Chhattisgarh

Surguja

CC/14/4

SHRI BALBHDRA RAM - Complainant(s)

Versus

SASTRIYA AGRO INDUSTRIES, SURAJPUR & OTHER - Opp.Party(s)

SHRI RAKESH PANDEY

04 Feb 2015

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,सरगुजा अम्बिकापुर (छ.ग.)

 

                                           समक्ष:   श्री बी0 एस0 सलाम (अध्यक्ष)

                                                 श्रीमती किरण जायसवाल (सदस्य)

                                     

 

                                                प्रकरण क्रमांक   सी.सी./2014/4

                                                संस्थित दिनांक    23.12.2013 

 

 

बलभद्र राम आ. स्व. तपेष्वर राम, आयु 60 वर्ष,

निवासी ग्राम थाना व जयनगर,

जिला-सूरजपुर (छ.ग.).....................................................आवेदक/परिवादी

/ विरूद्ध /

 

1/            शास्त्री ऐग्रो इंडस्ट्रीज, मनेन्द्रगढ़ रोड, सूरजपुर

जिला सूरजपुर (छ.ग.)

2/            महेन्द्रा फाईनेंस लिमिटेड, मनेन्द्रगढ़ रोड अम्बिकापुर,

                जिला सरगुजा (छ.ग.)

3/            ईफको टोकियो जनरल इंष्योरेंष कंपनी लिमि. लालगंगा

                शाॅपिंग माल के पास जी ई रोड रायपुर (छ.ग.)    अनावेदक

 

 

       परिवादी द्वारा श्री राकेष पाण्डेय अधि0।

       अनावेदक क्रं. 1 एकपक्षीय।

       अनावेदक क्र. 2 द्वारा श्री अषोक सिंह अधि0।

       अनावेदक क्र. 3 द्वारा श्री विवेक पाण्डेय अधि

 

 

/ आदेश्‍ा /

 

(आज दिनांक 04/02/2015 को पारित किया गया।)

 

 

1/                            आवेदक/परिवादी ने अपने स्वामित्व की ट्रेक्टर एवं ट्राली की बीमा अवधि में दिनांक 09.04.2013 की रात्रि चोरी हो जाने पर उसकी प्रतिकर हेतु दावा राषि न दिए जाने के कारण अनावेदक गण द्वारा सेवा में कमी बताते हुए उनसे ट्रेक्टर व ट्राली की राषि 7,12,275.00      (सात लाख बारह हजार दो सौ पच्छत्तर) रू0 एवं उस पर 18ः (अठ्ठारह प्रतिश्‍त) ब्याज, मानसिक क्षति और वाद व्यय दिलाने हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 (बारह) के अन्तर्गत आवेदन पत्र प्रस्तुत किया है। 

2/                            उल्लेखनीय तथ्य यह है कि अनावेदक क्र. 1 को जारी नोटिस के विधिवत् तामिली के बाद भी उपस्थित न होने पर उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी हैै। अनावेदक क्र. 1 की ओर से कोई जवाब दावा एवं दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है। आवेदक ने प्रारम्भ में चार अनावेदकों के नाम परिवाद पत्र में दर्षाए थे, पर बाद में आवेदक के ही द्वारा विलोपित करने हेतु आवेदन पत्र पेष कर अनावेदक क्र. 4 को विलोपित कर दिया है। आवेदक/परिवादी ने ट्रेक्टर एवं ट्राली के कीमत की राषि में से नगद 6,50,000.00 (छैः लाख पचास हजार) रू0 अनावेदक क्र. 1 को  भुगतान कर  शेष राषि हेतु अनावेदक क्र. 2 से वित्तीय सहायता प्राप्त किया था। उक्त ट्रेक्टर एवं ट्राली का अनावेदक क्र. 1 व 2 के माध्यम से अनावेदक क्र. 3 एवं 4 के द्वारा दिनांक 14.01.2013 से दिनांक 13.01.2014 तक की अवधि के लिए बीमा कराया गया है, जिसका बीमाधन 6,81,811.00 (छैः लाख इक्यासी हजार आठ सौ ग्यारह) रू0 व बीमा पाॅलिसी क्रमांक- 1-1 यू क्यू वी 8 एम आई पी 400 82604164 है।

