(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष्ा आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-649/2021
1. दि ब्रांच मैनेजर, एचडीएफसी इरगो जनरल इंश्योरेंस कं0, रतन स्क्वायर, विधान सभा मार्ग, लखनऊ।
2. दि चीफ मैनेजर, एचडीएफसी इरगो जनरल इंश्योरेंस कं0, बिजनेस पार्क, अंधेरी कुर्ला रोड, अंधेरी ईस्ट, मुम्बई 400059।
द्वारा श्री शिव प्रकाश सिंह, डिप्टी मैनेजर, लीगल पोस्टेड आफिस रतन स्क्वायर, विधान सभा मार्ग, लखनऊ।
अपीलार्थीगण/विपक्षी सं0-1 व 2
बनाम
1. श्री सतीश चंद्र जायसवाल पुत्र श्री मोती लाल जायसवाल, निवासी ग्राम दावतपुर, पोस्ट वलीपुर, परगना इसौली, तहसील सदर, जिला सुलतानपुर
2. श्री चंद्र कांत पाण्डेय पुत्र श्री हौसिला प्रसाद पाण्डेय, निवासी मकान नं0-833, सीता कुंड, सुलतानपुर, पोस्ट सर जिला सुलतानपुर।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-3
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री टी.जे.एस. मक्कड़, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सतेन्द्र नाथ मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक : 29.03.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-114/2016, सतीश चंद्र जायसवाल बनाम शाखा प्रबंधक महोदय, एचडीएफसी जनरल इं0कं0लि0 तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, सुलतानपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.11.2021 के विरूद्ध यह अपील बीमा कंपनी की ओर से प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं
-2-
आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमित वाहन संख्या-यू.पी. 44 टी. 4315 की चोरी होने पर बीमित धनराशि अंकन 14,40,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
2. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। इस बिन्दु को विचार में नहीं लिया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट अत्यधिक देरी से दर्ज कराई गई है। चोरी की घटना दिनांक 24.08.2015 को हुई, जबकि प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 29.10.2015 को धारा 156(3) के आवेदन पर दर्ज हुई तथा बीमा कंपनी को भी दिनांक 16.09.2015 को सूचना दी गई, इसलिए बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किय गया है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
3. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री टी.जे.एस. मक्कड़ तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सतेन्द्र नाथ मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. प्रश्नगत वाहन का बीमा होना, इस वाहन का चोरी होना, चोरी होने के पश्चात विवेचना करना, अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करना, अंतिम रिपोर्ट का स्वीकार होना दोनों पक्षकारों को स्वीकार है। अत: इन बिन्दुओं पर विस्तृत विवेचना की आवश्यकता नहीं है।
5. इस अपील के विनिश्चय के लिए केवल एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या चोरी की घटना के पश्चात प्रथम सूचना रिपोर्ट त्वरित रूप से दर्ज कराई गई या इसका प्रयास किया गया तथा बीमा कंपनी को भी सूचना त्वरित रूप से दी गई।
6. विद्वान जिला आयोग ने चोरी की घटना के पश्चात त्वरित रूप से प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने या बीमा कंपनी को सूचना देने की तिथि का कोई उल्लेख नहीं किया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन से जाहिर
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होता है कि धारा 156(3) सीआरपीसी के अंतर्गत प्रस्तुत वाद में पारित आदेश के अनुपालन में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। परिवाद पत्र में केवल यह उल्लेख है कि गोसाई गंज में लिखित सूचना दी गई, परन्तु प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई, इसके पश्चात दिनांक 27.08.2015 को एस.पी. को सूचना दी गई, परन्तु जिस दिन ट्रक चोरी हुआ यानी दिनांक 24.08.2015 को या इसके पश्चात थाने पर रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी तब एस.एस.पी. को कोई सूचना नहीं दी गई। परिवाद पत्र में यह भी उल्लेख नहीं है कि परिवादी गोसाई गंज थाने पर किस दिन उपस्थित हुआ और किस दिन प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने का प्रयास किया गया। इसी प्रकार बीमा कंपनी को भी समय से सूचना नहीं दी गई, जो बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है। अत: इस स्थिति में चूंकि परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। अत: बीमित धनराशि में से 50 प्रतिशत की कटौती करने के पश्चात अवशेष राशि बतौर क्षतिपूर्ति अदा किए जाने का आदेश देना उचित है। प्रस्तुत अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.11.2021 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि बीमित राशि में से 50 प्रतिशत की कटौती करने के पश्चात अवशेष राशि अर्थात अंकन 07,20,000/-रू0 की अदायगी बीमा कंपनी द्वारा परिवादी को की जाए। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा धारा 15 के अंतर्गत जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार एक माह में संबंधित जिला आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1