(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-237/2013
बरेली डेवलपमेंट अथारिटी तथा एक अन्य बनाम हरित भसीन पुत्र श्री बी.बी. भसीन
एवं
अपील संख्या-238/2013
बरेली डेवलपमेंट अथारिटी तथा एक अन्य बनाम सौरभ भसीन पुत्र श्री दीपक भसीन
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक: 04.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0-100/2012, हरित भसीन बनाम बरेली विकास प्राधिकरण तथा एक अन्य एवं परिवाद सं0-101/2012, सौरभ भसीन बनाम बरेली विकास प्राधिकरण तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा पारित संयुक्त निर्णय/आदेश दिनांक 8.1.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील क्रमश: अपील संख्या-237/2013 तथा अपील संख्या-238/2013 विकास प्राधिकरण की ओर से उपरोक्त प्रश्नगत निर्णय/आदेश को अपास्त करने के लिए प्रस्तुत की गई हैं। चूंकि उपरोक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ एक ही निर्णय/आदेश द्वारा किया जा रहा है, इस हेतु अपील संख्या-237/2013 अग्रणी अपील होगी।
2. उपरोक्त दोनों अपीलों में अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री
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वी.पी. श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावलियों का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
3. विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त दोनों परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वह परिवादीगण को पंजीकरण शुल्क में से की गई कटौती मु0 20,250/-रू0 - 20,250/-रू0 एवं मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 5,000/-रू0 – 5,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 2,000/-रू0 – 2,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
4. प्रश्नगत दोनों परिवादों में वर्णित तथ्यों का संक्षिप्त सार यह है कि विपक्षीगण द्वारा 200-200 वर्गमीटर के भूखण्ड आवंटित करने का प्रकाशन दैनिक समाचार पत्र में किया गया, जिसकी पंजीकरण राशि अंकन 81,000/-रू0 - 81,000/-रू0 प्रत्येक भूखण्ड थी। परिवादीगण ने विपक्षीगण की योजना में देरी से असंतुष्ट होकर पंजीकरण राशि दिनांक 15.11.2010 को वापस करने की मांग की गई, परन्तु विपक्षीगण द्वारा पंजीकरण की राशि में से 25 प्रतिशत राशि अंकन 20,250/-रू0 – 20,250/-रू0 प्रत्येक भूखण्ड की काट ली गई और अवशेष राशि का भुगतान कर दिया गया।
5. विपक्षीगण ने यह तथ्य स्वीकार किया कि 25 प्रतिशत की कटौती के पश्चात अवशेष राशि वापस की गई है, क्योंकि परिवादीगण को विधिवत रूप से भूखण्ड आवंटित किए जा चुके थे। आवंटन के पश्चात यदि कोई आवंटी अपनी राशि वापस लेना चाहता है तब 25 प्रतिशत की कटौती किया जाना नियमों के अंतर्गत है।
6. विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य की व्याख्या करते हुए यह निष्कर्ष दिया कि प्राधिकरण की रामगंगा नगर आवासीय योजना में आवंटन पत्र पर भूखण्ड का उल्लेख नहीं है। भूखण्ड का नम्बर लाट्री के माध्यम से किया जाएगा, इसलिए जब तक भूखण्ड का आवंटन नहीं हो जाता तब तक
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आवंटन नहीं माना जा सकता और ब्रोशर की शर्त सं0-9.1 के अनुसार आवंटन से पूर्व समस्त राशि बगैर ब्याज के वापस लौटायी जाएगी। तदनुसार परिवादीगण की समस्त राशि लौटाने का आदेश पारित किया है, जिसमें से अदा की गई राशि समायोजित की जाएगी।
7. उपरोक्त दोनों अपीलों में वर्णित आधारों तथा मौखिक बहस का सार यह है कि चूंकि परिवादीगण के पक्ष में भूखण्ड आवंटित हो चुके थे। आवंटन के पश्चात पंजीकरण की राशि वापस लेने पर 25 प्रतिशत की कटौती नियमों के अंतर्गत की गई है, परन्तु पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि यथार्थ में आवंटन पत्र केवल भूखण्ड आरक्षित करने के लिए जारी किया गया है, इस आवंटन पत्र में भूखण्ड का कोई क्रमांक नहीं है यानी तब तक योजना विकसित ही नहीं हुई थी और भूखण्ड क्रमांकित नहीं किए गए थे, इसलिए क्रमांक से पूर्व जारी किसी प्रकार का आवंटन पत्र नहीं माना जा सकता। आवंटन पत्र वैध तब होता है जब उसमें भूखण्ड का नम्बर, परिक्षेत्र तथा सीमाएं वर्णित हों, केवल आरक्षण पत्र को भूखण्ड का आवंटन नहीं कहा जा सकता, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है, परन्तु मानसिक प्रताड़ना की मद में अदा की गई राशि के संबंध में पारित आदेश अपास्त होने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत दोनों अपीले आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
8. उपरोक्त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्या-237/2013 तथा अपील संख्या-238/2013 आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित संयुक्त निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि मानसिक प्रताड़ना की मद में पारित आदेश समाप्त किया जाता है। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्या-237/2013 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।
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प्रस्तुत अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2