3/                            आवेदक के आवेदन का संक्षेप इस प्रकार है कि उसने एस ई सी एल सेवा निवृत होने के बाद ट्रेक्टर खरीदने हेतु अनावेदक क्र. 1 शास्त्री ऐग्रो इंडस्ट्रीज, मनेन्द्रगढ़ रोड, सूरजपुर से सम्पर्क किया, तब अनावेदक क्र. 1 ने कहा कि आप पैसा जमा कर ट्रेक्टर ले जाईये शेष राषि फाइनेन्स करा दूंगा हिसाब-किताब बाद में हो जायेगा, तब परिवादी ने दिनांक 27.11.2012 को 6,50,000.00 (छैः लाख पचास हजार) रू0 अनावेदक क्र. 1 को अदा कर ट्रेक्टर 275 पी एस डी आई महेन्द्रा इंजन नं. एन एफ एफ बी 00030 ले गया। अनावेदक क्र. 1 ने कहा कि ट्रेक्टर के पंजीयन और बीमा के लिये 30,000.00 (तीस हजार) रू0 पृथक से जमा कर दीजिए तो पंजीयन और बीमा करा दूंगा। अनावेदक क्र. 1 ने 6,50,000.00 (छैः लाख पचास हजार) रू0 प्राप्त करने की रसीद दी, पुनः दिनांक 19.12.2012 को बीमा एवं रजिस्ट्रेषन के लिए 30,000.00 (तीस हजार) रू0 जमा किया, उसकी भी रसीद अनावेदक क्र. 1 ने दी। अनावेदक क्र. 1 व 2 के माध्यम से अनावेदक क्र. 3 एवं 4  से बीमा कराया गया, जिसका बीमा अवधि  दिनांक 14.01.2013 से 13.01.2014 ट्रेक्टर व ट्राली का बीमाधन 6,81,811.00 (छैः लाख इक्यासी हजार आठ सौ ग्यारह) रू0 निर्धारित किया गया, बीमा की प्रीमियम राषि 10,140.51 (दस हजार एक सौ चालीस रू0 इक्यावन पैसे) प्राप्त कर बीमा पाॅलीसी क्रमांक- 1-1 यू क्यू वी 8 एम आई पी 400 82604164 जारी किया गया है। परिवादी के अनुसार दिनांक 09.04.2013 को 5 बजे ट्रेक्टर से काम कर घर के सामने जहां रोज ट्रेक्टर व ट्राली खड़ा करता था वहीं  ट्रेक्टर व ट्राली खड़ा कर सामान्य दिनचर्या में लग गया रात के 11 बजे तक ट्रेक्टर व ट्राली था, जब सुबह 5 बजे उठा तो देखा कि ट्रेक्टर,  ट्राली समेत गायब है, जिसकी खोजबीन करने पर नहीं मिलने पर पुलिस थाना में दिनांक 10.04.2013 को ही ट्रेक्टर व ट्राली गुम होने की सूचना दिया पुलिस वाले आये खोजबीन करने के बाद वाहन ट्रेक्टर व ट्राली नहीं मिलने पर दिनांक 11.04.2013 को एफ आई आर दर्ज किये, जिसके बाद व ट्रेक्टर व ट्राली बिक्रेता एवं फाईनेंसर को चोरी की सूचना दिया, क्यों कि परिवादी को तब तक बीमा कंपनी का नाम पता कुछ भी मालूम नहीं था और न ही बीमा का कागजात उसके पास था, इसलिए कहा कि मेरे ट्रेक्टर व ट्राली का बीमा दावा भर दो, अनावेदक क्र. 1 के द्वारा कहा गया कि पुलिस की विवेचना खत्म होने के बाद ही दावा हो सकेगा। बीमा के दस्तावेज बार-बार मांगे जाने पर पता चला कि वाहन ट्रेक्टर व ट्राली अनावेदक क्र. 3 व 4 से बीमित है, जिसके आधार पर परिवादी ने अनावेदक क्र. 3 के स्थानीय कार्यालय अनावेदक क्र. 4 को सूचना देने का प्रयास किया, परन्तु स्थानीय कार्यायल से सूचना लेने से मना कर दिया, जिस पर परिवादी ने अनावेदक क्र. 3 व 4 को लिखित में पंजीबद्ध पत्र दिनांक 01.06.2013 को भेजा, जिस पर अनावेदक अपना सर्वेयर परिवादी के पास भेजा, उक्त सर्वेयर ने अपना नाम बंटी बताया तथा वाहन के संबंध में मूल दस्तावेज प्राप्त किया और 50.00 (पचास) रू0 के स्टाम्प पेपर पर दावा राषि प्राप्त करने हेतु बंध पत्र दस्तावेज बनवाकर हस्ताक्षर कराकर ले गया, साथ ही आर टी ओ कार्यालय के नाम पर आवेदन पत्र भी लिखाकर भेजा है कि परिवादी के वाहन का पंजीयन नहीं किया जावे, पर आज तक परिवादी के दस्तावेजों के सम्पादन के बाद भी अनावेदक ने कोई सूचना प्रेषित नहीं किया है, जिस कारण परिवाद प्रस्तुत करने की आवष्यकता पड़ी।

