राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-1253/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, दितीय गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-47/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.5.2012 के विरूद्ध)
I.T.S. Centre for Dental Studies and Research Delhi Meerut Road, Asalatnagar, Mur Adnagar, Ghaziabad, through Officer Incharge.
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
1- Satish Chandra, Advocate S/o Lte Sri Babu Ram
2- Km. Nidhi Agrawal, D/o Sri Satish Chandra, Advocate, Both R/o F-102, Shastri Nagar, Meerut.
……..…. Respondents/ Complainants
समक्ष :-
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री सुशील कुमार शर्मा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री वीर राघव चौबे
दिनांक : 06/12/2017
मा0 श्री रामचरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
मौजूदा अपील जिला उपभोक्ता फोरम, दितीय गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-47/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.5.2012 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया है:-
" …………..यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए परिवादीगण के पक्ष में विपक्षी के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा- 14 (1) (डी) के अधीन यह आदेश पारित किया जाता है कि विपक्षी, परिवादीगण को कु0 निधि अग्रवाल छात्रा परिवादिया क्रमांक-2 द्वारा विपक्षी के पास जमाशुदा टयूशन फीस की कुल राशि 68000.00 रूपये में से 17000.00 रूपये की पूर्व वर्णित अनुसार कटौती करने के उपरांत शेष 51000.00 (इक्यावन हजार) रूपये तथा सिक्योरिटी के रूप
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में जमा रू0 50000.00 (पचास हजार) कुल 1,01,000.00 (एक लाख एक हजार रूपये मात्र) जमा दिनांक के स्थान पर एन0ओ0सी0 हेतु परिवादिया क्रमांक-2 द्वारा आवेदन करने के दिनांक 10.4.2001 से वा अदायगी के दिनांक तक 08 प्रतिशत साधारण देय ब्याज की दर से ब्याज की राशि जोड़कर सम्पूर्ण राशि जो भी होवे, उतनी राशि इस परिवाद के परिवाद व्यय एक हजार रूपये सहित विपक्षी परिवादीगण को निर्णय दिनांक से एक माह की अवधि के अन्दर अदा करें। विपक्षी स्वयं का प्रतिवाद व्यय वहन करेगा।"
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी सं0-1 की पुत्री परिवादी सं0-2 उ0प्र0 द्वारा नियन्त्रित सी0पी0एम0टी0 परीक्षा-2000 में सम्मिलित हुई तथा अच्छे अंक प्राप्त करने पर दिनांक 27.11.2000 को काऊन्सिलिंग में प्रतिवादी विद्यालय में फ्री सीट पर बी0डी0एस0 का कोर्स करने के लिए शिक्षा प्राप्त करने हेतु चयनित किया गया, जिसके लिए अंकन 8000.00 रू0 दिनांक 24.8.2000 को ड्राफ्ट सं0-704899 के द्वारा काऊन्सिलिंग के समय जमा किए गये, किन्तु प्रवेश के समय अंकन 60,000.00 रू0 अन्य फीस तथा अंकन 50,000.00 रूपये सिक्योरिटी के मद में ड्राफ्ट के माध्यम से जमा किए। इस प्रकार उक्त सम्बन्ध में परिवादीगण ने कुल अंकन 1,18,000.00 रू0 प्रतिवादी के पास जमा किए और प्रवेश लेने के बाद दिनांक 11.01.2000 से शिक्षण कार्य आरम्भ हुआ और इसी बीच उ0प्र0 शासन द्वारा सी0पी0एम0टी0 परीक्षा वर्ष 2000 में चयनित विद्यार्थियों की एक काऊन्सिलिंग दिनांक 26.3.2001 को लखनऊ में पुन: करायी तथा परिवादी सं0-2 का सुभारती मेडीकल कालेज, मेरठ में एम0बी0बी0एस0 की परीक्षा प्राप्त करने हेतु नि:शुल्क सीट पर चयनित किया गया तथा प्रतिवादी विद्यालय द्वारा उसी समय उसका प्रवेश रद्द करके खाली सीट पर किसी अन्य विद्यार्थी का चयन किया गया तथा उससे निर्धारित फीस जमा करा ली गई और प्रतिवादी ने परिवादी सं0-2 को दिनांक 10.4.2001 को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया। परिवादी सं0-2 ने दिनांक 11.01.2001 से 26.3.2001
