Rajasthan

Ajmer

CC/238/2015

SURESH CHAND MALI - Complainant(s)

Versus

SBI LIFE INS. - Opp.Party(s)

ADV. RAJENDRA SINGH

19 Jan 2017

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/238/2015
 
1. SURESH CHAND MALI
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. SBI LIFE INS.
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 19 Jan 2017
Final Order / Judgement

जिला    मंच,     उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

सुरेष चन्द माली पुत्र श्री मंगलचन्द माली, उम्र-29 वर्ष,जाति-माली, निवासी-मालियों की बाड़ी, गढवालों की ढाणी, तहसील- किषनगढ,जिला-अजमेर 

                                                -         प्रार्थी

                           बनाम

1.    एसबीआई लाईफ इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए प्रबन्धक, सिटी पावर हाउस के सामने, जयपुर रोड़, अजमेर ।
2.   एसबीआई लाईफ इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए अधिकृत प्राधिकारी काॅपरेट आॅफिस ’’ नटराज’’ एम.वी. रोड एण्ड वेस्टन एक्सप्रेस हाईवे जंक्षन, अंधेरी(ईस्ट) मुम्बई- 400069
3.   कारपोरेट आॅफिसर, ई-मेडिटेक, टीपीए सर्विस लिमिटेड, प्लाॅट नम्बर 577, उद्योग विहार, फेज बी, गुडगांव(हरियाणा)(अप्रार्थी संख्या 3 को  प्रार्थी की प्रार्थना पर जरिए आदेष दिनंाक 19.10.2015 के द्वारा हजफ किया गया )

                                              -       अप्रार्थीगण 
                 परिवाद संख्या 238/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री संजय मंत्री, अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी  