4/                            परिवादी के वाहन ट्रेक्टर व ट्राली अनावेदक के अम्बिकापुर के अन्तर्गत कार्यालय होने एवं उसके माध्यम से अनावेदक द्वारा बीमा किये जाने के कारण वाद का कारण अम्बिकापुर में उत्पन्न हुआ है, साथ ही अनावेदक स्वैक्षिक रूप से अपना कार्य व्यवसाय अम्बिकापुर में करता है, वाद कारण वाहन चोरी होने तथा उसके बाद बीमा दावा अनावेदक क्र. 3 द्वारा निराकरण न करने के कारण उत्पन्न हुआ है। परिवाद समयावधि के अन्दर है। परिवाद का मूल्यांकन वाहन ट्रेक्टर व ट्राली की कीमत 7,12,275.00 (सात लाख बारह हजार दो सौ पच्छत्तर) रू0 होने से जिसका मूल्यांकन 6,81,811.00 (छैः लाख इक्यासी हजार आठ सौ ग्यारह) रू0 किए जाने से मामला 5,00,000.00 (पाॅंच लाख) रू0 से 10,00,000.00 (दस लाख) रू0 के मध्य होने से निर्धारित न्याय शुल्क, पोस्टल आर्डर के माध्यम से संदाय करना बताते हुए अनावेदक गण से ट्रेक्टर व ट्राली की मूल्य 7,12,275.00 (सात लाख बारह हजार दो सौ पच्छत्तर) रू0 का बीमाधन 6,81,811.00 (छैः लाख इक्यासी हजार आठ सौ ग्यारह) रू0 की क्षतिपूर्ति करने एवं घटना दिनांक से 18ः (अठ्ठारह प्रतिषत) ब्याज, मानसिक क्षति एवं वाद व्यय 5,000.00 (पाॅच हजार) रू0 दिलाने हेतु निवेदन किया है।