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तक प्रतिवादी के विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। परिवादीगण द्वारा प्रतिवादी को अदा की गई 68,000.00 रू0 फीस व अंकन 50,000.00 रू0 सिक्योरिटी राशि बार बार मॉगने तथा नोटिस देने के बावजूद भी प्रतिवादी ने वापस नहीं की, अत: परिवादीगण द्वारा प्रतिवादी से 1,18,000.00 रू0 मय ब्याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
प्रतिवादी की ओर से जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कथन किया गया है कि यह कथन गलत है कि परिवादी सं0-1 का प्रवेश रद्द करके खाली सीट पर किसी अन्य विद्यार्थी का चयन किया गया और उससे फीस ली गई एवं परिवादी सं0-1 को अनापत्ति प्रमाण पत्र इस अन्डरटेकिंग के साथ प्रदान किया गया था कि वह कोई फीस आदि की मॉग नहीं करेगी। फीस तथा सिक्योरिटी आदि विद्यालय व यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार ही ली जाती है। परिवादीगण ने कभी भी किसी फीस वापसी की मॉग नहीं की और कोई नोटिस भी नहीं दिया। स्वयं परिवादी के अनुसान दिनांक 12.12.2000 को फीस जमा की गई तथा 26.3.2001 तक परिवादी सं0-2 ने शिक्षा ग्रहण की, किन्तु यह परिवाद 09.4.2003 को समयावधि से बाधित योजित किया गया है एवं परिवादीगण का परिवाद पोषणीय नहीं है। अत: परिवाद सव्यय खण्डित किए जाने योग्य है।
इस सम्बन्ध में जिला उपभोक्ता फोरम के प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 11.5.2012 तथा आधार अपील का अवलोकन किया गया एवं अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वीर राघव चौबे उपस्थित आये। उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं लिखित बहस का भी अवलोकन किया गया है।
मौजूदा केस में जिला उपभोक्ता फोरम ने यह पाया है कि परिवादिनी सं0-2 द्वारा प्रतिवादी कालेज में केवल दिनांक 11.01.2001 से 26.3.2001 तक ही अर्थात केवल ढाई महीने तक वर्ष-2001 के
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शैक्षणिक सत्र में बी0डी0एस0 कोर्स की शिक्षा ग्रहण की गई है और दिनांक 10.4.2001 को एम0बी0बी0एस0 कोर्स हेतु चयन हो जाने से उक्त कोर्स में प्रवेश कराने हेतु एन0ओ0सी0 के लिए प्रतिवादी को आवेदन दिया, जिसमें मजबूरीवश एन0ओ0सी0 प्राप्त हो जावे, इसलिए जमाशुदा फीस छोड़ने हेतु लेख किया है, जो दबाववश होकर तथा स्वेच्छा से लेख न किए जाने के कारण ऐसा लेख आवेदन दिनांक 10.4.2001 में छात्रा के फीस वापस के हित को वेव नहीं करता है। प्रस्तुत मामले में यह तथ्य भी स्पष्ट है कि प्रतिवादी विद्यालय द्वारा उस समय प्रवेश रद्द करके खाली सीट पर किसी अन्य विद्यार्थी का चयन कर लिया था और उससे निर्धारित फीस जमा करा ली गई थी और प्रतिवादी विद्यालय ने परिवादिनी सं0-2 को दिनांक 10.4.2001 को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया था।
केस के तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह केस के तथ्यों व परिस्थितियों तथा सारे अभिलेखों को देखते हुए पारित किया गया है और हम यह पाते हैं कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश विधि सम्मत और तर्क पूर्ण है, जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई गुनजाइश नहीं है। तद्नुसार अपीलार्थी की अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेगें।
(रामचरन चौधरी) (बाल कुमारी)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-5