Uttar Pradesh

StateCommission

CC/388/2018

Shailendra Kumar - Complainant(s)

Versus

SBI General Insurance co. Ltd . - Opp.Party(s)

Romit Seth

04 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/388/2018
( Date of Filing : 16 Nov 2018 )
 
1. Shailendra Kumar
S/O Sri Ram Asare R/O Nataura Bambhaura Distt. Sitapur
...........Complainant(s)
Versus
1. SBI General Insurance co. Ltd .
Through Grievance Redressal Officer 101 201, 301 Natraj Junction of Western Express Highway and Andheri Kurla Road Andheri East Mumbai 40069
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Jun 2024
Final Order / Judgement

                                               (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-388/2018

शैलेन्‍द्र कुमार पुत्र श्री राम आसरे, निवासी नटौरा, रामभौरा, जिला सीतापुर।

                   परिवादी

बनाम

एसबीआई जनरल इंश्‍योरेंस कं0लि0, द्वारा ग्रिवान्‍स रेड्रेसल आफिसर, 101, 201, 301, नटराज, जंक्‍शन आफ वेस्‍टर्न एक्‍सप्रेस हाईवे एण्‍ड अंधेरी कुर्ला रोड, अंधेरी ईस्‍ट, मुम्‍बई 400069 ।

        विपक्षी

समक्ष:-                         

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित        : श्री रोमित सेठ।

विपक्षी की ओर से उपस्थित        : श्री महेन्‍द्र कुमार मिश्रा।

दिनांक: 04.06.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.        यह परिवाद, विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध अंकन 20,90,000/-रू0 बीमित राशि, नए ट्रक की कीमत की राशि दण्‍डात्‍मक क्षति के रूप में, 24 प्रतिशत ब्‍याज व अंकन 1,00,000/-रू0 परिवाद व्‍यय के रूप में प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है साथ ही इस आशय की निषेधाज्ञा के अनुतोष की भी मांग की गई है कि विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह भविष्‍य में अनुचित व्‍यापार प्रणाली न अपनाए।

2.        इस आयोग को स्‍थायी निषेधाज्ञा का आदेश पारित करने का कोई अधिकार प्राप्‍त नहीं है, जिस उपभोक्‍ता के साथ सेवा में कमी होती है, वह उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत करते हुए अनुतोष की मांग कर सकता है। किस उपभोक्‍ता के साथ सेवा में कमी की गई है, यह तथ्‍य का प्रसंग है, जिसका निस्‍तारण प्रत्‍येक केस की परिस्थिति के आधार पर किया जाता है, इसलिए यह अनुतोष प्रारम्भिक स्‍तर पर ही खारिज किया जाता है।

3.        शेष अनुतोषों के संबंध में परिवाद में वर्णित तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने एक आयशर कैरिंग टैंकर दिनांक 6.6.2016 को बुक किया और विपक्षी बीमा कंपनी से दिनांक 6.6.2016 से दिनांक 5.6.2017 तक की अवधि के लिए बीमित कराया था। बीमा की कापी अनेक्‍जर सं0-1 है। यह टैंकर श्रीराम ट्रांसपोर्ट फायनेंस कं0लि0 से ऋण प्राप्‍त कर क्रय किया गया था। दिनांक 10.8.2016 को टैंकर की डिलीवरी प्राप्‍त की गई, जिसका अस्‍थायी पंजीयन नम्‍बर यू.पी./32/TMT/2016/1312 एवं चेचिस नम्‍बर E613CDE086382 है। यह दस्‍तवोज अनेक्‍जर सं0-2 है। दिनांक 31.8.2016 को परिवादी इस वाहन को आर.टी.ओ. कार्यालय, सीतापुर में स्‍थायी पंजीयन कराने के लिए ले गया, परन्‍तु कार्य अवधि समाप्‍त होने के कारण दूसरे दिन आने के लिए कहा गया, इसलिए वाहन को वैदे‍ही वाटिका के आर.टी.ओ. कार्यालय के पास खड़ा कर दिया गया। यह वाहन व्‍यापारिक उद्देश्‍य के लिए था तथा बहुत बड़ा था, इसलिए शहर में वापस नहीं आ सकता था। अत: सुरक्षित/अधिकृत जगह पर खड़ा किया गया था तथा समस्‍त सावधानियां बरती गई थीं। अनेक स्‍थानीय लोग भी परिवादी को जानते थे। दिनांक 1.9.2016 को जब परिवादी सुबह 8.00 बजे वापस उस स्‍थल पर आया, जहां टैंकर पार्क किया गया था तब देखा कि टैंकर गायब था। अनेक व्‍यक्तियों से पूछने पर भी टैंकर का पता नहीं चल पाया तब 100 नम्‍बर पर पुलिस को सूचना दी गई, इसके बाद शिकायत संबंधित थाने में की गई, जिस पर मोहर लगाई गई और एफआईआर की कापी बाद में लेने के लिए कहा गया। परिवादी अनेक बार थाने पर गया, परन्‍तु एफआईआर दर्ज नहीं की गई। एस.पी. कार्यालय में गया, वहां भी एफआईआर नहीं लिखी गई, इसके बाद धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत प्रस्‍तुत किए गए आवेदन पर संबंधित न्‍यायालय का आदेश होने के बाद अपराध संख्‍या 420/2017 धारा 379 में पंजीकृत हुआ। चिक एफआईआर की कापी अनेक्‍जर सं0-4 है। विवेचना के पश्‍चात अंतिम रिपोर्ट प्रस्‍तुत कर दी गई, जो अनेक्‍जर सं0-5 है। फायनेंस कंपनी को भी एफआईआर की प्रति प्रेषित की गई। सभी औपचारिकताएं बीमा कंपनी के कहने पर पूर्ण की गईं, क्‍योंकि परिवादी स्‍वंय भी विपक्षी का प्रतिनिधि है, इसलिए सारे दस्‍तावेजों पर हस्‍ताक्षर सद्भावना के तहत कर किए गए, परन्‍तु अवैध रूप से बीमा क्‍लेम नकार दिया गया, जिसका पत्र अनेक्‍जर सं0-6 है, इसलिए उपरोक्‍त वर्णित अनुतोषों की मांग करते हुए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

4.        परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा बीमा पालिसी की प्रति, अस्‍थायी पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति, चिक एफआईआर की प्रति, अंतिम रिपोर्ट की प्रति तथा बीमा क्‍लेम निरस्‍त करने की प्रति प्रस्‍तुत की गई।

5.        बीमा कंपनी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत करते हुए बीमा पालिसी जारी करना स्‍वीकार किया, परन्‍तु चोरी की घटना से इंकार किया है। बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरन्‍त दर्ज नहीं कराई गई, इसलिए बीमा क्‍लेम वैधानिक रूप से नकार दिया गया।

6.        दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया त्‍था पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।

7.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार दिनांक 6.6.2016 से दिनांक 5.6.2017 की अवधि के लिए प्रश्‍नगत वाहन दिनांक 6.6.2016 को बीमित कराया गया। वाहन की डिलीवरी दिनांक 10.8.2016 को ली गई, जिस पर अस्‍थायी पंजीयन संख्‍या जारी की गई। प्रश्‍नगत वाहन को दिनांक 31.8.2016 को आरटीओ कार्यालय सीतापुर में स्‍थायी पंजीयन के लिए ले जाया गया और इस दिन आरटीओ कार्यालय में स्‍थायी पंजीयन का कार्य पूर्ण न होने के कारण वाहन को वैदेही वाटिका में खड़ा कर दिया गया, जिसको आरटीओ कार्यालय की वैधानिक पार्किंग बताया गया, परन्‍तु वैधानिक पार्किंग होने का कोई सबुत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया। आरटीओ कार्यालय से इस आशय का कोई प्रमाण पत्र नहीं लिया गया कि जहां पर परिवादी द्वारा टैंकर को खड़ा किया गया है, वह एक वैधानिक पार्किंग है। यह सही है कि टैंकर शहर में वापस नहीं लाया जा सकता था, परन्‍तु रात्रि में इस टैंकर को वापस लाया जा सकता था, इसलिए उचित स्‍थान पर पार्किंग करने का कोई औचित्‍य स्‍थापित नहीं है। वाहन के पास ड्राइवर, क्‍लीनर या किसी भी व्‍यक्ति को सुगमता के साथ छोड़ा जा सकता था, परन्‍तु ऐसा भी कोई प्रयास नहीं किया गया, इसलिए स्‍वंय परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों के आधार पर वाहन को असुरिक्षत छोड़ देने का तथ्‍य स्‍वंय परिवादी के विरूद्ध स्‍थापित है, जिसके लिए अतिरिक्‍त साक्ष्‍य की आवश्‍यकता नहीं है। परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों के आधार पर ही परिवादी के स्‍तर से कारित लापरवाही स्‍पष्‍ट होती है, जिसके आधार पर बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन बनता है, क्‍योंकि परिवादी ने वाहन को असुरक्षित रूप से बगैर किसी कारण के छोड़ दिया।

8.        परिवादी द्वारा कथन किया गया कि क्षेत्र के अनेक लोग उसे जानते थे, परन्‍तु ऐसे किसी व्‍यक्ति का शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया, जो यह कह सके कि उनके सामने इस टैंकर को कसी अधिकृत पार्किंग में खड़ा किया गया है। इस आशय का कोई सबूत प्रस्‍तुत नहीं किया गया कि जहां पर वाहन खड़ा था, वहां पर वाहन की सुरक्षा के लिए किसी व्‍यक्ति की सेवाएं ली गई थीं या नहीं। अत: यह तर्क भी ग्राह्य प्रतीत नहीं होता कि एक सुरक्षित जगह पर वाहन को खड़ा किया गया था, क्‍योंकि सुरक्षित जगह उस जगह को कहा जाता है, जिसका नियंत्रण किसी के पास मौजूद हो। किसी भी ऐसे व्‍यक्ति को साक्ष्‍य में प्रस्‍तुत नहीं किया गया, जिसके पास उस जगह का नियंत्रण हो, जहां पर वाहन खड़ा किया गया था।

9.        परिवादी का यह भी कथन है कि दिनांक 1.9.2016 को वह संबंधित थाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए गया और लिखित तहरीर प्रस्‍तुत की गई थी, जिस पर थाने की मोहर लगाई गई थी, परन्‍तु ऐसे किसी प्रकार का कोई मोहर युक्‍त कागज इस पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया। इसी प्रकार थाने पर रिपोर्ट न लिखने के कारण पुलिस अ‍धीक्षक को की गई शिकायत का कोई सबूत भी पत्रावली में प्रस्‍तुत नहीं किया गया। लिखित तहरीर में उल्‍लेख किया गया है कि 100 नम्‍बर पर सूचना दी गई और कोतवाली द्वारा मोहर मारकर तहरीर की कापी वापस लौटा दी गई, परन्‍तु इन दोनों तथ्‍यों को साबित करने के लिए कोई सबूत प्रस्‍तुत नहीं किया गया। पुन: कोतवाली में थाने के किसी समय या तिथि का उल्‍लेख नहीं किया गया, केवल एक भ्रामक शब्‍द चक्‍कर लगाता रहा अंकित किया गया है। इसी प्रकार इस रिपोर्ट में यह भी उल्‍लेख है कि पुलिस अधीक्षक को स्‍वंय उपस्थित होकर सूचना दी गई, परन्‍तु पुलिस अधीक्षक को सूचना उसी दिन दी जानी चाहिए थी, जिस दिन परिवादी घटना के तुरन्‍त पश्‍चात थाने में उपस्थित हुआ और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई या अधिकतम उसके दूसरे दिन दी जा सकती थी, जिस दिन परिवादी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए गया था। अत: यह सभी कथन विचार-विमर्शित हैं। इन कथनों के समर्थन में कोई सबूत पत्रावली में मौजूद नहीं है। धारा 156 (3) के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का दस्‍तावेज सं0-4 है, परन्‍तु धारा 156 (3) सीआरपीसी के अंतर्गत प्रस्‍तुत किए गए मूल आवेदन की प्रति प्राप्‍त कर इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई और ऐसा आश्‍यपूर्वक किया गया। इस दस्‍तावेज को छिपाया गया ताकि यह जानकारी प्राप्‍त न हो सके कि दिनांक 31.8.2016 की रात्रि की घटना के बावजूद धारा 156 (3) सीआरपीसी का आवेदन किस तिथि को प्रस्‍तुत किया गया। चिक एफआईआर की जो प्रति मौजूद है, उसके अवलोकन से ज्ञात होता है कि दिनांक 7.4.2017 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हुई है, जबकि घटना दिनांक 31.8.2016 की है, इसलिए इतनी लम्‍बी अवधि के पश्‍चात चोरी किए गए वाहन को बरामद करने का कोई अवसर नहीं है। यह सही है कि कभी कभी पुलिस द्वारा सूचना दर्ज करने में देरी की जा सकती है, परन्‍तु जब पुलिस के स्‍तर से ऐसा किया जाता है तब इस तथ्‍य का स्‍पष्‍टीकरण प्रस्‍तुत करने का दायित्‍व परिवादी पर है, जिसे पूरा नहीं किया गया। नजीर, Devendra Kumar Vs National Insurance Company Ltd 2012 NCJ 371 (NC) में व्‍यवस्‍था दी गई है कि यदि बीमा पालिसी की शर्तों के उल्‍लंघन में उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है तब बीमा क्‍लेम देय नहीं है। इस केस में चोरी की घटना दिनांक 8.7.2006 को हुई थी और प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 9.7.2006 को लिखी गई थी। इस केस में ड्राइवर ने बयान दिया था कि चाभी डम्‍पर में ही छोड़ दी गई थी और लॉक गैराज नहीं था। इस बीमित डम्‍पर को एक होटल के बाहर खड़ा किया गया था और ड्राइवर किसी दूसरे स्‍थान पर सोने के लिए चला गया था। इन सभी तथ्‍यों को यह माना गया कि परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया है। यह सभी तथ्‍य प्रस्‍तुत केस में भी मौजूद हैं, इसलिए बीमा क्‍लेम नकारने का निष्‍कर्ष विधिसम्‍मत है। तदनुसार प्रस्‍तुत परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

10.       प्रस्‍तुत परिवाद खारिज किया जाता है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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