Uttar Pradesh

StateCommission

A/1980/2016

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Sarvan - Opp.Party(s)

Kamesh Gupta

14 Sep 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1980/2016
(Arisen out of Order Dated 20/05/2016 in Case No. C/06/2015 of District Jaunpur)
 
1. Allahabad Bank
Jaunpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Sarvan
Jaunpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 14 Sep 2017
Final Order / Judgement

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील संख्‍या-1980/2016

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-06/2015 में पारित निर्णय और आदेश दिनांक 20-05-2016 के विरूद्ध)

 

ब्रांच मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, ब्रांच मछलीशहर पड़ाव जौनपुर।

                                                                                    अपीलार्थी/विपक्षी                                                                                                            

                             बनाम

सरवन पुत्र श्री दर्शन C/O कृष्‍ण कुमार मौर्या निवासी भौराजीपुर परगना हवेली तहसील सदर जिला जौनपुर                                                               

                                                                                        प्रत्‍यर्थी/परिवादी

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

अपीलार्थी  की  ओर  से उपस्थित   :    श्री कामेश गुप्‍ता, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       :     कोई नहीं।

 

दिनांक - 14.09.2017

मा0 श्री न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

  परिवाद संख्‍या 06/2015 सरवन कुमार बनाम अधिशाषी अभियन्‍ता व एक अन्‍य में जिला फोरम जौनपुर  द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 20.05.2016 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्‍त परिवाद के विपक्षी संख्‍या 2 प्रबन्‍धक, इलाहाबाद बैंक, शाखा जौनपुर मछलीशहर  की ओर से धारा 15 उपभोक्‍ता  सरंक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

     आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद  स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित कि‍या है:-

     "परिवादी सरवन का परिवाद संख्‍या 06/2015 विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप में इस तरह स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा परिवादी के वेतन से की गयी कटौती की धनराशि की सूची एक माह के अन्‍दर विपक्षी संख्‍या 1 उपलब्‍ध कराए। विपक्षी संख्‍या 2 को आदेश दिया जाता है कि कटौती की गयी प्राप्ति की समस्‍त धनराशि दो माह के अन्‍दर परिवादी को वापस करें तथा परिवादी को 1000/-

2

रू० वाद व्‍यय भी अदा करें। वापस न करने पर निर्णय की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि पर 7 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज देय होगा। "

     अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री कामेश गुप्‍ता उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से नोटिस के तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश त्रुटिपूर्ण और विधि विरूद्ध है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी बैंक से दिनांक 13-07-2006 को 1,00,000/- रू० का ऋण लिया था जिसके सन्‍दर्भ में उसके वेतन से कटौती विपक्षी संख्‍या 1 अधिशाषी अधिकारी, नगरपालिका परिषद के माध्‍यम से की गयी है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के जिम्‍मा अभी भी ऋण की धनराशि अवशेष है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवाद गलत कथन के आधार पर प्रस्‍तुत किया गया है।

     मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

      जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से यह स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी इलाहाबाद बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता उपस्थित हुये हैं, लेकिन कोई लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: अपीलार्थी के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी को अपना कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत करने का अवसर दिया जाना उचि�त प्रतीत होता है। अत:  जिला फोरम द्वारा  पारित  आक्षेपित  निर्णय और  आदेश अपास्‍त  कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित किया जाना उचि�त है कि वह अपीलार्थी/विपक्षी  को अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर दें और उसके बाद

 

3

उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय पारित करें।

     चूँकि अपीलार्थी/विपक्षी ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी के इस कृत्‍य को दृष्टिगत रखते हुए  क्षतिपूर्ति हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 5000/- रू० हर्जा दिलाया  जाना आवश्‍यक है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 5000/- रू0 हर्जा अदा करने पर जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त किया जाता है तथा  पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि वह इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन का समय अपीलार्थी/विपक्षी को अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत करने हेतु प्रदान करें और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्‍य और सुनवाई का अवसर देकर दो माह के अन्‍दर पुन: विधि के अनुसार निर्णय पारित करें।

     अपीलार्थी जिला फोरम के समक्ष दिनांक 18-10-2017 को उपस्थित हों।

     हर्जे की उपरोक्‍त धनराशि 5000/- रू० अपीलार्थी द्वारा धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत जमा धनराशि से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को  प्रदान की जाएगी और उसके बाद धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत जमा शेष धनराशि सम्‍पूर्ण धनराशि 25,500/- रूपये पर अर्जित ब्‍याज के साथ अपीलार्थी को वापस कर दी जाएगी।

      

                (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                         अध्‍यक्ष

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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