Rajasthan

Ajmer

CC/175/2014

UMMEDMAL GOYAL - Complainant(s)

Versus

SBBJ - Opp.Party(s)

ADV.GHANSYAM DANI

08 Feb 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/175/2014
 
1. UMMEDMAL GOYAL
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. SBBJ
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री लक्ष्मण पेसवानी पुत्र श्री रेवाचन्द पेसवानी, निवासी- 369, हरिभाउ उपाध्याय नगर, पुष्कर रोड, अजमेर (राजस्थान)

                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

1. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जरिए अधीक्षण अभियन्ता(व्-ड),उदयपुर(राजस्थान)

2. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जरिए प्रबन्धक निदेषक, पावर हाउस,जयपुर रोड, अजमेर (राजस्थान)
                                               -          अप्रार्थीगण
 
                 परिवाद संख्या 525/2013  

                            समक्ष
         1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
         3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री षेखर सेन,  अधिवक्ता अप्रार्थी विद्युत निगम
                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 26.04.2016
 
1.           प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 2 (जो  इस परिवाद में आगे चलकर अप्रार्थी विद्युत निगम कहलाएगें)  के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि  वह अप्रार्थी संख्या 1 विद्युत निगम के यहां से दिनांक 31.3.2000 को एकाउण्ट आॅफिसर के यहां  से सेवानिवृत्त हुआ । सेवानिवृत्ति के बाद उसको  मेडिकल कार्ड संख्या पीपीओ नम्बर 8988 के तहत पेंषनर्स मेडिकल सुविधा प्राप्त थी ।  दिनांक 11.12.2012 को अचानक उसे पैरालेसिस का अटेक आया।  जिससे वह कोमा में चला गया, तो उसे तत्काल मित्तल अस्पताल, अजमेर में भर्ती कराया तथा उसे वेंटीलेटर व आॅक्सीजन पर रखा गया  । इसके बाद  दिनंाक 15.12.2012 से 10.01.2013 तक आईबीएम अस्पताल,जयपुर में भर्ती कराया गया । इसके पष्चात्  दिनंाक 25.1.2013 से 30.3.2013 तक उसका मित्तल अस्पताल, अजमेर में  पुनः इलाज चला  जो आज दिनांक तक निरन्तर जारी है । उसने  बीमारी में खर्च हुई राषि रू. 4,33,243.25 पै. के पुनर्भरण हेतु अप्रार्थी विद्युत निगम के समक्ष क्लेम पेष किया ।  जिसे उनकी ज्यूरिस्डिक्षन लेवल कमेटी ने दिनांक 10.7.2013 को उसका क्लेम इस आधार पर खारिज कर दिया कि  पीएमसीएफ कार्ड  वर्ष 2012-13 व 2013 -14 के नवीनीकरण की राषि  एक साथ दिनंाक 27.5.2013 को जमा कराई गई है । चूंकि  उसका इलाज  दिनंाक 11.12.2012 से निरन्तर चल रहा है और वह चलने फिरने में असमर्थ है तथा परिवार में उसके अलावा एक मात्र बहन श्रीमति पार्वती है, जिसका भी  एक्सीडेंट  होने के कारण हिप्स में फैक्चर हो गया । इन्हीं कारणों से उसने वर्ष 2012-13 व 2013 -14 के नवीनीकरण की राषि  एक साथ दिनंाक 27.5.2013 को जमा कराई। उपरोक्त सभी तथ्यों का अंकन करते हुए उसने अप्रार्थी विद्युत निगम से क्लेम राषि दिए जाने का  पुनः निवेदन  किया ।  किन्तु त्ण्त्ण्टण्च्ण्छण्स् जयपुर ने  पुनर्भरण रिनीवल की राषि जमा कराने के बाद की अवधि का क्लेम देय होना  अपने पत्र दिनंाक 2.8.2013 के सूचित करते हुए बाकी के मूल बिलों को लौटा दिया ।  इस प्रकार अप्रार्थी विद्युत निगम ने सम्पूर्ण क्लेम राषि अदा नहीं कर सेवादोष किया है । उपभोक्ता ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने अपना स्वयं का षपथपत्र पेष किया ।
