Chhattisgarh

Surguja

CC/14/112

SHRI AJAY KUMAR - Complainant(s)

Versus

SASTRIYA AUTOMOBILES AMBIKAPUR - Opp.Party(s)

SHRI DEEWAKAR GUPTA

10 Feb 2015

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,सरगुजा-अम्बिकापुर (छ.ग.)

 

                                समक्ष:-  श्री बी0 एस0 सलाम (अध्यक्ष)

                                      श्रीमती किरण जायसवाल (सदस्य)

                                     

                                      प्रकरण क्रमांक - सी.सी./14/112

                                      संस्थित दिनांक - 03.12.2014

 

                 

अजय कुमार राय आ0 श्री गणेशचन्द्र राय, आयु 40 वर्ष,

पेशा- व्यवसाय, निवासी ग्राम गणेशपुर थाना जयनगर, तह.

पिल्खा, मोबाईल नं. 80851-38550 जिला-सूरजपुर (छ.ग.)==============परिवादी

 

                                                                  / विरूद्ध /

 

शास्त्री आटो मोबाईल्स शास्त्री काॅम्पलेक्स, राम मंदिर रोड थाना व  तहसील अम्बिकापुर, फोन नम्बर 07774-220636, 220866

जिला सरगुजा (छ.ग.)=========================================अनावेदक

 

 

                परिवादी द्वारा श्री गुप्तेश्वर सिंह अधि0।

                अनावेदक एकपक्षीय।

 

                                                                                                           / आदेश /

 

(आज दिनांक  10/02/2015  को पारित  किया गया।)

 

1/                            आवेदक/परिवादी ने अनावेदक से क्रय की गई अपने स्वामित्व की वाहन टाटा सूमो गोल्ड वाहन क्र. सी.जी. 15 सी क्यू 7493 के दिनांक 05.01.2014 को दुर्घटनाग्रस्त होने पर अनावेदक के ही आश्वासन के अनुरूप अनावेदक द्वारा सम्पूर्ण दायित्व के तहत दिनांक  06.01.2014 को वाहन के सुधार हेतु अपने वर्कशाप में रखने एवं मरम्मत हेतु वास्तविक व्यय बिल और बीमा क्लेम राशि का अनुमानित अन्तर राशि 20,000.00 (बीस हजार) रू0 प्राप्त करने के बाद भी सुधार कर न देने के कारण सेवा में कमी बताते हुए अनावेदक को उक्त वाहन सुधार कर देने के निर्देश एवं मानसिक व आर्थिक क्षति 1,00,000.00 (एक लाख) रू0 दिलाने हेतु आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम प्रस्तुत किया है। 

2/                            प्रकरण में उल्लेखनीय तथ्य यह है कि अनावेदक को जारी नोटिस विधिवत् तामिली के बाद भी अनावेदक के द्वारा प्रकरण की कार्यवाही में भाग न लेने के कारण उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी है। अनावेदक की ओर से न तो कोई जवाब दावा पेश किया गया है और न ही कोई दस्तावेज प्रस्तुत किया गया है।

