मौखिक
उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2140/2009
नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी
बनाम
सतीश कुमार दीक्षित
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री आलोक कुमार सिंह,विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण टंडन, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :27.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी की ओर से विद्वान जिला आयोग, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद संख्या- 152/2006, सतीश कुमार दीक्षित बनाम नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.11.2009 के विरूद्ध योजित की गयी है।
2. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री अशोक महरोत्रा तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री ए0 के0 पांडेय उपस्थित है। उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क सुने गये एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया।
3. परिवादिनी का कथन है कि उसने इलाहाबाद बैंक से अंकन 60,000.00 रूपये का ऋण प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत सीमेन्ट, सरिया आदि की दुकान खोलने के लिये लिया था जिसका बीमा उसने विपक्षी से दिनांक 11.03.2005 से 10.03.2006 की अवधि के लिये कराया था जिसका प्रीमियम परिवादी ने बीमा कम्पनी को अंकन 373.00 रूपया अदा किये थे। दिनांक 02.03.2006 को परिवादी दुकान बंद करके शादी में चला गया उसी रात दुकान में आग लग गई। परिवादी जब दिनांक 03.03.2006 को वापस आया तो उसे पता चला। परिवादी ने आग लगने की सूचना लिखित रूप से स्थानीय पुलिस को दी। विपक्षी कम्पनी द्धारा मौके का निरीक्षण किया गया और क्लेम दिलाये जाने का आश्वासन दिया गया। विपक्षी द्धारा परिवादी को दिनांक 19.04.2006 को बीमा कम्पनी द्धारा अग्निशमन आख्या प्रेषित करने हेतु कहा गया जिसका लिखित जवाब परिवादी द्धारा दिनांक 08.06.2006 को पंजीकृत डाक द्धारा प्रेषित कर दिया गया। विपक्षी कम्पनी द्धारा न तो धनराशि का भुगतान किया गया और न ही कोई कारण बताया गया, जिससे क्षुब्ध होकर यह परिवाद योजित किया है।
4. विपक्षी द्धारा परिवादी की दुकान का दिनांक 11.03.2005 से 06.03.2006 तक का बीमा किया जाना स्वीकार है। विपक्षी का कथन है कि परिवादी की दुकान में आग लगने की सूचना उसको इलाहाबाद बैंक के पत्र दिनांक 06.03.2006 से हुई। विपक्षी द्धारा घटना की जांच हेतु सर्वेयर नियुक्त किया गया।
5. जिला आयोग ने परिवादी के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरान्त परिवाद को स्वीकार करते हुये विपक्षी परिवादी की दुकान में लगी आग के नुकसान हेतु अंकन 35,561.00 रूपये में से अंकन 6,000.00 की धनराशि काटकर शेष बची राशि पर परिवाद योजित करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया है।
6. पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन किया गया। अपीलार्थी द्धारा अपील में कथन किया गया है कि जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश में तथ्यों को सही रूप से विश्लेषित नहीं किया गया है।
7. पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात पीठ का मत है कि अपीलार्थी द्धारा जिला आयोग के निर्णय के विरूद्ध जो तथ्य प्रस्तुत किए गए है उसमे बल नहीं है। जिला आयोग द्धारा निर्णय उचित एवं तथ्यों को विश्लेषित करते हुए दिया गया है, जिसमे हस्तक्षेप करने का कोई उचित आधार नहीं है। परन्तु जिला आयोग द्धारा धनराशि अंकन 35,561.00 रूपये में अंकन 6,000.00 की कटौती करते हुये अवशेष धनराशि पर जो 09 प्रतिशत ब्याज अधिरोपित किया गया है वह तर्क संगत एवं न्यायोचित नहीं है पीठ के मत से 09 प्रतिशत ब्याज दर को परिवर्तित करते हुये धनराशि अंकन 35,561.00 रूपये में अंकन 6,000.00 रूपये की कटौती करते हुये अवशेष राशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक दिया जाना उचित प्रतीत होता है। तद्नुसार, प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से किये जाने योग्य है। तद्नुसार, प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्धारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि धनराशि अंकन 35,561.00 रूपये में अंकन 6,000.00 रूपये की कटौती करते हुये अवेशेष धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा। शेष निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि राज्य आयोग के समक्ष जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापस की जावेगी।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0,
कोर्ट-03