म.वी. रोड एण्ड वेस्टन एक्सप्रसेस हाईवे जंक्षन, अंधेरी(ईस्ट)मुम्बई-400069
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 101/2015
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, अधिवक्ता, प्रार्थिया
2.श्री संजय मंत्री,अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-16.08.2016
1. प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी से एक हैल्थ प्लान एसबीआई हाॅस्पिटल कैष रू. 5 लाख की बीमा पाॅलिसी संख्या 46004536503 प्राप्त की । दिनंाक 2.7.2012 को अचानक तबियत खराब होने पर उसे राजकीय यज्ञनारायण अस्पताल, किषनगढ में एक दिन के लिए भर्ती किया गया एवं सोनोग्राफी की गई तथा दवाईयाॅं
लिखकर छुट्टी दे दी गई । कुछ समय तक स्वास्थ्य ठीक रहने के बाद दिनंाक 18.11.2012 से 29.11.2012 तक श्री बालाजी अस्पताल,किषनगढ़ में भर्ती रह कर च्न्व् ब्ीवसमबलेचजपेध्ब्ीवसमसपजीपंेपेध्न्प्ज् नामक बीमारियों का इलाज करवाया । तत्पष्चात् इलाज में खर्च हुई राषि का क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया । जिसे अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने पत्र दिनांक 29.12.2012 से बीमा पाॅलिसी की ष्षर्त संख्या 6.3.2.6. के अन्तर्गत ैजवदम पद इपसपंतल वत नतपदंतल बीमा कवर नहीं होने के कारण खारिज कर दिया । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम खारिज किए जाने को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि अप्रार्थी संख्या 2 का कार्यालय मुम्बई में है व परिवाद का अजमेर में दाखिल किए जाने के फलस्वरूप क्षेत्राधिकारिता के अभाव में परिवाद को खारिज होने योग्य बताया । न्यू इण्डिया इंष्योरेंस क.लि. बनाम गोपाल गुातपा अपील संख्या 428/2008 में माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिनांक 3.9.2013 को दिए गए निर्णय पर अवलम्ब लिया है । परिवाद को खारिज करने की तिथि से 2 वर्ष बाद प्रस्तुत किए जाने पर मियाद से बाहर होना बताया है । विभिन्न विनिष्चयों का उल्लेख करते हुए जवाब में प्रार्थिया का पाॅलिसी की षर्त संख्या 6.3.2.6 के अन्तर्गत प्रार्थियों को हुई बीमारी व पथरी के कारण इलाज में हुए खर्च का पाॅलिसी की ष्षर्तो के अन्तर्गत देय नही ंहोना बताते हुए खारिज किए गए क्लेम को सहीं बताया है
3. प्रार्थिया पक्ष का तर्क है कि उसके द्वारा अप्रार्थीगण से हेल्थ प्लान पाॅलिसी ली गई थी व दिनंाक 2.7.2012 को अचानक तबियत खराब होने पर उसके द्वारा स्थानीय यज्ञ नारायण चिकित्सालय, किषनगढ़ में दिखाया गया । जहां उसे 1 दिन के लिए भर्ती किया जाकर सोनोग्राफी की गई तथा दवाईयां लिखकर छुट्टी दे दी गई थी । कुछ समय तक उसका स्वास्थ्य ठीक रहा था । दिनांक 18.11. 2012 को उसकी पुनः तबियत खराब होने पर श्री बालाजी अस्पताल, किषनगढ़ में दिखाया गया । जहां उसे भर्ती कर लिया गया । उसे च्न्व् ब्ीवसमबलेचजपेध्ब्ीवसमसपजीपंेपेध्न्प्ज् आदि बीमारियां बताई गई । वह दिनांक 18.11.2012 से 29.11.2012 तक भर्ती रही । तत्पष्चात् वह 12 दिन की अवधि का क्लेम प्रस्तुत करने पर अप्रार्थीगण द्वारा उसका क्लेम बीमा पाॅलिसी की षर्त संख्या 6.3.2.6 अन्तर्गत बीमा कवर में नहीं आने के कारण खारिज किया गया है, वह उचित नहीं है । उसकी बीमारी पाॅलिसी की षर्तो से कवर होती थी तथा गलत रूप से क्लेम खारिज किया जाकर सेवा में दोष कारित किया गया है ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इन तथ्यों का खण्डन करते हुए अप्रार्थी संख्या 2 का कार्यालय मुम्बई में होना व परिवाद का अजमेर में प्रस्तुत किए जाने के फलस्वरूप क्षेत्राधिकारिता के अभाव में परिवाद को खारिज होने योग्य बताया । परिवाद को क्लेम खारिज करने की तिथि से 2 वर्ष बाद प्रस्तुत किए जाने पर मियाद से बाहर होना बताया है । विभिन्न विनिष्चयों का उल्लेख करते हुए जवाब में प्रार्थिया का पाॅलिसी की षर्त संख्या 6.3.2.6 के अन्तर्गत प्रार्थियों को हुई बीमारी व पथरी के कारण इलाज में हुए खर्च का पाॅलिसी की षर्तो के अन्तर्गत देय नही ंहोना बताते हुए खारिज किए गए क्लेम को सहीं बताया है । अपने तर्को के समर्थन में विनिष्चय त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण्211ध्2009 त्मसपंदबम स्पमि प्देनतंदबम ब्व स्जक टे डंीकींअंबींतलं पर अवलम्ब लिया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चय में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्त का भी अवलोकन कर लिया है ।