3/                            परिवादी के आवेदन का संक्षेप इस प्रकार है कि उसने वाहन टाटा सूमो गोल्ड वाहन क्र. सी.जी. 15 सी क्यू 7493 अनावेदक के पास से दिनांक 16.12.2013 को क्रय किये गया था, जिसका दुर्घटना बीमा और पंजीयन अनावेदक द्वारा शुल्क लेकर कराया गया था। उक्त वाहन का बीमा शुल्क लेने के बाद अनावेदक द्वारा आवेदक के उपरोक्त वाहन का बीमा शुल्क लेने के उपरांत भारती एक्सा जनरल इन्श्यूरेंस कंपनी लिमिटेड से कराया गया है, जिसकी पाॅलिसी क्र. एस 9204865 है। अनावेदक द्वारा अपने कार्यालय से आवेदक के उक्त वाहन का बीमा करते समय यह बताया गया कि वाहन का बीमा करने वाली कई इन्श्योरेंस कंपनी है, किन्तु भारती एक्सा जनरल इन्श्यूरेंस कंपनी लिमिटेड से उसका टाईअप है, जिसके तहत् दुर्घटना होने पर अनावेदक स्वयं अपने वर्कषाप में बीमा कंपनी का सर्वेयर नियुक्त कराकर वाहन का मरम्मत करके बीमा कंपनी से उसका क्लेम ले लेगा। जिसमें आवेदक को मात्र सहमति ही देना होगा और उक्त आश्वासन के तहत् अनावेदक के द्वारा आवेदक के नए वाहन का दुर्घटना बीमा स्वयं शुल्क लेकर कराया गया। आवेदक का वाहन दिनांक 05.01.2014 को दुर्घटना होने पर दुर्घटना की जानकारी अनावेदक को देने से अनावेदक द्वारा अपने आश्वासन के अनुरूप अपने दायित्व के तहत् दिनांक 06.01.2014 को आवेदक के दुर्घटनाग्रस्त वाहन को सुधार हेतु अपने वर्कशाप में ले लिया गया और कहा गया कि 20 से 25 दिन के अन्दर वाहन को सुधारकर आवेदक को दे देगा, साथ ही बीमा क्लेम व वास्तविक सुधार का जो अन्तर राशि आयेगा उसे आवेदक द्वारा भुगतान वाहन प्राप्ति के समय करना होगा, फिर भी अनावेदक द्वारा नियत समय पर वाहन को सुधार करने के संबंध में कोई रूचि न लेकर बहाने बाजी किया जाता रहा, जब कि उक्त वाहन वित्तीय ऋण सहायता प्राप्त कर क्रय किया गया है, जिस कारण वाहन की मासिक किस्त की अदायगी फायनेंसर को नियमित रूप से करना पड़ा और अनावेदक के कुप्रबंधन और लापरवाही के कारण आवेदक का वाहन दुर्घटनाग्रस्त स्थिति में उसके वर्कशाप में पड़ा हुआ है।

4/                            बीमा कंपनी के सर्वेयर द्वारा भी आवेदक सहित अनावेदक को कई बार कहा गया कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन की सुधार का कार्य तत्काल प्रभाव से पूर्ण कर उसका फाईनेंस बिल बीमा कंपनी के समक्ष प्रस्तुत करें, ताकि बीमा कंपनी बिल का भुगतान अविलंब कर सके अन्यथा विलंब होने की स्थिति में बीमा भुगतान में कई प्रकार की विसंगति आ जायेगी, जिसका आर्थिक नुकसान आवेदक को होगा, फिर भी अनावेदक अपने कुप्रबंधन के बचाव में कोई न कोई मजबूरी का दलील देकर वाहन का पूर्ण मरम्मत नहीं किया और मरम्मत हेतु वास्तविक व्यय बिल एवं बीमा क्लेम राशि का अनुमानित अन्तर राशि बतौर 20,000.00 (बीस हजार) रू0 की मांग की गयी, तब आवेदक द्वारा दिनांक 20.08.2014 को रसीद क्रमांक 3966 के द्वारा भुगतान किया गया, जब कि अनावेदक के आश्वासन के अनुसार आवेदक को अन्तर की राशि बीमा क्लेम फाईनल होने के समय अनावेदक को करना था, एडवांश राशि दिनांक 20.08.2014 को प्राप्त करते समय अनावेदक द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि एक सप्ताह के भीतर वाहन को कम्पलीट कर देगा, क्योंकि वाहन में मात्र पेंट करना और उसे स्र्टाट करना बाकी है, किन्तु आज तक वाहन अपूर्ण स्थिति में पड़ी हुई है और अनावेदक यह स्पष्ट भी नहीं कर रहा है कि आवेदक का वाहन कब कम्पलीट कर पायेगा।

