राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1173/2008
(जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), लखनऊ द्धारा परिवाद सं0-78/2007 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 02-08-2007 के विरूद्ध)
वी0 फार्मा (प्राइवेट) लिमिटेड
बनाम
सावनी ट्रांसपोर्ट्स प्रा0लि0 व दो अन्य
समक्ष :-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक :- 21-06-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), लखनऊ द्धारा परिवाद सं0-78/2007 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 02-08-2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर बल देने के लिए पक्षकारों की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, अत: पीठ द्वारा स्वयं अपील पत्रावली एवं प्रश्नगत आदेश का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी/परिवादी द्वारा विपक्षी/प्रत्यर्थी सं0-1 के माध्यम से दवाईयों का पैकेट प्रेषित किया गया था, जो गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुँचा, इसलिए इस सामान की कीमत इस आधार पर प्राप्त करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी की गई है।
विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि यह परिवाद व्यापारिक प्रकृति का है।
यह सही है कि जो वस्तुऐं प्रेषित की गई थीं, उनका उपयोग क्रेता द्वारा अपने व्यापार के लिए किया जाना था, परन्तु जिस व्यक्ति द्वारा यह सामान प्रेषित किया गया था, उसके द्वारा ट्रान्सपोर्ट कम्पनी की सेवाऐं शुल्क देकर प्राप्त की गईं थीं, इसलिए माल
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गन्तव्य स्थान पर न पहुँचने की स्थिति में माल की कीमत वसूल करने के लिए परिवादी अधिकृत है। अत: बिना किसी गुणदोष पर विचार किए हुए प्रकरण सम्बन्धित जिला आयोग को प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है और तदनुसार अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), लखनऊ द्धारा परिवाद सं0-78/2007 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 02-08-2007 अपास्त किया जाता है तथा प्रकरण प्रतिप्रेषित करते हुए विद्वान जिला आयोग को निर्देशित किया जाता है कि प्रश्नगत परिवाद को उपभोक्ता परिवाद मानते हुए उक्त परिवाद को अपने मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित करते हुए परिवाद के दोनों पक्षकारों को साक्ष्य एवं सुनवाई का विधि अनुसार समुचित अवसर प्रदान करते हुए यथा सम्भव 03 माह की अवधि में परिवाद सं0-78/2007 को गुणदोष के आधार पर निस्तारित किया जावे।
परिवाद की कार्यवाही प्रारम्भ करने से पूर्व विद्वान जिला आयोग द्वारा दोनों पक्षकारों को सूचना प्रेषित की जाए, क्योंकि पक्षकार इस राज्य आयोग की पीठ के समक्ष आज उपस्थित नहीं हैं।
इसके उपरान्त किसी भी पक्षकार को बिना किसी उपयुक्त कारण के स्थगन की अनुमति न प्रदान की जावे।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1.
कोर्ट नं0-2.