6. जहां तक क्षेत्राधिकारिता का प्रष्न है प्रार्थिया ने बीमा पाॅलिसी अजमेर क्षेत्राधिकारिता के अन्तर्गत प्राप्त की है , जैसा की उपलब्ध अभिलेखों व पाॅलिसी से स्पष्ट होता है । अतः इस बाबत् उठाया गया तर्क सारहीन होने के कारण निरस्त किया जाता है ।
7. मियाद के बिन्दु के संबंध में चूंकि प्रार्थिया ने दिनांक 19.11.2014 को हस्तगत परिवाद दायर किया है जो खारिज किए गए क्लेम दिनंाक 20.12.2012 से 2 वर्ष की भीतर की समयावधि में है । अतः यह अन्दर मियाद प्रस्तुत हुआ है । फलतः मियाद बाबत् उठाई गई आपत्ति भी निरस्त की जाती है ।
8. अब इस मंच के समक्ष एक मात्र प्रष्न यह रह जाता है कि क्या प्रार्थिया की बीमारी बीमा षर्त की परिधि के बाहर थी , जैसा कि उनका प्रतिवाद सामने आया है । इस संबंध में बीमा पाॅलिसी की ष्षर्त संख्या 6.3.2.6 में उल्लेखित है यथा ैजवदम पद इपसपंतल वत नतपदंतल ैलेजमउ ण् प्रार्थिया के अनुसार उसने बीमा पाॅलिसी की अवधि के अन्तर्गत सर्वप्रथम दिनंाक 2.7.2012 को स्थानीय राजकीय यज्ञ नारायण अस्पताल, किषनगढ में दिखाया है तथा प्रदर्ष-2 के अनुसार उसे 1 दिन भर्ती किया जाकर अस्पताल से छुट्टी दी गई । तत्पष्चात् उसने दिनंाक 18.11.2012 को स्थानीय श्री बालाजी अस्पताल, किषनगढ में दिखाया हे । जहां पर उसे भर्ती कर च्न्व् ब्ीवसमबलेचजपेध्ब्ीवसमसपजीपंेपेध्न्प्ज् बीमारी बताई गई तथा इस आषय का बैडहैड टिकिट प्रदर्ष पी-3 बताया गया है । वह दिनंाक 18.11.2012 से 29.11.2012 तक इस अस्पताल में भर्ती रही है एवं बीमारी का इलाज करवाया है । बीमा कम्पनी ने उक्त बीमारी को बीमा ष्षर्तो के अधीन नहीं मानते हुए क्लेम निरस्त किया है । दिनंाक 2.7.2012 को सर्वप्रथम अस्वस्थ होने पर प्रार्थिया के पित्ताषय की सोनोग्राफी की गई है जबकि दिनंाक 13.7.2012 को इसी अस्पताल में उसका ।ठक्व्डप्छ।स् ैब्।छ किया गया है तथा सोनोग्राफी रिपोर्ट में उसके पित्ताषय में स्टोन बताया गया है । दिनांक 18.11.2012 को उसका श्रीबालाजी अस्पताल में दिखाए जाने व भर्ती होने पर उसे च्न्व् ब्ीवसमबलेचजपेध्ब्ीवसमसपजीपंेपेध्न्प्ज् के रूप में सम्भावित बीमारी से पीडित होना बताते हुए इलाज प्रारम्भ किया गया है व जो इलाज किया गया है उसमें उसे ब्वसपजपे नामक बीमारी से ग्रसित होना बताया गया है । यहां यह उल्लेखनीय है कि च्न्व् से तात्पर्य च्लतमगपं व िनदादवूद व्तपहपद है । यदि कोई व्यक्ति कम से कम एक सप्ताह तक बुखार से पीडित होकर ऐसे दर्द से ग्रस्त होकर चिकित्सक के पास जाता है तो उसे ऐसा दर्षित करते हुए इलाज किया जाता है । उसका इलाज पित्ताषय में पथरी के कारण हुआ है तथा यह बीमारी उसकी बीमा पाॅलिसी की ष्षर्त संख्या 6.3.2.6 के अन्तर्गत ैजवदम पद इपसपंतल वत नतपदंतल ैलेजमउ बीमा कवर में सम्मिलित नहीं होती थी तथा इस स्थिति को देखते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जो क्लेम अस्वीकार कर खारिज किया है वह न्यायोचित है तथा उनके द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है । हस्तगत प्रकरण में प्रस्तुत विनिष्चय में भी ऐसा ही अभिमत प्रकट किया गया है । परिणाम स्वरूप प्रार्थिया का परिवाद निरस्त होने योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
9. प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 16.08.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष