// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/140/2014
प्रस्तुति दिनांक 25/07/2014
अनुरीमा उपवेजा पिता निर्मल उपवेजा आयु 26 वर्ष
निवासी राजकिशोर नगर बिलासपुर
जिला बिलासपुर छ.ग. ......आवेदिका/परिवादी
विरूद्ध
भारतीय स्टेट बैंक,
द्वारा वरिष्ठ प्रबंधक, शाखा कार्यालय,
कृषि विकास शाखा, व्यापार विहार
जिला बिलासपुर छ.ग. .........अनावेदक/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 25/04/2015 को पारित)
1. आवेदिका श्रीमती अनुरीमा उपवेजा ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक भारतीय स्टेट बैंक के विरूद्ध सेवा में कमी के आधार पर पेश किया है और अनावेदक से फिक्स डिपॉजिट की रकम 1,00,000/-रू. को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति सहित दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदिका दिनांक 18.02.2010 को अनावेदक बैंक में 9.25 के ब्याज दर पर 1,00,000/-रू. फिक्स डिपॉजिट की, जिसकी रसीद अनावेदक बैंक द्वारा प्रदान किया गया, किंतु उक्त फिक्स डिपॉजिट परिपक्व होने पर जब आवेदिका अनावेदक बैंक से अपनी रकम वापसी की मांग की, तो अनावेदक बैंक द्वारा उसे न तो मूल धन प्रदान किया गया और न ही ब्याज और इस प्रकार अनुचित व्यापारिक व्यवहार करते हुए सेवा में कमी की गई । अत: उसके द्वारा यह परिवाद पेश करना बताया गया है और अनावेदक बैंक से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है ।
3. अनावेदक बैंक द्वारा जवाब पेश कर इस बात से इंकार किया गया कि आवेदिका दिनांक 18.02.2010 को उनके बैंक में 1,00,000/-रू. 555 दिन के लिए फिक्स डिपॉजिट की, तत्संबंध में अनावेदक बैंक का कथन है कि आवेदिका उनके बैंक स्थित अपने खाते में दिनांक 18.02.2011 को 1,00,000/-रू. जमा की और 555 दिनों के लिए सावधि जमा रसीद प्राप्त करना चाही, तब उनके बैंक द्वारा उसी दिनांक को सावधि जमा रसीद जारी की गयी, किंतु त्रुटिवश उक्त रसीद में प्रभावी दिनांक के स्थान पर दिनांक 18.02.2010 अंकित हो गया। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि यद्यपि आवेदिका को 18.02.2011 को 1,00,000/-रू. की सावधि जमा रसीद प्रदान की गई थी, किंतु चूक वश उक्त राशि उसके बचत खाते से आहरण नहीं किया जा सका था, जिसका ही अवैधानिक लाभ लेने का आवेदिका द्वारा प्रयास किया जा रहा है, उक्त आधार पर अनावेदक बैंक द्वारा आवेदिका का परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया है ।
4. उभयपक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है प्रकरण का अवलोकन किया गया।
5. देखना यह है कि क्या आवेदिका अनावेदक बैंक से सेवा में कमी के आधार पर वांछित अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी है
सकारण निष्कर्ष
6. आवेदिका का कथन है कि वह दिनांक 18.02.2010 को अनावेदक बैंक में 1,00,000/-रू. जमा कर फिक्स डिपॉजिट प्राप्त की थी, किंतु आवेदिका अपने इस कथन के समर्थन में इस आशय का कोई प्रमाण पेश नहीं किया है, जिससे की दर्शित हो कि उसने दिनांक 18.02.2010 को अनावेदक बैंक में 1,00,000/-रू. जमा किया था । इस संबंध में आवेदिका अपने बैंक पास बुक की कॉपी भी पेश नहीं किया है न ही उसका ऐसा कथन है कि वह उस दिनांक फिक्स डिपॉजिट की रकम 1,00,000/-रू. को खाते में जमा करने के बजाए अनावेदक बैंक में नगद जमा किया था ।