5/                            आवेदक द्वारा क्रय किया गया नया वाहन मात्र 20 दिन चला था, उसे दुर्घटनागस्त स्थिति में सुधार करने के लिए अनावेदक को दिया था, जिसे अनावेदक द्वारा खोलकर कई महिनों तक बेतरतीब कबाड़ के रूप में रख दिया गया था, जिससे वाहन का वास्तविक आयु भी क्षतिग्रस्त हुआ है, इसके अलावा अनावेदक के उपरोक्त कृत्य से आवेदक को कुण्ठा और अवसाद भी पहुॅंचा है, बार-बार निवेदन के बावजूद वाहन को सुधार कर नहीं दिया गया, जिससे आवेदक को बीमा दुर्घटना दावा से भी निराकरण नहीं हो पा रहा है, तब अनावेदक को दिनांक        07.10.2014 को वैधानिक सूचना प्रेषित कर वाहन को पूर्ण करने के संबंध में सूचित करते हुए वैधानिक कार्यवाही योजित करने की चेतावनी भी दी गई, इसके बावजूद अनावेदक द्वारा वैधानिक सूचना के संबंध में कोई प्रतिउत्तर न देते हुए वाहन के मरम्मत के संबंध में कोई सुधार नहीं किया गया है और वाहन यथावत अनावेदक के वर्कशाप में पड़ा हुआ है, जिससे आवेदक अपने क्रयशुदा वाहन का उपयोग/उपभोग नहीं कर पर रहा है। आवेदक को अपने वाहन का प्रतिमाह नियमित रूप से फाईनेंसर को मासिक किस्त 25,000.00 (पच्चीस हजार) रू0 का भुगतान करना पड़ रहा है।

6/                            और इसके विपरीत वाहन को तत्काल बनाये जाने के लिए कहे जाने पर उसके द्वारा इस बात का दबाव बनाया जाता कि जैसे वाहन बनकर तैयार होगा वह फाईनेंसर को बुलाकर पहले उसकी बकाया के संबंध में हिसाब करेगा और यदि उसका कोई किस्त अदायगी समय पर नहीं हुआ होगा तो वह वाहन फाईनेंसर को सौंप देगा। अनावेदक के उक्त कृत्य से आवेदक लगभग एक वर्ष से अपने वाहन का उपयोग/उपभोग करने से वंचित है। जिसकी क्षतिपूर्ति होना संभव नहीं है और इसके विपरीत आवेदक को फाईनेंसर का किस्त प्रतिमाह संदाय करना पड़ रहा है, जिससे आवेदक को गंम्भीर आर्थिक क्षति हो रही है, जिसका मूल्यांकन 1,00,000.00 (एक लाख) रू0 किया जाता है। अनावेदक का उपरोक्त कृत्य कदाचरण की श्रेणी में आता है। परिवाद इस फोरम के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत समयावधि के भीतर प्रस्तुत करना बताते हुए अनावेदक से वाहन क्रमांक सी.जी. 15 सी क्यू 7493 एक सप्ताह के भीतर मानक मापदण्डों के अनुसार सुधार कर आवेदक को दिये जाने का निर्देश देने एवं वाद व्यय, मानसिक क्षति और आर्थिक क्षति हेतु 1,00,000.00 (एक लाख) रू0 दिलाये जाने का निवेदन किया गया है।

7/                            प्रकरण के विनिश्चयार्थ विचारणीय बिन्दु निम्न हैः-

 1/  क्या परिवादी, अनावेदक का उपभोक्ता है ?

 2/  क्या अनावेदक ने परिवादी परिवादी के स्वामित्व की वाहन की मरम्मत न कर सेवा में कमी और व्यवसायिक कदाचरण किया है ?

 3/  क्या परिवादी, अनावेदक से परिवाद पत्र में चाही गई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है ?

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 1/

8/                            आवेदक / परिवादी के अनुसार उसने अपनी टाटा सूमो गोल्ड वाहन क्रमांक सी.जी. 15 सी. क्यू. 7493 शास्त्री काम्पलेक्स राम मंदिर रोड अम्बिकापुर से दिनांक 16.12.2013 को क्रय किया है। उक्त वाहन का बीमा और पंजीयन अनावेदक द्वारा शुल्क लेकर कराया गया था, उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने पर अनावेदक के द्वारा अपने आश्वासन के अनुरूप सम्पूर्ण दायित्व के तहत दिनांक 06.01.2014 को दुर्घटनाग्रस्त वाहन को सुधार हेतु अपने वर्कशाप में ले लिया गया तथा बाद में अनावेदक द्वारा वाहन मरम्मत हेतु दबाव डालकर वास्तविक व्यय और बीमा क्लेम राशि का अनुमानित अन्तर की राशि बतौर एडवांश 20000.00 (बीस हजार) रू0 प्राप्त करने के बाद भी वाहन का मरम्मत नहीं किया गया है।