5/                            अनावेदक क्र. 2 ने यह तो स्वीकार किया है कि वह वित्त प्रदात्ता कंपनी है, जो अनुबंध शर्तों पर वित्तीय सहायता प्रदान करती है। उनसे परिवादी ने अनुबंध शर्तों पर महिन्द्रा ट्रेक्टर 275 पी.एस.डी.आई. हेतु 1,50,000.00 (एक लाख पचास हजार) रू0 की वित्तीय सहायता प्राप्त किया, जिस पर फायनेंस चार्ज 9,500.00 (नौ हजार पाॅंच सौ) रू0 कुल 1,59,500.00 (एक लाख उन्सठ हजार पाॅच सौ) रू0 का अनुबंध शर्तों के अनुसार 11 (ग्यारह) मासिक किस्तों में अदा किया जाना था, शेष अभिवचनों का विरोध करते हुए जवाब दावा में यह दर्षाया है कि अनावेदक क्र. 2 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाईनेंषियल सर्विसेस लिमि. कंपनी अधिनियम 1956 के अधीन गठित एक पंजीकृत फाईनेंस कंपनी है, जो कि विभिन्न प्रकार के वाहन क्रय करने हेतु मात्र वित्तीय सुविधा प्रदान करने का कार्य करती है। वाहन विक्रेता अनावेदक क्र. 1 बीमा कंपनी अनावेदक क्र. 3 व 4 अलग-अलग संस्थाएं एवं उनका कार्य क्षेत्र भी अलग-अलग है। आवेदक द्वारा अनावेदक क्र. 2 से प्राप्त वित्तीय सुविधा का भुगतान किया जा चुका है, किन्तु वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति प्रस्तुत नहीं किया है। पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति पेष किये जाने पर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर आवेदक को प्रदान कर दिया जायेगा। विवाद बीमा का है और बीमा प्रीमियम, बीमा कंपनी ने प्राप्त कर बीमा किया है। अतः मामले में अनावेदक क्र. 2 का उपभोक्ता परिवादी नहीं है। वाहन का बीमा बीमा कंपनी ने किया है, इसलिए बीमा क्षतिपूर्ति देने का दायित्व बीमा कंपनी पर है। परिवादी एवं अनावेदक क्र. 2 के मध्य अनुबंध पत्र निष्पादित किया गया है। जिसके अनुसार दोनों पक्षों के मध्य उत्पन्न किसी भी प्रकार के विवाद का निपटारा हेतु मध्यस्थता का प्रावधान रखा गया है। अतः परिवादी के द्वारा वित्तीय सहायता अनुबंध शर्तों पर प्राप्त की गयी है, कोई भी विवाद फायनेंसर एवं भाड़ा क्रेता के बीच उत्पन्न होने पर आर्बीट्रेषन के द्वारा निराकरण का प्रावधान है। अतः आर्बीट्रेषन एण्ड कंषीलिएषन एक्ट 1996 प्रयोजनीय होता है और मध्यस्थता अधिनियम के प्रावधानों से बाधित होने के फलस्वरूप वर्तमान परिवाद पत्र उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत चलने योग्य नहीं है। आवेदक एवं अनावेदक क्र. 2 के मध्य उपभोक्ता का संबंध नहीं है, भाड़ा क्रेता उपभोक्ता की श्रेणी एवं अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। अतः परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने का निवेदन किया है।

