राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2718/1994
ओरियंटल बैंक आफ कामर्स ब्रांच फर्रूखाबाद, जिला फर्रूखाबाद,
द्वारा ब्रांच मैनेजर। .........अपीलार्थी@विपक्षी।
बनाम्
सतीश चंद्र गुप्ता पुत्र स्व0 श्री श्रीराम गुप्ता प्रोपेराइटर मे0 सतीश
चंद्र गुप्ता, वनस्पति डीलर लाल गेट, फर्रूखाबाद। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सी0बी0 श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 30.09.2014
मा0 श्री सी0बी0 श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
पत्रावली प्रस्तुत हुई। उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, जबकि यह अपील वर्ष 1994 से लम्बित है। प्रकरण की प्राचीनता को देखते हुए हमने पत्रावली का अनुशीलन किया।
संक्षेप में इस प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी ओरियंटल बैंक आफ कामर्स द्वारा परिवादी/प्रत्यर्थी को टी.पी.ओ. सुविधा प्रदत्त की गई थी और उक्त सुविधा के बदले रू. 25/- चार्ज अनुमन्य था। बैंक द्वारा कुछ अवधि तक उक्त सुविधा परिवादी को प्रदत्त की गई। बाद में उक्त सुविधा बैंक द्वारा यह कहते हुए बंद कर दी गई कि उक्त सुविधा बैंकों के लिए है और परिवादी को गलत रूप से उक्त सुविधा दे दी गई थी। परिवादी का यह भी कथन है कि उससे रू. 1913/:- अधिक चार्ज कर लिया गया है वह भी वापस किया जाए। जिला फोरम ने रू. 25/- चार्ज के आधार पर उक्त सुविधा बहाल करने हेतु बैंक को आदेश किया था और अधिक वसूल की गई धनराशि उसे वापस करने का निर्देश दिया, जिससे कि क्षुब्ध होकर बैंक द्वारा यह अपील संस्थित की गई है।
अपील के आधारों में यह कहा गया कि टी.पी.ओ. की सुविधा नियमानुसार परिवादी को अनुमन्य नहीं किया और वह केवल बैंको के लिए है तथा चार्ज के संबंध में
-2-
यह भी कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित चार्ज ही लिया जाता है। इस बिन्दु से संबंधित कोई नियमावली न तो अधीनस्थ जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत की गई और न ही हमारे समक्ष प्रस्तुत की गई है। यह धातव्य है कि जिला फोरम में परिवाद वर्ष 1993 में प्रस्तुत किया गया और जिला फोरम ने रू. 25/- चार्ज पर सुविधा बहाल किए जाने का आदेश दिया है, किंतु बैंकिंग के संबंध में समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी निर्देश किए जाते हैं। ऐसी स्थिति में बैंक का यह कथन सबल प्रतीत होता है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए निर्देश के अनुसार ही चार्ज अनुमन्य होता है तथा उक्त सुविधा भी बैंकिंग नियमों के अनुसार ही दी जाती है। जिला फोरम ने बिना संबंधित नियमावली का अवलोकन किए ही परिवाद को स्वीकार कर लिया है जो कि उचित प्रतीत नहीं होता है। प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए उभय पक्ष को इस संबंध में नियमावली प्रस्तुत करने हेतु एक और अवसर देकर नियमानुसार ही परिवाद का निस्तारण किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
परिणामत: हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि यह अपील स्वीकार किए जाने योग्य है और प्रकरण पुन: निस्तारण हेतु प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए जिला फोरम फर्रूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या 1089/93 में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दि. 03.09.1994 खंडित किया जाता है। विधि एवं इस निर्णय के निर्देशों के अनुसार प्रकरण का अधिकतम 3 माह में निस्तारण करने हेतु जिला फोरम को प्रतिप्रषित किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यव स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाए।
(सी0बी0 श्रीवास्तव) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशु0-2
कोर्ट-2