9/                            परिवादी ने अपने स्वामित्व की दुर्घटनाग्रस्त वाहन के पंजीयन प्रमाणपत्र की फोटोप्रति प्रदर्श ए-1, अनावेदक को प्रेषित वैधानिक सूचना प्रदर्श ए-5 एवं उसके रसीद की फोटोप्रति तथा मरम्मत हेतु एडवांश राशि प्राप्ति की फोटोप्रति प्रदर्श ए-4 प्रस्तुत किया है। प्रदर्श ए-1 पंजीयन प्रमाणपत्र विवरण के अनुसार परिवादी ने उक्त वाहन मैग्मा फिनकार्प लिमिटेड अम्बिकापुर से वित्तीय सहायता प्राप्त कर दिनांक   16.12.2013 को क्रय किया है। प्रदर्श ए-4 की पावती दिनांक 20.08.2014 के अनुसार वाहन की मरम्मत हेतु अनावेदक द्वारा 20000.00 (बीस हजार) रू0 परिवादी से प्राप्त किया गया है, किन्तु मरम्मत कर वाहन परिवादी को न दिये जाने के कारण उनके द्वारा अनावेदक को प्रदर्श ए-5 की वैधानिक सूचना दिनांक 07.01.2014 को प्रेषित किया गया है। उक्त दस्तावेजी साक्ष्य से भी परिवादी के उपरोक्त अभिवचनों का समर्थन हुआ है, जिसे कोई चुनौती नहीं दी गई है। परिवादी ने अपनी उक्त वाहन दुर्घटना से क्षतिग्रस्त होने पर अनावेदक द्वारा अब तक वाहन मरम्मत कर वापस न दिये जाने के कारण अनावेदक के खिलाफ यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। अतः अभिलेख के उक्त साक्ष्य से यह स्थापित है कि परिवादी अनावेदक का उपभोक्ता है।

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 2/

10/                         परिवादी ने अपने पक्ष समर्थन में साक्ष्य स्वरूप स्वयं के शपथपत्र के साथ-साथ श्री घनश्याम अग्रवाल पिता स्व0 रघुवीर चन्द्र का भी शपथपत्र प्रस्तुत कर क्रमांक ए-1 लगायत ए-5 तक वाहन से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं। परिवादी के अनुसार उनकी वाहन टाटा सूमो गोल्ड वाहन क्रमांक सी.जी. 15 सी. क्यू. 7493 दिनांक     05.01.2014 को दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसकी जानकारी अनावेदक को देने पर अनावेदक द्वारा अपने आश्वासन के अनुरूप सम्पूर्ण दायित्व के तहत दिनांक 06.01.2014 को वाहन को सुधार हेतु अपने वर्कशाप में ले लिया गया है।

11/                         वाहन दुर्घटना के संबंध में परिवादी की ओर से वाहन का बीमा दावा फार्म प्रदर्श ए-3 की प्रतिलिपि प्रस्तुत किया गया है, जिसमें यह उल्लेख है कि अचानक सामने जानवर आ जाने से उसे बचाते समय वाहन सड़क के डिवाईडर से टकरा गई, जिससे वाहन के सामने का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया तथा वाहन मरम्मत हेतु एडवांश राशि 20000.00 (बीस हजार) रू0 प्रदर्श ए-4 के रसीद अनुसार दिनांक 20.08.2014 को अनावेदक द्वारा प्राप्त किया गया है, अर्थात परिवादी के उक्त वाहन टाटा सूमो गोल्ड क्रमांक सी.जी. 15 सी. क्यू. 7493 का दुर्घटना होने एवं दुर्घटना से परिवादी के उक्त वाहन क्षतिग्रस्त होने और वाहन मरम्मत हेतु अनावेदक द्वारा अग्रिम राशि 20000.00 (बीस हजार) रू0 लेने के परिवादी के अभिवचनों की पुष्टि उक्त दस्तावेजी साक्ष्य प्रदर्श ए-3 एवं प्रदर्श ए-4 से भी हुई है।

