Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/247

M/s Kushwaha Beej Bhandar - Complainant(s)

Versus

Satguru - Opp.Party(s)

M H Khan

20 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/247
( Date of Filing : 05 Feb 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. M/s Kushwaha Beej Bhandar
Unnao
...........Appellant(s)
Versus
1. Satguru
Unnao
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Jun 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-247/2007

मैसर्स कुशवाहा बीज भण्‍डार, द्वारा प्रोपराइटर श्रीमती संध्‍या कुशवाहा पत्‍नी स्‍व0 वीरेन्‍द्र कुशवाहा

बनाम

सतगुरू पुत्र श्री महादेव तथा एक अन्‍य

 

एवं

अपील संख्‍या-248/2007

मैसर्स भारत एग्रो ओवरसीज इण्डिया

बनाम

सतगुरू पुत्र श्री महादेव तथा एक अन्‍य

 

समक्ष:-                                                  

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित        : श्री एम.एच. खान।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित        : श्री एस.के. वर्मा।

दिनांक : 20.06.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-131/2006, सतगुरू बनाम कुशवाहा बीज भण्‍डार तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, उन्‍नाव द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.12.2006 के विरूद्ध अपील संख्‍या-247/2008, विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से एवं अपील संख्‍या-248/2007, विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से इस निर्णय/आदेश को अपास्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत की गई है।

 

 

-2-

2.        उपरोक्‍त दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश से प्रभावित होकर प्रस्‍तुत की गयी हैं, इसलिए दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक ही निर्णय/आदेश द्वारा एक साथ किया जा रहा है। इस हेतु अपील संख्‍या-247/2008 अग्रणी अपील होगी।

3.        उपरोक्‍त दोनों अपीलों में अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम.एच. खान तथा प्रत्‍यर्थी सं0-1/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस.के. वर्मा को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावलियों का अवलोकन किया गया।

4.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादी ने ठेके पर ली गई कृषि भूमि में गाजर की फसल बोने के लिए अंकन 225/-रू0 की कीमत के गाजर का डेढ़ किलो बीज क्रय किया था, जिसे विपक्षी सं0-1 द्वारा पैकिंग में दिया गया था और यह पैकिंग विपक्षी सं0-2 द्वारा की गई थी। समय पर बीज की बुआई की गई। फसल अच्‍छी तरह उगने लगी और निराई सिंचाई अच्‍छी तरह हो गई, परन्‍तु फसल में फूलने की शिकायत जाहिर होने लगी, जिस पर विपक्षी सं0-1 से शिकायत की गई, परन्‍तु उनके द्वारा निराई गुढ़ाई करने के लिए कहा गया। धीरे-धीरे फसल पूरी तरह तैयार होने लगी। विपक्षी सं0-1 ने पैकिंग मे अच्‍छा बीज बताकर धोखा दिया है। विपक्षी सं0-1 का कथन है कि दुकान पर बीज विक्रय की रसीद फर्जी तैयार की गई है, उनके द्वारा भारत एग्रो ओवरसीज इण्डिया का बीज क्रय-विक्रय नहीं किया जाता। बीज बोने का समय 1 सितम्‍बर से 10 अक्‍टूबर है। उस समय तापमान  18 डिग्री सेंटीग्रेट होना चाहिए। यह परिवाद ब्‍लैकमेल करने

 

-3-

के लिए प्रस्‍तुत किया गया है। विपक्षी सं0-2 का कथन है कि उनके द्वारा अपने बीज का विक्रय करने के लिए किसी को भी अधिकृत नहीं किया गया है। उन्‍नाव में उनका कोई व्‍यापार नहीं है।

5.        पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि कुशवाहा बीज भण्‍डार द्वारा भारत एग्रो ओवरसीज इण्डिया का बीज परिवादी को विक्रय किया गया है, जो दोषपूर्ण था। तदनुसार अंकन 20,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया गया है।

6.        उपरोक्‍त दोनों अपीलों में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि बीज समयावधि के अंतर्गत नहीं बोया गया और बीज तैयार करने के बाद जब समयावधि बीत गई तब बीज की बुआई की गई। यह भी बहस की गई कि उनके द्वारा कोई बीज विक्रय नहीं किया गया है। विपक्षी सं0-1 का अपील के ज्ञापन में यह कथन है कि वह भारत एग्रो ओवरसीज इण्डिया का डीलर नहीं है, जबकि विपक्षी सं0-2 का अपील के ज्ञापन में कथन है कि उनके द्वारा किसी को भी उन्‍नाव में डीलरशिप नहीं दी गई है।

7.        विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्‍य की व्‍याख्‍या करने के पश्‍चात यह निष्‍कर्ष दिया है कि परिवादी द्वारा जो बीज क्रय किया गया, उस पर कावेरी सीड्स लिखा है और विपक्षी सं0-2 ने स्‍वीकार किया है कि वह कावेरी सीड्स के नाम से बीज तैयार करते हैं। दिनांक 28.2.2006 को गाजर का बीज अंकन 225/-रू0 में विक्रय करने का तथ्‍य स्‍थापित माना गया, इस निष्‍कर्ष को परिवर्तित करने

 

 

-4-

की कोई साक्ष्‍य इस पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई है। बीज के दोषपूर्ण होने के संबंध में भी यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि जुलाई 2005 को बीज क्रय किया गया है, वह अधिक से अधिक 06 माह तक अर्थात् 10 दिसम्‍बर 2005 तक इस बीज की बुआई की जा सकती थी। विपक्षी सं0-2 ने भी अपने लिखित कथन के पैरा सं0-13 में इस तथ्‍य का उल्‍लेख किया है, जबकि बीज दिनांक 28.2.2006 में विक्रय किया गया है। अत: स्‍थापित है कि बीज तैयार होने के बाद निश्चित रूप से समयावधि के बाद परिवादी को बीज विक्रय किया गया है, जिसके कारण परिवादी को फसल की क्षति कारित हुई।

8.        अपीलार्थीगण की ओर से नजीर, हरियाणा सीड्स डेवलपमेंट कारपोरेशन लि0 बनाम साधु व अन्‍य II (2005) CPJ 13 (SC) प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें व्‍यवस्‍था दी गई है कि बीज व्‍यापारिक उद्देश्‍य के लिए क्रय किए गए हैं, इसलिए परिवादी उपभोक्‍ता नहीं है। प्रस्‍तुत केस में यह स्थिति मौजूद नहीं है। परिवादी द्वारा बीज क्रय करने के पश्‍चात किसी अन्‍य को विक्रय नहीं किया है। परिवादी ने कृषि भूमि में बीज अंकुरित किए हैं, इसलिए इस नजीर का कोई लाभ अपीलार्थीगण को प्राप्‍त नहीं है। तदनुसार उपरोक्‍त दोनों अपीलें निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

9.        उपरोक्‍त दोनों अपीलें, अर्थात् अपील संख्‍या-247/2007 तथा अपील संख्‍या-248/2007 निरस्‍त की जाती हैं।

          प्रस्‍तुत दोनों अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित

 

-5-

संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-247/2007 में रखी जाए एवं इसकी एक सत्‍य प्रति संबंधित अपील में भी रखी जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

(सुधा उपाध्‍याय)                           (सुशील कुमार(

  सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

   कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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