जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 228/2015
षंकरसिंह पुत्र श्री मदनसिंह, जाति-राजपूत, निवासी-हाउसिंग बोर्ड, नागौर, तहसील व जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. प्रबन्धक/अधिकृत प्रतिनिधि, सतगुरू टेलीकाॅम, गांधी चैक, एस.बी.बी.जे. के नीचे, नागौर-341001
2. आर.बी. टेलीकाॅम, करणी काॅम्पलेक्स, किले की ढाल, नागौर।
3. प्रबन्धक/मैनेजर (भ्मंक व्ििपबम), ठमेज प्ज् ूवतसक (प्दकपं) च्अजण्स्जकण् 87ए डपेजतल प्दकनेजतपंस बवउचसमगए डप्क्ब् ब्तवेे त्वंक श्।श् ।दकीमतप (म्ंेज) ए डनउइंप.400093 डंींतंेीजतंए प्दकपं
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री रमेषकुमार ढाका, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई नहीं।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 05.07.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से, अप्रार्थी संख्या 3 प इंसस कम्पनी द्वारा निर्मित एक टच स्क्रीन मोबाइल माॅडल प इंसस ।दकप (आईएमईआई नम्बर 911398650218528) दिनांक 10.10.2014 को जरिये बिल संख्या 300, दिनांक 10.10.2014 को 8,400/- रूपये देकर खरीद किया। इस दौरान अप्रार्थीगण की ओर से उपरोक्त मोबाइल पर खरीद करने के समय से एक साल तक की अवधि के लिए वारंटी दी गई तथा कहा गया कि इस अवधि में मोबाइल में किसी भी प्रकार की निर्माण सम्बन्धी त्रुटि/खराबी या अन्य समस्या उत्पन होने पर सर्विस सेंटर से रिपेयर करवाकर दिया जाएगा तथा ठीक नहीं होने पर मोबाइल बदलकर नया दिया जाएगा। लेकिन निर्माण सम्बन्धी त्रुटि के चलते खरीद के कुछ दिन बाद ही उक्त मोबाइल चार्ज होना बंद हो गया तो परिवादी अप्रार्थी संख्या 1 के पास गया तथा उक्त समस्या से अवगत कराया तो उसने कहा कि ठीक करवाकर दे दूंगा, आप मोबाइल यही पर छोड दो तब परिवादी ने अपना मोबाइल अप्रार्थी संख्या 1 के पास छोड दिया। दो तीन दिन बाद जब परिवादी वापस गया तो अप्रार्थी संख्या 1 ने कहा कि मोबाइल में अब कोई समस्या नहीं होगी, इसे रिपेयर करवा दिया है। इसके बाद कुछ दिन तो मोबाइल ठीक चला और फिर वही समस्या आ गई तो परिवादी दिनांक 18.04.2015 को अप्रार्थी संख्या 1 के पास गया तो उसने कहा कि वापस ठीक करवा दूंगा। इस पर परिवादी ने बिल के पीछे रिसिवड ले ली। पांच-सात दिन बाद परिवादी वापस अप्रार्थी संख्या 1 के पास गया तो अब कोई खराबी नहीं होगी और यदि खराबी हुई तो दूसरा मोबाइल दे दूंगा। लेकिन कुछ दिन चलने के बाद मोबाइल फिर खराब हो गया। तब वो फिर अप्रार्थी संख्या 1 के पास गया तो उसने अप्रार्थी संख्या 2 के पास भेजा तथा कहा कि वो कम्पनी का अधिकृत सर्विस सेंटर है, वहां मोबाइल को रिपेयर कर देंगे। तब परिवादी दिनांक 30.06.2015 को अप्रार्थी संख्या 2 के पास गया तो उसे एक कच्ची रसीद दी तथा मोबाइल ठीक करने का भरोसा दिलाते हुए दस-पन्द्रह दिन बाद आने का कहा। परिवादी दस-पन्द्रह दिन बाद वापस गया तो कहा अब ठीक है। लेकिन मोबाइल कुछ दिन ठीक चलने के बाद वापस खराब हो गया। इस प्रकार बार-बार रिपेयरिंग के बावजूद मोबाइल तैयार नहीं हुआ कारण कि उक्त मोबाइल में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि रही है जो रिपेयर नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में अप्रार्थीगण को परिवादी को दूसरा मोबाइल देना चाहिए था लेकिन वारंटी पीरियड में होने के बावजूद अप्रार्थीगण ने तो उक्त मोबाइल को पूरी तरह से रिपेयर किया और न ही बदलकर नया दिया। इसकी षिकायत परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 व 2 को की मगर उन्होंने यह कहते हुए पल्ला झाड लिया कि मोबाइल ऐसे ही रिपेयर होते हैं अब तुम जानो और तुम्हारा काम जाने। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर टेªड प्रेक्टिस की परिभाशा में आता है। अतः परिवादी को निर्माण सम्बन्धी त्रुटि से ग्रसित उक्त मोबाइल के स्थान पर नया मोबाइल दिलाया जाव,े अन्यथा उसे मोबाइल की सम्पूर्ण कीमत 8,400/- रूपये मय 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज के दिलाये जावे। इसके अलावा परिवाद में अंकितानुसार अन्य अनुतोश दिलाये जावे।
2. अप्रार्थीगण की ओर से परिवादी को एक मोबाइल हैण्डसेट विक्रय करना स्वीकार करते हुए परिवाद में अंकित तथ्यों को अस्वीकार करते हुए यह बताया गया है कि परिवादी अपना मोबाइल हैण्डसेट दिनांक 30.06.2015 को चार्जिंग समस्या लेकर सर्विस सेंटर आया था, जिसे सही कर दिनांक 14.07.2015 को वापिस कर दिया तथा उसके बाद आज तक कम्पनी का अधिकृत सर्विस सेंटर पर नहीं आया बल्कि अपने मोबाइल हैण्डसेट का उपयोग कर रहा है। अप्रार्थीगण ने बताया है कि उनकी तरफ से किसी प्रकार का कोई सेवा दोश नहीं किया गया है बल्कि जब भी परिवादी मोबाइल हैण्डसेट को कथित तौर खराब बताते हुए आया तब उसे ठीक कर दोश को सुधारा गया लेकिन परिवादी मनगढत तथ्यों के आधार पर झूठा परिवाद लेकर आया है जो खारिज किया जावे।