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-01.02.2017
 
1.             संक्षिप्त तथ्यानुसार  प्राथी्र द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी से  परिवाद की चरण संख्या 1 में उल्लेखित अनुसार  एक हैल्थ प्लान एसबीआई लाईफ इन्ष्योरेंस प्लान 3 वर्षो की प्राप्त किए जाने के उपरान्त  दिनंाक 26.5.2013 को हुई तथाकथित दुर्घटना के उपरान्त  उसके द्वारा दिनंाक 27.5.2013 सो 4.6.2013 तक चैधरी अस्पताल, अजमेर में करवाए गए इलाज की राषि का क्लेम  समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किए जाने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया जाना अप्रार्थी बीमा कम्पनी का सेवा दोष है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी के इस सेवा दोष के लिए प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने  स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2.    अप्रार्थी संख्या 1 व 2 बीमा कम्पनी  की ओर से प्रस्तुत उत्तर में प्रारम्भिक आपत्तियों के तहत अप्रार्थी संख्या 2 का  कार्यालय मुम्बई में स्थित होने व परिवाद का अजमेर में दायर किए जाने से उक्त अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्व क्षेत्राधिकारिता  के अभाव में परिवाद पेाषणीय नहीं होना, क्लेम प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किए जाने के बाद प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी की ओर से मांग किए गए प्रलेखों के प्रस्तुत नहीं किए जाने से कोई वादकरण उत्पन्न नहीं होने बाबत् आपत्तियां प्रस्तुत करते हुए मदवार जवाब में प्रष्नगत पाॅलिसी का उनकी ओर से जारी करना व प्रार्थी की जून, 2011 में दिनंाक 27.5.2013 से 4.6.2013  तक  चैधरी अस्पताल में भर्ती   होने संबंधी अप्रार्थी को सूचना देना व इस अवधि हेतु रू. 45,000/- की प्रतिकर  राषि रू. 5/- प्रतिदिन के हिसाब से मांगा जाना बताया । अप्रार्थी द्वारा अपने पत्र दिनांक 20.6.2013 के माध्यम से जवाब के पैरा संख्या 2 में उल्लेखित दस्तावेजात की मांग करना बताया । प्रार्थी द्वारा उक्त प्रलेखों का अप्रार्थी के पत्र दिनंाक 24.7.2012, 9.8.2013,व  25.8.2013 को जारी किए जाने  बावजूद प्रस्तुत नहीं करना बताया । चूंकि उक्त वांछित प्रलेख प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत नहीं किए गए थे । अतः अप्राथी्र बीमा कम्पनी ने प्रार्थी का दावा क्लेम क्लोजर पत्र  दिनंाक 13.11.2012 द्वारा बन्द कर दिया  गया । प्रार्थी द्वारा मांगे गए क्लेम को उसी के द्वारा सिद्व करना बताते हुए 9 दिनों के अस्पताल में रहने की अवधि को अनुचित बताते हुए उक्त अवधि 8 दिवस की होना बताया । वांछित प्रलेखों के प्रस्तुत नहीं किए जाने पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा  क्लेम खारिज किए बिना परिवाद  प्रस्तुत करने को हस्तगत परिवाद प्री- मैच्योर  होना बताया । अन्त में परिवाद खारिज होने योग्य बताया । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत जवाब को डेण् क्ींदलं ज्ञण्च्ण् मैनेजर द्वारा सत्यापित किया गया है । 
3.    उभय पक्षकारान ने अपने अपने पक्ष कथन को बहस में तर्क के रूप में दोहराया है । हमने सुना, रिकार्ड देखा व प्रस्तुत नजीर का अवलोकन किया । 
4.     अपनी प्रारम्भिक आपत्ति के रूप में अप्रार्थी का तर्क है कि  अप्रार्थी संख्या 2  का कार्यालय मुम्बई में है जबकि प्रार्थी ने परिवाद अजमेर  में दायर किया है ।  अतः अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्व ज्मततपजवतपंस   श्रनतपेकपबजपवद   के अभाव में  माननीय राष्ट्रीय आयोग  द्वारा प्रथम अपील संख्या 3428/2008  न्यू इण्डिया इन्ष्यारेंस कम्पनी लिमिटेड बनाम  गोपाल गुप्ता एवं अन्य में पारित निर्णय के प्रकाष में परिवाद चलने योग्य नहीं है । प्रार्थी पक्ष ने खण्डन में पाॅलिसी का अजमेर में लिया जाना तथा अप्रार्थी संख्या 2 को उनके अधिकृत अधिकारी  कोरपोरेट आफिस , जो मुम्बई में स्थित है, के मार्फत पक्षकार बनाया जाना बताया है । 
5.    हमने इस बिन्दु पर सुना है । हम प्रार्थी पक्ष के तर्को  से  सहमत होते हुए यह पाते हैं कि अप्रार्थी संख्या 2 मात्र च्तववितउं च्ंतजल है तथा उसका ब्वतचवतंजम व्ििपबम मुम्बई में  होने मात्र से उसके विरूद्व कोई अनुतोष देय नहीं हारे, ऐसी स्थिति नहीं है । प्रस्तुत नजीर  भी तथ्यों की भिन्नता में उसके लिए सहायक नहीं है । 