7. इसके विपरीत अनावेदक बैंक की ओर से पेश आवेदिका के बचत खाता स्टेटमेंट से यह स्पष्ट होता है कि आवेदिका द्वारा दिनांक 18.02.2010 को अनावेदक बैंक स्थित अपने खाते में 1,00,000/-रू. की राशि जमा ही नहीं की गई थी, बल्कि उक्त राशि उसके द्वारा दिनांक 18.11.2011 को जमा की गई थी और उसी दिन वह उक्त रकम को 555 दिन के लिए फिक्स डिपॉजिट में जमा करने हेतु आवेदन भी भरी थी, जैसा कि अनावेदक बैंक की ओर से पेश म्यादी जमा पर्ची दिनांक 18.02.2011 से दर्शित होता है ।
8. प्रश्नगत मामले में आवेदिका के इस कथन का समर्थन कि उसने दिनांक 18.02.2010 को अनावेदक बैंक से प्रश्नाधीन रकम के संबंध में 555 दिन के लिए फिक्स डिपॉजिट प्राप्त की थी, स्वयं उसी के द्वारा मामले में पेश फिक्स डिपॉजिट की रसीद से नहीं हो पाता, क्योंकि उक्त रसीद के अनुसार देय तिथि दिनांक 26.08.2012 को फिक्स डिपॉजिट की अवधि 555 दिन के बजाए 918 दिन होता है, जबकि स्वयं आवेदिका का ऐसा कथन नहीं है कि उसने उतनी अवधि के लिए फिक्स डिपॉजिट प्राप्त की थी। इसी प्रकार उक्त रसीद में उल्लेखित ब्याज दर के आधार पर भी आवेदिका के कथन को कोई समर्थन नहीं मिल पाता ।
9. फलस्वरूप मामले में आवेदिका का यह कथन सही प्रतीत नहीं होता कि उसने दिनांक 18.02.2010 को अनावेदक बैंक में 1,00,000/-रू. का 555 दिन के लिए फिक्स डिपॉजिट करायी थी, बल्कि यही प्रकट होता है कि वह उक्त रकम दिनांक 18.02.2011 को अनावेदक बैंक स्थित अपने खाते में जमा करते हुए उसके संबंध में 555 दिन के लिए फिक्स डिपॉजिट की मांग की थी, किंतु इस संबंध में अनावेदक बैंक द्वारा जारी रसीद में त्रुटिपूर्ण रूप से प्रभावी दिनांक 18.02.2010 दर्ज हो जाने के आधार पर आवेदिका द्वारा उसका अनुचित लाभ लेने का प्रयास किया गया है । इसी प्रकार अभिलेखगत सामाग्री से यह भी स्पष्ट होता है कि दिनांक 18.02.2010 को आवेदिका द्वारा अनावेदक बैंक में फिक्स डिपॉजिट हेतु कोई रकम जमा नहीं की गई थी, बल्कि उक्त रकम उसके द्वारा दिनांक 18.02.2011 को जमा की गई थी और उसी दिन अनावेदक बैंक द्वारा आवेदिका को 1,00,000/-रू. की सावधि जमा रसीद प्रदान की गई थी, किंतु चूक वश उक्त रकम भी अनावेदक बैंक द्वारा आवेदिका के खाते से आहरित नहीं किया जा सका था, अन्यथा कोई कारण नहीं था कि आवेदिका के बचत खाते में इस आशय का इंद्राज नहीं होता।
10. इस प्रकार वास्तव में यह मामला आवेदिका द्वारा बताए गए तिथि पर रकम जमा कर फिक्स डिपॉजिट रसीद प्राप्त करने का प्रकट नहीं होता, बल्कि यही प्रकट होता है कि इस संबंध में आवेदिका बगैर राशि का भुगतान किए बैंक की त्रुटि का अनुचित लाभ उठाने के प्रयास में यह परिवाद दाखिल किया है, जो स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है, । अत: उसका परिवाद निरस्त किया जाता है ।
11. उभयपक्ष अपना- अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे ।
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य