12/                         परिवादी का कहना है कि उनके टाटा सूमो गोल्ड वाहन क्रमांक सी.जी. 15 सी. क्यू. 7493 का दुर्घटना बीमा और पंजीयन अनावेदक द्वारा ही शुल्क लेकर कराया गया है, वाहन का बीमा करते समय अनावेदक कार्यालय से यह बताया गया कि वाहन का बीमा करने वाली कई कम्पनियां है, किन्तु भारतीय एक्सा जनरल इंश्योरेंस कम्पनी से उनका टाईअप है, जिसके तहत दुर्घटना होने पर अनावेदक स्वयं अपने वर्कशाप में बीमा कम्पनी का सर्वेयर नियुक्त कराकर वाहन का मरम्मत करके बीमा कम्पनी से उसका क्लेम ले लेगा, जिसमें आवेदक को मात्र सहमति भर देना होगा। अनावेदक द्वारा दिनांक 06.01.2014 को वाहन सुधार हेतु अपने वर्कशाप में लिया गया और कहा गया कि 20 से 25 दिनों के भीतर वाहन सुधार कर आवेदक को दे देगा तथा बीमा क्लेम एवं वास्तविक सुधार का जो अंतर राशि आयेगा, उसे आवेदक द्वारा वाहन प्राप्ति के समय भुगतान करना होगा, उसके बावजूद बाद में अनावेदक द्वारा मरम्मत हेतु वास्तविक व्यय, बिल और बीमा क्लेम राशि का अनुमानित अंतर राशि बतौर एडवांश 20000.00 रू0 की मांग किये जाने पर दिनांक 20.08.2014 को भुगतान करना पड़ा है और अनावेदक द्वारा आश्वासन दिया गया कि एक सप्ताह के भीतर वाहन फाईनल कम्पलीट कर देगा, फिर भी आज तक अनावेदक स्पष्ट नहीं कर रहा है कि वाहन कब पूर्ण हो पायेगा, जिसके कारण परिवादी वाहन का उपयोग करने से बंचित है। अनावेदक का उक्त कृत्य कदाचरण की श्रेणी में आता है और इससे आवेदक को गम्भीर आर्थिक, मानसिक क्षति हो रही है।

13/                         परिवादी के उपरोक्त अभिकथनों का समर्थन स्वयं परिवादी के शपथपत्र पर किये गये कथन के साथ-साथ साक्षी घनश्याम अग्रवाल के शपथपत्र पर किये गये कथन से भी हुआ है, जिसे विपक्ष द्वारा कोई चुनौती भी नहीं दी गई है। अतः यह स्थापित है कि स्वयं अनावेदक के आश्वासन एवं कथन के आधार पर वाहन सुधार हेतु अनावेदक के ही वर्कशाप में दिनांक 06.01.2014 को रखी गई है। दिनांक 20.08.2014 को मरम्मत हेतु वास्तविक व्यय, बिल और बीमा क्लेम राशि की अनुमानित अंतर राशि बतौर एडवांश राशि 20000.00 रू0 मांगकर दिनांक        20.08.2014 को अनावेदक द्वारा प्राप्त किया गया है, फिर भी लम्बी अवधि व्यतीत होने के बाद भी परिवादी को वाहन सुधार कर नहीं दिया है। वाहन खरीदने के बीसवें दिन ही परिवादी की वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुई है और सुधार हेतु दूसरे दिन ही दिनांक 06.01.2014 को अनावेदक के वर्कशाप में रखी गई है, तब से परिवादी अपने वाहन का उपयोग करने से बंचित हो गया है, जबकि मरम्मत बिल और बीमा क्लेम राशि के अंतर की अनुमानित राशि 20000.00 (बीस हजार) रू0 अनावेदक प्राप्त कर चुका है, फिर भी वाहन सुधार कर न देने से अनावेदक द्वारा व्यवसायिक कदाचरण एवं सेवा में कमी किया जाना प्रमाणित है।

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 3/

14/                         अनावेदक ने परिवादी को उनका वाहन शीघ्र सुधार कर देने का केवल झूठा आश्वासन देते रहा है, जिससे परिवादी को प्रतिमाह वाहन के बिना उपयोग किये किस्त राशि भुगतान करना स्वाभाविक है और इससे आवेदक को गम्भीर आर्थिक क्षति और मानसिक व्यथा का सामना करना परिलक्षित है इसलिये परिवादीको बिना वाहन का उपयोग किये किस्त राशि एवं उक्त वाहन के स्थान पर दूसरे वाहन का उपयोग करने से गम्भीर आर्थिक क्षति तथा मानसिक व्यथा का सामना करना पड़ा है, जिसके लिये प्रतिकर के अधिकारी तो आवेदक है ही साथ ही वाहन सुधरवाकर परिवादी अनावेदक से पाने का भी अधिकारी है।