    अप्रार्थी की दूसरी आपत्ति यह रही है कि चूंकि प्रार्थी ने वांछित प्रलेखेां के प्रस्तुत  किए बिना ही क्लेम प्रस्तुत किया है , अतः उसको कोई  वादकरण उत्पन्न  नहीं होता है व  क्लेम प्री-मैच्यौर होने के कारण खारिज होने योग्य है । प्रार्थी ने इन तर्को का खण्डन किया है ।  
6.    हमने इस बिन्दु पर भी विचार किया है । हमारी राय में अप्रार्थी का यह प्रतिवाद हो सकता है, किन्तु प्रार्थी  के अनुसार उसके द्वारा क्लेम प्रस्तुत किए जाने के बाद वांछित प्रलेखों को भेजे जाने के बाद भी उसे क्लेम राषि का भुगतान नहीं किया गया है ।  अतः वादकारण तो उत्पन्न हो चुका था । फलतः इस बाबत् उठाई गई आपत्ति में कोई  भी बल नहीं है । 
7.    प्रकरण के सम्पूर्ण विवेचन के प्रकाष मे ंयहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि अप्रार्थी ने प्रार्थी का क्लेम गुणावगुण पर विचार  कर खारिज नहीं किया है अपितु उनके विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि प्रार्थी बीमित ने क्लेम  प्रस्तुत किए जाने के बाद अप्रार्थी द्वारा वांछित प्रलेखों को बावजूद पत्रों दिनंाक 24.7.2012, 9.8.2013,व  25.8.2013( पत्रावली मे उपलब्ध ) के बीमा कम्पनी को उपलब्ध नहीं कराया है । अतः उन्होनें क्लेम को अपने पत्र दिनंाक 13.11.2012 द्वारा बंद(ब्सवेम )    कर दिया ।  इसी संदर्भ में प्रार्थी ने भी तर्क प्रस्तुत किया है कि उसके द्वारा  पाॅलिसी लिए जाने के बाद दिनंाक 26.5.2013 को हुई घटना के परिणाम स्वरूप दिनंाक 27.5.2013 को चैधरी हास्पिटल में दिखाया था  तथा अधिक दर्द होने पर उसे उक्त दिनांक को भर्ती कर लिया था तथा वहां पर वह दिनंाक 4.6.2013 तक  9 दिन भर्ती रहा था । जिसका क्लेम उसने वांछित कार्यवाही पूर्ण कर क्लेम आवेदन प्रस्तुत किया था ।  यहा भी  तर्क प्रस्तुत किया कि पूर्ण दस्तावेजात भेजे जाने के बावजूद अप्रार्थीगण ने अपने पत्र के  द्वारा  पूर्व में मांगे गए दस्तावेजात पुनः  मांगे गए थे । जिन्हें जरिए कोरियर द्वारा टीपीए को भेज दिए थे ।   
8.    प्रकरण में प्रष्नगत पाॅलिसी का लिया जाना विवादित नहीं है । अपितु विवाद का बिन्दु यह है कि क्या बीमित ने क्लेम हेतु समस्त पत्रादि बीमा कम्पनी को भेजे दिए  थे ? 
9.    निर्विवाद रूप से इस तथ्य का सिद्विभार  प्रार्थी पर था कि उसने क्लेम हेतु समस्त पत्रादि भेजते हुए वांछित औपचारिकताएं पूर्ण कर दी थी । अपने पक्ष कथन के प्रमाण स्वरूप उसने न तो क्लेम संबंधी आवेदन पत्रादि  भेजने की कोई प्रति पेष की है और ना ही ऐसा कोई विवरण पेष किया है । उसने अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा मांगी गई सूचना को, जिसे वह जरिए कोरियर भेजना कहता है, की प्रति अथवा प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया है, जोकि सर्वश्रेष्ठ प्रमाण हो सकता है । जबकि अप्रार्थी ने ऐसे चार पत्र यथा स्मरण पत्र प्रमाण स्वरूप प्रस्तुत किए हंै जो उसने प्रार्थी द्वारा भेजे गए क्लेम प्रार्थना पत्र के पष्चात अन्य प्रलेख भेजने हेतु प्रार्थी को भेजे हंै । प्रार्थी ने इनका खण्डन तक नहीं किया है ।  जबकि  अप्रार्थी ने उक्त प्रतिवाद को अपनी साक्ष्य डेण् क्ींदलं ज्ञण्च्ण् मैनेजर , लीगल से  सम्पुष्ठ  भी किया है । कहा जा सकता है कि प्रार्थी क्लेम सिद्व करने में असफल रहा है । 
10.    निर्णय  पारित किए जाने से पूर्व यह  उल्लेख करना उचित होगा कि  अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी का क्लेम कतिपय वांछित प्रलेखों  के अभाव  में गुणावगुण पर विचार करते हुए अस्वीकार नहीं किया है , अतः प्रार्थी  यदि इस आदेष के एक माह के भीतर भीतर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा वांछित प्रलेखों को अप्रार्थी बीमा कम्पनी  के   उनके द्वारा जारी किए गए पत्रों के संदर्भ में प्रस्तुत करता है तो अप्रार्थी बीमा कम्पनी  इन पर विचार कर समुचित निर्णय लेते हुए क्लेम के संबंध में प्रार्थी को सूचित करेंगें । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करेगें । 
11.    तदनुसार परिवाद का निस्तारण किया जाता है । आदेष दिनांक 01.02.2017 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    


 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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