राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-240/2019
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, हाथरस द्वारा परिवाद संख्या 07/2015 में पारित आदेश दिनांक 09.01.2019 के विरूद्ध)
अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, विद्युत वितरण खण्ड-III, कार्यालय हाथरस
........................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
सत्यदेव सिंह, पुत्र श्री रघुबीर सिंह, निवासी- ग्राम नगला – पीतम भाग कोमरी, तहसील सासनी, जिला हाथरस
...................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 17.12.2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख अपीलार्थी अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, हाथरस द्वारा परिवाद संख्या-07/2015 सत्यदेव सिंह बनाम अधिशाषी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.01.2019 के विरूद्ध योजित की गयी।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद में निम्न अनुतोष प्रदान किये जाने की प्रार्थना की:-
(क) यह कि विपक्षी द्वारा पत्र दिनांक 19.09.2014 में दिखाई गयी अवैध धनराशि 81637/-रूपये समाप्त की जाये।
(ख) यह कि परिवादी को विपक्षी से आर्थिक व मानसिक प्रताडना की ऐवज में 10 हजार रूपये दिलाये जायें।
(ग) यह कि परिवादी को विपक्षी से परिवाद व्यय व अधिवक्ता फीस
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5500/-रूपये दिलायी जावे।
(घ) यह कि राय अदालत जो प्रतिकर परिवादी के पक्ष में बनते हो वह विपक्षी से दिलाये जावें।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपनी कृषि भूमि के लिए निजी नलकूप कनैक्शन सं0 0981 अपीलार्थी/विपक्षी के विभाग से लिया था तथा प्रत्यर्थी/परिवादी समय-समय पर अपना विद्युत बिल जमा करता रहा और कोई बिल भुगतान के लिए अवशेष नहीं है। प्रत्यर्थी/परिवादी के द्वारा जनवरी माह 2014 से माह नवम्बर 2014 तक विद्युत बिल की नियत धनराशि 1037/-रू0 प्रति माह जमा की गयी, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी के विभाग से प्रत्यर्थी/परिवादी को दिनांक 19.09.2014 को पंजीकृत डाक से एक पत्र भेजा गया, जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी के नलकूप संयोजन पर माह जुलाई 2014 के लेजर के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी पर 81637/-रू0 बकाया बताया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी उक्त पत्र को लेकर अपीलार्थी/विपक्षी से मिला तथा उन्हें सभी जमा बिल रसीदें दिखाई, किन्तु उनके द्वारा कोई माकूब जवाब नहीं दिया गया तथा पत्र में लिखित धनराशि को जमा करने के लिए कहा गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादी पर उक्त धनराशि गलत दर्शाई गयी है, जिसे समाप्त न कर अपीलार्थी/विपक्षी के द्वारा अपनी सेवाओं में कमी एवं त्रुटि कारित की गयी। अत: विवश होकर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध परिवाद योजित किया गया।
प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.01.2019 के द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने प्रत्यर्थी/परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को मानसिक संताप हेतु 10,000/-रू0 तथा परिवाद व्यय हेतु 5,000/-रू0 की अदायगी निर्णय की तिथि से 30 दिन की अवधि में किये जाने हेतु आदेशित किया।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि वास्तव में जो तथ्य पक्षकारों के मध्य विवादित थे उनका निस्तारण पूर्ण
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रूप से अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा समुचित जांच कराकर किया गया तथा यह पाया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विद्युत देय से सम्बन्धित व्यय पूर्व में जमा किया गया है तथा उसके विरूद्ध कोई देय धनराशि विद्युत बिल के सम्बन्ध में बाकी नहीं है। फिर भी प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा बिना किसी उचित कारण के परिवाद प्रस्तुत किया गया, जिसमें जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय हेतु अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध आदेश पारित किया।
हमारे द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा को सुना गया तथा प्रस्तुत अपील में उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता अनुपस्थित हैं।
जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय एवं आदेश का परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त हम पाते हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा की गयी धनराशि का समुचित आंकलन करने के उपरान्त यह निर्धारित किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी पर विद्युत बिल से सम्बन्धित कोई धनराशि शेष नहीं है। तब उस स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध मानसिक संताप एवं परिवाद व्यय हेतु हर्जाना योजित किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।
अतएव प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है और प्रश्नगत आदेश अपास्त किया जाता है।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को विधि के अनुसार 01 माह में वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1