2.    अप्रार्थी विद्युत निगम ने जवाब प्रस्तुत कर उपभोक्ता को उनके यहां से 31.3.2000 को  राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त होने के कथन को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि  राजस्थान राज्य विद्युत पेंषनर मेडिकल कन्सेषन फण्ड के नियम 5पपप(ठ)(प)  के अनुसार पेंषनर को प्रत्येक वित्तीय वर्ष  में दिनंाक 31 मई तक  अपने ईएमसीएफ कार्ड का नवीनीकरण कराया जाना आवष्यक है।  किन्तु उपभोक्ता ने 2012-13 व 2013 -14 के नवीनीकरण की राषि  एक साथ दिनंाक 27.5.2013 को जमा कराई है इसलिए वह क्लेम की राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । वैसे भी उपभोक्ता दिनंाक 11.12.2012 से 30.3.2013 तक  भिन्न भिन्न अस्पतालों में  भर्ती रहा है  और इस अवधि में कार्ड का नवीनीकरण नहीं कराए जाने के कारण वह कोई लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । उत्तरदाता ने उपभोक्ता का क्लेम सही आधारों पर खारिज कर कोई सेवा में कमी नहीं की हे । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है ।  
3.    उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि  उपभोक्ता  दिनांक 
31.3.2000 को सेवानिवृत्त हुआ था । इसके बाद वह लगातार पेंषन मेडिकल सुविधा का लाभ प्राप्त करने हेतु मेडिकल डायरी का नवीनीकरण करवाता चला आ रहा है । उनकी ओर से नवीनीकरण के कार्ड की फोटोप्रति प्रस्तुत करते हुए बताया गया है कि वर्ष 2012-13 व 2013-14  की  नवीनीकरण ष्षुल्क राषि रू. 2000/- उनके द्वारा दिनंाक 27.5.2013 को जमा करवाई गई है व विभाग  द्वारा  इसकी रसीद दी जाकर कार्ड में इस आषय की प्रविष्टि की गई है । अतः नवीनीकरण राषि जमा किए जाने के बाद वह इस समस्त अवधि में इलाज में खर्च हुई राषि  प्राप्त करने का  हकदार है ।  यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि मात्र इस आधार पर क्लेम निरस्त नहीं किया जा सकता  कि पंषन डायरी नवीनीकृत नहीं करवाई गई है । विनिष्चय प्प्;2009द्धब्च्श्र 284  त्ंरंेजींद ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद   छंूंस ैपदही ैंदबीमजप टे ैजंजम व ित्ंरंेजींद - व्ते पर अवलम्ब लिया गया । 
4.    अप्रार्थी विद्युत निगम  के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि वर्ष 2012 -13 व 2013-14 की जो एक मुष्त राषि उपभोक्ता द्वारा  दिनंाक 27.5.2013 को जमा कराई गई है, वह उपभोक्ता के बीमार होने के बाद  राषि  जमा करवाई है, जो नियमानुसार 2012-13 के वित्तीय वर्ष के  प्रारम्भ होने के साथ जमा करवाई जानी थी, जो जमा नहीं करवाई गई है ।  अतः उपभोक्ता  इलाज की राषि प्राप्त करने का हकदार नहीं है । इस संबंध में उन्हांेने छमू च्मदेपवदमते डमकपबपदंस थ्नदक ैबीमउम , 2000 के प्रावधानों की ओर ध्यान आकर्षित करवाया।  उनका यह भी तर्क रहा है कि उपभोक्ता ’’ उपभोक्ता’’ की परिभाषा में नहीं आता है । इस संदर्भ में उन्हांेने ;2013द्ध10 ैनचतमउम ब्वनतज ब्ंेमे 136  श्रंहउपजजंत ैंपद ठींहंज ंदक व्ते टे क्पतमबजवतए भ्मंसजी ैमतअपबमतेए भ्ंतलंदं  का अवलम्ब लिया ।  साथ ही लिखित तर्क भी प्रस्तुत किए । 
5.    हमने  उपभय पक्ष की विस्तृत बहस सुनी व लिखित  बहस के साथ पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों पर भी मनन किया । 
6.    यह स्वीकृत तथ्य है कि उपभोक्ता अप्रार्थी विद्युत निगम  का सेवानिवृत्त कर्मचारी रहा है । उसने सेवानिवृत्ति के बाद समय समय पर पेंषन मेडिकल सुविधा प्राप्त करने हेतु इस कार्ड का नवीनीकरण करवाया । अब प्रष्न यह है कि क्या वह इस सुविधा का लाभ प्राप्त करने हेतु उपभोक्ता के रूप में मंच का दरवाजा खटखटा सकता है ?  क्या विवादित अवधि हेतु वह इलाज के पुनर्भरण की राषि नवीनीकरण की तिथि  गुजर जाने के बाद जमा करवाने पर प्राप्त करने का अधिकारी है ?
