( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
पुनरीक्षण संख्या :11/2021
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रीसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन-।।, शामली, आफिस भवन-शामली जिला शामली।
पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
शरविन्द्र पुत्र श्री चन्द्रपाल सिंह निवासी-मोहल्ला रेलपार, शामली तहसील वजिला शामली।
विपक्षी
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2-मा0 श्री सुशील कुमार सदस्य, सदस्य।
उपस्थिति :
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित- श्री इसार हुसैन।
विपक्षी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 23-12-2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-66/2020 सरविन्द्र बनाम विद्युत विभाग में जिला उपभोक्ता आयोग, शामली द्वारा पारित आदेश दिनांक 02-02-2021 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
विद्धान जिला आयोग, शामली द्वारा आदेश दिनांक 02-02-2021 के द्वारा विपक्षी पर न्यायालय के आदेश की अवमानना, उल्लंघन और गरिमा को ठेस पहुंचाने हेतु 25,000/-रू0 का जुर्माना अधिरोपित किया गया है।
इस आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला आयोग द्वारा 24,793/-रू0 की वसूली को स्थगित किया गया है तथा विद्युत
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विच्छेदन से निषेधित किया गया है। दिनांक 27-11-2020 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 की धारा-72 के अन्तर्गत नोटिस जारी की गयी और इसके बाद रू0 25,000/- का जुर्माना अधिरोपित किया गया है जो अवैध है।
इस निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि जिला आयोग द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-72 के अन्तर्गत दण्डित करने से पूर्व वैधानिक प्रक्रिया अमल में नहीं लायी गयी है जब कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 की धारा-72 के अन्तर्गत दण्डित करने के लिए आपराधिक प्रकीण वाद दर्ज करना चाहिए। इस आपराधिक प्रकीर्ण वाद को दर्ज करने के पश्चात मजिस्ट्रेट शमन पर विचारणीय मामलों की प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए यानी सर्वप्रथम अभियुक्त की अनुपस्थिति की खबर बताना चाहिए और आरोप के समर्थन में साक्ष्य दर्ज करना चाहिए तथा बचाव पक्ष के साक्ष्य दर्ज करना चाहिए तत्पश्चात साक्ष्य के अनुसार निर्णय पारित करना चाहिए तथा आदेश पंजिका पर दण्डात्मक कार्यवाही का आदेश पारित नहीं किया जा सकता है, यह आदेश पूर्णतया विधि विरूद्ध है अत: अपास्त होने योगय है। पुनरीक्षण याचिका स्वीकार की जाती है। जिला आयोग द्धारा पारित आदेश अपास्त किया जाता है तथा दण्डात्मक कार्यवाही रद्द की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट न0-1