( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :1476/2019
1-मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विद्युत वितरण खण्ड-।।, मगरवारा उन्नाव द्वारा एक्जीक्यूटिव इंजीनियर।
2-उ0प्र0 पावर कार्पोरेशन लि0, 14 अशोक मार्ग, शक्ति भवन, लखनऊ द्वारा चीफ मैनेजिंग डाइरेक्टर/चेयरमैन।
3- मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0, 4-ए, गोखले मार्ग, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्टर।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम्
सत्यपाल सिंह आयु लगभग 56 वर्ष पुत्र स्व0 सुन्दर पाल सिंह निवासी-ग्राम व पोस्ट पूरानिस्फ पंसारी, पुलिस स्टेशन मक्खी जिला उन्नाव।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री संतोष कुमार मिश्रा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 07-12-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-96/2016 सत्य पाल सिंह बनाम अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड व दो अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, उन्नाव द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 02-11-2019 के विरूद्ध यह अपील
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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ अत: उपभोक्ता परिवाद संख्या-96/2016 सत्यपाल सिंह बनाम अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड मगरवारा उन्नाव आदि एतदद्धारा स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी संख्या-1 अधिशाषी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड द्धितीय मगरवारा उन्नाव एवं अन्य द्वारा परिवादी को 50,000/-रू0 की धनराशि बतौर क्षतिपूर्ति आदेश प्राप्ति के 45 दिन के अंदर अदा करें। इसके साथ ही साथ परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि अर्थात 07-05-2016 से 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी अदा करें। शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए 3000/-रूपये की धनराशि तथा परिवाद व्यय के लिए 1500/-रू0 की धनराशि भी अलग से प्रदान करें। ‘’
विद्धान जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षीगण की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी की जनरल स्टोर एवं कपड़े की दुकान रऊ करना चौराहा जिला उन्नाव में स्थित है। रऊ करना में दिसम्बर, 2015 में विद्युतीकरण किया गया था। उक्त विद्युतीकरण में परिवादी की दुकानों के ऊपर से 11000 वोल्ट की विद्युत लाईन ले जायी गयी थी जिसका परिवादी ने विद्युत विभाग के उच्च अधिकारियों से यह कहकर विरोध किया कि इससे परिवादी की दुकान की क्षति हो सकती है किन्तु उच्चाधिकारियों ने ऐसा नहीं माना और कहा कि
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विद्युत लाईन से परिवादी को कोई क्षति नहीं होगी। दिनांक 16-01-2016 को रात में लगभग 12.30 बजे बिजली के तार पिघल कर परिवादी की दुकान पर गिर गये जिससे परिवादी की दुकान में भीषण आग लग गयी और उक्त दोनों दुकानों का सारा सामान जलकर नष्ट हो गया। उक्त दुर्घटना की सूचना परिवादी ने थाना मांखी में दुसरे दिन दिनांक 17-01-2016 को दिया जो कि जी0डी0 में दर्ज है। विद्युत विभाग द्वारा परिवादी की उक्त क्षतिपूर्ति के लिए या सहानुभूति के संबंध में विद्युत विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी के सम्पर्क न करने पर परिवादी ने लिखित सूचना अधिशाषी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड द्धितीय गोकुल बाबा मगरवाया जिला उन्नाव को दिया किन्तु आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी जो कि विपक्षी के स्तर से सेवा में कमी है अत: विवश होकर परिवाद ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवाद पत्र एवं उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त विपक्षी की सेवा में कमी पाते हुए परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री संतोष कुमार मिश्रा उपस्थित। प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता अनुपस्थित।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
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अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है। विद्युत विभाग की ओर से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है न ही अपीलार्थी द्वारा दुकान के ऊपर से जो विद्युत तार गये हैं, के जर्जर होने की कभी कोई सूचना नहीं दी है जब कि विद्युत विभाग के कर्मचारीगण निरंतर विद्युत तारों की मरम्मत एवं देखभाल का कार्य करते आ रहे हैं और यह प्रक्रिया निरंतर अनवरत रूप से जारी है। अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश निरस्त किया जावे।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का गहनतापूर्वक विश्लेषण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला
आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गंभीरतापूर्वक विचार किये बिना ही विधि विरूद्ध निर्णय पारित किया गया है। परिवादी द्वारा विद्युत तारों में आग लगने से ही परिवादी की दुकान का सामान जला ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है और न ही कभी विद्युत विभाग को इस बात की शिकायत की गयी है कि दुकान के ऊपर से जो तार गये है वह जर्जर अवस्था में है जिन्हें ठीक किये जाने की याचना परिवादी द्वारा की गयी हो।
अत: समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से अपील स्वीकार किये जाने तथा जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
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आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश निरस्त किया जाता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1