Uttar Pradesh

StateCommission

A/3369/2017

Magma HDI General Insurance Co. - Complainant(s)

Versus

Sartaj - Opp.Party(s)

Brijendra Chaudhary

27 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/3369/2017
( Date of Filing : 20 Dec 2017 )
(Arisen out of Order Dated 17/11/2017 in Case No. C/26/2016 of District Rampur)
 
1. Magma HDI General Insurance Co.
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Sartaj
Rampur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 27 Jan 2023
Final Order / Judgement

                                                 (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-3369/2017

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, रामपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-26/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.11.2017 के विरूद्ध)

                                    

मैगमा एचडीआई जनरल इंश्‍योरेंस कंपनी लि0, द्वारा मैनेजर लीगल, आफिस पंचम तल, हलवासिया कामर्स हाऊस, 11, एमजी मार्ग, हबिबुल्‍लाह इस्‍टेट, हजरतगंज, लखनऊ 222601, इंटरेलिया आफिस 24, पार्क स्‍ट्रीट, कोलकाता 700016 ।

अपीलार्थी/विपक्षी

                                               बनाम        

सरताज पुत्र श्री छुट्टन, निवासी 156, इमामबाड़ा-2, कसबा केमरी, तहसील बिलासपुर व जिला रामपुर।

       प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        : श्री बृजेन्‍द्र चौधरी, विद्वान

                                                      अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित         : श्री ए.के. मिश्रा, विद्वान  

     अधिवक्‍ता।

दिनांक:  28.02.2023   

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          परिवाद संख्‍या-26/2016, सरताज बनाम मैगमा एचडीआई जनरल इं0कं0लि0 में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, रामपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.11.2017 के विरूद्ध यह अपील बीमा कंपनी की ओर से प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए बीमित वाहन के चोरी होने के कारण बीमित धनराशि अंकन 16,45,000/-रू0 07 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।

2.         इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने तथ्‍य एंव विधि के विपरीत निर्णय पारित किया है। बीमित वाहन चोरी की सूचना अत्‍यधिक देरी से दर्ज करायी गयी है। धारा 156(3) सीआरपीसी के अंतर्गत पारित आदेश के बाद एफआईआर दर्ज हुई है, इसलिए बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन है। बीमित वाहन पर ऋण प्राप्‍त किया गया था और वाहन को गिरवी रखा गया था। इस तथ्‍य को छिपाया गया है, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।

3.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

4.         उपरोक्‍त वाहन संख्‍या-यू.पी. 22 टी. 6339 का बीमा होना बीमा कंपनी को स्‍वीकार्य है। परिवादी का कथन है कि बीमि‍त अवधि के दौरान दिनांक 01.03.2014 की रात्रि 9.00 बजे बीमित वाहन चोरी हो गया। परिवाद पत्र में यह उल्‍लेख नहीं है कि वाहन चोरी होने के पश्‍चात पुलिस को इस संबंध में कोई सूचना दी गई हो या सूचना देने का प्रयास किया गया हो और पुलिस द्वारा रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई हो। परिवाद पत्र की धारा 3 में केवल यह उल्‍लेख है कि धारा 156(3) सीआरपीसी के आवेदन पर अपराध संख्‍या-124/2014 सरकार बनाम अज्ञात दर्ज हुआ, परन्‍तु यह कथन नहीं है कि धारा 156(3) सीआरपीसी के अंतर्गत आवेदन प्रस्‍तुत करने के लिए परिवादी क्‍यों बाध्‍य हुआ। यह भी कथन नहीं है कि पुलिस द्वारा उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई और थाने से वापस लौटा दिया गया। धारा 156(3) सीआरपीसी के आवेदन में यह उल्‍लेख है कि जब थाने पर ट्रक चोरी की रिपोर्ट लिखवाने गए तब दरोगा जी ने कहा कि ट्रक को तलाश करो, हो सकता है कि गाड़ी कहीं खड़ी हो, इसलिए हम तलाश करते रहे। हमने गाड़ी मालिक को इसकी सूचना दी, लेकिन गाड़ी मालिक घर पर नहीं मिले। यह आवेदन दिनांक 11.03.2014 को प्रस्‍तुत किया गया है, जबकि वाहन की चोरी दिनांक 01.03.2014 को हुई है। धारा 156(3) सीआरपीसी के आवेदन में कहीं पर भी यह उल्‍लेख नहीं है कि वह पुन: थाने पर गए हों और एफआईआर दर्ज कराने का निवेदन किया गया हो या लिखित तहरीर थाने पर प्रस्‍तुत की गई हो और थाना प्रभारी के इंकार करने पर पुलिस अधीक्षक को धारा 154 सीआरपीसी की व्‍यवस्‍था के अनुसार कोई शिकायत नहीं की गई हो। अत: प्रस्‍तुत केस में पालिसी की शर्तों का स्‍पष्‍ट रूप से उल्‍लंघन किया गया है। धारा 156(3) सीआरपीसी के अंतर्गत आवेदन प्रस्‍तुत करने के कारण का कोई उल्‍लेख परिवाद पत्र में नहीं किया गया। प्रथम सूचना रिपोर्ट त्‍वरित रूप से दर्ज कराना वाहन मालिक का दायित्‍व है ताकि पुलिस बीमित वाहन को खोज सके और बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति के दायित्‍व से बच सके, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में बीमाधारक की ओर से इस प्रकार का कोई प्रयास नहीं किया गया। धारा 156(3) का आवेदन लिखते समय दरोगा द्वारा वाहन खोजने की एक फर्जी कहानी तैयार की गई। पत्रावली के अवलोकन से यह भी जाहिर होता है कि परिवादी द्वारा लिए गए ऋण का समय पर भुगतान नहीं किया गया और चूंकि वाहन को खोजने का प्रयास न करने से पुलिस को अप्रत्‍यक्ष रूप से रोका गया है, इसलिए जाहिर होता है कि एक फर्जी कहानी वाहन चोरी के संबंध में तैयार की गई है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने बीमि‍त वाहन के चोरी होने पर पालिसी की शर्तों के अनुसार त्‍वरित रूप से रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी गयी, इसलिए अंतिम रिपोर्ट प्रस्‍तुत करते समय पुलिस ने यह उल्‍लेख किया कि मामला पुराना हो जाने के कारण बीमित वाहन का पता नहीं चल सका है। चूंकि बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन हुआ है, इसलिए कोई बीमा क्‍लेम देय नहीं था। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

5.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.11.2017 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।

           उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

           अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्‍तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित (यदि कोई हो) विधि अनुसार अपीलार्थी को वापस की जाए।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

   (विकास सक्‍सेना)                          (सुशील कुमार)

     सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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