6/                            स्वीकृत तथ्यों को छोड़कर अनावेदक क्र. 3 ईफको टोकियो जनरल इंष्योरेंष कंपनी लिमि. लालगंगा शाॅपिंग माल के पास जी ई रोड रायपुर छ.ग. के द्वारा परिवादी के परिवाद का विरोध करते हुए जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है, जिसका संक्षेप इस प्रकार है कि ट्रेक्टर का बीमाधन 5,43,661.00 (पाॅंच लाख तिरालिस हजार छैः सौ एकषठ) रू0 तथा ट्राली का बीमाधन 1,37,750.00 (एक लाख सैंतिस हजार सात सौ पचास) रू0 कुल 6,81,411.00 (छैः लाख इक्यासी हजार चार सौ ग्यारह) रू0 हेतु जोखिम अच्छादित है, परन्तु वाहन चोरी होने की सूचना दिनांक 05.06.2013 को एक माह 25 दिन बाद बीमा कंपनी को दी गई है, जो बीमा पाॅलिसी का घोर उल्लंघन है। बीमित वाहन चोरी दिनांक 10.04.2013 को रजिस्टर्ड परिवहन अधिकारी के कार्यालय में रजिस्टर्ड नहीं था तथा उपरोक्त ट्रेक्टर ट्राली का रजिस्ट्रेषन क्रमांक नहीं था, जो बीमा पाॅलिसी का घोर उल्लंघन है। उपरोक्त कारणों से आवेदक अनावेदक क्र. 3, 4 से किसी प्रकार की रकम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। आवेदक किस प्रकार से वाहन क्रय किया है, इसकी जानकारी अनावेदक बीमा कंपनी को नहीं है। बीमा हेतु जिस तिथि को प्रीमियम प्राप्त हुआ उसी दिनांक को अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा बीमा पाॅलिसी जारी किया गया है। वाहन को सुरक्षित रखे जाने हतु आवेदक द्वारा कोई उपाय नहीं किया गया, बल्कि खुले स्थान पर बीमित वाहन को रखा गया था, जो बीमा पाॅलिसी का उल्लंघन है, जिससे परिवाद चलने योग्य नहीं है। ऐसी स्थिति में आवेदक, अनावेदक बीमा कंपनी से किसी भी प्रकार का बीमाधन प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद चलने योग्य न होकर निरस्त किये जाने योग्य है।   

7/                            प्रकरण के विनिष्चयार्थ विचारणीय बिन्दु निम्न हैः 

1/  क्या अनावेदक गण द्वारा आवेदक के स्वामित्व की ट्रेक्टर व ट्राली के संबंध में पंजीयन एवं प्रतिकर संबंधी व्यवसायिक कदाचरण एवं सेवा में कमी किया गया है ?

 2/ क्या आवेदक अनावेदक गण से आवेदन पत्र में चाही गई अनुतोष पाने का  अधिकारी है ?

               

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 1 पर निष्कर्ष/

8/                            परिवादी ने अनावेदक क्र. 1 द्वारा वाहन के पंजीयन हेतु राषि प्राप्त के बाद भी अपने आष्वासन के अनुरूप समय पर ट्रेक्टर व ट्राली का पंजीयन नहीं करने तथा उक्त वाहन के चोरी होने पर उसके प्रतिकर हेतु दावे का निराकरण न किये जाने से सेवा में कमी बताते हुए वाहन के बीमाधन, मानसिक व्यथा एवं वाद व्यय हेतु परिवाद प्रस्तुत किया है। अनावेदक क्र. 2 महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फायनेंस लिमि. कंपनी एक वित्त प्रदात्ता कंपनी है, जिनसे आवेदक ने ट्रेक्टर क्रय करने हेतु 1,59,500.00 (एक लाख उन्षठ हजार पाॅंच सौ) रू0 अनुबंध शर्तों के तहत् वित्तीय सहायता प्राप्त किया है। अनावेदक क्र. 2 से विषिष्टतः कोई प्रतिकर नहीं चाही गई है, यह भी विवाद नहीं है कि आवेदक अपने वाहन अनावेदक क्र. 1 से क्रय किया है और जिसका बीमा अनावेदक क्र. 3 द्वारा प्रीमियम राषि प्राप्त कर किया गया है, ऐसी स्थिति में आवेदक अनावेदक क्र. 1 एवं 3 का उपभोक्ता है।