15/                         चूंकि वाहन मैग्मा फिनकार्प लिमिटेड अम्बिकापुर से वित्तीय सहायता प्राप्त कर क्रय की गई है, जिसकी किस्त राशि प्रतिमाह     25000.00 (पच्चीस हजार) रू0 बताया गया है। आवेदक द्वारा अपने परिवाद पत्र की कंडिका 08 (आठ) में यह उल्लेख किया गया है कि वाहन मरम्मत कर शीघ्र प्रदाय करने हेतु कहे जाने पर अनावेदक द्वारा दबाव बनाया जाता है कि जैसे वाहन बनकर तैयार होगा तो फाईनेंसर को उसकी बकाया के संबंध में हिसाब करेगा और यदि उसका कोई किस्त अदायगी नहीं हुआ होगा तो वह वाहन फाईनेंसर को सौंप देगा। अभिलेख के अनुसार वाहन मरम्मत हेतु 20000.00 (बीस हजार) रू0 अनावेदक द्वारा आवेदक से दिनांक 20.08.2014 को प्रदर्श ए-4 की रसीद अनुसार प्राप्त किया गया है, तब तक तो यह स्पष्ट उपधारणा बनती है कि वाहन सुधार हेतु अनावेदक के कब्जे में दिनांक 20.08.2014 रही है, परन्तु उसके बाद या अब तक परिवादी की उक्त वाहन अनावेदक के कब्जे में होने की उपधारणा के कोई समुचित आधार अभिलेख में नहीं है, क्योंकि वाहन की किस्त राशि संदाय के संबंध में कोई दस्तावेजी साक्ष्य अभिलेख में उपलब्ध नहीं है, तब यदि नियमित किस्त राशि की अदायगी न होने से वाहन वित्त प्रदाता कम्पनी द्वारा अधिग्रहित कर लिये जाने से अनावेदक वाहन सुधार कर परिवादी को नहीं दे सकेगा, फिर भी परिवादी प्रकरण में उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर अपना प्रकरण आंशिक रूप से अनावेदक के विरूद्ध सिद्ध करने में सफल रहा है।

                                अतः विचारणीय बिन्दु क्रमांक 1 एवं 2 में किये गये साक्ष्य विश्लेषण और उस पर प्राप्त निष्कर्ष के अनुसार परिवादी का यह प्रकरण अंशतः स्वीकार योग्य है, परिणामतः परिवादी की यह आवेदन पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम अंशतः स्वीकार कर निम्नानुसार आदेश पारित किया जाता है:-

1/ परिवादी की टाटा सूमो गोल्ड वाहन क्रमांक सी.जी. 15 सी. क्यू. 7493 अब तक सुधार हेतु अनावेदक के वर्कशाप में उपलब्ध हो तो अनावेदक 10 (दस) दिवस के भीतर मानक मापदण्डों के अनुसार सुधार कर आवेदक को प्रदान करें।

2/ अनावेदक किस्त राशि या आर्थिक क्षति के रूप में 45 दिवस के भीतर परिवादी को 90000.00 (नब्बे हजार) रू0, मानसिक व्यथा हेतु 5000.00 (पाॅंच हजार) रू0 तथा उस पर दिनांक 03.12.2014 से 9 (नौ) प्रतिशत वार्षिक ब्याज संदाय करे।

3/ इस परिवाद के व्यय अनावेदक स्वयं के तथा परिवादी का भी व्यय 3000.00 (तीन हजार) रू0 वहन करेगा, जिसमें अधिवक्ता शुल्क भी समाहित है।

 

दिनांक  ..........................

 

       ( बी0एस0सलाम)                                                                                                 (श्रीमती किरण जायसवाल) 

              अध्यक्ष,                                                                                                                          सदस्य               

 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम  

        सरगुजा-अम्बिकापुर                               

              (छ.ग.)   

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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