राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-681/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग-द्वितीय, बरेली द्वारा परिवाद संख्या 105/2017 में पारित आदेश दिनांक 19.12.2018 के विरूद्ध)
एच0डी0एफ0सी0 लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0 (पहले एच0डी0एफ0सी0 स्टैण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लि0)
........................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
सतीश चन्द्र गुप्ता ........................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
3. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री प्रसून श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 29.05.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-105/2017 सतीश चन्द्र गुप्ता बनाम एच0डी0एफ0सी0 स्टैण्डर्ड लाइफ इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 तथा एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.12.2018 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमाधारक लक्ष्मी देवी की मृत्यु के पश्चात् अवशेष धनराशि 4,80,435/-रू0 दिलाये जाने का आदेश पारित किया है। इस राशि पर 07 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज अदा करने तथा 3000/-रू0 परिवाद व्यय के रूप में अदा करने के लिए भी आदेशित किया है।
3. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। बीमा प्राप्त करने से पूर्व बीमाधारक द्वारा बीमारी
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के तथ्य को छिपाया गया। सर गंगा राम अस्पताल में मरीज द्वारा इलाज कराया गया, परन्तु आशापूर्वक इस तथ्य का उल्लेख जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष नहीं किया और बाद में सन्देहजनक शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया, जबकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा-106 के अनुसार उन तथ्यों को साबित करने का भार परिवादी पर था, जो उनकी जानकारी में मौजूद थे।
4. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवादी ने जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष उन तथ्यों को साबित नहीं किया, जो उनकी जानकारी में था।
6. यथार्थ में यदि बीमा कम्पनी का यह कथन है कि बीमाधारक द्वारा बीमारी के तथ्यों को छिपाया गया, तब इस तथ्य को साबित करने का भार बीमा कम्पनी पर है। इस दायित्व को परिवादी पर अधिरोपित नहीं किया जा सकता है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.12.2018 पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1