9/                            अनावेदक क्र. 3 ईफको टोकियो जनरल इंष्योरेंस लिमि. द्वारा परिवादी के परिवाद को इस आधार पर चुनौती दी गयी है कि बीमित वाहन की चोरी दिनांक 10.04.2013 को होना बताया गया है और उस चोरी की सूचना दिनांक 05.06.2013 को लगभग एक माह 25 दिन बाद दी गयी है। चोरी दिनांक 10.04.2013 को परिवादी के ट्रेक्टर व ट्राली परिवहन अधिकारी के कार्यालय में रजिस्ट्रर्ड नहीं था। ट्रेक्टर व ट्राली का रजिस्ट्रेषन क्रमांक न होने से बीमा पाॅलिसी का घोर उल्लंघन हुआ है। परिवादी किसी प्रकार का प्रतिकर पाने का अधिकारी नहीं है। वाहन को सुरक्षित रखे जाने हेतु आवेदक द्वारा कोई उपाय नहीं किया गया था, बल्कि खुले स्थान पर बीमित वाहन खड़ा रखा गया था, इसलिए बीमा पाॅलिसी के नियम व शर्तों का घोर उल्लंघन होने से आवेदक का दावा निरस्त कर सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी बीमा कंपनी से कोई भी रकम पाने का अधिकारी नहीं है।

10/                         अनावेदक की ओर से नो क्लेम पत्र दिनांक 10.03.2014 बीमा पाॅलिसी, घोषणा फार्म एवं अन्वेषण रिपोर्ट आदि की फोटो प्रति प्रस्तुत किया गया है, जिसके परिसीलन से यह स्थापित है कि परिवादी द्वारा अपने ट्रेक्टर व ट्राली चोरी के लगभग एक माह 25 दिन बाद बीमा कंपनी को चोरी की सूचना दी गयी है। परिवादी के उक्त वाहन का आर.टी.ओ. कार्यालय से पंजीयन नहीं हुआ है। यद्यपि उक्त वाहन की बीमा अवधि दिनांक 14.01.2013 से 13.01.2014 के मध्य बीमा अवधि में दिनांक 10.04.2013 को चोरी का अपराध घटित हुई है। परिवादी ने भी अपने उक्त वाहन की आर.टी.ओ. कार्यालय से पंजीकृत होना प्रमाणित करने में असफल रहा है, उसका कारण अभिलेख के अनुसार यह है कि उसने अपनी वाहन अनावेदक क्र. 1 से क्रय की है। इस हेतु 1,50,000.00   (एक लाख पचास हजार) रू0 अनावेदक क्र. 2 से वित्तीय सहायता प्राप्त की है तथा अनावेदक क्र. 1 द्वारा बीमा एवं रजिस्ट्रेषन हेतु 30,000.00 (तीस हजार) रू0 अतिरिक्त लेने के बाद भी वाहन का बीमा समय पर नहीं कराया। परिवादी के उपरोक्त अभिवचनों की पुष्टि उनके द्वारा प्रस्तुत वाहन क्रय करने हेतु दिया गया भुगतान रसीद दिनांक 27.11.2012 प्रदर्ष ए-6, स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट प्रदर्ष ए-8 तथा बीमा एवं रजिस्ट्रेषन हेतु भुगतान किए गए राषि की रसीद  दिनांक 19.11.2012 प्रदर्ष ए-7 से भी हुई है। परिवादी द्वारा पेष प्रथम सूचना पत्र प्रदर्ष ए-3, खात्मा रिपोर्ट प्रदर्ष ए-9 संदेहास्पद नहीं है। अतः परिवादी के स्वामित्व की ट्रेक्टर 275 पी एस टी आई महिन्द्रा इंजन नं. व सीरियल नं. एन एफ एफ बी 00030 की ट्राली सहित दिनांक 09.04.2013 एवं दिनांक 10.04.2013 के दरम्यानी रात्रि में चोरी होना भी प्रमाणित है, चोरी की सूचना बीमा कंपनी को विलम्ब से दिए जाने के संबंध में परिवादी का अभिकथन है कि उन्हें अनावेदक क्र. 1 द्वारा बीमा पाॅलिसी एवं रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिया गया था। बीमा कंपनी के स्थानीय कार्यालय अम्बिकापुर में चोरी की सूचना देने का प्रयास किया, किन्तु उनके स्थानीय कार्यकर्ता ने सूचना लेने से मना कर दिया। इसलिए लिखित आवेदन बनवाकर दिनांक 01.06.2013 को पंजीबद्ध पत्र भेजा है। उक्त पत्र दिनांक 01.06.2013 को प्रेषित करने की पुष्टि प्रदर्ष ए-1 के सूचना आवेदन एवं उसकी रजिस्ट्री रसीद प्रदर्ष ए-2 से भी हुई है, चंकि परिवादी ने वाहन अनावेदक क्र. 1 से क्रय की है, जिसके लिए 1,50,000.00 (एक लाख पचास हजार) रू0 अनावेदक क्र. 2 से वित्तीय सहायता प्राप्त की है। इसलिए अनावेदक क्र. 1 ने परिवादी को बीमा प्रपत्र नहीं दिया था, तब परिवादी को जानकारी नहीं थी कि किस बीमा कंपनी से बीमा किया गया है, तब चोरी की सूचना देने में विलम्ब होना स्वाभाविक था। अतः चोरी के संबंध में बीमा कंपनी को बिलम्ब से सूचित करने का समाधान कारक उत्तर परिवादी के पास है।