7.       यहां यह उल्लेखनीय है कि  राज्य उपभोक्ता आयोग के निर्णय दिनंाक 16.5.2013 अपील संख्या 162/2010 षिवनाथ योगी बनाम राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम व अन्य तथा माननीय राष्ट्रीय आयोग के निर्णय  दिनांक 20.3.2014 जो  ओ.एन.जी.सी. लिमिटेड व अन्य बनाम रिसर्च कन्ज्यूमर सोसायटी व अन्य में पारित किया गया था, में जगमितर सेन भगत वाले माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर भी विचार किया गया है , में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि पेंषनर उपभोक्ता की परिभाषा में आकर उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटा सकता है । इन प्रावधानों के प्रकाष में इस मंच की राय में उपभोक्ता का यह प्रकरण इस मंच की क्षेत्राधिकारिता में आता है । 
8.        अब हम  विवाद के मुख्य बिन्दु पर विचार करते हंै । स्वीकृत रूप से उपभोक्ता ने 11.12. 2012 से 30.03.2013 तक करवाए गए इलाज का खर्च इस आधार पर चाहा है कि उसके द्वारा वर्ष 2012-13 व 2013-14 का नवीनीकरण दिनांक 27.5.2013 को करवा लिया था । मात्र इस आधार पर वह इस समस्त अवधि में इलाज  में हुई खर्च  राषि प्राप्त करने का अधिकारी है । इस संबंध में जो उनकी ओर  से नवल सिंह वाला उपरोक्त विनिष्चय  प्रस्तुत किया गया है, वह तथ्यों की भिन्नता लिए होने से उसके लिए सहायक नहीं है । उक्त विनिष्चय  में तदनुसार  उपभोक्ता  द्वारा  इलाज के लिए मेडिकल कार्ड पर रू. 50,000/- की राषि स्वीकृत की गई है । उसका इलाज उक्त वित्तीय वर्ष से आगे 10.4.2002 तक चला था । उपभोक्ता मंच ने उसका परिवाद  इस आधार पर खारिज कर दिया था  कि चूंकि अगले वित्तीय  वर्ष के लिए  जारी उसकी डायरी नवनीकृत नहीं थी । अतः वह यह लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नही ंथा । हमारे समक्ष हस्तगत प्रकरण में तथ्य बिल्कुल भिन्न हैं।   हमारे समक्ष तो  वर्ष 2012-13 व 2013-14  तक की अवधि का नवीनीकरण  उसके द्वारा दिनंाक 27.5.2013 को करवाया गया। जबकि वर्ष 2012-13 के वित्तीय वर्ष में उसे दिनंाक 1.4.2012 से 31.3.2013 तक की अवधि के लिए 31 मई, 12 तक अपने कार्ड का नवनीकरण करवा लेना चाहिए था । इसी  प्रकार उसने 2013-14 तक की अवधि का नवनीकरण दिनंाक 27.5.2013 को करवाया हंै । इस संबंध में छमू च्मदेपवदमते डमकपबपदंस थ्नदक ैबीमउम , 2000  के नियम 5 स्पष्ट है ।  जो निम्न प्रकार से है:-
 ;इद्ध     ;पद्ध     प्द बंेम चमदेपवदमते वचजे जव तमदमू बंतक मअमतल लमंतए जीमद जीम पकमदजपजल बंतक ;च्डब्थ् 2द्ध ेींसस ींअम जव तमदमूमक मअमतल लमंत वद चंलउमदज व ितमदमूंस मिम  इल ंिउपसल चमदेपवदमते नच जव 31ेज डंल  वित तमपउइनतेमउमदज व िउमकपबंस मगचमदेमे चमतजंपदपदह जव जीम तमसमअंदज पिदंदबपंस लमंतण् 
     ;पपद्ध      प्द बंेम जीम तमदमूंस मिम पे दवज कमचवेपजमक नच जव 31ेज डंल जीमद जीम तमपउइनतेमउमदज ूवनसक इम ंकउपेेपइसम वदसल वित जीम जतमंजउमदज ंजिमत मिम कंजम  व िकमचवेपज  व ितमदमूंस मिमण्             
क्योंकि उपभोक्ता ने वर्ष 2012-13 , 2013-14 के वित्तीय वर्ष  प्रारम्भ होने की अवधि के साथ  दिनंाक 31.5.2012 तक  वर्ष 2012-13 के लिए तथा   दिनंाक 
31.5.2013 को वर्ष 2013-14 के लिए  नवीनीकरण राषि जमा  करवाई है ।  किन्तु यह राषि वर्ष 2013-14 तक अर्थात 01.4.2013 से 31.03.2014  तक प्रभावी थी अतः  बाद में इस हेतु जमा करवाई गई राषि की आड में वह पूर्व में इलाज में (31.03.2013 तक ) खर्च हुई राषि प्राप्त करने का हकदार नहीं हो जाता है । 
9.    अतः उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ता का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि 
                       -ःः आदेष:ः-
10.            उपभोक्ता का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 26.04.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
  
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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