3. बहस सुनी गई। परिवादी की ओर से परिवाद के समर्थन में षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही मोबाइल क्रय करने का बिल प्रदर्ष 1, सर्विस सेंटर की रसीद प्रदर्ष 2 एवं अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा दी गई रसीद प्रदर्ष 3 पेष करते हुए यह तर्क दिया गया है कि मोबाइल हैण्डसेट में कोई विनिर्माण सम्बन्धी त्रुटि होने के कारण वह ठीक नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर परिवादी को वांछित अनुतोश दिलाया जावे।
4. अप्रार्थी पक्ष की ओर से जवाब प्रस्तुत करने के पष्चात् बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं आया है तथा न ही किसी प्रकार की कोई प्रलेखीय साक्ष्य ही पेष की गई है।
5. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा दिये तर्कों का मनन कर पत्रावली पर उपलब्ध समस्त सामग्री का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया गया। अभिलेख पर उपलब्ध सामग्री से स्पश्ट है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से दिनांक 10.10.2014 को प इंसस कम्पनी द्वारा निर्मित एक टच स्क्रीन मोबाइल माॅडल प इंसस ।दकप (आईएमईआई नम्बर 911398650218528) जरिये बिल संख्या 300, दिनांक 10.10.2014 को 8,400/- रूपये में खरीद किया। अप्रार्थी संख्या 3 इस मोबाइल के निर्माता है एवं अप्रार्थी संख्या 2, अप्रार्थी संख्या 3 का सेवा केन्द्र है। इस प्रकार परिवादी तीनों अप्रार्थीगण का उपभोक्ता होना पाया जाता है।
6. ऐसा कोई अभिकथन या साक्ष्य अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है कि मोबाइल की वारंटी अवधि एक वर्श नहीं हो। अप्रार्थी पक्ष द्वारा अपने जवाब के समर्थन में षपथ-पत्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः परिवादी के अभिकथन एवं साक्ष्य, जिसका लेषमात्र भी खण्डन अप्रार्थीगण की ओर से नहीं है, से प्रमाणित है कि परिवादी द्वारा क्रय किये गये मोबाइल में परिवाद में अंकितानुसार त्रुटि मोबाइल खरीदने के कुछ दिन पष्चात् ही चालू हो गई। अप्रार्थी संख्या 2 सर्विस सेंटर द्वारा जारी रसीद प्रदर्ष 2 अनुसार भी मोबाइल में चार्जिंग समस्या रही है। जिससे यह स्पश्ट हो रहा है कि अप्रार्थीगण द्वारा विक्रित मोबाइल विनिर्माण दोश से ग्रसित था। अप्रार्थी संख्या 1 के निर्देषानुसार मोबाइल को सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 2 के यहां जमा कराने के बावजूद आज तक ठीक नहीं हुआ है। अप्रार्थी पक्ष ने अपने जवाब की मद संख्या 7 में यह स्वीकार किया है कि परिवादी दो बार मोबाइल मरम्मत के लिए आया था। परिवादी के कथनानुसार बार-बार सर्विस सेंटर जाने के बावजूद मोबाइल आज तक ठीक नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में स्पश्ट है कि अप्रार्थीगण ने परिवादी को दोशयुक्त मोबाइल विक्रय किया व मोबाइल के दोशयुक्त होने के बावजूद न तो पूर्ण रूप से ठीक किया गया तथा न ही मोबाइल रिप्लेस किया। जो अप्रार्थीगण का अनुचित सेवा व्यवहार एवं सेवा में कमी है। अतः परिवाद परिवादी विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार किये जाने योग्य होना पाया जाता है।
आदेश
7. परिणामतः परिवादी षंकरसिंह द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का स्वीकार कर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण परिवादी को विवादित मोबाइल के बदले इसी माॅडल/कीमत का इसी कम्पनी द्वारा निर्मित नया मोबाइल हेण्डसेट प्रदान करे, जिसकी वारंटी अवधि नया मोबाइल प्रदान करने की दिनांक से होगी। यह भी स्पश्ट किया जाता है कि यदि इसी कम्पनी द्वारा निर्मित इसी माॅडल/कीमत का मोबाइल हेण्डसेट उपलब्ध नहीं हो तो अप्रार्थीगण परिवादी को उसके मोबाइल की बिल राषि 8,400/- रूपये प्रदान करंेगे तथा इस राषि पर आवेदन पेष करने की दिनांक 29.09.2015 से 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज की दर से ब्याज भी प्रदान करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि परिवादी को हुई आर्थिक व मानसिक परेषानी पेटे अप्रार्थीगण परिवादी को 2,000/- रूपये बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने के साथ ही 2,000/- रूपये परिवाद व्यय के भी अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे।
8. आदेष आज दिनांक 05.07.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने अथवा दोनों से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य। सदस्य अध्यक्ष सदस्या