राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2499/2012
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या 1099/2008 में पारित आदेश दिनांक 11.10.2012 के विरूद्ध)
Pepsico India Holdings Private Limited
through its General Manager, UPSIDC
Industrial Area, Jainpur, Kanpur Dehat.
....................अपीलार्थी/विपक्षी सं01
बनाम
1. Syed Sikender Alam son of Syed Anwaar
Alam, resident of 88/23, Nala Road, Kanpur
Nagar.
2. Hindustan Biscuit Store through Proprietor,
Shop No. 79 Naveen Market, The Mall,
Kanpur Nagar.
................प्रत्यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं02
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 30.03.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-1099/2008 सैय्यद सिकन्दर आलम बनाम पेप्सिको इण्डिया होल्डिंग्स प्राइवेट लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 11.10.2012 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी पेप्सिको इण्डिया होल्डिंग्स प्राइवेट लि0 की ओर
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से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्त परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 को निर्देशित किया है कि वह निर्णय के 30 दिन के अन्दर प्रत्यर्थी/परिवादी को 25,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करे।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री विकास सिंह और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 मिश्रा उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि दिनांक 26.09.2008 को उसने प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 हिन्दुस्तान बिस्किट स्टोर से 600 एम0एल0 का माउन्टेन ड्यू खरीदा, जो अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 पेप्सिको इण्डिया होल्डिंग्स प्राइवेट लि0 द्वारा निर्मित था। उसने बोतल जब खोलना चाहा तो देखा कि उसमें मरी हुई छिपकली है। यह देखकर वह आश्चर्यचकित हुआ और प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 से शिकायत की। तब उसने बताया कि उसका निर्माता अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 है। उसके बाद प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 से कई बार सम्पर्क किया, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। बोतल प्रत्यर्थी/परिवादी
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के पास पड़ी रही। अन्त में विवश होकर उसने जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कथन किया है कि उसके द्वारा निर्मित पेय पदार्थ में किसी प्रकार का कोई मिश्रण नहीं किया जाता है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्मित पेय पदार्थ आधुनिक मशीनों तथा कुशल इंजीनियरों के माध्यम से निर्मित किए जाते हैं और उनकी नियमित जांच की जाती है।
लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 ने यह भी कहा है कि उसके विरूद्ध परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी उसका उपभोक्ता नहीं है।
प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ और उसने लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों एवं Public Analyst की रिपोर्ट पर विचार करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा स्वीकार किया है और उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रश्नगत माउन्टेन ड्यू की बोतल अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्मित होना प्रमाणित नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 का उपभोक्ता नहीं है। जिला फोरम ने
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अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है, वह अनुचित और अवैधानिक है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है और जन विश्लेषक की आख्या से समर्थित है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र एवं शपथ पत्र के माध्यम से यह कथन किया है कि उसने दिनांक 26.09.2008 को प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 से माउन्टेन ड्यू 600 एम0एल0 का पेय पदार्थ खरीदा और खरीदने के पश्चात् जब उसे पीने के लिए प्रयोग करना चाहा तो उसमें मरी हुई छिपकली दिखायी दी। प्रत्यर्थी/परिवादी ने खरीद की रसीद भी जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत की है। प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर इस बात से इंकार नहीं किया है कि उसने यह पेय पदार्थ प्रत्यर्थी/परिवादी को नहीं बेचा है। अत: यह मानने हेतु उचित और युक्तसंगत आधार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने माउन्टेन ड्यू 600 एम0एल0 मात्र का प्रत्यर्थी/विपक्षी संख्या-2 से खरीदा है। माउन्टेन ड्यू 600 एम0एल0 अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 का उत्पाद है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 पर यह भार है कि वह यह दर्शित करे कि माउन्टेन ड्यू की प्रश्नगत बोतल
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अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा उत्पादित एवं निर्मित नहीं है, परन्तु उसने ऐसा कोई ठोस आधार दर्शित नहीं किया है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि प्रश्नगत माउन्टेन ड्यू अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 का उत्पाद नहीं है और उसके द्वारा निर्मित नहीं है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विद्वान अधिवक्ता की ओर से तर्क किया गया है कि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से पुलिस में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के नकली उत्पाद बनाने की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से मात्र प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि प्रश्नगत माउन्टेन ड्यू की बोतल अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा निर्मित नहीं है।
अत: सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 का उपभोक्ता मानने हेतु उचित और युक्तसंगत आधार है।
परिवाद पत्र एवं प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने जो माउन्टेन ड्यू की बोतल खरीदा, उसमें मरी हुई छिपकली दिखायी दी। इस बात का समर्थन Public Analyst की आख्या दिनांक 03.03.2009 से होता है। Public Analyst की रिपोर्ट दिनांक 09.03.2009 से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत माउन्टेन ड्यू का
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परीक्षण उसके द्वारा दिनांक 03.03.2009 को किया गया है और उसके परीक्षण और निरीक्षण के समय नमूने में छिपकली के अंग तथा फफूंदी विद्यमान पाये गये हैं। माउन्टेन ड्यू की बोतल सील्ड दशा में प्रस्तुत की गयी है और सील्ड दशा में जन विश्लेषक को जिला फोरम द्वारा भेजी गयी है। सील्ड बोतल में छिपकली का अंग जन विश्लेषक द्वारा भी पाया गया है। अत: जन विश्लेषक की आख्या से प्रत्यर्थी/परिवादी के परिवाद पत्र और शपथ पत्र के कथन का पूर्णतया समर्थन होता है। सील्ड बोतल में छिपकली का अंग पाया जाना यह दर्शित करता है कि बोतल में पेय पदार्थ भरने और पैकिंग करने में सावधानी बरती नहीं गयी है, जो निश्चित रूप से सेवा में कमी है।
उपरोक्त विवेचना और सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है, वह उचित और विधिसम्मत है। जिला फोरम द्वारा आरोपित क्षतिपूर्ति की धनराशि भी युक्तसंगत है। अत: हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से प्रस्तुत वर्तमान अपील बल रहित है और सव्यय निरस्त किए जाने योग्य है।
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आदेश
अपील 5000/-रू0 (पांच हजार रूपया मात्र) वाद व्यय सहित निरस्त की जाती है। वाद व्यय की यह धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1, प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करेगा।
अपीलार्थी की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि ब्याज सहित जिला फोरम को विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1