11/                         जहाॅ तक वाहन का क्रय दिनांक 27.11.2012 से चोरी की घटना दिनांक 10.04.2013 तक आर. टी. ओ. कार्यालय से पंजीयन न होने का प्रष्न है। इस संबंध में परिवादी द्वारा जानबुझकर पंजीयन कराने में विलम्बित नहीं किया गया है, क्यों कि उन्होनें दिनांक 19.12.2012 को प्रदर्ष ए-7 के रसीद के अनुसार पंजीयन हेतु अनावेदक क्र. 1 को उन्हीं के कहे अनुसार राषि भुगतान कर दिया था, किन्तु अनावेदक क्र. 1 द्वारा पंजीयन नहीं कराया गया है, जब कि अनावेदक क्र. 1 ने ही वाहन का परिवादी के वाहन का बीमा कराया है। परिवादी ने अपना वाहन अपने निवासीय मकान के पास ही वाहन सुरक्षित खड़ी करता था, जहाॅं से वाहन चोरी हुई है, मकान से दूर खड़ी नहीं करता था, इसलिए वाहन को सुरक्षित रखे जाने हेतु कोई उपाय न किया जाना स्थापित नहीं है। तब प्रकरण के उपरोक्त परिस्थितियों में अनावेदक क्र. 1 द्वारा परिवादी के प्रतिकर दावा को चोरी की विलम्ब से सूचना एवं रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र न होने के आधार पर पूर्णतः निरस्त करना उचित नहीं था। इस तरह अनावेदक क्र. 1 द्वारा परिवादी को विक्रय की गयी ट्रेक्टर व ट्राली के पंजीयन हेतु राषि लेने के बाद भी लम्बे समय तक वाहन का पंजीयन न कराने एवं अनावेदक क्र. 3 द्वारा परिवादी के सम्पूर्ण दावे को निरस्त कर सेवा में कमी किया जाना प्रमाणित है।

