राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या–2340/2008
नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड
बनाम
सत्येन्द्र सिंह व अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अशोक महरोत्रा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक 30.07.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्धारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, जालौन द्धारा परिवाद संख्या– 159/2006 सत्येन्द्र सिंह बनाम नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.09.2008 के योजित की गई है।
प्रस्तुत अपील विगत लगभग 15 वर्षो से लम्बित है। दिनांक 03.06.2024 को पीठ संख्या-02 में सदस्यगण के मतभेद के कारण अपील आज सुनवाई हेतु मेरे समक्ष पेश हुई।
मेरे द्धारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता श्री अशोक महरोत्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है:-
‘’ परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी संख्या-01 नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमि0 द्धारा शाखा प्रबंधक, झांसी जिला-झांसी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी की टैग नम्बर 41831 वाली मृत बीमित भैंस की बीमा धनराशि रू0 11,000/-इस आदेश की दिनांक से एक माह के अंदर परिवादी को प्राप्त कराये साथ ही दिनांक 08.12.2004 से भुगतान की तिथि तक परिवादी विपक्षी से 12 प्रतिशत ब्याज भी उक्त धनराशि पर पाने का अधिकारी है। साथ ही मुकदमा खर्चा रू0 2,000/- विपक्षी संख्या-01 से परिवादी पायेगा। विपक्षी संख्या-02 को इस मुकदमे से मुक्तकिया जाता है।‘’
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हॅू कि विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जो विधि सम्मत है। जहां तक विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा अपने प्रश्नगत आदेश में जो अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध 12 प्रतिशत ब्याज की देयता दिनांक 08.12.2004 से निर्धारित की गई है तथा क्षतिपूर्ति के मद में रू0 2,000.00 की देयता निर्धारित की गई है, वह वाद के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के अधिवक्ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुऐ अधिक प्रतीत हो रही है। तद्नुसार ब्याज की देयता को 12 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक तथा क्षतिपूर्ति के मद में रू0 2,000.00 की देयता को रू0 1,000.00 की देयता में परिवर्तित किया जाना उचित पाया जाता है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। शेष निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्धारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.,
कोर्ट न0- 1