/विचारणीय बिन्दु क्रमांक 2 पर निष्कर्ष/

12/                         प्रकरण में परिवादी द्वारा वाहन ट्रेक्टर व ट्राली दिनांक 27.11.2012 को क्रय किया गया था और उक्त वाहन की दिनांक 09.04.2013 एवं 10.04.2013 की दरम्यानी रात्रि में चोरी  हो गई। इस तरह करीब 4 माह 12 दिन व्यतित होने के बात भी अनावेदक क्र. 1 द्वारा उक्त वाहन का रजिस्ट्रेषन नहीं कराया गया, जब कि रजिस्ट्रेषन हेतु राषि दिनांक 19.12.2012 को प्राप्त करने के बाद समय पर रजिस्ट्रेषन करा लेने का दायित्व अनावेदक क्र. 1 पर था। चुंकि वाहन क्रय करने के लम्बे समय व्यतीत होने के बाद भी वाहन का रजिस्ट्रेषन नहीं हुआ था, तथा वर्तमान में भी रजिस्ट्रेषन होना प्रमाणित नहीं है। ऐसी स्थिति में नाॅन स्टैण्र्ड क्लेम के आधार पर बीमा कंपनी के विरूद्ध परिवाद स्वीकार करना न्यायोचित होगा। इस प्रकार ट्रेक्टर एवं ट्राली की कुल बीमा राषि 6,81,411.00   (छैः लाख इक्यासी हजार चार सौ ग्यारह) रू0 में से 75ः       (पच्छतर प्रतिषत) राषि अर्थात् 5,11,058.25 (पाॅच लाख ग्यारह हजार अन्ठावन रू0 पच्चीस पैसे) अनावेदक क्र. 3 द्वारा वहन किया जावेगा। चुंकि अनावेदक क्र. 1 ने पंजीयन हेतु राषि प्राप्त किय जाने के बाद भी पंजीयन न कराकर अपने दायित्व का निवर्हन नहीं किया है, इसलिए उपरोक्त बीमाधन 6,81,411.00 (छैः लाख इक्यासी हजार चार सौ ग्यारह) रू0 की 25ः (पच्चीस प्रतिषत) अर्थात् 1,70,352.75 (एक लाख सत्तर हजार तीन सौ बावन रू0 पच्छत्तर पैसे) रू0 अनावेदक क्र. 1 द्वारा वहन किया जावेगा। उपरोक्तानुसार परिवादी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है।

13/                         उपरोक्त विष्लेषण के आधार पर हमारा यह निष्कर्ष है कि परिवादी ने अनावेदक क्र. 1 एवं 3 के विरूद्ध अपना प्रकरण उपरोक्त अनुसार प्रमाणित करने में सफल रहा है। अतः परिवादी का यह परिवाद स्वीकार कर यह आदेष किया जाता है कि अनावेदक क्र. 3 कुल बीमा राषि में से 75ः (पच्छतर प्रतिषत) राषि अर्थात् 5,11,058.25 (पाॅच लाख ग्यारह हजार अन्ठावन रू0 पच्चीस पैसे) एवं अनावेदक क्र. 1 कुल बीमा राषि के 25ः (पच्चीस प्रतिषत) राषि अर्थात् 1,70,352.75 (एक लाख सत्तर हजार तीन सौ बावन रू0 पच्छत्तर पैसे) और आवेदन दिनांक   23.12.2013 से 6ः (छैः प्रतिषत) वार्षिक ब्याज 45 (पैंतालिस) दिवस के भीतर  भुगतान करे। इसके अतिरिक्त परिवादी के मानसिक व्यथा हेतु अनावेदक क्र. 3 परिवादी को 1000.00 (एक हजार) और अनावेदक क्र. 1 परिवादी को 4,000.00 (चार हजार) रू0 प्रदान करेंगे। 

14/                         इस परिवाद के व्यय अनावेदक क्र. 1 एवं 3 स्वयं के तथा परिवादी के भी व्यय 4,000.00 (चार हजार) रू0 बराबर-बराबर वहन करेंगे, जिसमें अधिवक्ता शुल्क भी समाहित है।

15/                         प्रतिकर हेतु परिवाद अनावेदक क्र. 2 के विरूद्ध प्रमाणित नहीं हुआ है, और न ही उससे प्रतिकर चाही गई है। अतः अनावेदक क्र. 2 के विरूद्ध परिवादी का परिवाद निरस्त किया जाता है।

दिनांक 

 

                    (बी0 एस0 सलाम)                                                                           (श्रीमती किरण जायसवाल) 

                          अध्यक्ष,                                                                                                   सदस्य               

 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम  

                  सरगुजा अम्बिकापुर                               

                          (छ.ग.)   

 

 

 

 

 

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